RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
शाजिया नशे में नंगी ही हाई हील के सैंडल पहने लड़खड़ाती खड़ी हुई उसकी पहली ठोकर घास में गिरी हुई वोडका की बोतल पर लगी। उसने झुक कर वो बोतल उठा ली। उसमें थोड़ी सी वोडका बाकी थी और वो बोतल से पूँट पीती हुई छप्पर की तरफ बढ़ी। चलते हुए उसकी नंगी चूत ऐसे महसूस हो रही थी जैसे उसमें से भाप निकल रही हो। शाजिया का बदन उत्तेजना से काँप रहा था और वो नशे में काफी चूर थी। इस वजह से ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में उसके कदम सीधे नहीं पड़ रहे थे और वो छप्पर तक पहुँचने तक तीन-चार बार गिरी।
जैसे-जैसे शाजिया छप्पर के नज़दीक आ रही थी, उसकी गरम चूत की महक छप्पर में तेज़ होती जा रही थी। शाजिया को उस उत्तेजित गधे के पैरों की ज़मीन पर ठाप सुनायी दी। छप्पर के द्वार पर वो कुछ क्षण के लिए रुकी और धीरे से बहती हुई शीतल हवा से उसके लंबे काले बाल उड़कर उसके चेहरे पर आ गये और उसे लगा जैसे वो शीतल हवा उसकी चूत की आग को भड़का रही हो। उस मुर्ख गधे ने अपना सिर उछाल कर शाजिया की तरफ देखा। गधे की अकड़ी हुई गर्दन के बाल भी सीधे खड़े हो गये जब वो अपने दाँतों के पीछे अपने भीगे होंठ मोड़कर जोर से घुरघुराया तो उसके जबड़ों से थूक की बौंछार सी निकल गयी।
शाजिया अंदर दाखिल हुई और बोतल में से वोडका की आखिरी पूँट पी कर दरवाजा बंद कर दिया। लकड़ी के खंबे के सहारे खड़े हो कर शाजिया ने उस जानवर के अविश्वसनीय लंड पर अपनी निगाह डाली। और कुछ नहीं तो उसका लंड पहले से अधिक बड़ा हो
गया लग रहा था। चूत को रगड़ते हुए देखने के लिए कितना रोमांचक नज़ारा था।
-
इतना विशाल और काला, नंगा लंड बालों से भरे खोल में से बाहर निकल कर खड़ा था। उसके चिकने सुपाड़े पर वीर्य की कुछ दूधिया बँदें चमक रही थी।
- |
गधे के लंड और टट्टों को घूरते हुए शाजिया ने बोतल अपने होंठों से लगायी पर जब उसे एहसास हुआ कि वो खाली है तो उसने वो बोतल एक तरफ पटक दी और अपना हाथ चूत पे रख कर अपनी अंगुलियाँ दहकती हुई चूत में घुसा दीं। गधे ने जब उसकी मलाईदार चूत को देखा तो उसकी आखें बाहर को उभर आयीं। उसकी लाल जीभ राल टपकाती हुई उसके खुले जबड़े के किनारे फिसलने लगी। शाजिया जैसी चुदक्कड़ और कामुक औरत के लिए काफी रोमाँचक बात थी कि एक उत्तेजित गधा इतनी लालसा से उसकी चूत को घूर रहा था। उतना ही और रोमाँच शाजिया को गधे के लंड और टट्टों को निहारने में भी आ रहा था। नशे के कारण शाजिया एक जगह स्थिर खड़ी नहीं हो पा रही थी। इसलिए उसने लकड़ी के खंबे पर अपनी पीठ टिका कर अपने घुटने थोड़े से नीचे झुका लिए और गधे को अपनी खुली चूत का दर्शन करवाने लगी।
वो गधा घुरघुराया और उसके फटफटाते होंठों से बुदबुदाने की अवाज़ आने लगी। उसके पुष्ठ बदन में तनाव की लहरें उठ रही थीं। उसका लंड अकड़ कर ऐसे फूल गया था कि शाजिया को लग रहा था कि वो लंड की ठनठनाहट सुन रही थी।
शाजिया ने अपनी क्लिट रगड़ी तो उसका बदन थरथरा उठा। उसने अपनी दो अंगुलियाँ धीरे से चूत में अंदर तक घुसा दीं और उन्हें चूत में घुमाने लगी। गधे की नज़रें शाजिया की चूत पर ऐसे गड़ी थीं जैसे वो अपनी नज़रों से उसे सहला रहा हो। शाजिया के चूत-अमृत की एक धार चू कर उसकी टाँग से नीचे की ओर बह गयी। उसनी अपनी अंगुलियाँ पूरी । अंदर तक घुसा दीं और फिर उसने धीरे से बाहर खींची तो उसकी तंग चूत जैसे उसकी अंगुलियों को अंदर चूसने लगी और उसकी चूत का रस उसकी चुल्लू बनी हथेली में भर गया। शाजिया ने फिर अपनी अंगुलियाँ अंदर घुसा दीं और अंदर-बाहर चोदते हुए अपना अंगूठा क्लिट पर आगे-पीछे फिराने लगी।
उसके चेहरे पर विकृति और नीचता छायी हुई थी, आखें सिकुड़ कर बारीक हो गयी थी। और हाँफते होंठ खुले हुए थे। उसकी भी राल बह रही थी - पर उतनी नहीं जितनी उस उत्तेजित गधे की बह रही थी। उस गधे का थुथन थूक से बुरी तरह लिसड़ा हुआ था।
अपने हाथ पर अपनी चूत को ऊपर-नीचे चोदते हुए शाजिया की गाँड आगे-पीछे झटक रही थी। उसका बहता चूत-रस और भी गर्म और सुगंधित हो गया और उस गधे ने अपनी पुष्ट गर्दन तान कर शाजिया की तरफ अपना सिर ढकेल दिया। उसकी जीभ बाहर निकली हुई थी और किनारों से टपक रही थी। उसके मुँह से इतनी राल टपक रही थी कि उसकी जीभ मुँह में गोते लगाती प्रतीत हो रही थी।
|