RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
शरद- अच्छा बता, मेरा तो दिमाग़ घूम रहा है तू बच कैसे गई उनसे क्योंकि ये तो 100% मैं जानता हूँ तेरी चूत की सील मैंने तोड़ी है, अब बता उस दिन क्या हुआ? कैसे बची?
ललिता- आप सुनो तो सही..!
शरद- अच्छा ठीक है, बता..बता मैं कुछ भी नहीं बोलूँगा।
ललिता- उनकी बातें सुनकर मेरा तो सर चकरा गया, मैंने जल्दी से अपना जैकेट निकाल और बेड पर गिरा दिया और खुद बेड के लास्ट में जाकर सो गई ताकि वो आए भी तो मेरा नम्बर लास्ट में आए शायद किसी तरह बच जाऊँ।
शरद- गुड… आगे…!
ललिता- हाँ बता रही हूँ… डोर खुला तो नीलेश धीरे से अन्दर आया, रूम में अंधेरा था मगर डोर खुलने से बाहर की हल्की रौशनी अन्दर आ रही थी। सारी लड़कियाँ आराम से सो रही थीं। नीलेश धीरे से बेड के पास आया, उसकी निगाह जैकेट वाली लड़की को ढूँढ़ रही थी, तभी उसकी नज़र जैकेट पे गई और उसने धीरे से बोला।
नीलेश- बेबी ने जैकेट निकाल कर साइड में रखा है, गर्मी लग रही होगी। आज तेरी सारी गर्मी निकाल दूँगा मैं।
नीलेश धीरे से बेड पर थोड़ा ऊपर आया और जैकेट हटा कर किसी एक के मम्मे दबा कर देखा।
नीलेश- वाह क्या निशाना है मेरा, बराबर तेरे मम्मों पर ही हाथ आया, क्या मस्त बड़े-बड़े मम्मे हैं तेरे… और क्या कड़क भी हैं।
शरद- उसके बाद क्या हुआ, किसके मम्मे दबाए उसने..!
ललिता- आप भी ना बहुत उतावले हो, सुनो अब..!
शरद- ओके बाबा सॉरी रहा नहीं जा रहा यार…!
ललिता- उसने किसके मम्मे दबाए, ये तो मुझे भी पता नहीं चला, अंधेरा था ना वहाँ पर… उस कुत्ते ने एक लड़की को गोद में उठाया और आराम से बाहर
ले गया। मेरी तो जान में जान आई कि मैं तो बच गई, पर पता नहीं वो किसको ले गया।
नीलेश के जाने के बाद मेरे मन में ये ख्याल आया कि मैं तो बच गई, मगर पता नहीं, वो किस को ले गया। अब उसको कैसे बचाऊँ? मेरे दिमाग़ में एक आइडिया
आया। मैंने जल्दी से रूम के नाइट लैंप का तार निकाला दाँत से काटकर उसका प्लग कट करके दोनों तार एक साथ सॉकेट में डाल कर स्विच ऑन कर दिया।
पूरे फार्म की लाइट ट्रिप हो गई।
शरद- ओह माय गॉड… इतना रिस्क लिया तुमने और तुमको कैसे पता ये करने से लाइट ट्रिप हो जाएगी?
ललिता- बस क्या शरद जी मेरे को ऐसा-वैसा समझा है क्या? मेरी उमर कम है, पर दिमाग़ बहुत तेज़ चलता है, मेरा ये सब मुझे पता था मेरी फ्रेंड के पापा इलेक्ट्रिक का काम करते हैं तो उनकी बेटी को शौक है लाइट का काम सीखने का… बस उसी से मैंने सीखा…!!
शरद- साली दिखती कितनी मासूम सी हो और कारनामे बड़े-बड़े किए हैं तूने और मैं जानता हूँ दिमाग़ तो तेरे पास बहुत है, तभी तो अशोक को चूत दिखा कर अपने वश में कर लिया। वो सिम्मी की मौत को भूल कर तुम्हारे साथ हो लिया और मुझे भी अपनी बातों के जाल में फँसा लिया तूने….!
ललिता- नहीं शरद जी ये कोई जाल-वाल नहीं था हाँ मैं बस रचना को बचाना चाहती थी और मेरी कही एक-एक बात सही थी। रियली मेरा कोई कसूर नहीं था। बेगुनाह होते हुए भी मैं सब से चुदी, तो बस अपनी बहन को बचाने के लिए। वो ज़िद्दी है घमण्डी है, पर दिल की बहुत साफ है।
शरद- जानता हूँ इसी लिए तो मैंने उसको माफ़ कर दिया, उसकी जगह तुम होती तो कभी मेरे जाल में नहीं फँसती, वो भोली है इसी लिए जल्दी झाँसे में आ गई। अब उसकी बात कुंए में डाल तू। आगे क्या हुआ वो बता ना यार…!
ललिता- हाँ बताती हूँ लाइट जाने के बाद मैं जल्दी से उठी और डोर को धीरे से खोला, नीलेश वहाँ से जा चुका था। मैं धीरे-धीरे अंधेरे में रूम से बाहर निकली तो धरम अन्ना की आवाज़ सुनाई दी। वो शायद नशे में था। उसके बोलने के तरीके से अंदाज लगाया मैंने। वो कुछ ऐसे बोल रहा था।
धरम अन्ना- अईयो ये लाइट को क्या हुआ जी साला पूरा नशा खराब हो गया…!
नीलेश- अरे धरम अन्ना धीरे बोलो बुलबुल को मैं ले आया हूँ मेरी गोद में है। लाइट का क्या आचार डालोगे? मोबाइल है ना अब चुप रहो… नशे में है ये, लगता है बहुत ज़्यादा पी है साली को होश भी नहीं है…!
धरम अन्ना- अच्छा तुम बराबर देख कर लाया ना हिच…हिच साला मेरा बेटी भी हिच… अन्दर होना…!
नीलेश- हाँ धरम अन्ना अच्छे से चैक करके लाया हूँ जैकेट भी देखा और मम्मे भी दबा कर देखे, अब बस साली की चूत देखना बाकी है, बस दो मिनट रुको, अभी साली को नंगी करता हूँ…!
ललिता- उन कुत्तों के आगे मैं बेबस हो रही थी, एक तो अंधेरा इतना था और दूसरा वो किस को लाए, ये भी पता नहीं था मेरे को, अब अपनी दोस्त को बचाऊँ तो कैसे… अगर मैं कुछ बोलती तो मेरी इज़्ज़त को खतरा था। दोनों नशे में थे, क्या पता क्या करते मेरे साथ..! तो मैं बस चुप रही और उस रूम के डोर को हल्का सा खोल कर अन्दर देखने लगी। बड़ी मुश्किल से मैंने अंधेरे में नजरें जमाईं। धरम अन्ना कुर्सी पर बैठा अब भी पी रहा था और नीलेश ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए थे और अब मेरी फ्रेंड को नंगा कर रहा था, इतना साफ तो नहीं मगर दिख सब रहा था मुझे, लेकिन वो कुत्ता लाया किसको था, ये मुझे समझ नहीं आ रहा था। अब नीलेश ने उसके पूरे कपड़े निकाल दिए थे और अपने हाथों से उसके मम्मों और चूत का मुआयना कर रहा था। मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया, मैंने अपने मोबाइल में रेकॉर्डिंग चालू कर दी। मैंने फ्लश ऑफ कर लिया था, ताकि उनको मेरे वहाँ होने का पता ना चले..! कुछ धुंधला सा रेकॉर्ड होने लगा, पर हाँ उनकी आवाज़ बराबर रिकॉर्ड हो रही थी।
नीलेश- उफ्फ साली क्या मक्खन जैसा बदन है धरम अन्ना आ जाओ, देखो क्या मस्त माल है?
धरम अन्ना- साला कुत्ता है तू, मेरे ही घर में मेरी ही बेटी की दोस्त के साथ गंदा कर रहा है। मुझे तो अब भी अच्छा नहीं लग रहा। कहीं कुछ हो गया तो, मैं अपनी बेटी के सामने कैसे जाऊँगा जी।
नीलेश- जाने दे तू मत आ मैं ही मज़ा ले लेता हूँ…!
धरम अन्ना- अबे रुक साले, शराब पीकर मेरे लौड़े में तनाव आ गया जी.. अब जो होगा देखा जाएगा… हम आता…!
धरम अन्ना भी उठकर बेड पर आ गया। अब दोनों उसके मम्मों और चूत से खेल रहे थे। धरम अन्ना मम्मों को चूस रहा था और नीलेश चूत को चाट रहा था।
इस दोहरे हमले से मेरी फ्रेंड को थोड़ा होश आया तो उसको अहसास हुआ कि ये क्या हो रहा है.. और वो ज़ोर से चीखी, “नहीं… आआ छोड़ दो… कौन हो… तुम उूउउ…. ललिता बचाओ… आशा मुझे बचाओ आआ…!”
नीलेश- अरे बन्द कर साली का मुँह जल्दी से…!
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