Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
04-05-2019, 01:11 PM,
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका का जिस्म इस वक़्त आग की भट्टी की तरह तप रहा था और उसकी आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थी. हवस उसकी आँखों में सॉफ दिखाई दे रहा था आज वो भी समझ चुकी थी कि जिस्म की आग क्या होती हैं और जब जिस्म की आग इंसान पर हावी होती है तो इंसान को कुछ दिखाई नहीं देता. आज राधिका भी वही आग में जल रही थी वो तो चाह रही थी कि कैसे भी वो फारिग हो जाए मगर बिहार मँज़ा हुआ खिलाड़ी था जब राधिका अपने चरम पर पहुचती तो वो वाइब्रटर की स्पीड बिल्कुल कम कर देता ऐसे ही पिछले एक घंटे से वो उसके साथ ये खेल खेल रहा था. आख़िर कब तक राधिका का धैर्य जवाब देता वो भी वही बेबस होकर जग्गा, विजय और बिहारी के पास वहीं ज़मीन पर बैठ जाती हैं.


बिहारी- क्या हुआ मेरी जान अभी टाइम की ओर देख अभी पूरा एक घंटा बाकी हैं. तू इतनी जल्दी अगर हिम्मत हार जाएगी तो क्या होगा.


राधिका चुप चाप वही ज़मीन को टकटकी लगाए बैठी देख रही थी अब हवस उसके उपर इस कदर हावी हो चुका था कि उसे क्या सही क्या ग़लत वो अब कोई भी फ़ैसला लेने की स्थिति में नज़र नहीं आ रही थी. बस कैसे भी करके अपने अंदर सुलग रही आग को दबाने की कोशिश कर रही थी मगर ये आग दबाने से और भी भड़कती जा रही थी. राधिका के दिल और दिमाग़ में कई तरह के सवाल उठ रहे थे मगर आज वो अपने जिस्म के आगे बेबस थी.


ऐसे ही सिलसिला चलता रहा और ठीक 15 मिनिट के बाद राधिका का सब्र पूरी तरह से टूट गया और वो ना चाहते हुए भी बिहारी के कदमों में आख़िर गिर ही पड़ती हैं. ये देखकर विजय, जग्गा और बिहारी के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं. आज राधिका फिर से अपने बदन की आग से एक बार फिर हार गयी थी. आज उसका सारा मनोबल टूट गया था.


राधिका- मैं हार गयी बिहारी.................आख़िरकार तुम जीत ही गये आज मेरे अपने जिस्म ने मेरे मनोबल को तोड़ दिया.मैं आज अपना जिस्म तुम्हें सौपति हूँ बिहारी कर लो जो करना हैं. आज के बाद तुम जो मुझसे कहोगे वो मैं सब कुछ करूँगी मैं आज के बाद तुम्हारी रखैल बनकर रहूंगी. तुम मुझे जिसके साथ कहोगे जैसे कहोगे मैं उससे चुदवाउंगी और राधिका वहीं फुट फुट कर रोने लगती हैं. बिहारी उसको बड़े प्यार से उसको सहारा देता हैं फिर उसे वही सोफे पर बैठा देता हैं..


बिहारी- मुझे खुशी हुई कि आज तूने खुद ही अपने आप को मेरे हवाले कर दिया मगर इस बात का दुख भी हुआ कि मैने तेरे सामने एक सुनेहरा मौका दिया था और तूने उसको गवाँ दिया. खैर अब शर्त के मुताबिक आज के बाद तू पूरे एक हफ्ते तक मेरी रखैल बनकर रहेगी. मेरी मर्ज़ी मैं तुझे जहाँ चाहूं जिससे चाहूं तुझे चुदवाउन्गा और तू अब आज के बाद मुझे किसी भी चीज़ के लिए मना नहीं करेगी.


राधिका ये बात अच्छे से जानती थी कि आने वाला समय कितना भयानक होने वाला है. पता नहीं बिहारी उससे क्या क्या करवाएगा मगर आज उसकी बदनसीबी कि वो अपनी मर्ज़ी से अपनी जान भी नहीं दे सकती थी शायद उसे और जल्लत सहना बाकी था. पता नहीं आने वाला वक़्त राधिका की ज़िंदगी में क्या सितम ढाने वाला था. पर इतना ज़रूर तय था कि जो कुछ भी राधिका के साथ होगा वो उसके लिए अच्छा नहीं होगा


राधिका अभी भी बेबस वहीं बिहारी के कदमों के पास बैठी हुई थी. कल तक सब का मूह तोड़ जवाब देने वाली लड़की आज खुद को एक कमज़ोर महसूस कर रही थी. तभी जग्गा उसके पास आता हैं और अपनी मुट्ठी में राधिका के सिर के बाल को कसकर पूरी ताक़त से भीच देता हैं. राधिका के मूह से एक दर्द भरी सिसकारी निकल पड़ती हैं.


जग्गा- क्या हुआ मेरी रानी सारी गर्मी ठंडी पड़ गयी क्या. अभी तो खेल शुरू हुआ हैं और अभी से तू कमज़ोर पड़ गयी.


राधिका एक नज़र जग्गा की ओर देखती हैं फिर वो अपनी नज़रें झुका लेती है. वो भी अच्छे से जानती थी कि इन हैवानो के दिल में उसके लिए कोई हमदर्दी नहीं हैं.


बिहारी- देख ध्यान से इस समय को अभी पूरे 45 मिनिट बाकी हैं. खैर जब तू हार मान ही चुकी हैं तो अब आज के बाद हम जो भी कहेंगे तू वो सब कुछ करेगी बिना किसी सवाल जवाब के. बोल करेगी ना. राधिका हां में अपनी गर्देन हिला देती हैं.


बिहारी फिर जग्गा को राधिका से दूर हटने का इशारा करता हैं और जग्गा तुरंत राधिका के बाल छोड़ देता हैं.- बोल राधिका तू हमारे लिए क्या कर सकती हैं. तू समझ रही होगी कि मेरा इशारा किस ओर हैं. बिहारी फिर से राधिका से वही गंदे सवालों का सिलसिला शुरू कर देता हैं.


राधिका- मैं कुछ भी कर सकती हूँ जो तुम कहोगे... तभी बिहारी धीरे धीरे वाइब्रटर का स्पीड बढ़ाने लगता हैं और फिर से राधिका तड़प उठती हैं. उसके मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.


विजय- क्या हुआ डार्लिंग. तेरी चूत में आग लगी हैं क्या. अगर ऐसी बात हैं तो कह दे हम तेरी चूत की सारी गर्मी निकाल देंगे.


राधिका- बस.......करो बिहारी अब मुझसे बर्दास्त नहीं होता. मैने खुद को तुमलोगों के हवाले तो कर ही चुकी हूँ और अब तुम सब मुझसे क्या चाहते हो. अगर कहो तो मैं अपने पूरे कपड़े तुम सब के सामने उतार देती हूँ. यही चाहते हो ना तुम सब.
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