RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
दीदी ने अपनी एक टाँग मेरे कंधे पर रखी हुई थी, और दूसरी टाँग को मैने हाथ से पकड़ कर उपर कर रखा था, और मैं दीदी की चूत को किस करते हुए चाटे जा रहा था, और चूत के दाने को चूस रहा था. दीदी अब कराहने लगी. मैं अपनी जीभ को दीदी की चूत की दरार पर नीचे से उपर तक चाटे जा रहा था, और उनकी चूत से निकल रहे जूस को चाट रहा था. दीदी अब काँपने लगी. मैं दीदी की चूत के दाने को जीभ से घिसे जा रहा था, और फिर जब मैने चूत को दाने को ज़ोर से चूसा, तो दीदी ने अपनी गान्ड उपर उछाल दी, और अपनी चूत को मेरी नाक, मूँह और थोड़ी के उपर ज़ोर से दबा दिया.
दीदी चुपचाप किचन की स्लॅब पर लेटी हुई थी, और मैं उनकी गोरी गोरी चिकनी जाँघो को चाट रहा था, और उनकी चूत से निकले जूस को चाट कर सॉफ कर रहा था. जैसे ही दीदी उठ कर स्लॅब पर सीधी बैठी, मैने दीदी की तरफ देखा. दीदी ने अपना आगे से खुला हुआ गाउन अपने कंधों में से निकाल कर फेंक दिया, और अपनी हथेलियों को स्लॅब पर टिका कर, थोड़ा पीछे झुक गयी. जैसे ही उठ कर खड़ा हुआ, दीदी ने आगे झुक कर मुझे किस किया और मुस्कुराते हुए बोली, “मज़ा आया अपनी दीदी की चूत को चाट कर?”
मेरा लंड पाजामे के अंदर खड़ा होकर टेंट बना रहा था. मैं दीदी को अपनी उंगलियाँ चूत में घुसा कर बाहर निकालते हुए और फिर उनको चाटते हुए देखता रहा. “तुमको मेरी चूत का टेस्ट अच्छा लगता है राज?” मैं कुछ बोलता उस से पहले दीदी खिसक कर किचन की स्लॅब से नीचे उतर आई.
किचन की ब्लाइंड्स में से छन कर आ रही सूरज की रोशनी में दीदी की नग्न गोरा शरीर दमक रहा था. दीदी ने स्लॅब पर से उतरते हुए कहा, “चलो राज, उपर रूम में चलते हैं.”
मैं दीदी के पीछे पीछे सीढ़ियों पर चढ़ने लगा. सीढ़ियों के उपर लगे रोशनदान में से आ रही रोशनी हम दोनो के उपर गिर रही थी. दीदी ने थोड़ा उपर पहुँच कर नीचे मेरी तरफ देखा, और अपने सीधे हाथ से अपनी झान्टो और गोरे पेट को सहला दिया, और अपनी लेफ्ट चूंची को दबाते हुए बोली, “मेरे पास आओ राज.”
मैने अपनी टी-शर्ट और पाजामे को उतार के फेंक दिया. दीदी को उपर चढ़ते हुए और अपने आप को सहलाते हुए देख कर मेरा लंड बेकाबू हो रहा था. सीढ़ियों पर उपर चढ़ते हुए, मेरा लंड एक दम मेरे पेट से 45 डिग्री के आंगल पर खड़ा होकर फूँकार मार रहा था.
डॉली दीदी ने उपर पहुँच कर अपना एक हाथ मेरी तरफ बढ़ाया, और मुझे अपने पास खींच लिया, और मेरा हाथ पकड़ कर अपने मास्टर बेड रूम में ले गयी. जैसे ही हम रूम में लगे मिरर के सामने से गुज़रे, दीदी रुक गयी और हँसने लगी.
"आप हंस क्यों रही हो दीदी?"
"कितना अजीब लग रहा है!"
मैने दीदी की तरफ देखा और बोला, "आप बहुत खूबसूरत हो दीदी."
"नही, मेरे पैरों की तरफ देखो. मैं उपर से नीचे तक पूरी नंगी हूँ, बस पैरों में ये बेकार से ये स्लिपर्स ही पहन रखे हैं,” डॉली दीदी इतना कहकर फिर से हँसने लगी.
जैसे ही दीदी ने वो स्लिपर्स उतार कर दूर फेंके, मैं दीदी के पीछे खड़ा हो गया. मैने अपनी बाहें दीदी की कमर में डाल दी, और थोड़ा आगे झुक कर दीदी की गरदन को चूमने लगा. मैं थोड़ा नीचे झुका, और अपने लंड को दीदी की गान्ड के क्रॅक में घुसाने की कोशिश करने लगा. दीदी ने अपनी टाँगें थोड़ी फैला दी, और अपनी जांघों के बीच में मेरे लंड के घुसने के लिए जगह बना दी. मैं अपने हाथ दीदी के पेट पर सहलाता हुआ, उपर उनकी चूंचियों तक ले गया, और धीरे से उनकी चूंचियों को अपनी हथेलियों में भर लिया. मैं एक पल रुक कर, दीदी के कान में फुसफुसाया, “मैं आप को चोदना चाहता हूँ , दीदी.”
डॉली दीदी ने मेरे हाथों के उपर अपने हाथ रख दिए और बोली, 'हां,राज मेरे भाई, चोद दो मुझे."
हम दोनो अलग होकर, बेड की तरफ चल दिए. दीदी ने पिल्लो और ब्लंकेट को उठा कर हेड रेस्ट के पास रख दिया. मैने रूम की ब्लाइंड्स को खोल दिया, जिस से सारा रूम रोशनी से नहा उठा. डॉली दीदी बेड के सेंटर में लेट गयी. मैं बेड के किनारे के पास घुटनों के बल बैठ कर दीदी के उस नग्न शरीर का दीदार करने लगा, जो चुदने के लिए मेरे सामने लेट कर मेरे आगे बढ़ने का इंतेजार कर रही थी.
मैं दीदी के पास बेड पर लेट गया. पिल्लोस में से दीदी की स्मेल आ रही थी. “दीदी मैं आपका मूड खराब नही करना चाहता, फिर भी क्या मैं कॉंडम चढ़ा लूँ?”
डॉली दीदी ने मेरी तरफ अपना सिर घुमाया और बोली, "नही, उसकी कोई ज़रूरत नही है, मैं पिछले साल ही नसबंदी का ऑपरेशन करा चुकी हूँ." दीदी ने आगे बढ़कर मुझे किस कर लिया.
हम दोनो ने एक दूसरे अपनी बाहों में भर लिया, और एक दूसरे की पीठ को सहलाने लगे, हमारी किस अब और ज़्यादा मादक, कामुक और गहरी होती जा रही थी. डॉली दीदी थोड़ा सा खिसक कर पीछे हुई, और अपना हाथ मेरे पेट के उपर सहलाते हुए मेरे लंड तक ले आई. दीदी मेरे लंड और उसके नीचे टट्टों में गोलियों को सहलाने और दबाने लगी. मैं दीदी की चूंचियों को होंठों से चूम रहा था, जीभ से चाट रहा था, और हाथों से दबा रहा था.
"इसको अंदर डाल दो, राज." डॉली दीदी पीछे होकर लेट गयी और अपने हिप्स और टाँगों को अड्जस्ट कर लिया. मैं दीदी की टाँगों के बीच, घुटनों के बल बैठ गया. जैसे ही मैं थोड़ा आगे बढ़ा, और अपने लंड के सुपाडे को दीदी की चूत के द्वार और दाने पर घिसने लगा, दीदी ने मेरे लंड को पकड़ लिया, और थोड़ा नीचे खिसक आई.
जैसे ही मैं थोड़ा पीछे हुआ, डॉली दीदी फिर से और नीचे खिसक आई. मेरा लंड दीदी की चूत की फांकों को चीरता हुआ, चूत की सुरंग में घुस गया. जैसे ही मेरे लंड को दीदी की चूत की गर्माहट का एहसास हुआ, मैं दीदी के और करीब आ गया, और दीदी ने मुझे अपने उपर खींच लिया, जिस से मैं अब दीदी के उपर लेट गया.
हम दोनो उसी अवस्था में कुछ देर लेटे रहे, फिर दीदी फुसफुसा कर बोली, "जब तुम अपना ये मेरे अंदर डालते हो, तो मुझे बहुत अच्छा लगता है."
हम दोनो धीरे धीरे एक साथ ताल से ताल मिलाते हुए अपनी गान्ड हिलाने लगे. मैं अपने शरीर का सारा भार अपने हाथों पर लेकर, दीदी को धीरे और लंबे झटकों के साथ चोदने लगा. डॉली दीदी अपनी गान्ड मेरे झटकों के साथ ताल मिलाते हुए आगे पीछे कर रही थी. दीदी मुझे देख कर मुस्कुराइ, और मैने उनसे कहा, “आइ लव यू दीदी.”
मैं आगे बढ़कर अपने घुटनों के बल बैठ गया, और दीदी की टाँगों को उपर उठा दिया, जिस से मैं दीदी की गरम गरम, गीली गीली चूत में अंदर तक लंड पेल सकूँ. "ओह, राज, मुझे ऐसे चूत के अंदर तक लंड पिलवाने में बहुत मज़ा आता है."
मैं दीदी को वैसे ही कुछ देर तक, धीरे धीरे लंड को अंदर तक पेलते हुए चोदता रहा, और चूत के दाने को अपने अंगूठे से सहलाता रहा. कुछ देर बाद दीदी बोली, “तुमको मेरे झडने के लिए हेल्प करने की कोई ज़रूरत नही है. हम दोनो इस का मज़ा लेते हैं और झड्ने के बारे में अभी नही सोचते.”
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