RE: Indian Sex Story कमसिन शालिनी की सील
शालिनी ने मेरे हाथ से खाली प्लेट ले के पास के डब्बे में डाल दी और हिरनी जैसे कुलांचे भरती हुई चल दी मैं पीछे से उसके नितम्बों का उतार चढ़ाव देखता रह गया.
दो तीन मिनट बाद ही उसने चाट के स्टाल से दही बड़े ला कर मुझे दे दिए.
‘थैंक्स शालिनी…’ मैंने कहा और दही बड़े खाने लगा साथ में मैं शालिनी को गहरी नज़र से देखता जा रहा था.
शालिनी ने मेरी चुभती नज़र से कुछ विचलित हुई- ऐसे गौर से क्या देख रहे हो अंकल जी?
‘कुछ नहीं शालिनी, तुम बहुत सुन्दर अच्छी हो लेकिन…’ मैंने उसकी तारीफ़ की.
‘लेकिन क्या अंकल जी? आप कहते कहते रुक क्यों गये?’
‘शालिनी, तुम्हारे चेहरे पर ये फुंसियाँ सी कैसी हैं. ये अच्छी नहीं लगतीं, कोई मेडिसिन क्यों नहीं ले लेती?’
‘अंकल जी, ये फुंसियाँ नहीं मुहाँसे है. बहुत सी मेडिसिन्स ट्राई की, डॉक्टर को भी दिखाया, टीवी पर जितने एड आते हैं सब के सब ट्राई कर के देख लिए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ!’ वो बड़े उदास स्वर में बोली.
अच्छा दिखना सुन्दर दिखना हर लड़की की इच्छा होती है और मैंने शालिनी की कमजोर नस पर हाथ रख दिया था और मुझे यकीन था कि अगर मैंने सब्र से काम लिया तो उसकी चूत के दर्शन तो पक्का हो ही जायेंगे और हो सकता है कि मेरा काला कलूटा मूसल जैसा लंड भी उसकी गोरी गुलाबी मुलायम कुंवारी चूत की सील तोड़ने में कामयाब हो जाए!
‘शालिनी, इन मुहाँसों का इलाज नैचुरोपेथी या आयुर्वेद से ही संभव हैं. इन अंग्रेजी दवाइयों से कुछ नहीं होगा, उल्टे इनके साइड इफेक्ट्स बहुत ज्यादा होते हैं.’ मैंने बड़ी गंभीरता से कहा.
‘अच्छा. अंकल जी, ये नेचुरोपेथी क्या होती है?’
‘नेचुरोपेथी का मतलब प्राकृतिक चिकित्सा. किसी रोग या कष्ट का कारण समझ कर उस कारण का निदान करना और सहज प्राकृतिक जीवन जीना नेचुरोपेथी कहलाता है. जब हमारे भीतर कोई गड़बड़ हो रही होती है, शरीर के हारमोंस ठीक से बन नहीं पाते या हम अपने शरीर के सभी अंगों का समुचित इस्तेमाल नहीं करते अथवा अन्य प्रकार के रस, द्रव जो शरीर से बाहर निकल जाने चाहियें वो निकल नहीं पाते तो ये सब लक्षण प्रकट होते हैं. जैसे शरीर पर फुंसियाँ होना, मुहाँसे हो जाना, मुंह में छाले हो जाना, पेट दर्द हो जाना… ये सब सिम्पटम्स हैं, लक्षण हैं स्वयं में कोई रोग नहीं हैं ये तो सिर्फ सिग्नल्स हैं कि शरीर में रोग कहीं भीतर है और उसका उपचार इन पर दवाई लगाने से नहीं बल्कि भीतर की जरूरतों को पूरा करने से ही होगा!’ मैंने उसे लम्बा चौड़ा व्याख्यान दे डाला.
मेरी बातों का उस पर फ़ौरन असर हुआ, उसके चेहरे के भाव बदल गये, वो बात को गहराई से समझने का प्रयास करने लगी. यही मैं चाहता था कि उसके दिमाग में यह बात बैठ जाए कि मुहाँसे मिटाने का पक्का इलाज कोई लंड ही कर सकता है चूत में घुस के.
‘अंकल जी, मैं आपकी बात ठीक से समझ नही पा रही हूँ. थोड़ा और समझा के कहिये न प्लीज!’ इस बार वो बड़ी कोमल और धीमी आवाज में बोली.
‘देखो शालिनी, जब बात चल ही पड़ी है तो मैं तुम्हें सब डिटेल्स में समझा दूंगा लेकिन प्रॉमिस करो कि मेरी किसी बात का बुरा नहीं मानोगी?’ मैंने उसे प्यार से कहा.
‘प्रॉमिस अंकल जी… मैं किसी बात का बुरा नहीं मानूंगी. आप जो भी कहोगे मेरी भलाई के लिए ही तो कहोगे ना!’ वो विश्वास से बोली.
चिड़िया मेरे जाल में फंसती नज़र आ रही थी. अगर मैंने आगे का खेल ठीक से खेला तो पक्का वो मेरे लंड के नीचे होगी, बहुत जल्दी!’ मैंने मन ही मन खुश होते हुए सोचा.
‘तो फिर ठीक है. चलो हम लोग वहाँ चेयर्स पर बैठ के बात करेंगे ठीक से!’ मैंने कहा और अपनी दही बड़े की खाली प्लेट पास की डस्टबिन में डाल दी.
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