RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 14
खैर ग्राउंड पहुंच कर मैं ऋषभ से मिला । इतना खुश होता देख ऋषभ से रहा नहीं गया और पूछ बैठा ।
" क्या भाई आज कुछ ज्यादा ही खुश हो रहे हो बात क्या है "
मैं कुछ इस तरह जवाब देता हूँ ।
" प्रेमी आशिक , आवारा
पागल,मजनू,दीवाना ।
मोहोब्बत ने यह नाम हमको दिए हैं,
तुम्हें जो पसंद हो अजी फरमाना "
मेरी बात सुनते ही ऋषभ बोल पड़ा ... तू तो बिल्कुल बदला लग रहा है , कौन है वो मुझसे अबतक नहीं मिलवाया ।
मैं .... मिल लेना मेरे भाई पहले कुछ इकरार ए मोहोब्बत तो होने दो ।
मेरी बात सुनकर ऋषभ हँसने लगा हमारी बाते यूँ ही चलती रही, फिर 5:30 तक किरण भी आ गई और अब निगाहों में वो चेहरा भी आ गया जिसके दीदार मात्र से मैं अलौकिक सुख सागर में गुम हो जाता हूँ । अब मैं ऋषभ को अलविदा बोल कर रूही और किरण के पास पहुंचा ।
किरण से नॉर्मली कहा .... गुड़ मोर्निंग और फिर रूही से हाथ मिलाकर गुड़ मोर्निंग कहा ।
मेरे इस प्रकार व्यव्हार करने से किरण को बर्दाश्त नहीं हुआ और पूछ ही दी एक धीमी मुस्कान के साथ ..... क्या बात है हीरो हाथ मिला रहे हो और मुझसे सिर्फ गुड़ मोर्निंग ।
इस समय लगता हैं मैं बिल्कुल बावला हो गया था मैंने तुरंत दोनो बाहें फैलाकर .... आओ तुम्हें हग करूँ ।
मेरा इतना बोलना था कि दोनो हँसने लगी ।
उन्हें हँसते हुए देख मैं थोड़ा शर्माया की तभी किरण ने एक क्यूट सा एक्सप्रेशन देती हुई मेरे सर पर हाथ फेरते हुई बोली ..... शुरू करे प्रैक्टिस ।
फिर हमने प्रैक्टिस शुरू की मैं तो दौड़ नहीं सकता था , इसीलिए स्टार्ट कैसे करना है और कंसिस्टेंसी कैसे बनाए रखना है किरण को बता कर जल्द से रुही के पास पहुंचा ।
रूही अभी थोड़ी सीरियस मूड में शान्त खडी थी ।
मैं ... क्या सोच रही हो रूही ।
रूही ... कुछ नहीं ।
मैं ... आज ग्राउंड कैसे आना हुआ ?
रूही ... तुमसे कुछ बात करनी थी बताई तो थी ।
रूही के मुँह से ये बात सुनते ही एक बार फिर समय मेरे लिए थम सा गया । अब तो दिल की धड़कनें मेरा सीना चीरकर बाहर आने को तैयार धक - धक ।
मैं ... हाँ बताओ ना क्या बात है ( कंपते होठो से पूछा ) ।
रूही .... ( सीरियस होते हुए ) क्या तुम मुझे लाइक करते हो ?
ओह ये कौन सा पल है मेरा तो कलेजा ही बाहर आ गया , जो बात मैं बोल ना सका वो रूही ने खुद सामने से बोल दी ।
मैं चेहरे पर अनगिनत भाव लेते हुए कुछ नहीं बोला केवल सहमति भारी नजरो से रूही की ओर देखता रहा ।
रूही अब फिर सीरियस होते हुए ...
" मैं जनती हु की तुम मुझे पसंद करते हो पर बेहतर यही होगा कि अब इस बात को आगे ना बढ़ाया जाए "
मैं अपने आप से ही ....
" हे भगवान ये क्या हो गया किस बात की सजा है कहीं यह नाराज तो नहीं , नहीं मुझे लगता हैं कुछ और ही बात बोल रही हैं पर मैं समझ नहीं पा रहा "
अब मैं अनगिनत सवालों भरी नजरों से बस रूही को देख रहा था ।
एक बार फिर रूही अपनी बात बढ़ते हुए ...
" देखो तुम बहुत अच्छे हो , हैंडसम हो,स्मार्ट हो, तुम्हे मुझ से भी अच्छी लड़की मिल जाएगी पर एक बात तय है कि यदि तुमने मुझसे कोई उम्मीद रखी कि मैं कोई कम्मिटेड रिलेशनशिप निभाऊं तुम्हारे साथ तो पॉसिबल नहीं है क्योंकि तुम्हारा और मेरा कोई मेल नहीं "
हे भगवान यह क्या हो रहा है मैं पागल हो जाऊंगा ।
पर रूही अपनी बात रखते हुए ...
" देखो शुरुआत में ही अपने अरमानों को काबू में कर लो तो यह ज्यादा अच्छा रहेगा हम दोनो के लिए क्योंकि मैं नहीं चाहती कि मेरा तुमसे मिलना बात करना तुम्हें किसी गलत फहमी की ओर ले जाये "
मैं बस मौन अपनी आँखों से उसे देखता रहा । मेरी तो दुनियां ही उजड़ गई टूटे अरमानो और टूटे हुए दिल से बस उसे देखता रहा ।
रूही फिर से ....
" अगर तुम्हारे मन में कोई सवाल या कुछ जानना हो तो अभी पूछ लो क्योंकि मैं नहीं चाहती कि अभी के बाद हम इस बारे मे दोबारा बात करे । और हाँ यदि मुझे थोड़ा भी चाहते हो 1% भी तो आज के बाद मुझसे इस बात की कोई उम्मीद नहीं रखना की कोई कम्मिटेड रिलेशनशिप है हमारे बीच । हम सिर्फ दोस्त हैं उसके आगे कुछ नहीं "
मेरी हालत बयान करने को शब्द नहीं थे , ये क्या हो रहा है मेरे साथ । बस अपने उजड़े अरमानो के साथ रोया सा मुँह लेकर बोला .... जैसा तुम कहो ।
" तुम खुश रहो "
एक पल में ही अब मेरी पूरी दुनिया उजड़ चुकी थी । मैंने केवल नम आंखों से रूही की सूरत एक बार देखी पीछे मुड़ा और वापस वापस अपने घर चला गया ।
माँ शायद मन्दिर गई थी दिया अभी तक सो रही थी और दी मोर्निंग वाक कर अभी लौटी थी । वो हॉल में बैठकर न्यूज़पेपर पढ़ रही थीं । मैंने उन्हें देखा नजरें नीचे किया और जल्दी से अपने रूम की ओर जाने लगा क्योंकि अब दिल इतना रोयासा हो गया था और मैं नहीं चाहता था कि कोई भी मेरा रोना देख ले ।
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