Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:24 PM,
#64
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
पिंकी और निशि जब वहां से निकल कर अपने घर की तरफ जा रहे थे तो उन दोनो के मन में यही उथल पुथल मची हुई थी की उनके सामने आई इस नाज़िया की बच्ची ने उनसे पहले बाजी मारकर लाला के लंड का मज़ा ले लिया है ..

हालाँकि बीच में तो पिंकी की माँ सीमा भी आई थी जो मज़े लेकर अगली चुदाई का इंतजार कर रही थी पर वो तो उसकी सग़ी माँ थी ना, उनका तो बनता है...
पर ऐसे चिंचपोक्ली टाइप के लोग भी बीच में आकर उनसे पहले मज़े लेकर निकल जाए तो उनकी जवानी के ये रसीले दिन तो बेकार जाते चले जाएँगे..

और अंदर ही अंदर पिंकी ये भी जानती थी की निशि की चूत भी उतनी ही कुलबुला रही है जितनी की उसकी...
तभी तो वो स्कूल से छुट्टी करके लाला की दुकान पर जा पहुँची थी...
वो तो लाला का मूड नही था वरना अब तक वो इसे भी चोद ही चुका होता...

अपने अंदर के डर पर काबू करके बड़ी मुश्किल से लाला के मोटे लंड को लेने की हिम्मत कर पाई थी पिंकी...
और जब से वो हिम्मत की थी तब से मौका ही नही मिल पा रहा था चुदने का..

अब वो मौका निशि को मिलता है या उसे खुद को, ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा...

पर इस चुदाई के बीच वो अपनी दोस्ती को नही लाना चाहती थी,
इसलिए उसने निशि से खुल कर बात करना ही उचित समझा.

पिंकी : "यार निशि ..अब तो अंदर की खुजली इतनी बढ़ चुकी है की बिना लंड के मज़ा भी नही आता... एक दूसरे की चूत चाट कर कब तक मज़े लेते रहेंगे...''

निशि : "हाँ यार...अब तो बहुत हो गया...ये लाला पता नही इतना क्यो तरसा रहा है हम दोनो को...आज इसका फ़ैसला कर ही लेते है उसके पास जाकर..''

पिंकी :"वो तो हम कर ही लेंगे..पर उससे पहले हम दोनो को ये फ़ैसला करना पड़ेगा की हम दोनो में से पहले कौन चुदाई करवाएगा लाला से...''

निशि भी जानती थी की उसकी तरह पिंकी भी पहले चुदना चाहती है लाला से, इसलिए ये बात बोल रही है...

निशि : "तो इसके लिए तुम्हारे पास कोई तरीका है क्या...?? की कौन पहले चुदेगा लाला से...''

पिंकी तब तक इस बात जा जवाब अपने दिमाग़ में सोच ही चुकी थी...
और उस हिसाब से चला जाए तो उनकी दोस्ती पर इस चुदाई का असर नही पड़ने वाला था..

पिंकी : "देख निशि ..मैं नही चाहती की इस छोटी सी बात के लिए हम दोनो की दोस्ती में दरार आए...इसलिए मेरे दिमाग़ में एक प्लान है...अगर तू मान जाए तो हम दोनो को मज़े मिल सकते है...''

निशि एकदम से गंभीर हो गयी..
वो भी जानती थी की लाला के लंड से चुदने के लिए उसके मन में पहले भी कपट आ चुका था...
ऐसे में उनकी दोस्ती को बचाने वाले इस प्लान को सुनना तो बनता ही था..

पिंकी : "तुझे याद है, लाला के हमारी लाइफ में आने से पहले हम दोनो अक्सर किसके बारे में सोचकर ये सब चूसम-चुसाई किया करते थे...''

उसकी ये बात सुनते ही निशि चोंक गयी...
क्योंकि यहाँ उसके भाई नंदू की बातें हो रही थी...

वही भाई जिसके उपर पिंकी की कब से नज़र थी, और वो उसे सिर्फ़ देखने भर के लिए दिन में 5-6 चक्कर निशि के घर के लगा लिया करती थी...
और उसी के बारे में सोचकर वो अक्सर उत्तेजित भी हो जाय करती थी
और ऐसी ही उत्तेजना से भरे एक दिन पिंकी ने निशि को चूम लिया था...
उस चुम्मे का एहसास ही इतना रसीला था की दोनो उस नशे में डूबते चले गये और कपडे एक दूसरे के नंगे जिस्मों को प्यार करना शुरू कर दिया था...

उस दिन के बाद वो दोनो अक्सर उस तरह से मिला करते थे...
निशि के घर में, उसके उपर वाले कमरे में दोनो घंटो एक दूसरे के नंगे जिस्म को मसलते, चूत चाटते और तब तक चाटते जब तक वो झड़ नही जाते...



उस समय भी पिंकी की उत्तेजना का केंद्र निशि का भाई नंदू ही रहता था...
वो उसके गठीले जिस्म के बारे में बात करके , उसके लंबे लंड की कल्पना करके बदहवासी वाली हालत में उससे चुदने की बातें किया करती थी....
और उसके सामने नंगी लेटी हुई निशि भला कब तक इस बात से अछूती रहती और एक दिन अपने जवान भाई के जिस्म और लंड की बाते सुनकर उसने भी अपने दिल का गुबार निकाल ही दिया और अपने दिल की छुपी हुई बात उजागर कर दी की वो भी अपने भाई को उतना ही चाहती है जितना की पिंकी..

और उसके बाद वो दोनो अक्सर निशि के भाई का लंड लेने की बातें करते हुए साथ में झड़ा करती थी..

पर उन दोनो में से किसी की भी हिम्मत नही थी नंदू से सीधी बात करने की क्योंकि वो काफ़ी ग़ुस्सेल किस्म का बंदा था इसलिए सिर्फ उसका नाम ही उनके लिए उत्तेजना को बढ़ाकर अपने जिस्मों को शांत करने का एकमात्र साधन था.

नंदू अपने में ही मस्त रहता था..
अपने पिताजी के देहांत के बाद वो कड़ी मेहनत से , अपनी माँ के साथ मिलकर पूरा दिन खेतो में काम करता ताकि उसकी बहन को पढ़ाई या उनके खान पान में कोई दिक्कत न आये

गुस्से वाला तो वो था ही, और एक दिन नंदू के गुस्से का कहर उन दोनो पर टूट ही पड़ा जब उसने दोनो को कमरे में बंद पाकर निशि के कमरे का दरवाजा पीटना शुरू कर दिया...

अपनी माँ और भाई के घर में होते हुए उन्होने रिस्क तो ले लिया और जब भावनाओ में बहकर दोनो ने दरवाजा बंद करके एक दूसरे के नंगे जिस्मो को चाटना शुरू किया तो नंदू को उनपर शक हो गया की वो दोनो छुपकर कहीं कोई नशा वगैरह तो नही करते...
इसलिए वो ऊपर आया और उसने बेतहाशा दरवाजा पीटना शुरू कर दिया...
हड़बड़ाहट में दोनो ने किसी तरह से अपने-2 कपड़े पहने और दरवाजा खोला ...
नंदू ने पूरा कमरा छान मारा पर उसे ऐसी कोई आपत्तिजनक वस्तु नही दिखाई दी... हालाँकि उसने जमीन पर पड़ी निशि की गीली कच्छी देख ली पर गाँव में रहकर ऐसी हरकत उसकी बहन करेगी इसका उसे विश्वास नहीं था , इसलिए उसका गुस्सा उस वक़्त शांत हो गया , पर आगे से दरवाजा खुला रखकर ही बैठने की हिदायत दी उसने उन दोनों को.

और तब से ही निशि की माँ को भी पिंकी एक आँख नही सुहाती थी...
पिंकी ने भी उनके सामने निशि के घर जाना बंद कर दिया...
पर उनके बीच के जिस्मानी प्यार का सिलसिला वैसे ही चलता रहा ...
छुप-छुपकर ही सही वो एक दूसरे की चूत का मज़ा ले ही लिया करती थी...



और उन्ही दिनों लाला की ठरकी नज़रों को पहचान कर दोनो ने उससे मज़े लेने शुरू कर दिए...
और इस तरह से धीरे-2 उनकी हवस का केंद्र नंदू से हट कर लाला की तरफ हो गया...
और तब से दोनो ने पीछे मुड़कर देखा ही नही..
उसका कारण ये भी था की लाला हमेशा उन्हे देखकर लार टपकाता था और अपनी लच्छेदार बातो से उन्हे अपने जाल में फँसाने के लिए मीठा बोलता रहता था..
और तब से वो जान बूझकर ही सही, लाला के जाल में फँसती चली गयी..

और आज पिंकी ने जब एक बार फिर से नंदू भाई की बात की तो निशि की समझ में आ गया की उसके दिमाग़ में क्या चल रहा है..

पिंकी ने खुद ही सॉफ-2 बोल दिया : "देख निशि ..हम दोनो में से लाला पहले किसे चोदेगा और किसे नही ये हम दोनो को ही डिसाईड करना होगा...और इसके लिए हमे नंदू भैय्या को बीच में लाना होगा, ताकि एक जब लाला से चुदे तो दूसरी को उतनी तकलीफ़ या पछतावा ना हो जितना होनी चाहिए...''

निशि : "यानी, तू चाहती है की मैं लाला से चुद जाऊं और तू नंदू भाई के साथ मज़े ले लेगी...ये तो बिल्कुल पर्फेक्ट रहेगा...यही करते है.''

पिंकी : "ज़्यादा सयानी ना बन....जितनी खुजली तेरी चूत में हो रही है लाला से पहले चुदने की उतनी ही मेरी चूत में भी है...इसलिए ये तो भूल जा की लाला तुझे इतनी आसानी से मिल जाएगा...''

निशि का दिमाग़ घूम गया ये सुनकर...
यानी उसके दिमाग़ में कुछ अलग ही पक रहा था.

पिंकी : "देख..उन दिनों जितना मैं नंदू के बारे में बाते करते हुए तेरी चूत मसलती थी उतना ही तू भी अपने भाई के बारे में सोचकर मेरी चूत चाटा करती थी...है ना..''

निशि ने हाँ में सिर हिलाया

पिंकी : "तो इसलिए हम दोनो टॉस करेंगे...और जीतने वाले को लाला से चुदने का पहला मौका मिलेगा और हारने वाला नंदू से चुदवा लेगा...''
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:24 PM

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