RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
हम दोनों दुनिया से बेखबर होकर अपने काम क्रीड़ा में मगन थे और एक दूसरे को आईने में देख कर लंड और चूत को मज़े दे रहे थे...
मैंने अब अपनी स्पीड बढ़ाई और राजधानी एक्सप्रेस की तरह अपने लंड को उसकी
चूत में ठोकने लगा। मैं अपने आप में नहीं रह गया था और कोशिश कर रहा था कि
पूरा का पूरा उसकी चूत में समां जाऊं...
मैंने उसकी कमर थाम रखी थी और उसने आईने पे अपने हाथों को जमा रखा था।
मैंने आईने में देखा तो उसकी चूचियों को बड़े प्यार से हिलते हुए पाया,
मुझसे रहा नहीं गया, मैंने हाथ आगे बढ़ा कर उसकी चूचियाँ पकड़ लीं और उसकी
पीठ से साथ लाकर लम्बे लम्बे स्ट्रोक लगाने लगा।
"आह्ह्ह्हह......सोनू...चोदो...चोदो ...चोद......मुझे..आअज चोद चोद कर मेरी
चूत फाड़ डालो...हम्म्म्म...ऊम्म्मम्म......और तेज़... और तेज़..." रिंकी
बिल्कुल हांफ़ने लगी और उसके पैरों में कम्पन आने लगी। उसने अपनी गांड को
पीछे धकेलना शुरू किया और मुझे बोल बोल कर उकसाने लगी...
मैंने भी अपना कमाल दिखाना चालू किया और जितना हो सके उतना तेजी से चोदने लगा।
"ये लो मेरी रानी...आज खा जाओ अपनी चूत से मेरा पूरा लंड...पता नहीं कब से
तुम्हारी चूत में जाने को तड़प रहा था...उम्म्म्म...और लो ...और लो..."
मैंने भी उत्तेजना में उसकी चूचियों को बेदर्दी से मसलते हुए उसकी चूत का
बैंड बजाना चालू किया।
अब हम दोनों को वक़्त करीब आ चुका था, हम दोनों ही अपनी पूरी ताक़त से एक
दूसरे को चोद रहे थे। मैं आगे से और रिंकी पीछे से अपने आप को धकेल कर मज़े
ले रही थी।
तभी रिंकी ने अपने मुँह से गुर्राने जैसे आवाज़ निकलनी शुरू की और तेज़ी से हिलने लगी...
"गुऊंन्न......गुण...हाँ...और और और और... चोदो... आआआ...ऊम्म्मम... और तेज़
मेरे राजा...चोदो... चोदो... चोदो... उफ्फ्फ... मैं गईईई...." रिंकी ने
तेज़ी से हिलते हुए अपनी कमर को झटके दिए और शांत पड़ गई... उसकी चूत ने ढेर
सारा पानी छोड़ दिया था जो मेरे लंड से होते हुए उसकी जाँघों पर फ़ैल गया था,
आईने में साफ़ दिखाई दे रहा था।
मैं अब भी अपनी उसी गति से उसे चोदे जा रहा था...
"हम्म्म...मेरी रानी...मेरी जान...ये ले... मैं भी आया... क्या गर्मी है
तुम्हारी चूत में... मैं पागल हो गया रिंकी... हम्म्म्म..." मैं अब अपनी
चरम सीमा पे था।
रिंकी थोड़ी सी निढाल हो गई थी इसलिए उसकी पकड़ आईने से ढीली हो रही थी।
मैंने एक झटके के साथ उसे पकड़ कर बिस्तर की तरफ पलट दिया। अब रिंकी की
टाँगे बिस्तर से नीचे थी और वो पेट के बल आधी बिस्तर पे थी। मेरा लंड अभी
भी उसकी चूत में था।
मैंने एक जोर की सांस ली और सांस रोक कर दनादन उसकी चूत के परखच्चे उड़ाने लगा।
फच्च...फच्च...फ्च... फ्च्च...की आवाज़ के साथ मैंने तेज़ी से उसकी चूत में
अपना लंड अन्दर बाहर करना शुरू किया और उसे बेदर्दी से चोदने लगा।
"ओह्ह्ह...सोनू... बस करो... मर जाऊँगी... अब और कितना चोदोगे जान...
हम्म्म्म..." रिंकी इतनी देर से लंड के धक्के खा खा कर थक गई थी और झड़ने के
बाद उसे लंड को झेलने में परेशानी हो रही थी। उसने अपना सर बिस्तर पे रख
कर अपने दोनों हाथों से चादर को भींच लिया और मेरे लंड के प्रहार को झेलने
लगी।
"बस हो गया मेरी जान...मैं आया, मैं आया...ओह्ह्ह्ह...ये लो... ले लो मेरे
लंड का सारा रस..." मैंने तेज़ी से चोदते हुए अपने आखिरी के स्ट्रोक मारने
शुरू किये...
तभी मेरे दिमाग में आया कि अब मैं झड़ जाऊँगा और ऐसे ही रहा तो सारा पानी
उसकी चूत में ही झड़ जाएगा...चाहता तो मैं यही था कि उसकी चूत में ही झाड़ूं
लेकिन बाद में कोई परेशानी न हो यह सोच कर मैंने रिंकी का मत जानने की सोची
और तेज़ चलती साँसों के साथ चोदते हुए उससे पूछा,"रिंकी मेरी जान...कहाँ
लोगी मेरे लंड का रस...? मैं आ रहा हूँ।"
मेरी आशा के विपरीत रिंकी ने वो जवाब दिया जिसे सुनकर मैं जड़ से खुश हो गया।
"अन्दर ही डाल दो मेरे रजा जी... इस चूत को अपने पानी से सींच दो... मुझे
तुम्हारे लंड का गरम गरम पानी अपनी चूत में फील करना है।" रिंकी ने हांफते
हुए कहा।
मैं ख़ुशी के मारे उसकी कमर को अपने हाथों से थाम कर जोरदार झटके मारने लगा...
"आअह्ह...आह्ह्ह्ह......ऊओह्ह......रिन्कीईईइ..." एक तेज़ आवाज़ के साथ मैंने
एक जबरदस्त धक्का मारा और अपने लंड को पूरा जड़ तक उसकी चूत में ठेल कर
झड़ने लगा।
न जाने कितनी पिचकारियाँ मारी होंगी, इसका हिसाब नहीं है लेकिन मैं एकदम से
स्थिर होकर लंड को ठेले हुए उसकी चूत को अपने काम रस से भरता रहा।
हम दोनों ऐसे हांफ रहे थे मानो कई किलोमीटर दौड़ कर आये हों।
मैं निढाल होकर उसकी पीठ पर पसर
गया। रिंकी ने भी अपने दोनों हाथों को बिस्तर पर फैला दिया और मुझे अपने
ऊपर फील करके लम्बी लम्बी साँसे लेने लगी। हम दोनों ने अपनी अपनी आँखें बंद
कर लीं थीं और उस अद्भुत क्षण का आनन्द ले रहे थे।
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