RE: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ
रिंकी हड़बड़ा कर पीछे हुई और मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी लेकिन उसने न तो अपना हाथ छुड़ाया और न ही मेरे जांघों से अपना हाथ उठाया।
"बच्चू, मैंने कल रात सब देख लिया था...तुम और प्रिया मिलकर जो रासलीला रचा
रहे थे वो मेरी आँखों से बच नहीं सका। तुम्हें क्या लगता है...वो सब खेल
देख कर मुझे नींद आ जाएगी...वैसे कब से चल रहा है ये..." रिंकी ने मुझे
लाजवाब कर दिया और मुझसे पूरी तरह खुलकर बातें करने लगी...
"वो मैं...मम्म..." मेरे मुँह से कोई शब्द ही नहीं निकल रहा था...
"अब शरमाना छोड़ भी दो, हम दोनों एक दूसरे का राज़ जानते हैं तो बेहतर है कि
हम एक दोस्त की तरह एक दूसरे से सारी बातें शेयर करें !" रिंकी ने बड़ी
सहजता से कह दिया।
मैं बस एक तक उसे देखता रहा और सोचता रहा कि क्या बोलूं...आज मैं रिंकी की
बेबाकी से भी हैरान हो गया। दोनों बहनें कमाल की थीं। इतने दिनों से उनके
साथ एक ही छत के नीचे रह रहा था लेकिन कभी यह नहीं सोचा था कि वो इतने खुले
विचारों की होंगी।
खैर मैं इस बात से खुश था कि मुझे बिना प्रयास के अपनी हर मनोकामना पूरी होती दिख रही है।
मैंने रिंकी के छेड़ते हुए उसकी तरफ थोड़ा झुक कर उसे कहा, "वैसे आज तो बस
तुम्हें देखने का मन कर रहा है मेरा ! ह्म्म्म...कितना लकी है मेरा दोस्त
जिसे तुम जैसी हसीना मिली।"
मेरी बातों से रिंकी मुस्कुरा उठी...और वापस से मुझे मारने लगी...लेकिन फिर
से उसकी आँखों में उदासी छ गई। मैं समझ गया कि वो पप्पू के न आ पाने की
वजह से दुखी है।
मैंने आगे बढ़ कर उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और उसकी आँखों में झाँकने लगा। उसकी आँखें आंसुओं से भर चुके थे।
"अरे, इसमें इतना उदास होने वाली कौन सी बात है यार? मैं हूँ न..." इतना
कहते हुए मैंने उसकी आँखों पे अपने होंठ रख दिए और दोनों आँखों को चूम
लिया।
मेरी इस हरकत से रिंकी जैसे सिहर सी गई। उसने एक लम्बी सांस लेते हुए मेरे
दोनों हाथों को पकड़ लिया और अपनी आँखें बंद किये हुए ही उसी अवस्था में
बैठी रही। उसके सुर्ख गुलाबी होंठ थरथरा रहे थे। मुझसे रहा नहीं गया और
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पे रख दिए।
हम दोनों के होंठ एक दूसरे के ऊपर बिल्कुल स्थिर थे...न तो मैंने अपने
होंठों से कोई हरकत की न ही रिंकी ने। हम दोनों बस एक दूसरे की साँसों की
गर्मी को महसूस कर रहे थे।
रिंकी ने अब अपने होंठों को थोड़ी सी हरकत दी और मेरे होंठों से रगड़ने लगी।
मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई और मैंने भी अपने होंठों को खोलकर उसके नर्म
नाज़ुक अधरों को अपने अधरों में कैद कर लिया और बड़े प्यार से उन्हें चूमने
लगा।
मेरे हाथ अपने आप हरकत में आ गए और उसके गालों को छोड़ कर उसकी गर्दन को
सहलाने लगे। उसके कन्धों पे मेरे हाथ ऐसे फिसल रहे थे जैसे कोई नर्म मुलायम
रेशम हो। मैंने अपनी उंगलियों से उसके गले के चारों तरफ घुमा घुमा कर उसे
उत्तेजित करने कीकोशिश की लेकिन वो तो पहले से ही जोश में थी।
रिंकी ने अपने हाथों को मेरी कमर के चारों तरफ कर लिया और मुझे अपने और
करीब खींचने लगी। हम दोनों एक दूसरे को चूमते हुए बिल्कुल करीब हो गए।
रिंकी के हाथ मेरे पीठ पर घूमने लगे और मुझे अजीब सी फीलिंग होने लगी। मेरी
पकड़ और भी मजबूत हो गई।
अब मैंने अपना एक हाथ धीरे से सामने लाकर रिंकी के टॉप के ऊपर से उसके
मुलायम अनारों पे रखा। जैसे ही मैंने उसकी चूचियों को पकड़ा...रिंकी ने मेरे
होंठों को अपने दांतों से काट लिया...
"हम्मम्मम्म..."...एक हल्की सी सिसकारी के साथ रिंकी ने अपने हाथों से मेरे पीठ को और भी जकड़ लिया।
मैंने अब धीरे धीरे उसकी चूचियों को सहलाना शुरू किया और साथ ही साथ उसके
होंठों को भी चूसता रहा। मैंने अपना दूसरा हाथ भी सामने कर दिया और उसकी
दोनों चूचियों को पकड़ लिया।
इतनी नर्म और मुलायम चूचियाँ थी कि बस पूछो मत। मेरे दिमाग में प्रिया की
चूचियों का ख्याल आ गया। उसकी चूचियाँ इतनी नर्म नहीं थीं। जैसे जैसे मैं
रिंकी की चूचियाँ दबा रहा था रिंकी जोश से भरती चली जा रही थी। उसने अपने
होंठ मेरे होंठों से छुड़ा लिए और सहसा मेरे सर को अपने दोनों हाथों से पकड़
कर नीचे झुका दिया।
ऐसा करने से मेरा सर अब रिंकी के गले और चूचियों के बीच के खाली जगह पे आ
गया। रिंकी ने वी शेप का टॉप पहना था जिसकी वजह से उसकी चूचियों की घाटी
मेरी आँखों के ठीक सामने नज़र आ रही थी। मैंने देरी न करते हुए अपने गीले
होंठ उसकी घाटी के ऊपर रख दिए और एक प्यारा सा चुम्बन किया।
"ईसस...ह्म्म्मम्म...ओ सोनू...हम्म्म्म..." रिंकी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।
मैंने अपना काम जारी रखा और अपने दबाव को थोड़ा बढ़ाया। मेरे हाथ अब सख्त हो
चुके थे और बेरहमी पे उतर आये थे। साथ ही साथ मेरी जीभ उसकी चूचियों की
दरारों को ऊपर से नीचे तक चाट रहे थे।
रिंकी बड़े मज़े से अपनी आँखें बंद किये हुए मेरे सर पर अपना हाथ फेरती रही और मादक सिसकारियाँ निकालती रही।
अब और ज्यादा बर्दाश्त करना मुश्किल था, मैंने रिंकी की चूचियों को छोड़ कर
उसे खुद से थोड़ा सा अलग किया और अपने हाथों से उसके टॉप को उठा कर ऊपर करने
लगा। जैसे ही मैंने उसकी टॉप को थोड़ा ऊपर उठाया उसकी नाभि नज़र आ गई।
|