RE: bahan ki chudai बहन का दर्द
रवि- ज़ोर से दीदी मुझे आपका जवाब चाहिए कब दोगि,
अलका- उसकी ओर घूम कर मुस्कुराते हुए रवि अभी मेरा मूड नही है तेरे सवालो का जवाब देने का,
रवि- तो फिर तुम्हारा मूड कब होगा,
अलका- रवि चल उठ हम चलते-चलते बात करते है बहुत देर हो रही है,
रवि उठ कर अलका के पास आकर उसका हाथ पकड़ नही पहले मुझे जवाब दो,
अलका- अरे तू चल तो फिर बताती हूँ,
रवि उसके साथ चलने लगता है,
रवि- दीदी अब बोलो भी
अलका- देख रवि तेरा सवाल ऐसा है कि मुझे तो नही लगता कि मैं होश में तेरे सवाल का जवाब दे पाउन्गी,
रवि- तो फिर दीदी अब मैं तुम्हे मदहोश करके ही तुमसे अपने प्यार का इज़हार करवाउन्गा,
अलका- मुस्कुरा कर बड़ा आया मदहोश करने वाला, मैं कभी मदहोश होती ही नही तो तेरे सवाल का जवाब तुझे कभी
मिल ही नही पाएगा,
रवि- नही दीदी तुम मदहोश होती हो,
अलका- रवि के चेहरे को अपनी नज़र उठाकर गोर से देखती हुई मैं कब मदहोश होती हूँ,
रवि- दीदी जब तुम मेरी बाँहो मे होती हो तब तुम मदहोश हो जाती हो और फिर तुम वही करती हो जो मैं चाहता हूँ,
अलका- मुस्कुरा कर उसकी पीठ पर मारते हुए, रवि तू बहुत बदमाश और चालाक है,
रवि- दीदी तुम्हे मेरी बदमाशियाँ बहुत अच्छी लगती है ना,
अलका- मुस्कुरा कर उसे देखती हुई, रवि तू कुछ चीज़ो मे बहुत एक्सपर्ट है,
रवि- तुम ठीक कहती हो दीदी तुम यही कहना चाहती हो ना कि मैं लड़किया पटाने में बहुत एक्सपर्ट हूँ
अलका- उसको देख कर मुस्कुराते हुए क्यो तूने कौन सी लड़की पटा ली है
रवि- दीदी आप को और किसको,
अलका- मुस्कुरा कर बड़ा आया मुझे पटाने वाला, मैं तुझसे पटने वाली नही हूँ,
रवि- वो तो तुम खुद जानती हो कि तुम मुझसे पाट गई हो या नही,
नीचे से रति आवाज़ देती है...कहाँ हो दोनो नीचे आओ दूध पी लो...
दोनो नीचे आ जाते हैं ..पूरा दिन मस्ती करते हुए निकल जाता है
रात को बिरजू मामा रूम मे सोने चले जाते हैं
रात को रति, अलका और रवि तीनो देर तक सोफे पर बैठ कर गप्पे मारते रहते है, लेकिन उन तीनो मे ज़ुबान से जो बाते
चल रही थी, उन बातों के अलावा भी कुछ बाते और भी थी जो सिर्फ़ दो ही लोगो के बीच हो रही थी और वह बाते आँखो ही आँखो मे रवि और अलका के बीच चल रही थी, रवि अपनी दीदी की सुंदरता और हुस्न को देख कर दिल ही दिल मे उसको
चूमने के लिए मर रहा था तो अलका अपने भाई की बाँहो मे सिमटने के लिए तरस रही थी वह सब लोग लगभग दो घंटे
से भी ज़्यादा समय से गप्पे मारते हुए मुस्कुरा रहे थे, लेकिन उनकी आँखो से उनकी आरजू बयान हो रही थी, कोई-कोई
लम्हा तो ऐसा भी था जब दोनो के चेहरे एक दम गंभीर हो जाते और जब वो दोनो एक दूसरे की नज़रों से नज़रें मिलाते तो
दोनो के ही जिस्म की नसों मे एक अजीब सी मगर बहुत रोमांचित कर देने वाली उत्तेजना का संचार हो जाता था, और उनका दिल करता कि अभी जाकर एक दूसरे को अपनी बाँहो मे भरकर समा लें,
उनकी नज़रो के टकराव और उस टकराव से जन्मी उत्तेजना का संचार जब एक ही समय मे दोनो की रगों मे एक साथ होने लगता है, तब खुदा भी सोच मे पड़ जाता होगा कि मैने तो इन्हे अलग-अलग जिस्म दे कर इनके वजूद को तराशा था, लेकिन एक ही वक़्त मे इन दोनो की रगों मे रक्त का बहाव एक समान कैसे हो जाता है, तब शायद खुदा को भी यह एहसास होता होगा कि जमी पर जो सबसे जुड़ा एहसास है उसी का नाम प्यार है, और प्यार भी ऐसा जो खुद उन रस्मो के खिलाफ था जिन रश्मो को वह दुनिया तवज्जो देती थी जहाँ उनका बसेरा था, मगर सभी रस्मो को तोड़ कर उन दोनो की चाहतें अपनी मोहब्बत का एक अलग आशियाना बनाने के लिए बहुत पहले ही अपना कदम उठा चुकी थी, और काफ़ी रास्ता तय कर चुके थे, अब तो सिर्फ़ उन दोनो की निगाहे अपनी मंज़िल पर टिकी थी,
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