Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
01-12-2019, 02:22 PM,
RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सब लोग लिविंग रूम में बैठे हुए थे और रूबी बार बार कविता को छेड़ रही थी.....कविता बेचारी शर्म की मारी सोनल के पीछे दुबक के बैठ गयी थी.

इनकी चुहल बाजी कविता के संग चल रही थी खास कर रूबी और सोनल की ......और वहाँ एक और कमरे में...विजय और आरती बहुत खुश थे कि उन्हें कविता जैसी बहू मिल रही थी....उनके बेटे को आख़िर एक लड़की पसंद आ गयी थी....

विजय थोड़ा सीरीयस सा हो गया था.......

आरती ..क्या बात है..ये तो खुशी का मोका है आप इतना सीरीयस क्यूँ हो गये हो ....

विजय .....आरती ...ये लोग बहुत अच्छे हैं...दिल के सॉफ हैं...देखना ...कविता ..सुनील की सोतेली बहन है ...उसके मोसा की तरफ से ....उसने कुछ नही छुपाया ....और इस बात का हमे कोई फरक नही पड़ता क्यूंकी उसके साथ अब ड्र. सागर का नाम जुड़ गया है ....और हमे क्या चाहिए ....मैं सोच रहा था कि हमे भी अपना राज़ उन्हें बता देना चाहिए.....

आरती ...पागल तो नही हो गये ...क्या....क्या चाहते हो...राजेश की शादी टूट जाए .....देखा नही कितना प्यार करने लग गया है वो कविता से...हज़ारों लड़कियाँ उसे दिखाई हर एक नो ना करता रहा ...आज खुद उसने एक लड़की पसंद करी है .....और जब कविता को ये बात पता चलेगी तो...तो क्या राजेश से छुपेगी ...वो उसकी बीवी बनने जा रही है .......जानते भी हो क्या असर पड़ेगा राजेश पे...क्यूँ खोना चाहते हो अपने बेटे को....

विजय ...मेरे ख़याल से अब वक़्त आ चुका है...हमे पहले राजेश को ही सब कुछ बता देना चाहिए .....आज तक कितनी कोशिश करी है कि उसे कुछ ना पता चले....पर अगर कहीं उसे बाहर से पता चला तो और भी बुरा होगा .....

आरती .....नही नही ऐसी ग़लती मत करना प्लीज़ ....राजेश बर्बाद हो जाएगा...मेरा बेटा बर्बाद हो जाएगा...नही ...नही...आपको मेरी कसम.......और वो बील्कख बिलख के रोने लगी....

विजय....आरती तुमने कसम दे कर अच्छा नही किया ...कहीं बाद में कोई बारूद ना फट जाए हमारे बेटे की जिंदगी में.

आरती ....आप समझते क्यूँ नही ...जैसे ही उसे ये पता चलेगा ...उसकी माँ का रेप हुआ था ....वो पागल हो जाएगा ...निकल पड़ेगा सड़कों पे भूके शेर की तरहा ....बाद की सच्चाई तो वो शायद फिर भी बर्दाश्त कर ले..पर ये नही कर पाएगा ....प्लीज़ आपके हाथ जोड़ती हूँ...मत करिए ऐसा ....मैं इस मामले में कुछ नही सुनूँगी ...रहने दीजिए इस राज़ को राज़ ...मत खेलिए अपने बेटे की जिंदगी से....

विजय आरती को अपने गले से लगा लेता है...जैसा तुम कहो...अभी चुप हो जाता हूँ...पर एक दिन उसे बताना ही पड़ेगा........

यहाँ दूसरे कमरे में.....

सुनील....रूबी और कविता ...अब तुम दोनो जा के सो जाओ...मुझे तुम्हारी भाभी से कुछ ज़रूरी बात करनी है....दोनो बहनें अपने कमरे में चली गयी...

उनके जाने के बाद ....सुनील विस्की ले के बैठ गया ........

सोनल....सुमन के गले लगते हुए ....हाई दीदी इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी ऐसे इतनी जल्दी पूरी हो जाएगी कभी ख्वाब में भी नही सोचा था .......कितने अच्छे लोग हैं और सबसे बड़ी बात राजेश बहुत अच्छा है....हमेशा खुश रखेगा कविता को...

सुनील...आए आए मेरा पत्ता तो नही काट रही है ना

सोनल...धत्त ...कुछ भी बोल देते हो .....

राजेश का कमरा इनकी हट से कोई ज़यादा दूर नही था ......अभी इनकी चुहलबाजी शुरू ही हुई थी ...कि राजेश के गाने की आवाज़ इन्हे सुनाई देने लगी ....

सुनील....ये तो मुझ से भी बड़ा आशिक़ निकला 

राजेश अपने कमरे में मोबाइल पे कविता की फोटो को देखते हुए नाच रहा था और गा रहा था.....

एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
जैसे खिलता गुलाब
जैसे शायर का ख्वाब
जैसे उजली किरण
जैसे बन में हिरण
जैसे चाँदनी रात
जैसे नर्मी की बात
जैसे मंदिर में हो
एक जलता दिया...
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
जैसे सुबह का रूप
जैसे सर्दी की धूप
जैसे बीना की तान
जैसे रंगों की जान
जैसे बलखाए बेल
जैसे लहरों का खेल
जैसे खुश्बू लिए
आए ठंडी हवा....
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
जैसे नाचता मोर
जैसे रेशम की डोर
जैसे परियों का राग
जैसे सॅंडल की आग
जैसे सौलह सिंगार
जैसे रस की फुहार
जैसे आहिस्ता आहिस्ता
बरहता नशा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा...

उसके गाने की आवाज़ रूबी और कविता के कमरे तक भी जा रही थी....

रूबी ...हाई मारजावां...काश मुझे ऐसा लड़का मिल जाता ....ये तो गया काम से ...कवि बस तेरे आगे पीछे ही घूमेगा...
कविता...धत्त और शर्मा जाती है ...
रूबी ...यार गाता भी बहुत बढ़िया है ...

उधर सुनील भी सोनल को बाँहों में ले डॅन्स करने लग गया ...थोड़ी देर सोनल के साथ फिर थोड़ी देर सुमन के साथ और साथ में गीत भी गुनगुनता रहा

थोड़ी देर बाद इनका डॅन्स ख़तम होता है और सुनील दोनो को अपने सामने बिठा लेता है .....

सुनील....तुम दोनो से बहुत ज़रूरी बात करनी है

सुनील...सोनल ड्रिंक बना यार 

सुनील अब सीरीयस मूड में आ चुका था....सुमन उसके पास जा के बैठ गयी ....'क्या बात है....खुशी के टाइम सीरीयस क्यूँ....'

सुनील सब बताता हूँ.....
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