RE: Porn Hindi Kahani वतन तेरे हम लाडले
अब मेजर राज वापस जाने की तैयारी करने लगा तो उसे लगा जैसे कमरे में कुछ हलचल हो रही है, वह देखने के लिए हौले से आगे हुआ तो लोकाटी अब भी आंखें बंद किए बेड पर लेटा था, बूढ़े होने के कारण वह आज की चुदाई से काफी थक गया था, जबकि समीरा ने अब कमरे में पड़ा एक टावल अपने शरीर पर लपेट लिया था और वह कमरे से बाहर आ रही थी, कमरे से बाहर आते ही उसने मेजर राज से पूछा कि वो यहाँ तक कैसे पहुंच गया ??? और उसे कैसे पता लगा उसके बारे में ?? तो मेजर राज ने उसे हल्की आवाज में बताया कि लाहोर से ही वो हमारे पीछे था और उसे रास्ते में तुम्हारी कार भी मिली थी, और उसका मानना है कि राफिया का अपहरण करने में उसी कार का उपयोग हुआ है जो उसे रास्ते से तुम्हारी छोड़ी हुई गाड़ी मिली है। उसने राफिया को फोन करके तुम्हारे बारे में पूछा था तो राफिया ने बता दिया कि तुम्हें इस होटल में छोड़ा है तभी मैंने सोचा कि हो न हो ये तुम्हारा पीछा करते हुए तुम्हारे कमरे तक जरूर पहुंचेगा, तभी राफिया को सोता छोड़कर तुरंत उसकी कार लेकर में यहाँ आ गया, कमरे से बाहर आया तो देखा कि 2 गन मॅन बेहोश पड़े हैं और अंदर दाखिल हुआ तो कैप्टन फ़ैयाज़ तुम्हारा और इस लोकाटी का सेक्स एंजाय कर रहा था। यह कहते हुए मेजर की आँखों में शरारत भरी चमक थी, अंजलि ने कहा, ये सब छोड़ो और अब आगे बताओ? मेजर राज ने कहा वो कैप्टन साहब तुम्हारे कपड़ों वाली कोठरी में कैद हैं उम्मीद है अब वह कल शाम को ही होश में आएंगे। तुम सुबह होते ही कोशिश करना कि लोकाटी को समुद्र में ले आना और अधिक से अधिक रहस्य उगलवाने की कोशिश करना ... मैं तुम्हें वहीं मिलूंगा राफिया के साथ। यह कह कर मेजर राज वापस जाने लगा, मगर फिर मुड़ा और समीरा से पूछा अभी मजे ही किए हैं या कोई काम की बात भी मिली है ???
अब की बार समीरा इतराते हुई बोली तुम्हें इससे क्या जितने मर्जी मजे ., तुम क्यों जल रहे हो ?? समीरा की बात पर मेजर राज धीरे हंसा और बोला मैं तुम से क्यों जलुन्गा तुम बुढ्ढे के साथ मजे कर रही हो, मेरे साथ तो तुम जैसी जवान हसीना मौजूद है मैं तुम से ज्यादा मजे कर रहा हूँ ... यह कह कर मेजर राज कमरे से निकल गया, वह समझ गया था कि समीरा ने कोई ना कोई काम की बात उगल. ली है लोकाटी से। दोनों ने ये बातें बहुत धीरे आवाज में की थीं। अब मेजर राज बाहर जाने लगा तो उसे पीछे से लोकाटी की आवाज आई कहां रह गई हो जानेमन ??? साथ ही समीरा की आवाज़ आई, प्यास लग रही थी जान, पानी पी रही हूँ, और तुरंत फ्रिज की ओर भागी जबकि मेजर राज समीरा के कमरे के बाहर पड़े गनमैन को वहीं छोड़ कर नीचे की ओर भागा और होटल से निकलकर सीधा राफिया के पास पहुंच गया जहां राफिया अपने नए प्रेमी इमरान से एक विनाशकारी चुदाई करवाने के बाद आराम से सो रही थी.
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समीरा अमजद को अपनी जान से ज्यादा प्यारी थी, उसने समीरा को अपनी छोटी बहन की तरह पाला था, और ऐसे किसी भी मिशन में समीरा को जोड़ते हुए घबराता था, मगर समीरा के अलावा वह किसी और पर भरोसा नहीं कर सकता था इसलिए मजबूरन वह समीरा को अपने साथ रखता। लेकिन इस समय वह समीरा से बेफिक्र था क्योंकि वह जानता था कि मेजर राज के साथ समीरा को कोई खतरा नहीं, मेजर राज समीरा की रक्षा कर सकता था, लेकिन सरमद से वह खासा चिंतित था। कर्नल इरफ़ान कमरे से गए खासी देर हो चुकी थी, शायद पूरा दिन बीत चुका था मगर अमजद को इस बात का इल्म नहीं था, वह तो बस एक अंधेरे कमरे में कैद था जहां बाहर होने वाले मामलों का उसको पता नहीं था।कुर्सी पर बैठे बैठे अमजद को अब तकलीफ होने लगी थी, ना जाने कब से वह इसी कुर्सी पर बंधा हुआ था और तो और पिछले काफी घंटों से न तो अमजद को पानी पीना नसीब हुआ था और न ही खाने को कुछ मिला था। परेशानी के कारण उसका गला सूख रहा था मगर उसको यहाँ पानी देने वाला कोई नहीं था
अमजद ने 2, 3 बार चिल्लाकर पानी भी मांगा मगर उत्तर में उसको ना तो कोई आहट सुनाई दी और न ही कोई उसे पानी पिलाने आया। आज अमजद को महसूस हो रहा था कि मौत का इंतजार करना मौत को गले लगाने से कितना मुश्किल काम था। अब काशफ और सरमद के बारे में ही सोच रहा था कि उसको कमरे से बाहर कुछ कदमों की आवाज सुनाई दी। अब अमजद चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आई वह समझ गया था कि शहादत का समय अब आ रहा है। इतनी देर से जो वह यातनादायक प्रतीक्षा कर रहा था वह इंतजार खत्म होने को है, कर्नल इरफ़ान की पिस्टल से अब एक गोली चलेगी और अमजद के सीने से पार हो जाएगी, और वह दूसरे देश के एक सैनिक को बचाने की खातिर अपनी जान की बलि देकर शहादत के रुतबे पर आसीन हो जाएगा। इस सोच ने अमजद के अंदर एक अजीब सी हिम्मत पैदा कर दी थी। अब कर्नल इरफ़ान उसके शरीर के टुकड़े कर डालता तब भी वे उससे कुछ उगलवा नहीं सकता था
क़दमों की आवाज़ अब खासी करीब आ चुकी थी। कमरे के भीतर ज़ीरो वाट का एक बल्ब जल गया था जिससे कमरे में कुछ रोशनी पैदा हुई थी, कमरे का दरवाजा खुला और रस्सियों में जकड़ा व्यक्ति औंधे मुंह अंदर आ गिरा ... उसके पीछे एक और व्यक्ति था वह भी रस्सियों से बंधा हुआ था और एक आदमी उसे बालों से पकड़कर खींचता हुआ अमजद के पास ले आया था। रस्सियों में जकड़ा यह व्यक्ति अमजद के पास आया तो अमजद ने उसको पहचान लिया था। ये सरमद था जिसके चेहरे पर इस समय अनगिनत घाव थे और उसकी आंखें सूजी हुई थीं मगर आश्चर्यजनक रूप से उसके चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी। अमजद को देखकर उसने बहुत मुश्किल से बोलना शुरू किया और महज इतना ही कहा: कुछ नहीं उगलवा सके कि ये कुत्ते मेरे मुंह से
सरमद के मुंह से ये बात सुनकर अमजद के चेहरे पर भी एक विजयी मुस्कान आ गई थी। वह आगे बढ़कर सरमद को गले लगाना चाहता था मगर अफसोस कि अपनी कुर्सी से उठने के लायक नहीं था वह . अब अमजद ने नीचे गिरे हुए व्यक्ति को देखा जो अब तक औंधे मुंह पड़ा था अमजद ने ध्यान से उसका निरीक्षण किया तो उसे भी पहचान लिया, यह काशफ था, मगर उसकी हालत बहुत बुरी थी। कर्नल इरफ़ान ने उस पर टारचर के पहाड़ तोड़ दिए थे, अमजद की नजर जब काशफ के पैर पर पड़ी तो उसके होश फाख्ता हो गए, उसकी टांग पर बहुत ज्यादा खून जमा हुआ था और अब भी थोड़ा सा खून उसकी टांग से रिस रहा था । उसके साथ कर्नल इरफ़ान खड़ा था जिसके चेहरे पर दुख और गुस्से के स्पष्ट संकेत देखे जा सकते थे।उसको शायद अपनी विफलता का गुस्सा था कि इन तीनों में से किसी से भी वह यह नहीं उगलवा सका था कि आखिर मेजर राज और समीरा इस समय कहाँ है? कर्नल इरफ़ान के साथ 2 लोग और थे मगर इस बार वह हंटर वाली हसीना कर्नल के साथ नहीं थी . कमरे की रोशनी अब कर्नल इरफ़ान के कहने पर ऑन कर दी गई थीं। रोशनी ऑन होने के बाद अमजद ने अब फिर काशफ को देखा तो पता चला कि आखिर काशफ के साथ हुआ क्या है। उसकी टांग में ड्रिल मशीन के माध्यम से छेद किया गया था। उसने अपना दाहिना पैर फ़ोल्ड कर के रखा था जबकि बाएं पैर को वह धीरे धीरे जमीन पर मार रहा था। मगर उसका बाकी पूरा शरीर सुन्न था, उसका चेहरा नीला हो रहा था और उसके कपड़े फटे हुए थे। काशफ की यह हालत देखकर अमजद की आँखों में खून उतर आया था। उसका बस नहीं चल रहा था कि वह अब अपनी जगह से उठे और कर्नल इरफ़ान के टकड़ टुकड़े कर डाले ...... मगर अफसोस कि वह इस समय कुछ नहीं कर सकता था। कर्नल इरफ़ान के साथ आए बाकी दो लोगों ने अब काशफ को जमीन से उठाया और अमजद के साथ एक और कुर्सी पर बिठा दिया जबकि सरमद अब तक खड़ा था मगर वह रस्सियों में जकड़ा हुआ था वह अपनी मर्जी से ज़्यादा हरकत नहीं कर सकता था सिवाय छोटे छोटे कदमों के साथ धीरे धीरे चलना। इसलिए कर्नल इरफ़ान को उससे कोई खास खतरा महसूस नहीं हो रहा था।
कर्नल इरफ़ान ने अभी अमजद से कहा और बोला यह अपने दोस्त की हालत देख रहे हो ??? मुझे सब कुछ सच सच बता दो कि मेजर राज इस समय कहाँ है अन्यथा। । । । । । । । इससे पहले कि कर्नल इरफ़ान का वाक्य पूरा होता अमजद ने एक जोरदार व्यंग्य का ठहाका लगाया तो कर्नल इरफ़ान कुछ गुस्से और कुछ आश्चर्य मिश्रित प्रतिक्रिया के साथ उसे देखने लगा। अमजद बोला कर्नल किस को डरा रहे हो? मेरे दोस्त की हालत तुम्हारे सामने है, जब वह तुम्हारा बर्बर अत्याचार सहन कर गया और आप उससे कुछ न उगलवा सके तो तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि मैं तुम्हारे अत्याचार को सहन नहीं कर पाउन्गा और तुम्हें कुछ बताउन्गा ....
अमजद की बात सुनकर उसके साथ खड़े सरमद ने भी एक ठहाका लगाया और कुर्सी पर बैठे काशफ ने भी अपनी धीमी और पीड़ा से भरपूर आवाज में एक व्यंग्य का ठहाका लगाया। तीनों को यूँ ठहाके लगाते देखकर कर्नल इरफ़ान को अपना अपमान महसूस हो रहा था . वह सोच भी नहीं सकता था कि काशफ को इस हालत में देखने के बाद भी अमजद में हिम्मत बाकी रहेगी, उसका विचार था कि अमजद सब कुछ उगल देगा काशफ की ये हालत देखकर। मगर यहां तो मामला ही उलट था, वह तीनों तो एक दूसरे को देखकर खुश हो गए थे और उनमें पहले सा साहस आ चुका था, और तो और काशफ जिसके पैर में कर्नल इरफ़ान छेद कर चुका था और उसमे बोलने तक की हिम्मत नहीं थी उसका चेहरा नीला हो रहा था और उसके शरीर से खून निचोड़ लिया गया था वह भी व्यंग्य के ठहाके लगा रहा था
कर्नल इरफ़ान के लिए इससे अधिक अपमान वाली बात और कोई नहीं थी उसने अपनी पिस्टल निकाली और उसका सुरक्षा लॉक खोल कर उसका रुख अमजद की ओर कर दिया और बोला तुम्हारे पास मात्र 2 मिनट हैं मुझे मेजर राज के बारे में बताओ नहीं तो यह गोली तुम्हारी मौत बनकर आएगी। कर्नल इरफ़ान की बात सुनकर काशफ और सरमद तो हँसे ही थे अमजद ने भी ठहाका लगा दिया। काशफ बोला ये खड़ूस अब भी समझ रहा है कि हम मृत्यु से डरते हैं। फिर उसने बहुत मुश्किल से अपना चेहरा अमजद की ओर किया तो उसकी आंखों में आंसू थे। काशफ अमजद से माफी माँग रहा था कि वो कर्नल इरफ़ान का अत्याचार सहन नहीं कर सका तो उसने अपने बारे में सब कुछ बता दिया और सरमद का पता भी बता दिया मगर मेजर राज और समीरा कहां हैं यह उसने नहीं बताया। उसने सरमद की ओर भी देखा और माफी माँगी कि मैंने तुम्हारा पता बता दिया मगर सरमद की आंखों में एक अजीब सी चमक थी, उसे काशफ से कोई शिकायत नहीं थी उसने काशफ को आँखों ही आँखों में हौसला दिया और महज इतना बोला चिंता मत करो दोस्त। हमारी मंज़िल अब करीब है
कर्नल ने जब देखा कि उसकी धमकी का इन तीनों पर कोई असर नहीं हुआ बल्कि वह कर्नल को जवाब देने की बजाय में बातें कर रहे हैं तो उसका पारा और भी ऊँचा होगया, उसने पिस्टल का रुख अमजद के पैर की ओर किया और गोली मार दी। पिस्टल से निकली हुई गोली अमजद के पैर के मांस को चीरती हुई पीछे की दीवार में जा लगी और अमजद की एक जोरदार चीख से कमरा गूंज उठा। एक चीख मारने के बाद अमजद ने अपना मुंह सख्ती से बंद कर लिया था और दुख को सहन करने की कोशिश कर रहा था, मगर तमाम प्रयासों के बावजूद उसे अपनी टांग में ऐसा लग रहा था जैसे कोई चाकू के साथ लगातार उसके मांस को काट रहा हो। अब की बार काशफ और सरमद के चेहरे पर परेशानी के आसार देखे जा सकते थे। कर्नल इरफ़ान को अब ऐसा लगने लगा था जैसे इन तीनों में से कोई न कोई मेजर राज का पता उगल देगा। मगर कुछ देर इंतजार के बाद उसे अपने कानों की सुनवाई पर शक होने लगा जब उसके कानों में अमजद की हल्की-हल्की हंसी की आवाज सुनाई दी जो अब धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी। अमजद को हंसते देखकर काशफ और सरमद भी अब मुस्कुरा रहे थे। अमजद ने एक जोरदार ठहाका लगाया और उसके बाद गरजती हुई आवाज में बोला अबे ओए कर्नल ... तू क्या समझता है कि अत्याचार करके हमसे मेजर राज का पता मालूम कर लेगा क्या? अरे तू हमारी बोटी-बोटी कर दे तो भी तो हम तीनों में से किसी की ज़ुबान नहीं खुलवा सकता, यह जेहादियों का खून है जो वफ़ा भी है और जज़्बे जिहाद भी तेरी तरह के मुसलमान होते होंगे जो थोड़ा सा अत्याचार सह कर अपनी धरती के साथ विश्वासघात कर जाए। हम शहीद तो हो सकते हैं, लेकिन अपनी कॉम के साथ गद्दारी नहीं कर सकते, अबे ओ किन्नरों के कर्नल, अगर हिम्मत है तो यहाँ मेरे दिल में गोली मार और अगर मेरे दिल में गोली मारने के बाद भी तुझे मेरी आँखों में भय नज़र आ जाए तो मेरे शव को कुत्तों के आगे फेंक देना
अमजद की आँखों में इस समय अंगारे बरस रहे थे और वहाँ डर नाम की कोई चीज नहीं थी वहाँ केवल एक चीज की तमन्ना थी और वह थी शहादत। कर्नल इरफ़ान इस समय अपने आप को पूरी तरह से असहाय महसूस कर रहा था। उसने काशफ पर हर तरह के टॉर्चर से देख लिया था यहां तक कि उसको करंट भी लगाया था उसके पैर में छेद कर दिया मगर वह टस से मस न हुआ। सरमद के साथ भी उसने हर तरह का टॉर्चार आज़मा लिया था, उसका चेहरा उबलते पानी में डाल दिया था और पानी से चेहरा निकालते ही उसका चेहरा फिर से बर्फ जैसे ठंडे पानी में डाल दिया था। गर्म पानी के टॉर्चर का तो कोई भी इंसान सामना कर सकता है, लेकिन गर्म पानी के तुरंत बाद बर्फ जैसा ठंडा पानी सहना आम इंसान के बस की बात नहीं होती, मगर सरमद इस टॉर्चर के बाद भी कर्नल इरफ़ान को कुछ भी बताने के लिए तैयार नहीं था
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