RE: muslim sex kahani खानदानी हिज़ाबी औरतें
"अमजद तुम ने फूफी खादीजा को तो चोद लिया मगर किया कभी दूसरी फुफियों के बारे में भी सोचा है. फूफी शहनाज़ तो यहीं पिंडी में रहती हैं किया हम उन्हे राज़ी नही कर सकते?" उस ने पूछा.
"यार बात ये है के बाक़ी फुफियों से तो मुझे बहुत डर लगता है. उन्हे चोदने के बारे में तो में सोच भी नही सकता. वो तो सारी ही गुस्से-नाक हैं जान से मार दें गी. फूफी शहनाज़ अलबता ऐसी नही हैं. अगर मुझे उनकी चूत मारने का मोक़ा मिले तो में ज़रूर मारूं गा. वो भी बड़ी खूबसूरत और जानदार हैं." मैंने कहा.
“हाँ यार हमारी फूपियाँ गुस्से वाली तो ज़रूर हैं मगर हैं बड़ा मजेदार माल. फूफी खादीजा ही की तरह लंड पर बिठाने वाले मोटे मोटे फुद्दे हैं उनके. रह गईं फूफी शहनाज़ तो उनकी फुद्दी लेने में भी बड़ा मज़ा आये गा. मै इसी लिये तो पूछ रहा हूँ.” उस ने मुस्कुरा कर कहा.
फूफी शहनाज़ हमारी चार फुफियों में सब से छोटी थीं और पिंडी ही में उनकी शादी हुई थी. उनके दो बच्चे थे और वो भी बड़ी ज़ोरदार औरत थीं . उमर कोई 36 साल थी और बाक़ी सारी फुफियों की तरह वो भी निहायत मोटे मोटे मम्मों और चूतड़ों की मालिक थीं . सग़ी बहन होने की वजह से हमारी बाक़ी तीनो फुफियों से उनकी शकल भी मिलती थी और अगरचे वो उन से कुछ मुख्तलीफ़ भी थीं और कम खूबसूरत भी मगर फिर भी उनका शुमार खुश-शकल औरतों में किया जा सकता था. उनका क़द दूसरी फुफियों के मुक़ाबले में थोड़ा छोटा था मगर बदन उन्ही की तरह दूधिया गोरा, साफ़ शफ्फफ और गोश्त से भरा हुआ था. वो भी अपने बदन के हर सुराख में लंड लेने और चोदे जाने के क़ाबिल थीं .
“लेकिन हम फूफी शहनाज़ को कैसे राज़ी कर सकते हैं?” में बोला.
"फूफी खादीजा इस सिलसिले में हमारी मदद कर सकती हैं क्योंके वो और फूफी शहनाज़ एक दूसरे की राज़दार हैं और हम से फुद्दी मरवाने का राज़ भी अपने तक ही रक्खें गी. फिर फूफी खादीजा को हम से फुद्दी मरवाते देख कर उन्हे भी होसला हो जाए गा." उसने सर हिला कर बड़े पाते की बात कही.
“तुम्हारी बात समझ में तो आती है.” में बोला.
"कियों ना हम दोनो फुफियों को मिल कर चोदें." ज़ाहिद ने कहा. उस की आँखों में चमक सी आ गई थी.
“ये बहुत मुश्किल काम है. वो दोनो कहाँ राज़ी हूँ गी.” मैंने जवाब दिया.
"यार अमजद अगर ऐसा हो जाए तो मेरा वादा है के तुम जब चाहो अम्मी को चोद सकते हो. मै इस मामले में तुम्हारी पूरी मदद करूँ गा. अम्मी इनकार नही कर सकतीं मुझ से जो चुदवा रही हैं." उस ने खुश होते हुए कहा.
फिर हम दोनो ने एक प्लान बना लिया. इस प्लान पर अमल करना मेरी मजबूरी थी क्योंके अगर में फूफी खादीजा से इस सिलसिले में बात करता तो वो बहुत नाराज़ होतीं के मैंने ज़ाहिद को उनके बारे में क्यों बताया.
अगली बार जब फूफी खादीजा पिंडी मेरे घर आईं तो एक दिन ज़ाहिद प्लान के मुताबिक़ मेरे कमरे में आईं उस वक़्त घुस आया जब में फूफी खादीजा की क़मीज़ के ऊपर से उनके मम्मे मसल रहा था और वो हल्का हल्का कराह रही थीं . ज़ाहिद को देख कर उनका रंग अर गया और उन्होने फॉरन मुझ से दूर हट कर अपने उभरे हुए मम्मों पर दुपट्टा डाल लिया. ज़ाहिद ने थोड़ा सा गुस्से में आने की अदाकारी की और कमरे से निकल गया.
"अमजद उससे रोक कर बात करो अगर उस ने अपनी माँ को बता दिया तो मुसीबत आ जायेगी." फूफी खादीजा ने काँपते हुए लहजे में कहा.
में ड्रॉयिंग रूम में आ गया और ज़ाहिद से तेज़ आवाज़ में बात करने लगा.
"में इस बे-शर्मी के बारे में फ़ूपा सलीम और सब को बताऊं गा." उस ने कहा.
में उससे समझने लगा. कुछ देर बाद फूफी खादीजा भी वहाँ आ गईं और ज़ाहिद को मनाने लगीं. वो सख़्त शर्मिंदा नज़र आ रही थीं और उन से ठीक तरह बात भी नही हो पा रही थी.
उस वक़्त मुझे अपने ऊपर शदीद गुस्सा आया के मैंने ज़ाहिद को क्यों ये बता दिया के फूफी खादीजा मुझ से चुदवा रही थीं . मेरी वजह से वो भी अब मुसीबत में फँस गई थीं . लेकिन किया करता में भी तो ज़ाहिद के हाथों ब्लॅकमेल हो रहा था.
"में सिर्फ़ एक शर्त पर मुँह बंद रखूं गा के आप मुझे भी फुद्दी दें. आख़िर में भी तो अमजद की तरह आप का भतीजा हूँ. मुझ में किया कमी है." ज़ाहिद ने फूफी खादीजा से कहा.
उन्होने मेरी तरफ देखा.
"मुझे इसी बात का डर था." वो बोलीं.
"फूफी खादीजा आप दो लंड ले लें किया फ़र्क़ पड़ता है आप को ज़ियादा मज़ा आए गा." ज़ाहिद ने अचानक उनके एक मम्मे को हाथ में पकड़ कर दबाते हुए कहा. फूफी खादीजा फॉरन पीछे हट गईं और अपने मम्मों पर दुपट्टे को ठीक करने लगीं. उस की बात सुन कर वो और ज़ियादा शर्मिंदा नज़र आ रही थीं .
"एक शर्त और भी है और वो ये के आप फूफी शहनाज़ को भी यहाँ इसी काम के लिये बुलाएं गी." ज़ाहिद ने फिर बात छेड़ी.
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