Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी समधन
01-02-2019, 02:39 PM,
#15
RE: Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी �...
अपडेट 14
समधन के आने से पिताजी खुश थे
पिताजी ज़्यादा से ज़्यादा समय अपनी समधन के साथ बाते करते हुए बिता रहे थे.
सब को लगा कि ऐसे इधर उधर की बात कर रहे होगे
पर एक पत्नी अपने पति को अच्छे से जानती है.
मेरे यहाँ तो माँ को सब ठीक ठाक ही लगा था
पर माँ भी पिताजी को अच्छे से जानती थी
उनको दिख रहा था कि पिताजी अपनी समधन के पास ज़्यादा रहते है
और अब तो समधन के घर आते ही उनको सेंट दिया
माँ सबके सामने बात करके बात बिगाड़ना नही चाहती थी.
उनको पता था कि पिताजी बाहर चुदाई करते है पर यहाँ कुछ ऐसा वैसा नही करेंगे उनको पता था.
पर एक बार माँ ने पिताजी से बात करने का फ़ैसला किया.
माँ-ये क्या हो रहा है
पिताजी-पोते के नाम करण की तैयारी कर रहा हूँ.
माँ-मैं उसकी बात नही कर रही हूँ
पिताजी-तो किस बारे मे बात कर रही हो.
माँ-ये समधन के साथ क्या हो रहा है
पिताजी-वो तो बस हसी मज़ाक है.
माँ-मुझे तो कुछ और लग रहा है
पिताजी-क्या लग रहा है.
माँ-ज़्यादा भोले मत बानिए
पिताजी-समधन समधी मे इतना तो चलता है.
माँ-ठीक है पर ये सेंट ,उसको मुझे भी लगाने नही देते ,समधन को क्यूँ दिया
पिताजी-तुम लगाकर क्या करोगी. बिना वजह तुम्हारे पीछे लोग लगने जो मुझे अच्छा नही लगता.तुम तो मेरी हो और
बस मेरी बन कर रखना चाहता हूँ
माँ-और समधन को क्यूँ दिया
पिताजी-बेटी की सास है, उनकी अपने बेटे के ससुराल मे तारीफ होगी तो कामिनी के लिए अच्छा होगा.
माँ-बस इतना ही है
पिताजी-कुछ होगा तो तुम्हे बता दूँगा.
माँ-ठीक है. मेरी नज़र रहेगी आप पे
पिताजी माँ को समझा कर वापस अपनी समधन के साथ बाते करने लगे
रमेश अपनी माँ को खुश देख कर खुश हो गया.
रमेश-कामिनी देखो माँ यहाँ पर आकर कितनी खुश है
कामिनी- हाँ वो अपने पोते को देख कर खुश है
रमेश-तुम्हारे पिताजी माँ का कितना ख़याल रख रहे है.
कामिनी-उनकी समधन है, इतना तो करना होता है
रमेश-मैं तो कहता हूँ कुछ दिन और यहीं रोक लेते है माँ को
कामिनी-मुझे कोई ऐतराज़ नही है.
रमेश-मैं माँ से बात करूँ
कामिनी-अभी तो कुछ दिन वो रुकने वाली है, उसके बाद बात करना
रमेश-सही कहा.
ऐसे ही बाते करते हुए रात हो गयी.
सब ने साथ मे खाना का लिया .खाना खाते हुए पिताजी समधन को हमारी फॅमिली के बारे मे बताने लगे.
रमेश की माँ अपने समधी की बातों से काफ़ी अच्छा फील कर रही थी.
खाना खाने के बाद पिताजी सोसायटी का चक्कर लगाने चले गये.
घर मे सब बाते करके कल का प्रोग्राम बनाने लगे.
सब मेरे कमरे मे बैठे थे.
समधन-तुम बाते करो मैं सोने जाती हूँ.सफ़र करके थक गयी थी.
माँ-आप चलिए मैं थोड़ी देर मे आती हूँ. आपका बेड तैयार रखा है
समधन सब को गुड नाइट बोल कर अपने कमरे मे चली गयी.
इस कमरे मे आज माँ पिताजी और मेरी सास सोने वाली थी.
मेरी छोटी ननद और मेरा भाई हॉल मे सोएंगे क्यूँ कि उनको मूवी देखनी थी
मेरे रूम मे मैं और रमेश सोएंगे
रमेश की माँ कमरे मे जाते ही ,अपनी साड़ी चेंज करने लगी.
एक हल्की सी साड़ी पहन कर सोने का सोच रही थी.
रमेश की माँ ने अपनी साड़ी निकाल कर बॅग मे रख दी और हल्की साड़ी निकाल ली.साड़ी पहनने वाली थी कि कुछ सोच
कर पैंटी निकाल कर बेड पे रख दी.
और साड़ी पहनने वाली थी कि पीछे से किसी ने पकड़ लिया.
पिताजी सोसायटी का चक्कर लगा कर आ गये थे.
उनको लगा सब मेरे कमरे मे होगे.वो माँ को बुलाने गये थे कि गेट के पास जाकर रुक गये
अंदर कमरे मे सब बैठे कर बाते कर रहे थे. पर उनकी समधन नही थी.
उनके कमरे का गेट लगा हुआ था. पिताजी ने धीरे से गेट खोला.
अंदर अपनी समधन को ब्लाउस पेटिकोट मे देख कर पिताजी का लंड खड़ा हुआ.
समधन के पैंटी निकालते ही पिताजी का लंड पैंट मे हलचल मचाने लगा.
पिताजी ने इस सिचुयेशन का फ़ायदा उठाने का सोचा.
समधन बिना पैंटी के पेटिकोट पहने पिताजी की तरफ पीठ करके खड़ी थी.
समधन साड़ी पहन ने वाली थी कि पिताजी ने उनको पीछे से पकड़ लिया.
इस तरह अचानक हुए हमले से समधन घबरा गयी.
पिताजी ने अपना हाथ आगे ले जाकर समधन के मूह पर हाथ रखा .और उसको दीवार से चिपका दिया.
समधन समझ गयी कि ये उनके समधी है.
अपने समधी के इस तरह पकड़ ने से वो गुस्सा हो गयी.
वो पिताजी को रोकने वाली थी उनका लंड अपने गंद पर महसूस करते ही वो पिताजी को रोक नही पाई
पिताजी ने खुद को समधन से अच्छे से चिपका लिया.
पिताजी का लंड समधन की गंद मे घुसने लगा.
समधन को कई साल हो गये थे लंड को टच किए हुए
अपने समधी का लंबा मोटा लंड गंद मे टच होते ही उनकी धड़कने ज़ोर से धड़कने लगी
पिताजी ने अपनी समधन की गर्दन पर किस करना शुरू किया.
पिताजी के ऐसा करते ही समधन ने आँखे बंद कर लीं.
पिताजी समझ गये कि समधन लंड की भूकी है.
पिताजी वैसे ही लंड को गंद मे घुसा कर धक्के मारने लगे.
ऐसा लग रहा था कि सच मे पिताजी अपनी समधन की गंद मार रहे हो. ये कपड़े ना होते तो सच मे गंद
मे लंड होता.
पिताजी भी अपनी समधन का पूरा मज़ा ले रहे थे.
गर्दन पे किस करते हुए अपना हाथ आगे ले जाकर समधन के पेटिकोट से चूत को टच कर के मसल दिया.
चूत पे समधी का हाथ पड़ते ही समधन होश मे आ गयी.
और धक्का दे कर खुद को छुड़ा लिया.
मेरी सास गुस्से मे पिताजी की तरफ देखने लगी.पिताजी आक्टिंग करने लगे
समधन-आपको शरम नही आती
पिताजी-आप, मुझे लगा कामिनी की माँ है
समधन-नाटक करने की ज़रूरत नही है.
पिताजी-सच में मुझे लगा कामिनी कि माँ है. वो ये कमरा हमारा है तो .माफ़ कीजिए ग़लती मेरी है
और पिताजी ने अपना सर नीचे कर लिया
रमेश की माँ को लगा कि शायद पिताजी सही बोल रहे है
उनको कहाँ पता था कि वो भी उस कमरे मे सोएंगी
समधन-आप सच कह रहे है.
पिताजी-आप को झूठ लग रहा है
समधन-मेरी ग़लती थी. मुझे गेट बंद रखना चाहिए था
पिताजी-कोई बात नही. आप कपड़े पहन लीजिए मैं बाहर रुकता हूँ
समधन को खुद के ब्लाउस पेटिकोट मे होने का अहसास हुआ .उसने जल्दी अपनी साड़ी उठा ली.
पिताजी ने अपना मूह दूसरी तरफ किया .और समधन ने साड़ी पहन ली
समधन-अब ठीक है.
पिताजी ने पलट गये और और दूसरे बेड पर बैठ गये .और समधन अपने बेड पर बैठ गयी
जहाँ माँ भी सोने वाली थी.
पिताजी-मेरी वजह से ........
समधन-ग़लती मेरी थी,
पिताजी-जाने दीजिए ,वैसे आप बिना साड़ी के, इस साड़ी मे अच्छी लग रही है
समधन-आप भी ना ,मैं तो बूढ़ी हो गयी हूँ
पिताजी-बूढ़ी, आपको पता नही आप क्या है
समधन-रहने दीजिए. मैं सो रही हूँ.
और समधन दूसरी तरफ मूह करके लेट गयी.
और पिताजी ने समधन की पैंटी जो उनके बेड पर रखी हुई थी .उठा ली. और पैंटी को सूंघने लगे
आअहह आअहह
पिताजी-क्या खुश्बू है आपकी
समधन-वो आपका सेंट है.
पिताजी-ये आपका सेंट है,ऐसी खुश्बू आज तक सूंघने को नही मिली
समधन-आपका सेंट है, क्या मतलब
पिताजी-आअहह आअहह
समधन समझ नही पाई. और पलट कर देखा .समधी उसकी पैंटी सूंघ रहे थे.
अपनी पैंटी को सूँघता हुआ देख कर समधन शरमा गयी.
पर जल्दी उठ कर पिताजी के हाथ से पैंटी ले ली.
और अपने बेड पे जाकर अपने उपर चद्दर लेकर कर चेहरा छुपा लिया.
पिताजी-माफ़ करना, मैं खुद को रोक नही पाया
समधन ने कोई जवाब नही दिया
पिताजी-मैं ने कहा माफ़ कीजिए
समधन-आप जानबूझ कर रहे थे.
पिताजी-मुझे वहाँ पैंटी मिली तो मैं, मैं ने इसमे क्या किया
समधन-आपको कैसे पता वो मेरी है.
पिताजी-यहाँ कमरे मे आप ही तो है
समधन-आपकी पत्नी की भी हो सकती है.
पिताजी-उसकी खुश्बू मैं पहचानता हूँ.ये खुश्बू अलग थी तो मुझे लगा आपकी है.
समधन-इस बात को यहीं ख़तम कीजिए .मैं सो रही हूँ.
पिताजी-जैसा आप कहें
पिताजी के लिए जो बेड लगाया था वहाँ पिताजी सो गये .
और समधन अपने बेड पर सो गयी.
माँ ने आकर देखा तो पिताजी सो रहे थे. माँ समधन के साथ सो गयी.
समधन के होते हुए अपने पति के साथ कैसे सोती.
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