RE: Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी �...
अपडेट 13
मेरे बेटे का नाम करण था
रमेश पहले ही आ चुके थे
रमेश की माँ बर्तडे के एक दिन पहले गाँव आ कर अच्छे से 2 3 दिन रह कर जाने का प्लान बना कर आ
गयी.
रमेश अपनी माँ को लेने के लिए बस स्टॉप पर चले गये
रमेश अपनी माँ को लेकर घर आ गया.
मैं अपनी सास को देख कर उनके पैर छु कर अपने संसकार की झलक दिखाई.
माजी-नमस्ते समधन जी, आने मे कोई तकलीफ़ तो नही हुई
समधनजी-पोते से मिलने की खुशी के सामने दूसरी तरफ ध्यान नही गया. बस थोड़ा प्राब्लम हुआ था पर
उतना तो होता ही है.
माजी-कामिनी समधनजी के लिए नाश्ता टी बना लो
समधन-इसकी का ज़रूरत है. पहले तो मैं पोते से मिलना चाहती हूँ
और मैं अपने बेटे को लेकर आ गयी
समधन-मेरा प्यारा बच्चा ,अपनी दादी को याद किया ना ,और अपनी नानी को परेशान किया कि नही.
माजी-बड़ा होगा तो हमे परेशान करना शुरू करेगा
माजी-उसका तो हक है, वो तंग नही करेगा तो कौन करेगा.
समधन-वो तो है. बहू तो हमारे यहाँ अच्छे से घुल मिल गयी थी कि उसकी बहुत याद आती है
माजी-कामिनी ने आपका दिल जीत लिया है ये सुनकर अच्छा लगा
समधन-एक बात कहूँ, बच्चों के बिना मन नही लगता.अब पोते के साथ हर दिन भर रहूंगी
माजी-वो तो है ,आपका पोता तो बड़ा होकर आपकी तरह बन जाएगा
समधन-मुझे भी ऐसा ही लगता है.
माजी-लीजिए ,नाश्ता भी आ गया.
समधन-बेटी रहती है तो काम करने मे मदद मिलती है.
माजी-हा, अभी तो मैं ही पूरा काम करती हूँ अगर कामिनी ठीक होती तो मुझे काम ना करने दे
समधन-वो तो है वैसे आपका बेटा नही दिख रहा
माजी- वो तो अपने दोस्तो के पास गया है
माजी -वैसे एक बात कहूँ आपकी बेटियाँ बड़ी हो गयी है, उनके शादी के लिए कुछ सोचा है.
समधन- रमेश देख रहा है
माजी- अब तो आपको दादी बना हुआ देख कर लगता है मैं भी जल्दी दादी बन जाउ
समधन-क्यूँ नही , वैसे अब मैं 2 3 दिन रुक कर जाउन्गी
माजी-इतनी क्या जल्दी है.आप कुछ दिन तो रुकेंगी ना यहाँ पर
समधन-हाँ, इतने दिन बाद पोते से मिलने आई हूँ, कुछ दिन रुक कर जाउन्गी.
माजी-आप फ्रेश होकर आराम कीजिए
कामिनी -सासू माँ कहाँ रुकेंगी
माजी-तुम्हारे साथ ...
समधन-कामिनी के साथ तो पोता होगा और रमेश रहेगा , मैं आपके साथ सो लूँगी. इसी बहाने से आप
के साथ बातें हो जाएगी
माजी-पर
समधन-पर वर कुछ नही, लड़के के तरफ से हूँ, समधन हूँ ,इतना तो हक रखती हूँ
माजी-हाँ हाँ,क्यूँ नही,कामिनी मेरे कमरे मे समान रख दो
कामिनी -पिताजी ,वो कहाँ सोएंगे
माजी-उस कमरे मे तीन लोग रह सकते है.
मैं समान रखने चली गयी.
समधन-वैसे समधी जी कहीं दिख नही रहे
पिताजी-समधन ने बुलाया और समधी हाज़िर है
समधन-नमस्ते
माजी-आप बाते कीजिए,मैं बॅग अंदर रखती हूँ
पिताजी ने सब्जी का बॅग माँ को दिया .माँ बॅग लेकर रसोई घर मे चली
पिताजी-कहिए आने मे कोई तकलीफ़ तो नही हुई.
समधन-जी ,सफ़र लंबा था पर ठीक हुआ
पिताजी-आप बता देती तो अपने दोस्त की कार भेज देता ,
समधन-इसकी क्या ज़रूरत है
पिताजी-आप समधन हो, शादी मे खातिरदारी अच्छे से नही कर पाया. अगर समधी जी होते तो, अब तो आप ही की सेवा
करनी होगी
समधन-आप भी ना,जितना मिलता है उसी मे मैं खुश हूँ
पिताजी-ये लीजिए आपके लिए जलेबी लाया हूँ, गरम है ,खा कर देखिए.
समधन-जलेबी, काफ़ी दिन हो गये खाए हुए,
और एक जलेबी उठा ली
पिताजी-एक से क्या होगा.
और पिताजी ने इधर उधर देखा और किसी को पास मे ना देख कर समधन को अपने हाथ से जलेबी खिलाने लगे
समधन-नही नही, मैं खा लूँगी
पिताजी-हमारे हाथ से तो एक खानी पड़ेगी.
समधन ने जलेबी का एक बाइट ले लिया.
और पिताजी ने बाकी की जलेबी खा ली.
समधन ने पिताजी को अपनी . जलेबी खाते हुए देख लिया पर कुछ कहा नही.
पिताजी-और कहिए कैसा लगा हमारा शहर
समधन-अभी देखा कहाँ है
पिताजी-आप अगर रुक रही होगी तो मैं दिखा दूँगा .काफ़ी बड़ा है
समधन-क्या?
पिताजी-शहर , शहर काफ़ी बड़ा है.
समधन-कुछ दिन रुकने वाली हूँ
पिताजी-फिर तो आपको दिखना होगा.
समधन-दिखा दीजिएगा. सुना है यहाँ देखने लायक बहुत चीज़े है
पिताजी-दूर दूर से लोग आते है देखने के लिए.आपको पसंद आएगा.
समधन-वो देखने के बाद बता दूँगी. अच्छा मैं फ्रेश होकर आती हूँ
पिताजी-आप तो ऐसे ही अच्छी लग रही है.
समधन-मैं सफ़र करके आई हूँ, अपने बेटे के ससुराल मे अच्छी तो दिखना होगा
पिताजी-जैसे आपकी मर्ज़ी,आप फ्रेश हो जाइए मैं आपके लिए सेंट भेज देता हूँ.
समधन-नही ,मैं नही लगाती सेंट
पिताजी-लगा कर देखो, पूरे सोसायटी मे आपकी महक फैल जाएगी
समधन-आप भी ना ,ठीक है भिजवा दीजिएगा
मेरी सास बाथरूम मे चली गयी.
और पिताजी ने समधन के लिए सेंट निकाल कर मेरे के हाथो भेज दिया.
मेरा छोटा भाई घर को सजाने मे लग गया .और मेरी छोटी ननद उसकी मदद करने लगी.
समधन जब फ्रेश होकर आई और नये कपड़े पहन कर उस पे सेंट लगाया तो ,सेंट की स्मेल से समधन
खुश हो गयी.
समधन की खुश्बू पूरे घर मे फैल गयी.
सब ने समधन के सेंट की तारीफ की.
समधन अपने समधी के दिए हुए सेंट से अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गयी.
पिताजी-क्या बात है समधनजी ,काफ़ी खुश लग रही है.
समधन-हाँ, आपके दिए सेंट की वजह से खुश हूँ. कहाँ से लिया है सेंट
पिताजी-आपको पसंद आया
समधन-हाँ, मैं रख लूँ इसे, आप दूसरा ले लेना
पिताजी-वो आपके लिए स्पेशल बनाया था. वो आपके लिए है.
समधन-मैं जान सकती हूँ ,इतनी मेहरबानी क्यूँ
पिताजी-मेरी समधन की पूरे सोसायटी मे तारीफ हो ,
समधन-मुझे तारीफ सुन ना पसंद नही है
पिताजी-पर मैं तो सोसायटी को दिखाना चाहता हूँ कि मेरी समधन कुछ कम नही है.
समधन-ऐसे तो मेरा जीना मुश्किल होगा, सब मुझसे मिलने आएँगे
पिताजी-मेरे होते हुए कोई आपको परेशान नही कर सकता ,
कामिनी –सासू माँ खाना लगा दूं
समधन-हाँ लगा दे ,
मैं ने बीच मे आकर पिताजी का मूड ऑफ किया
पिताजी को मुझपर बहुत गुस्सा आ रहा होगा
और हम सबने मिलकर खाना खा लिया
______________________________
|