Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:59 PM,
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--122

गतान्क से आगे.................

शालिनी घर आते ही अपने बेडरूम में आकर बिस्तर पर गिर गयी और रोने लगी. “रोहित क्यों किया ऐसा तुमने मेरे साथ. क्या ये सब करना ज़रूरी था...मैं रोक रही थी और तुम रुक ही नही रहे थे. क्या यही प्यार है.”

बहुत देर तक यू ही पड़ी रही शालिनी और उसकी आँखो से रह-रह कर आँसू टपकते रहे. कब आँख लग गयी उसकी, उसे पता ही नही चला.

सुबह अचानक 5 बजे आँख खुल गयी उसकी. उसने घड़ी में टाइम देखा. टाइम देखते ही उसे ख्याल आया, “6 बजे की ट्रेन थी रोहित की. कही वो चला तो नही जाएगा.” अब उसका गुस्सा थोड़ा शांत हो गया था.

शालिनी ने तुरंत रोहित को फोन मिलाया. रिंग जाती रही पर फोन नही उठाया रोहित ने.

“पिक अप दा फोन रोहित…प्लीज़…”

शालिनी ने काई बार ट्राइ किया फोन पर कोई रेस्पॉन्स नही मिला.

"कही वो जा तो नही रहा मुझे छोड़ कर?" ये ख्याल आते ही शालिनी फ़ौरन बिस्तर से उठ गयी. अपनी कार की चाबी उठाई उसने और चुपचाप घर से बाहर आ गयी. कार में बैठ कर वो रोहित के घर की तरफ चल दी. जब वो रोहित के घर पहुँची तो उसे ताला टंगा मिला.

“मुझसे बात किए बिना चले गये तुम रोहित. क्या इतने नाराज़ हो गये मुझसे?. क्या सारी ग़लती मेरी ही है...क्या तुम्हारी कोई ग़लती नही थी.” शालिनी ने मन ही मन सोचा.

शालिनी ने कार तुरंत रेलवे स्टेशन की तरफ मोड़ ली. रेलवे स्टेशन पहुँच कर उसने एंक्वाइरी से पता किया कि पुणे जाने वाली ट्रेन कों से प्लॅटफॉर्म पर मिलेगी. वो तुरंत प्लॅटफॉर्म नो 3 की तरफ दौड़ी.

रोहित उसे प्लॅटफॉर्म पर ही मिल गया. वो एक बेंच पर गुम्सुम बैठा था. सर लटका हुआ था उसका और एक टक ज़मीन की तरफ देख रहा था वो. शालिनी चुपचाप उसके पास आकर बैठ गयी.

“जा रहे हो मुझे छोड़ कर तुम.” शालिनी बड़े प्यार से बोली.

रोहित ने कोई जवाब नही दिया.

“क्या बात भी नही करोगे मुझसे.” शालिनी ने रोहित के कंधे पर हाथ रख कर कहा.

रोहित चुपचाप बैठा रहा.

“आइ आम सॉरी रोहित…प्लीज़ मुझे यू छोड़ कर मत जाओ.” शालिनी गिड़गिडाई

“कल कॉन गया था छोड़ कर. तुम ही थी ना. क्या हक़ है तुम्हे मुझे रोकने का.” रोहित ने गुस्से में कहा.

“रोहित मुझे कोई भी सज़ा दे दो पर मुझे छोड़ कर मत जाओ.”

“तुम्हारा प्यार ज़हर बन गया है मेरे लिए. दिल करता है मर जाऊ कही जाकर.” रोहित गुस्से में बोला.

शालिनी फूट-फूट कर रोने लगी रोहित की बात सुन कर. "प्लीज़ ऐसा मत कहो...जो भी सज़ा देनी है दे दो मुझे पर ऐसे मत जाओ."

“नाटक मत करो मेरे सामने. दफ़ा हो जाओ यहाँ से....मैं तुमसे कोई बात नही करना चाहता” रोहित गुस्से में बोला.

“कर लेना जो करना है तुम्हे मेरे साथ. नही रोकूंगी तुम्हे...छोटी सी ग़लती की इतनी बड़ी सज़ा मत दो मुझे.”

“हां जैसे कि मैं तो तुम्हारे शरीर का भूका हूँ. कल भी कुछ ऐसा ही बोल रही थी. तुमने ही गिराया था ना मुझे बेड से नीचे. अभी तक कमर दुख रही है मेरी.”

“मुझे भी दर्द है अभी तक वहाँ. मुझसे सहा नही जा रहा था. और तुम हट नही रहे थे...मुझे गुस्सा आ गया था. तुम मेरी जगह होते तो क्या करते?”

“चलो ठीक है धक्का दिया कोई बात नही. गिरने से मेरी कमर टूट गयी उसकी भी कोई बात नही. तुम तो भाग गयी बिना बताए. मैं घर में ढूढ़ता रहा तुम्हे पागलो की तरह. पर तुम वहाँ होती तो मिलती. तुमसे प्यार करना मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल साबित हो रही है.”

शालिनी रोहित के कदमो में बैठ गयी. “मर जाऊगी मैं अगर तुम गये मुझे छोड़ कर तो...प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.”

“उठो लोग देख रहे हैं. किसी ने तुम्हे पहचान लिया तो किरकिरी होगी तुम्हारी.” रोहित ने कहा.

“होने दो….मुझे उसकी चिंता नही है...तुम चले गये तो मैं बिखर जाऊगी.”

“अजीब हो तुम भी. कल तो मुझे छोड़ कर भाग गयी थी. अब मैं जा रहा हूँ तो मुझे रोक रही हो.”

“दिल के हाथो मजबूर हूँ ना… क्या करूँ…तुम्हारे बिना नही जी सकती मैं." शालिनी सुबक्ते हुए बोली

“सोचो मुझ पर क्या बीती होगी जब तुम घर से बिना बताए चली गयी थी.” रोहित ने कहा.

“मुझे अपनी भूल का अहसास है रोहित. तुम जो सज़ा दोगे मुझे मंजूर होगी.”

“तुम्हारे साथ सेक्स नही कर पाउन्गा अब मैं. तुम्हे छूने का मन नही करेगा अब.”

“अगर तुम्हे लगता है कि यही मेरी सज़ा है तो मंजूर है मुझे. वैसे इस से बड़ी सज़ा हो भी नही सकती मेरे लिए कि मेरा प्यार मुझे प्यार ना करे.” शालिनी रोते हुए बोली.

“मैं मजबूर हूँ. कल की घटना के बाद तुम्हारे पास आने का मन नही करेगा.”

“ठीक है मेरे करीब मत आना. मेरे साथ तो रहोगे ना.” शालिनी ने कहा.

तभी शालिनी का फोन बज उठा. फोन उसके पापा का था.

“कहाँ हो तुम बेटा...सुबह सुबह कहा चली गयी.?”

“पापा मैं रोहित के साथ हूँ.मैं घर नही आउन्गि अब. मैं रोहित से शादी कर रही हूँ आज. मुझे माफ़ कर दीजिएगा. अगर आपको मंजूर नही तो मुझे मंदिर में आकर गोली मार दीजिएगा. आज मैने रोहित से शादी नही की तो मैं मर जाऊगी. सॉरी पापा…पर मैं अपने दिल के हाथो मजबूर हूँ.” शालिनी ने फोन काट दिया.

भावनाओ में बह कर शालिनी वो बोल गयी जो होश में कभी भी नही बोल सकती थी.

“ये क्या बोल रही हो. ये अचानक शादी का प्लान कैसे बन गया.” रोहित ने पूछा.

“क्या तुम खुश नही हो. क्या मुझसे शादी नही करना चाहते.”

“करना चाहता हूँ…पर.” रोहित सोच में पड़ गया.

“पर…वर कुछ नही. अपने पापा को बोल चुकी हूँ मैं. हम आज ही शादी करेंगे.” शालिनी सुबक्ते हुए बोली.

रोहित गहरी सोच में डूब गया.

“तुम शादी नही करना चाहते मुझसे है ना. मैने तुम्हारी जिंदगी ज़हर बना दी है इसलिए तुम शादी नही करना चाहते मुझसे. मेरी छ्होटी सी भूल की बहुत बड़ी सज़ा दे रहे हो तुम मुझे." शालिनी की आँखे भर आई.

रोहित ने शालिनी को बाहों में भर लिया, “बस..बस चुप हो जाओ. इतना प्यार मत दो मुझे की मैं संभाल भी ना पाउ. मुझे नही पता था कि इतना प्यार करती हो तुम मुझे. मुझे यही लग रहा था कि मेरा ही दिमाग़ खराब है. पर जब तुमने अपने पापा से शादी के बारे में बोल दिया तो मैं हैरान रह गया. मुझे यकीन नही हो रहा था कि तुम ही हो मेरे सामने. मुझे ये सब सपना सा लग रहा है.”

“ये सपना नही हक़ीक़त है रोहित. बहुत प्यार करती हूँ तुम्हे मैं. शालिनी ने कहा.

"क्यों चली गयी थी तुम कल मुझे अकेला छोड़ कर."

"कह तो रही हूँ मुझसे भूल हो गयी. आगे से ऐसा नही होगा.”

“आओ घर चलते हैं. आराम से बैठ कर डिसाइड करते हैं कि शादी कैसे और कहा करनी है. पद्‍मिनी, राज शर्मा, मोहित, पूजा और मिनी को भी बुला लेंगे. थोड़ी हेल्प हो जाएगी.”

2 घंटे बाद रोहित के घर पूरी टास्क फोर्स इकट्ठा थी. रोहित और शालिनी की शादी की प्लॅनिंग हो रही थी.

“यार 2-3 दिन का वक्त तो दो तैयारी के लिए. एक दम से सब कुछ कैसे होगा.” मोहित ने कहा.

“देखो भाई शालिनी अपने पापा को बोल चुकी है कि आज ही शादी कर रही है वो मुझसे. इसलिए हम शादी आज ही करेंगे.”

“फिर तो मंदिर में कर्लो जाकर. भगवान का घर है….उनका भी आशीर्वाद मिल जाएगा.” मोहित ने कहा.

“हां वैसे शालिनी ने मंदिर ही बोला है अपने पापा को.” रोहित ने कहा.

“ठीक है फिर…मंदिर सबसे अच्छी ऑप्षन है इस वक्त.” मोहित ने कहा.

“मिनी प्लीज़ न्यूज़ में मत डालना. पता चले, कल टीवी पर न्यूज़ आ रही है ‘ए एस पी साहिबा ने मंदिर में शादी की’.." रोहित ने कहा

“रोहित पागल हो क्या. मैं भला ऐसा क्यों करूँगी.” मिनी ने कहा.

“जस्ट किडिंग मिनी…” रोहित ने हंसते हुए कहा

राज शर्मा और मोहित ने मंदिर में शादी का पूरा इंतज़ाम कर दिया. मंदिर में जाते वक्त शालिनी ने अपने पापा को फोन मिलाया.

“पापा अगर आप आएँगे तो ख़ुसी होगी मुझे.”

“बेटा मैं तो नही आ पाउन्गा. खुश रहो जहाँ भी रहो.” इतना कह कर शालिनी के पापा ने फोन काट दिया.

“क्या हुआ…”रोहित ने पूछा.

“वो नही आएँगे.”

“शालिनी सोच लो. हम शादी फिर कभी कर सकते हैं.” रोहित ने कहा.

“नही आज ही करेंगे. डेले करेंगे तो पापा फिर से समझाएँगे आकर. फिर वही बाते होंगी. जब तैय कर लिया है हमने तो कर ही लेते हैं.” शालिनी ने कहा.

“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.” रोहित ने कहा.

रोहित और शालिनी को फेरे लेते देख राज शर्मा, पद्‍मिनी के कान में बोला, “अब बस हम रह गये.”

“अगले महीने हम भी कर लेंगे.” पद्‍मिनी ने कहा. दोनो एक दूसरे की तरफ हंस दिए.

शादी की सभी रस्मे पूरी होने के बाद सभी ने होटेल में जाकर लंच किया.

रोहित और शालिनी को अपने घर वापिस आते-आते शाम हो गयी.

“सब कुछ कितना जल्दी-जल्दी हो गया. अजीब सी बात हुई. ना मेरे घर से कोई आ पाया ना तुम्हारे घर से. मेरे मम्मी डेडी मुंबई में थे वरना वो तो शामिल हो ही जाते. पिंकी कॉलेज के टूर पर गयी है. ” रोहित ने कहा.

“तुम्हारे मम्मी पापा को कोई ऐतराज़ तो नही होगा ना?” शालिनी ने पूछा.

“शादी से ऐतराज़ नही होगा. मगर जब वो देखेंगे कि तुम्हे घर का कोई काम नही आता तब दिक्कत आएगी.”

“डराओ मत मुझे. मैं आज से ही सीखना शुरू कर देती हूँ. चलो किचन में मुझे गॅस चलाना सीख़ाओ.” शालिनी ने कहा.

"ए एस पी साहिबा जी...पहले प्यार करना सीख लें. वो ज़्यादा ज़रूरी है.” रोहित ने शालिनी को बाहों में भर लिया.

“क्या… ….मुझे लगा था तुम मेरे करीब नही आओगे.”

“बहुत प्यार करता हूँ तुम्हे मैं. चाह कर भी तुमसे दूर नही रह सकता…आओ प्यार करते हैं सब कुछ भूल कर.” रोहित शालिनी का हाथ पकड़ कर उसे बेडरूम में ले आया. शालिनी की टांगे काँपने लगी. उसे रह..रह कर कल का वो दर्द याद आ रहा था

"मेडम जी काँप क्यों रही हैं आप."

"क..कहाँ काँप रही हूँ. तुम्हे यू ही लग रहा है."

"डरने की ज़रूरत नही है. प्यार कभी नुकसान नही पहुँचता." रोहित ने शालिनी के माथे को चूम लिया. शालिनी का डर कुछ कम हुआ.

दोनो एक दूसरे से चिपक कर लेट गये बिस्तर पर. शुरूवात प्यार में भीगे चुंबन से हुई. दोनो बहकने लगे तो एक-एक करके धीरे धीरे दोनो के कपड़े उतरने लगे. भावनाए भड़क रही थी दोनो की. दोनो तरफ आग बराबर थी. जब दोनो पूरे कपड़े उतार कर एक दूसरे के गले मिले तो उन्हे लगा की कपड़ो की बहुत मोटी दीवार थी उन दोनो के बीच. होंटो से होन्ट टकराए….छाती से छाती टकराई. कुछ ऐसे चिपके हुए थे दोनो एक दूसरे से की हवा भी नही थी उन दोनो के दरमियाँ.

क्रमशः..........................
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