Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:54 PM,
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--102

गतान्क से आगे.................

शालिनी हॉस्पिटल के कमरे में उदास पड़ी थी. सुबह उसने रोहित को इग्नोर किया था और ठीक से बात भी नही की थी. लेकिन जबसे उसे रोहित के सस्पेन्षन का पता चला था तब से बार-बार दरवाजे की ओर देखती थी. कुछ भी आहट होती थी तो आँखो में उम्मीद लेकर दरवाजे की ओर देखती थी कि कही रोहित तो नही.

"रोहित बहुत बुरा लग रहा है मुझे. तुम्हे बात किए बिना ही भगा दिया यहा से. पता नही क्या हो गया था मुझे. चौहान ने जो कुछ बताया तुम्हारे और उसकी बहन के बारे में वो सब सुन कर बहुत बुरा लगा. तुमने मुझे कुछ क्यों नही बताया जबकि मैने तुमसे पूछा भी था. अच्छा नही लगा ये सब सुन कर." शालिनी मन ही मन सोच रही थी.

शालिनी ने फोन उठाया और रोहित को फोन मिलाया. मगर नेटवर्क बिज़ी होने के कारण फोन मिल नही पाया. रोहित ने भी शालिनी का फोन ट्राइ किया मगर एक बार भी नंबर नही मिला.अक्सर वक्त पड़ने पर कम्यूनिकेशन नही हो पाता. ऐसा ही कुछ शालिनी और रोहित के साथ हो रहा था.

“कही मेडम ने मेरे नंबर पर डाइवर्ट तो नही लगा दिया.” रोहित ने सोचा.

………………………………………

रात ठीक 9 बजे रोहित के घर साइको को ट्रॅक करने के लिए टीम तैयार हो रही थी. राज शर्मा भी आ गया था वहाँ पद्‍मिनी को लेकर. एक तरह से एक स्पेशल टास्क फोर्स तैयार हो रही थी.

रोहित ने सभी का स्वागत किया घर पर.

“हम यहा एक ख़ास मकसद से इक्कथा हुए हैं. जैसा कि हम जानते हैं कि सहर में साइको ने ख़ौफ़ मचा रखा है. हम सभी का कभी ना कभी सामना हो चुका है साइको से. इसलिए ये हमारी मोरल ड्यूटी बनती है की उसे पकड़ने की हर संभव कोशिस करें.” रोहित ने कहा.

“मेरा कभी सामना नही हुआ साइको से” मिनी ने कहा.

“ओह मुझे लगा रिपोर्टर होने के नाते तुम भी कही ना कही टकरा गयी होहि साइको से. लेकिन एक बात सुन लीजिए. साइको बिना नकाब के रोज हम सभी के सामने घूम रहा है. वो नकाब इसलिए लगाता है अब क्योंकि वो समाज में अपनी इज़्ज़त खोने से डरता है. मिनी तुम शायद साइको से ज़रूर मिली होगी पर तुम्हे ये नही पता कि वो साइको है.”

“ह्म्म इंट्रेस्टिंग.” मिनी ने कहा.

“सर कल रात उसने बहुत अजीब किया पद्‍मिनी के घर पर. उसकी क्या एक्सप्लनेशन है…वो सिर्फ़ पैंटिंग रखने नही आएगा घर पर.?” राज शर्मा ने कहा

“इसी गुत्थी को सुलझाने के लिए हम यहा इकट्ठा हुए हैं. चलिए हम सब मिल कर सोचते हैं कि उसने ऐसा क्यों किया होगा.”

“उसे अपने विक्टिम में ख़ौफ़ फैलाने में मज़ा आता है. हो सकता है वो बस ये काम करने गया हो कल रात पद्‍मिनी के घर.” मिनी ने कहा.

“लेकिन इसके लिए उसने बहुत बड़ा ख़तरा मोल लिया. कारण ज़रूर कोई बड़ा होना चाहिए.” रोहित ने कहा.

“हो सकता है कि वो पोलीस से डर से भाग गया हो?” मोहित ने कहा.

“पर पोलीस बहुत देर से पहुँची थी. वो बहुत देर तक उपर घूमता रहा था.” राज शर्मा ने कहा.

“जो पैंटिंग वो लाया था वो भी कोई फ्रेश पैंटिंग नही थी. इसलिए ये भी नही कह सकते कि वो पैंटिंग बना रहा था उपर.” रोहित ने कहा.

“रोहित तुम सही कह रहे थे. ये ज़रूर कोई मायाजाल है साइको का. उसने ऐसा क्यों किया ये सिर्फ़ वही बता सकता है.” मोहित ने कहा.

“मायाजाल तो है पर मुझे यकीन है कि हम सब मिल कर इसे सुलझा सकते हैं.” रोहित ने कहा.

पद्‍मिनी चुपचाप बैठी सब सुन रही थी. रोहित ने उसकी तरफ देखा और बोला, “पद्‍मिनी तुम भी कुछ बोलो.हम सब यहाँ एक मकसद से इकट्ठा हुए हैं. इस से पहले की साइको हमारी आर्ट बना दे हमें उसकी आर्ट बनानी होगी. ये हम तभी कर पाएँगे जब हम उसे ढूंड लेंगे.”

“रोहित मेरे दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया है. मैने उसे देखा था और देख कर भूल गयी. अगर उसका चेहरा याद होता तो कुछ कर भी पाती…अब क्या करूँ कुछ समझ में नही आता.”

“कोई बात नही पद्‍मिनी…तुम हमारे साथ हो यहा यही बड़ी बात है हमारे लिए. कुछ भी ध्यान आए तो शेर ज़रूर करना.” रोहित ने कहा

“हां शुवर.” पद्‍मिनी ने कहा.

“हमारा प्लान ऑफ आक्षन क्या है?” राज शर्मा ने कहा.

“हमें कर्नल के घर के रहश्य से परदा उठाना है. पता करना है कि वहाँ कौन रह रहा था. ये काम मैं और मोहित करेंगे.” रोहित ने कहा.

“मेरे लिए क्या हुकुम है.” मिनी ने पूछा.

“तुम कुछ भी इन्फर्मेशन नही लाई साइको के बारे में.” रोहित ने कहा.

“जितना तुम्हे पता है उतना ही मुझे पता है. ज़्यादा कुछ मैं भी नही जानती.” मिनी ने कहा.

“लेकिन अब हमें सब कुछ जान-ना है इस बारे में. सभी एक दूसरे का नंबर ले लेते हैं. कोई भी नयी जानकारी मिलेगी किसी को तो तुरंत एक दूसरे से कॉंटॅक्ट करेंगे. और राज शर्मा तुम हर वक्त सतर्क रहना. साइको फिर से आएगा वहाँ.”

“रोहित क्यों ना पद्‍मिनी के घर के आस-पास ही हम भी एक कमरा ले लें. साइको पद्‍मिनी के पीछे है. वो वही आएगा दुबारा. हम वही उसे ट्रॅप कर सकते हैं.”

“हां ठीक कह रहे हो. कल ही ये काम कर देंगे. दिन में हम चाहे कही भी रहें पर रात को पद्‍मिनी के घर के आस-पास रहना ज़रूरी है.” रोहित ने कहा.

बाते करते करते 10:30 हो गये. सभी अपने अपने घर चल दिए. रोहित राज शर्मा और पद्‍मिनी के साथ अपनी कार ले कर चल दिया. उसे हॉस्पिटल जाना था शालिनी से मिलने के लिए. रास्ते में रोहित हॉस्पिटल की तरफ मूड गया और राज शर्मा पद्‍मिनी के घर की तरफ. रोहित चाहता था कि उन्हे घर तक छोड़ कर आए मगर राज शर्मा ने मना कर दिया, “सर मैं संभाल लूँगा. आप चिंता मत करो.”

“साइको ने सबके दिमाग़ हिला कर रखे हुए हैं.” राज शर्मा ने कहा.

“हां…उसे समझना बहुत मुस्किल काम है.”

अचानक राज शर्मा ने एक जगह जीप रोक दी.

“क्या हुआ?”

“यहा से मेरा घर काफ़ी नज़दीक है…क्या चलोगि वहाँ?” राज शर्मा ने कहा

“कही भी चलूंगी मैं तुम्हारे साथ पर मेरे साथ शालीनता से पेश आना.”

“ये पाप ही नही कर सकता मैं बाकी कुछ भी कर सकता हूँ आपके लिए.” राज शर्मा ने हंसते हुए कहा.

“अब क्या करूँ…चलना तो पड़ेगा ही तुम्हारे साथ. चलो जो होगा देखा जाएगा.”

“ये हुई ना बात. प्यार में अड्वेंचर का भी अपना ही मज़ा है.” राज शर्मा ने जीप अपने घर की तरफ मोड़ दी.

कोई 10 मिनिट में ही राज शर्मा अपने घर पहुँच गया.

“घर के नाम पर ये छोटा सा कमरा है मेरे पास. छोटा सा किचन है अंदर ही और एक टाय्लेट है. आपकी तरह महलो में नही रहा कभी.” राज शर्मा ने टाला खोलते हुए कहा.

“बस-बस ताना मत मारो. अकेले व्यक्ति के लिए एक कमरा बहुत होता है.”

“हां पर आपसे शादी करने के बाद नया घर लेना होगा मुझे.” राज शर्मा ने कुण्डी खोलते हुए कहा.

“आईए अंदर और इस घर को अपनी उपस्थिति से महका दीजिए.” राज शर्मा ने कहा.

पद्‍मिनी अंदर आई तो हैरान रह गयी, “ऑम्ग ये घर है या कबाड़खाना. सब कुछ बिखरा पड़ा है.”

“कयि दिनो से तो ड्यूटी आपके साथ लगी हुई है. यहा कौन ठीक करेगा आकर सब कुछ. मैं अभी सब ठीक करता हूँ. सारी रात यही बितानी है हमें”

“क्यों क्या अब हम घर नही जाएँगे.”

“क्या ये आपका घर नही.”

“नही वो बात नही है पर.”

“ओह हां ये आपकी हसियत के अनुसार नही है…हैं ना”

“ऐसा नही है राज शर्मा…मेरा वो मतलब नही है. हम एक साथ इस कमरे में कैसे रहेंगे.”

“क्यों कल रात हम एक साथ नही सोए थे क्या छोटे से बिस्तर पर. यहा एक साथ रहने में क्या दिक्कत है. मैं जल्दी से सफाई कर देता हूँ आप बैठिए.” राज शर्मा ने कहा.

पद्‍मिनी ने कुछ नही कहा मगर मन ही मन सोचा, “तुमसे इतना प्यार करती हूँ कि तुम्हारी कोई भी बात टाली नही जाती. उसी चीज़ का तुम फ़ायडा उठा रहे हो.”

कुछ देर पद्‍मिनी राज शर्मा को काम करते हुए देखती रही फिर खुद भी उसके साथ लग गयी. कोई 20 मिनिट में दोनो ने कमरे को एक दम चमका दिया.

“पसीने-पसीने हो गयी मैं तो…नहाना पड़ेगा अब.”

“हां नहा लीजिए…यहा पानी की कोई दिक्कत नही है. सारा दिन पानी रहता है.”

“ठीक है फिर मुझे कोई तोलिया दो मैं नहा कर आती हूँ.”

राज शर्मा ने एक तोलिया थमा दिया पद्‍मिनी को और बोला, “वैसे नहाना मुझे भी था. अगर आप इजाज़त दें तो मैं भी आ जाता हूँ आपके साथ. टाइम की बचत हो जाएगी.”

“क्या करोगे टाइम की बचत करके. सारी रात अब हम यही हैं ना. वेट करो यही चुपचाप…बदमाश कही के.” पद्‍मिनी तोलिया ले कर बाथरूम में घुस गयी.

कोई 20 मिनिट बाद वो नहा कर निकली बाहर तो राज शर्मा के होश उड़ गये.

“ऐसे क्या देख रहे हो.”

“पानी की बूँदो में भीगे हुए ये काले-काले बाल एक कामुक रस पैदा कर रहे हैं मेरे सीने में.”

“चुपचाप नहा लो जाकर…मुझे बाल सुखाने दो.”

राज शर्मा दूसरा तोलिया लेकर घुस गया बातरूम में. वो कोई 10 मिनिट में ही नहा कर निकल आया.

जब वो बाहर निकला तो पद्‍मिनी की पीठ थी उसकी तरफ और वो अपने बाल सूखा रही थी. राज शर्मा उसके सुंदर शरीर को उपर से नीचे तक देखने से खुद को रोक नही पाया. पतली कमर का कटाव देखते ही बनता था. राज शर्मा तो बस देखता ही रह गया. उसकी साँसे तेज चलने लगी. जब उसकी नज़र थोड़ा और नीचे गयी तो उसकी सांसो की रफ़्तार और तेज हो गयी. पतली कमर के नीचे थोड़ा बाहर को उभरे हुए नितंब पद्‍मिनी के योवन की सोभा बढ़ा रहे थे.

“उफ्फ मैं पागल ना हो जाउ तो क्या करूँ.” राज शर्मा ने मन ही मन सोचा.

राज शर्मा धीरे से आगे बढ़ा और दोनो हाथो से पद्‍मिनी के नितंबो को थाम लिया.

“आअहह” पद्‍मिनी उछल कर आगे बढ़ गयी. “क्या कर रहे हो…तुमने तो डरा दिया मुझे.” पद्‍मिनी गुस्से में बोली.

“रोक नही पाया खुद को. सॉरी.”

“कुछ भी कर लो पहले और फिर सॉरी बोल दो. ये बहुत अच्छा तरीका है तुम्हारा.” पद्‍मिनी ने कहा.

“हां तरीका तो अच्छा है हिहिहीही….”

“बदमाश हो तुम एक नंबर के.”

“वो तो हूँ” राज शर्मा ने हंसते हुए कहा.

पद्‍मिनी दीवार पर टाँगे छोटे से शीसे के सामने आकर अपने बाल संवारने लगी, “तुम सच में पागल हो.”

राज शर्मा ने पीछे से आकर पद्‍मिनी को दबोच लिया अपनी बाहों में और पद्‍मिनी के गले पर किस करके बोला, “पद्‍मिनी आइ लव यू.”

“आइ लव यू टू राज शर्मा पर.”

“पर क्या?”

“हम दोनो बिल्कुल अलग हैं राज शर्मा. तुम जो चाहते हो मुझसे उसमें मैं तुम्हारा साथ नही दे सकती.”

“क्या चाहता हूँ मैं ज़रा खुल कर बताओ.”

“तुम्हे सब पता है…नाटक मत करो.”

पद्‍मिनी के इतने नज़दीक आकर राज शर्मा का लिंग काले नाग की तरह फूँकारे मारने लगा था. वो अपने भारी भरकम रूप में आ गया था और पद्‍मिनी को अपने नितंबो पर बहुत अच्छे से फील हो रहा था.

“राज शर्मा प्लीज़ हटा लो इसे.”

“क्या हटा लूँ. कुछ समझ में नही आया.” राज शर्मा ने पद्‍मिनी को और ज़ोर से कश लिया अपनी बाहों में और उसकी गर्दन को चूमने लगा.

क्रमशः........................

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