Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:29 PM,
#75
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--70

गतान्क से आगे.................

अगली सुबह पद्‍मिनी जल्दी उठ गयी और अपने कमरे का टीवी ऑन किया. वो साइको की न्यूज़ सुन-ना चाहती थी. उसे पता था कि टीवी पर ज़रूर साइको की न्यूज़ चल रही होगी.

जब उसने न्यूज़ देखनी शुरू की तो राहत मिली दिल को कि साइको सच में मारा गया. मगर जब टीवी पर विजय की तस्वीर दिखाई गयी तो उसके पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी.

" ये साइको नही है" पद्‍मिनी बड़बड़ाई.

उसने तुरंत खिड़की से परदा हटा कर बाहर देखा. राज शर्मा जीप में बैठा सो रहा था. वो तुरंत भाग कर सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आई और दरवाजा खोल कर राज शर्मा की जीप की तरफ बढ़ी.

उसने राज शर्मा का कंधा पकड़ कर हिलाया.

"क...क...कौन है." राज शर्मा हड़बड़ा कर उठ गया. "पद्‍मिनी जी आप"

"वो जो मारा गया वो साइको नही है."

"क्या आपको कैसे पता चला." राज शर्मा ने हैरानी में पूछा.

"मैने अभी-अभी न्यूज़ देखी. मरने वाला साइको नही कोई और है."

"ओह नो." राज शर्मा जीप से बाहर आता है और तुरंत एएसपी साहिबा को फोन लगाता है.

"मेडम विजय साइको नही था, पद्‍मिनी जी ने अभी न्यूज़ देख कर बताया कि विजय साइको नही है."

"क्या " शालिनी भी हैरान रह गयी.

"राज शर्मा फोन दो ज़रा पद्‍मिनी को." शालिनी ने कहा.

राज शर्मा ने फोन पद्‍मिनी को पकड़ा दिया, एएसपी साहिबा बात करना चाहती हैं"

"हां पद्‍मिनी क्या राज शर्मा जो बोल रहा है वो ठीक है?"

"जी हां मेडम....जिसे मारा गया है वो साइको नही है."

"जीसस...फोन दो राज शर्मा को."

"राज शर्मा ये लो बात करो." पद्‍मिनी ने फोन वापिस थमा दिया राज शर्मा को.

"हां राज शर्मा तुम वही रूको. बाकी की तुम्हारी टीम कहाँ है."

"उन्हे तो मैने भेज दिया था रात ही आपसे बात करने के बाद."

"ठीक है मैं सभी को वापिस भेजती हूँ, तुम वही रूको और सतर्क रहो."

"आप चिंता ना करें मेडम, मेरे होते हुए यहाँ कुछ नही होगा."

"गुड." शालिनी ने फोन काट दिया.

"पद्‍मिनी जी आप अंदर जाओ, यहाँ बाहर ख़तरा है."

"हां जा रही हूँ, तुम भी ख्याल रखना अपना राज शर्मा." पद्‍मिनी कह कर वापिस अंदर आ गयी.

शालिनी ने राज शर्मा से बात करने के बाद तुरंत रोहित को फोन मिलाया.

“गुड मॉर्निंग मेडम. ”

“गुड मॉर्निंग कैसे हो.”

“ठीक हूँ मेडम , आज ड्यूटी नही आ पाउन्गा मेडम.”

“आना पड़ेगा तुम्हे, साइको अभी भी आज़ाद घूम रहा है.”

“क्या ऐसा कैसे हो सकता है.”

“ऐसा ही है, पद्‍मिनी के अनुसार विजय साइको नही था. अभी अभी बात की मैने उस से.”

“ऐसा कैसे हो सकता है ….”

“ऐसा ही है, तुम जल्दी से पहुँचो थाने, मैं भी पहुँच रही हूँ. अब सब कुछ नये सिरे से सोचना पड़ेगा.”

“आ रहा हूँ मेडम…. ……” रोहित ने मायूसी में कहा.

………………………………………………………………………………

…………………………………

“अच्छा हुआ जो कि मैं रात यही रहा. अगर विजय साइको नही था तो फिर कौन है साइको. ये बात तो और ज़्यादा उलझती जा रही है. अब टीवी पर आ रही न्यूज़ के कारण साइको और ज़्यादा चोक्कन्ना हो जाएगा.” राज शर्मा सोच में डूबा था.

पद्‍मिनी के मम्मी, डेडी कही जा रहे थे किसी काम से सुबह 10 बजे. पद्‍मिनी के दादी ने राज शर्मा से कहा, “किसी और को ही मार दिया तुम लोगो ने. क्या ऐसे ही काम करते हो तुम लोग. असली मुजरिम आज़ाद घूम रहा और एक बेकसूर को मार डाला. मेरा तो विस्वास उठ चुका है पोलीस के उपर से.”

“आप शायद ठीक कह रहे हैं मगर हम लोग भी इंसान ही हैं. ग़लती हो सकती है हम लोगो से भी.”

“तुम लोगो की ग़लती के कारण कोई बेकसूर मारे जाए, उसका क्या.”

राज शर्मा ने चुप रहना ही ठीक समझा.

“अगर मान लो ये झूठी बात सुन कर पद्‍मिनी बाहर निकलती और साइको का शिकार हो जाती तो क्या होता. वो तो शूकर है उसने टीवी पर देख लिया. वरना तो मुसीबत तो मेरी बेटी के गले पड़नी थी.”

“मैं समझ सकता हूँ…” राज शर्मा ने कहा.

“अब तुम अकेले ही हो यहाँ, कैसी सुरक्षा दे रहे हो मेरी बेटी को.”

“बाकी लोग आ रहे हैं आप चिंता ना करें. मेरे होते हुए पद्‍मिनी जी को कुछ नही होगा.” राज शर्मा ने कहा.

“हमें ज़रूरी काम से बाहर जाना पड़ रहा है. हम शाम तक लौटेंगे.”

“आप निसचिंत हो कर जायें.” राज शर्मा ने कहा.

पद्‍मिनी के डेडी और मम्मी कार में बैठ कर चले गये. उनके जाते ही 2 गन्मन और 4 कॉन्स्टेबल्स आ गये.

राज शर्मा ने 2 कॉन्स्टेबल्स और एक गन्मन घर के पीछे लगा दिए और 2 कॉन्स्टेबल्स और एक गन्मन घर के आगे. “बिल्कुल सतर्क रहना तुम लोग.” राज शर्मा ने सभी को हिदायत दी.

“रात कुछ कहते-कहते रुक गयी थी पद्‍मिनी जी. अच्छा मौका है, उनके मम्मी, पापा घर नही है. अब बात हो सकती है.” राज शर्मा ने सोचा और पद्‍मिनी के घर के दरवाजे की तरफ चल दिया. गहरी साँस ले कर उसने बेल बजाई. पद्‍मिनी ने दरवाजा खोला.

“राज शर्मा तुम…बोलो क्या बात है.” पद्‍मिनी ने गहरी साँस ले कर कहा.

“पद्‍मिनी जी आप कुछ कहना चाहती थी कल. अगर आपका मन हो तो बता दीजिए अब.”

पद्‍मिनी ने राज शर्मा को घर के अंदर नही बुलाया बल्कि खुद बाहर आ कर दरवाजा अपने पीछे बंद कर लिया. वो घर में अकेली थी इसलिए राज शर्मा को अंदर नही बुलाना चाहती थी.

“राज शर्मा एक बात बताओ.”

“हां पूछिए.” राज शर्मा ने उत्शुकता से पूछा.

“तुमने कल दूसरी बार कहा मुझे कि ‘प्यार करते हैं हम आपसे, कोई मज़ाक नही’ . क्या मैं जान सकती हूँ कि इस बात का मतलब क्या है.” पद्‍मिनी की बात में थोड़ी कठोरता थी.

“मतलब नही बता पाउन्गा पद्‍मिनी जी.” राज शर्मा ने धीरे से कहा.

“अच्छा…तुम कुछ कहते हो अपने मूह से और उसका मतलब तुम नही जानते. कितनी अजीब बात है, है ना.”

“मैं बस इतना जानता हूँ कि आपको चाहने लगा हूँ. अब इस चाहत का मतलब कैसे बताउ मैं आपको. मुझे खुद कुछ नही पता.”

“बस इतनी ही बात करनी थी मैने. जान-ना चाहती थी कि क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग़ में. कल रात तुम खिड़की में आ गये. क्या पूछ सकती हूँ कि क्यों किया तुमने ऐसा. तुमने ज़रा भी नही सोचा कि कोई देख लेता तो कितनी बदनामी होती मेरी.”

“सॉरी पद्‍मिनी जी. मैं बस आपको बताना चाहता था साइको के बारे में. एग्ज़ाइटेड था आप तक ये खबर पहुँचाने के लिए.”

“पता नही क्यों मुझे ऐसा लगता है कि तुम्हारे मन में हवस है मेरे लिए और प्यार का दिखावा कर रहे हो. याद है तुम्हे क्या-क्या बोल रहे थे तुम उस दिन मोहित के घर पर मेरे बारे में. कुछ अश्चर्य नही हुआ था मुझे वो सुन कर. ज़्यादा तर लड़को ने मेरे शरीर को ही देखा है. किसी ने मेरी आत्मा में झाँकने की कोशिस नही की. आज तुम प्यार की बात कर रहे हो. तुम्हे पता भी है कि प्यार क्या होता है. सच-सच बताओ अब तक कितनी लड़कियों से संबंध रह चुके हैं तुम्हारे और कितनो को तुम ये डाइलॉग बोल चुके हो कि ‘प्यार करते हैं आपसे हम, कोई मज़ाक नही. मुझे झुत बिल्कुल पसंद नही है. सच-सच बताना.”

“अगर सेक्स को ही संबंध कहा जा सकता है तो 10 लड़कियों से संबंध रहे हैं मेरे.”

“10 लड़कियाँ ….ग्रेट….मैने 2-3 का अंदाज़ा लगाया था. तुम तो उम्मीद से भी ज़्यादा आगे निकले मेरी. दूर हो जाओ मेरी नज़रो से.”

“पद्‍मिनी जी मगर मैने कभी किसी के लिए ऐसा प्यार महसूस नही किया जैसा आपके लिए कर रहा हूँ. मेरे दिल में कोई हवस नही है आपके लिए. आपको यकीन बेशक ना हो पर प्यार करता हूँ आपसे, कोई मज़ाक नही.”

“बंद करो अपनी बकवास तुम. 10-10 लड़कियों से तुम्हारी प्यास नही बुझी अब मेरे उपर नज़र है तुम्हारी. ये प्यार नही हवस है. सब जानती हूँ मैं. देख रही हूँ तुम्हे कुछ दिनो से. जान-ना चाहती थी की तुम्हारी मंशा क्या है. कैसे प्यार कर सकते हो तुम किसी से. तुम्हे तो बस शरीर से खेलना आता है. मेरे से बात मत करना आगे से. दुख हुआ मुझे तुमसे बात करके. मुझे नही पता था कि इतनी लड़कियाँ आ चुकी हैं तुम्हारी जिंदगी में.” आँखे नम हो गयी पद्‍मिनी की बोलते-बोलते और उसने अंदर आ कर दरवाजा बंद कर लिया.

राज शर्मा को समझ नही आया कि वो क्या करे. दरवाजा पीटा उसने, “पद्‍मिनी जी सच बोल दिया आपसे. झूठ नही बोल सकता था. प्लीज़ मेरे प्यार को हवस का नाम मत दीजिए. बात बेशक मत कीजिएगा मगर मुझे ग़लत मत समझिएगा.”

“चले जाओ तुम. एक नंबर के मक्कार हो तुम. झूठ ही बोल देते मुझसे…इतना कड़वा सच बोलने की ज़रूरत क्या थी. मुझे तुमसे कोई भी बात नही करनी है. आइन्दा मेरी तरफ मत देखना वरना आँखे नोच लूँगी तुम्हारी.” पद्‍मिनी को बहुत दुख हुआ था.

“सच बोलने की इतनी बड़ी सज़ा मत दीजिए पद्‍मिनी जी. मुझे एक मौका दीजिए.”

“मेरा 11 नंबर होगा, फिर 12 नंबर भी होगा किसी का. ये हवस का सिलसिला चलता रहेगा. दूर हो जाओ मेरी नज़रो से तुम. मुझे तुमसे कुछ लेना देना नही है. दफ़ा हो जाओ.”

“ठीक है पद्‍मिनी जी…आपकी कसम मैं दुबारा नही कहूँगा आपको कुछ भी. पर आप ऐसे परेशान मत हो. जा रहा हूँ मैं. अब आपको नही देखूँगा…ना ही कुछ कहूँगा आपको. हां मुझे नही पता कि प्यार क्या होता है. शायद हवस को ही प्यार बोल रहा हूँ मैं. मुझे सच में नही पता. पता होता तो भटकता नही अपनी जिंदगी में. आपके लायक नही था मैं फिर भी आपके खवाब देख रहा था. पागल हो गया हूँ शायद. माफ़ कीजिएगा मुझे आज के बाद आपको कभी परेशान नही करूँगा. खुश रहें आप अपनी जिंदगी में और हर बाला से दूर रहें. गॉड ब्लेस्स यू.”

“तुम ऐसे क्यों हो राज शर्मा..क्यों हो ऐसे…नही कर सकती तुमसे प्यार मैं. नही कर सकती…………” पद्‍मिनी फूट-फूट कर रोने लगी.

राज शर्मा ने सुन लिया सब कुछ मगर कुछ कहने की हिम्मत नही हुई. चल दिया चुपचाप आँखो में आँसू लिया वहाँ से. “काश आप समझ पाती मेरे दिल की बात. पर आपसे शिकायत भी क्या करूँ. मैं खुद भी अपने आप को समझ नही पाया आज तक. बहुत समझाया अपने दिल को की प्यार मत करो और फिर वही हुआ जिसका डर था. मेरी किस्मत में प्यार लिखा ही नही भगवान ने. नही कहूँगा कुछ भी अब. आपको बिल्कुल परेशान नही करूँगा. मुझे आपकी आँखो में कुछ लगता था जिसके कारण मेरी हिम्मत बढ़ गयी. वरना मैं कहा हिम्मत कर पाता आपकी खिड़की तक पहुँचने की. खुश रहें आप और क्या कहूँ….मेरी उमर लग जाए आपको……….”

पद्‍मिनी बंद रही कमरे में सारा दिन और बिल्कुल दरवाजा नही खोला. ना ही उसने खिड़की से झाँक कर देखा बाहर. राज शर्मा भी चुपचाप आँखे मिचे जीप में बैठा रहा.

शाम के कोई 7 बजे एक आदमी आया. उसके हाथ में 2 डब्बे थे. उसने राज शर्मा से पूछा, “क्या पद्‍मिनी जी यही रहती हैं.”

“हां यही रहती हैं. क्या काम है?”

“उनका कौरीएर है.” आदमी ने कहा.

राज शर्मा ने एक कॉन्स्टेबल से कहा कि तलासी लेकर इसके साथ जाओ तुम. कॉन्स्टेबल ने आचे से तलासी ली उसकी और उसके साथ चल दिया.

क्रमशः..............................
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