RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--28
गतान्क से आगे........
सुबह कामिनी की नींद खुली तो उसने पाया की वो षत्रुजीत सिंग के बिस्तर मे नंगी पड़ी है मगर उसका प्रेमी नदारद है.कल रात शत्रुजीत ने उसे 3 बार चोदा था & आख़िरी बार तो हद ही हो गयी थी.2 बार झड़ने के कारण तीसरी बार शत्रुजीत को झड़ने मे समय लग रहा था & वो करीब 25 मिनिट तक लगातार बिना रुके उसकी नाज़ुक चूत मे अपना दानवी लंड अंदर-बाहर करता रहा . इस दौरान कामिनी को होश नही वो कितनी बार झड़ी बस इतना याद था की जैसे ही उसकी चूत मे उसे शत्रुजीत के पानी का गीला एहसास हुआ उसकी चूत ने भी साथ मे 1 आख़िरी बार पानी छ्चोड़ & फिर उसके थके हुए बदन ने उसे सोने पे मजबूर कर दिया.रात की मस्त यादो ने कामिनी के होंठो पे मुस्कान खिला दी.
"..मैने कहा ना मुझे तीनो का रवैयय्या शुरू से ही नापसंद था...अंकल जे भी उनके चलते परेशान थे....वही सब टॉहने तो वो उन्हे अपने साथ बॉर्नीयो ले गये थे उस रात...इनका तो जाना तय है,अब्दुल...अच्छा चलो..ऑफीस मे बात करेंगे."
शत्रुजीत पाशा से बात कर रहा था,कामिनी को पाशा के जवाब नही सुनाई दिए मगर वो समझ गयी की वो दोनो जयंत पुराणिक के क़त्ल के वक़्त मौजूद त्रिवेणी के उन तीनो एंप्लायीस के बारे मे ही बाते कर रहे थे.वो झट से बिस्तर से उठी & अपना नाइट्गाउन पहन लिया.
"गुड मॉर्निंग.",शत्रुजीत कमरे मे आया.कामिनी ने देखा की वो दफ़्तर जाने के लिए तैय्यार था.
"गुड मॉर्निंग..सॉरी,मुझे उठने मे थोड़ी देर हो गयी.",शत्रुजीत उसके पास आ गया था & दोनो 1 दूसरे की बाहे थामे आमने-सामने खड़े थे,"कोई बात नही!मुझे भी आज थोड़ा जल्दी जाना था इसीलिए मैने तो नाश्ता भी कर लिया है.",शत्रुजीत ने उसके होंठ चूमे & अपना कोट कुर्सी से उठा लिया,"कामिनी,तुम्हे कुच्छ चाहिए तो नही?"
"नही,कपड़े & बाकी ज़रूरी समान तो मैं परसो ही ले आई थी..हां!..मगर जाने दो.."
"क्या हुआ?बोलो तो."
"वो मेक-अप का समान लाना भूल गयी थी....आज शाम को लौटते वक़्त घर से ले लूँगी."
शत्रुजीत हंसा फिर खामोश हो गया,"कामिनी..अगर चाहो तो नंदिता के ड्रेसिंग टेबल से तुम जो चाहो ले सकती हो..."
"नही..कोई परेशानी की बात नही है जीत..",मगर तभी उसके ज़हन मे 1 ख़याल कौंधा....उसने शत्रुजीत & नंदिता का कमरा जहा नंदिता का खून हुआ था पहले भी देखा था मगर 1 बार और देखने मे क्या हर्ज था,"..ठीक है..मैं देख लूँगी.."
"ओके.",शत्रुजीत ने कमरे मे बने वॉर्डरोब को खोला & 1 दराज मे से 1 चाभी निकाल कर कामिनी को थमायी,"..ये लो उस कमरे की चाभी.",वो दफ़्तर के लिए निकल गया.
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कामिनी तैय्यार हो शत्रुजीत की दी हुई चाभी से दरवाज़ा खोल कमरे मे दाखिल हुई.उसे 1 लिपस्टिक की ज़रूरत थी.ड्रेसिंग टेबल के सामने स्टूल पे बैठ के उसने उसकी दराज खोल लिपस्टिक ढूंदनी शुरू की.1 दराज मे उसे कोई 10-12 लिपस्टिक्स मिली तो कामिनी उन्हे खोल कर अपनी ज़रूरत के रंग की लिपस्टिक खोजने लगी.थोड़ी ही देर मे उसे वो रंग मिल गया.होतो पे उसे लगा जब उसने लिपस्टिक को वापस रख दराज बंद करनी चाही तो वो अटक गयी.कामिनी ने देखा की 1 लिप्स्तसिक दराज & ड्रेसिंग टेबल के बीच फँसी हुई है,उसने उसे खींच कर निकाला.
ऐसी लिपस्टिक उसने पहले कभी नही देखी थी.हल्के ग्रे कलर की बॉडी पे कही कोई नाम या लोगो नही था.उसका ढक्कन भी आम लिपस्टिक से छ्होटा था.उसने ढक्कन खोला तो पाया की अंदर भूरे रंग की लिपस्टिक भी काफ़ी छ्होटे साइज़ की है.उसने ये सोच कर लिपस्टिक घुमाई की शायद थोड़ी और स्टिक बाहर आई मगर ये क्या!..घूमने से लिपस्टिक तो बाहर नही आई बल्कि उसका नीचे का हिस्सा खुल गया & कामिनी की आँखो के सामने यूएसबी ड्राइव आ गयी....वाउ!
और क्या था इस कमरे मे.पोलीस ने सुराग के लिए पूरा कमरा छाना था मगर उनके हाथ कुच्छ खास नही लगा था & यहा कामिनी को बैठे-2 1 पेन ड्राइव मिल गयी थी!थोड़ी देर मे उसने पूरा ड्रेसिंग टेबल छान मारा मगर उसे कुच्छ और नही मिला.वो स्टूल से उठी & उसे पैर से धकेल कर ड्रेसिंग टेबल के शीशे के नीचे घुसाने लगी.ड्रेसिंग टेबल की बनावट ऐसी थी की शीशे के नीचे दोनो तरफ दराज बनी थी & उनके बीच मे स्टूल घुस जाता था.
तभी कामिनी का ध्यान स्टूल पे गया,उसने उसपे रखा कुशन उठाया तो उसके नीचे 1 ढक्कन दिखा.कामिनी ने उसे उठाया तो अंदर उसे सिंगार के समान के अलावा कुच्छ बिल्स मिले.वो उन्हे देखने लगी & 1 बिल पे उसकी निगाह अटक के रह गयी.बिल हाथो मे लिए हुए उसने कमरे की चाभी को देखा.शत्रुजीत के पूरे घर मे कस्टम मेड ताले लगे हुए थे यानी की 1 कंपनी ने उसके घर के लिए खास ताले लगाए थे & ऐसे ताले किसी और के लिए नही बनाए गये थे.कामिनी ने चाभी को गौर से देखा,करीब 3 इंच लंबी स्टील की चाभी का हेड चंदे से मढ़ा हुआ था जिसपे 1 तरफ स & दूसरी तरफ 1 लिखा हुआ था.
बिल पे उस अमेरिकन कंपनी का नाम & पता लिखा हुआ था.बिल 1 ड्यूप्लिकेट चाभी की बनवाई की फीस का था.कंपनी ने घर मे ताले इनस्टॉल करते वक़्त 2 चाभीया मुहैय्या की थी....यानी की 1 चाभी गुम हो गयी थी & उसकी जगह 1 ड्यूप्लिकेट चाभी बनवाई गयी थी.कामिनी ने कमरे के सभी शेल्फ & वॉर्डरोब छान मारा & उसके हाथ जो लगा उस से उसे नंदिता के क़त्ल की गुत्थी का 1 सिरा सुलझता नज़र आया.वॉर्डरोब मे 1 चाभियो के गुच्छे मे उसे वो चाभी मिल गयी जिसके चंदे के हेड पे 1 तरफ स & दूसरी तरफ 2 लिखा था....जब दोनो चाभीया मौजूद थी तो फिर आख़िर ड्यूप्लिकेट चाभी क्यू बनवाई गयी.कामिनी ने दोनो चाभीया,पेनड्राइव & बिल अपने पर्स मे डाला & कमरे से निकल गयी.
थोड़ी ही देर बाद कामिनी अपनी कार की पिच्छली सीट पे बैठी करण से मिलने जा रही थी.उसने अपना लॅपटॉप ऑन कर नंदिता की पेन ड्राइव लगाई.ड्राइव के आइकान पे क्लिक करते ही उसने उस से पससवाओर्ड माँगा....अब पासवर्ड कहा से लाए वो?उसने शत्रुजीत टाइप किया.मेसेज आया: इनकरेक्ट पासवर्ड.यू हॅव 4 मोरे चान्सस लेफ्ट.इफ़ यू डॉन'ट एंटर दा करेक्ट पासवर्ड थे ड्राइव विल ऑटोमॅटिकली फॉर्मॅट इटसेल्फ.
यानी की अगर ग़लत पासवर्ड डाला गया तो उसका सारा डाटा गायब हो सकता था.इस नयी उलझन से निपटने की तरकीब सोचती कामिनी की कार पोलीस थाने के अहाते मे पहुँच गयी.
उसने लॉक-अप मे कारण के पास जाने से पहले मुकुल को फोन मिलाया,"हेलो,मुकुल?"
"जी,मॅ'म."
"मैं 1 घंटे मे ऑफीस पहुचूंगी.तुम ऐसा करो की मोहसिन को बुला लो."
"ओके,मॅ'म."
कामिनी करण के पास पहुँची & थोड़ी देर तक उसका हाल पुच्छने के बाद शीना के मुद्दे पे आ गयी,"शीना ने एमबीए के पहले की पढ़ाई वही आवंतिपुर से ही की थी?"
"हां,ए.पी.कॉलेज से..एकनॉमिक्स मे ग्रॅजुयेशन कर रही थी..मगर फाइनल एअर का एग्ज़ॅम उसने थोड़ा देर से दिया था."
"क्यू?"
"वो बीमार पड़ गयी थी."
"ओह.क्या हुआ था?"
"पता नही.इस बारे मे कभी उसने तफ़सील से बताया नही."
"तुम दोनो का रिश्ता कैसे शुरू हुआ?"
"उसकी बुआ & मेरी चाची की कोशिशो की बदौलत.दोनो चाहते थे की हम 1 हो जाएँ इसीलिए हमे हुमेशा किसी ना किसी बहाने से मिलाते रहते थे."
"करण,तुम्हारे & शीना के बीच सब ठीक तो चल रहा था ना?"
"हा,क्यू?"
"नही,वो अचानक इस तरह लंडन से यहा आ गयी-.."
"-वो तो मुझे सर्प्राइज़ देने के लिए उसने ऐसा किया था."
"अच्छा,तुम यहा थे & वो वाहा लंडन मे,फिर तो दोनो को 1 दूसरे के लिए बड़ी बेताबी होती होगी?"
"हां,रोज़ाना ही हम फोन पे बाते करते थे."
"अच्छा,कैसी बाते करते थे तुमलोग..आइ मीन कभी फोन पे झगड़ा वग़ैरह तो नही हुआ?"
"नही!नही!..बल्कि हम तो-..",कुछ कहते हुए करण रुक गया & ज़मीन की ओर देखने लगा.
"बोलो,करण.",कामिनी ने उसके हाथ पे अपना हाथ रखा.
"हम फोन पे हर तरह की बाते करते थे..",थोड़ी देर बाद उसने अपनी चुप्पी तोड़ी,"..यहा तक की...यहा तक की....फोन सेक्स भी."
"ओह!",यानी इनका रिश्ता तो अच्छा जा रहा था मगर..तभी 1 और इंसान की आहट ने कामिनी के ख़यालो का सिलसिला तोड़ दिया.कामिनी ने सर घुमाया तो 1 बुज़ुर्ग इंसान खड़े थे,"हेलो,मैं करण का चाचा संजीव मेहरा हू & आप शायद आड्वोकेट कामिनी शरण हैं?"
"जी,हां.नाइस टू मीट यू.",कामिनी उठ खड़ी हुई,"ओके.करण मैं चलती हू."
"करण,मैं ज़रा वकील साहिबा को छ्चोड़ कर आता हू,फिर हम बाते करेंगे."
"ठीक है,चाचजी."
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