RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
उधर घड़ी ने 12 बजाए & इधर रश्मि ने कामिनी को इंटरकम पे शत्रुजीत सिंग के आने की खबर दी.आदमी वक़्त का पाबंद था & ये बात कामिनी को बहुत अच्छी लगी.वक़्त की कद्र ना करने वालो से उसे बहुत चिढ़ होती थी. दरवाज़ा खुला & शत्रुजीत सिंग 2 और लोगो के साथ उसके कॅबिन मे दाखिल हुआ,"हेलो,मिस.शरण." "हेलो,मिस्टर.सिंग & यू कॅन कॉल मी कामिनी.प्लीज़ बैठिए.",उसने खड़े होकर उसके साथ आए बाकी 2 लोगो का भी सर हिला के अभि वादन किया & अपने डेस्क के दूसरी तरफ रखी कुर्सियो की तरफ इशारा किया. "थॅंक यू.",शत्रुजीत & उसके साथ आए दो लोगो मे से बुज़ुर्ग सा दिखने वाला शख्स तो बैठ गया पर वो तीसरा आदमी खड़ा ही रहा."ये हैं मिस्टर.जयंत पुराणिक,हमारे ग्रूप को यही चलाते हैं.मैं तो बस नाम का मलिक हू,ग्रूप की असली कमान तो अंकल जे के हाथो मे है." "हेलो,सर.",कामिनी ने पुराणिक की ओर देखा,वो 1 50-55 बरस का शख्स था जिसके बॉल पूरे के पूरे सफेद हो चुके थे.चेहरे पे 1 बहुत सौम्य मुस्कान थी.ग्रे सूट & नीली शर्ट मे बैठे पुराणिक को देख कामिनी को ऐसा लगा जैसे कि वो 1 यूनिवर्सिटी प्रोफेसर के सामने बैठी है.उसे वो 1 निहायत ही शरीफ & समझदार इंसान लगा. "हेलो,मिस.शरण.",जवाब मे पुराणिक मुस्कुराए. "..और ये है पाशा,अब्दुल पाशा,मेरा छ्होटा भाई..",कामिनी चौंकी पर उसने अपने चेहरे पे कोई भी ऐसा भाव आने नही दिया...दोनो अलग-2 मज़हब के थे और भाई!पर खैर उसे क्या करना था इस बात से.. "हेलो,मिस्टर.पाशा.",उसने उस इंसान की तरफ देखा.25-26 साल का बहुत गोरा,खूबसूरत जवान,उसके बॉल गर्दन तक लंबे थे & चेहरे पे हल्की दाढ़ी थी.कद तो शायद शत्रुजीत से भे 2-3 इंच ज़्यादा ही था & बदन भी उसी के जैसा कसरती.उसने सफेद शर्ट & डीप ब्लू जीन्स पहन रखी थी.शर्ट की बाज़ुएँ कोहनियो तक मूडी थी & उसकी मज़बूत बाहे सॉफ दिख रही थी. कामिनी 1 बेहद निडर लड़की थी पर पाशा को देख उसे थोडा डर महसूस हुआ.कारण था पाशा की हरी आँखें-झील के रंग की आँखे.पर किसी बर्फ़ीली झील की तरह बिल्कुल ठंडी थी वो आँखे,लगता था जैसे खून जमा देंगी. "हेलो.",पाशा ने जवाब दिया. "कहिए क्या काम आ पड़ा मुझसे?" "कामिनी जी,मैं आपके पास 1 रिक्वेस्ट करने आया हू." "हां,हां.कहिए.",उसका चपरासी कोल्ड ड्रिंक के ग्लास लाकर टेबल पे रख रहा था.उसने उस खड़े हुए शख्स को भी 1 ग्लास दिया पर उसने सर हिलाकर मना कर दिया. "मैं चाहता हू कि आप हमारे ग्रूप की लीगल आड्वाइज़र बन जाएँ." "पर चंद्रा सर तो ऑलरेडी आपके आड्वाइज़र हैं?" "आपको शायद याद नही,कामिनी.मैने उस दिन पार्टी मे आपसे कहा था कि उनकी तबीयत अब ठीक नही रहती तो वो अब हमारे केसस नही देख पाते.आपका नाम भी उन्होने ही हमे सुझाया है." "अगर सर ने कहा है तब तो मैं मना नही कर सकती पर फिर भी मुझे 2 दिन की मोहलत दीजिए थोड़ा सोचने के लिए." "ज़रूर.टेक युवर टाइम...तो हम चले?आप फ़ैसला लेके मुझे खबर कर दीजिएगा." "ओके,मिस्टर.सिंग & आइ मस्ट से आइ'एम होनोरेड बाइ युवर ऑफर." "थॅंक यू,कामिनी.",शत्रुजीत ने अपना हाथ आगे किया तो कामिनी ने उसे थाम लिया.1 बार फिर उस बड़े से हाथ मे उसका कोमल हाथ खो गया & उसके बदन मे झुरजुरी सी दौड़ गयी. "खुश रहो,बेटी.आओ बैठो",कामिनी ने आड्वोकेट संतोष चंद्रा के पाँव च्छुए.षत्रुजीत के जाने के बाद ही उसने फ़ैसला कर लिया था कि आज वो चंद्रा साहब से मिलने उनके घर ज़रूर जाएगी. "आंटी कहा हैं,सर?",कामिनी सोफे पे बैठ गयी. "मैं यहा हूँ,आज याद आई हमारी !",चंद्रा साहब की पत्नी ड्रॉयिंग हॉल मे दाखिल हुई तो कामिनी ने उठ कर उनके भी पाँव च्छुए. "जीती रहो.",उसका हाथ पकड़ उन्होने बड़े सोफे पे उसे अपने साथ बिठा लिया. "सॉरी,आंटी.सोच तो बहुत दीनो से रही थी पर हुमेशा कुच्छ ना कुच्छ काम बीच मे आ जाता था.मुझे भी बहुत बुरा लग रहा था कि मैं अभी तक सर का हाल पुच्छने नही आ सकी." "मेरा हाल क्या पूच्छना,बेटी.बुढ़ापे मे ये सब तो लगा ही रहता है.और अपनी आंटी की बातो पे ज़्यादा ध्यान मत दो,मैं समझता हूँ तुम्हारी परेशानी." "हां भाई.अपनी आंटी की बात पे नही केवल अपने सर की बात पे ध्यान देना!"चंद्रा साहब & कामिनी हँसने लगे. "कामिनी,आज का खाना तुम यही खओगि.",नौकर शरबत & कुच्छ नाश्ता रखा गया था.म्र्स.चंद्रा ने कामिनी लो शरबत का ग्लास बढ़ाया. "नही,आंटी.आप बेकार मे परेशान होंगी." "चुप चाप से बैठी रह!इतने दिन बाद आई है & बस 5 मिनिट मे भागना चाहती है.ज़्यादा नखरे करेगी तो फिर सवेरे के नाश्ते के बाद ही जाने दूँगी.",1 बार फिर ड्रॉयिंग हॉल मे हँसी का शोर गूँज उठा. "तो शत्रुजीत ने तुम्हे ऑफर दे ही दिया?",चंद्रा साहब दोनो औरतो के साथ खाने की मेज़ पे बैठे थे & नौकर सबको खाना परोस रहा था. "..उसने ठीक कहा कामिनी,मैने ही उसे तुम्हारा नाम सुझाया था." "सर,मैने इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी आज तक नही उठाई है.1 पूरे बिज़्नेस हाउस को क़ानूनी मशविरे देना..मुझे नही लगता मैं ये कर पाऊँगी.",रीमा ने 1 नीवाला मुँह मे डाला. "हर बड़े काम के पहले ऐसा ही लगता है,बेटी.पर ये इस बात का इशारा होता है कि हम उस काम को करते वक़्त पूरी तरह से मुस्तैद रहेंगे कि कही हमसे कोई ग़लती ना हो जाए.कुच्छ लोग इस घबराहट के मारे काम को हाथ नही लगाते पर वो चंद लोग जो इस घबराहट के बावजूद काम करने का बीड़ा उठाते हैं,वो ज़रूर कामयाब होते हैं." "सर,मैं आपकी बात मान कर शत्रुजीत सिंग को हाँ तो कर दू,लेकिन मैं उसके बारे मे बिल्कुल नही जानती कि आख़िर वो किस तरह का इंसान है & उसके काम करने का ढंग कैसा है." "मुझे तो वो 1 नंबर का अय्याश लगता है,इतने शरीफ बाप का ऐसा बिगड़ा बेटा!",म्र्स.चंद्रा कामिनी के प्लेट मे थोड़ी सब्ज़ी डालते हुए बोली. "वो उसकी ज़ाति ज़िंदगी है,उस से उसके वकील का क्या लेना-देना,भाई!",चंद्रा साहब ने पानी का घूँट भरा,"..कामिनी,मैं अमरजीत सिंग को काफ़ी करीब से जानता था,वो 1 बहुत शरीफ & सच्चे इंसान थे.देखो,इतना बड़ा बिज़्नेस चलाने मे 1 इंसान को नियमो को तोड़ना नही मरोड़ना पड़ता है,वो भी करते थे मगर फिर भी मैं यही कहूँगा की वो 1 ईमानदार & सच्चे इंसान थे." "मैं आपका मतलब नही समझी." "बेटी,अगर नियमो को तोड़ेंगे तो आज नही तो कल सज़ा भी भुगतनी पड़ेगी,है ना?" कामिनी ने हां मे सर हिलाया. "
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