Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:31 PM,
#33
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
साँझ ढलने लगी थी तपता सूरज अब ठंडा हो रहा था उसकी लालिमा में मेरे अरमान अपने सवालों का जवाब तलाश रहे थे नीनू बोली- अब मैं चलती हूँ कल तुम फ़ोन करना फिर मैं बताउंगी मैं- ठीक हैं उसने ऑटो पकड़ा और चली गयी मैं भाग कर वापिस गया और एक जोड़ी पायल पिस्ता के लिए खरीद ली वो भी मुझसे कही ना कही जुड़ गयी थी , ये और बात थी की कुछ बाते बस बाते ही थी उनका कोई मतलब नहीं था कुछ एर के लिए मैं कही खो सा गया था सोचने लगा की वो मेरी ज़िन्दगी में कहा फिट होती है कुछ बातो का अंजाम तक पंहूँचा भी तो जरुरी होता हैं 



दिल में एक तीस सी लगने लगी पिस्ता से मिलने की ललक सी उठी पर अब वो कहा मैं कहा था मैंने सोचा क्या उसके घर फ़ोन करू पर फिर ये ख्याल भी कुछ जंचा नहीं चला था मैं जो खुद को तलाशने इस राहे सफ़र पर लोग मिलते गए मैं उलझ ता गया , पूरा दिन हंसी ख़ुशी बीता था मेरा पर अब ये शाम की उदासी अपना असर दिखाने लगी थी मुझ पर ये पता नहीं क्या बात थी मेरे साथ पता नहीं कौन सा दुःख था जो कभी दूर होता नही थी जिंदगी एक हसीं साए की तरह बाहे फैलाये खड़ी थी मेरे इस्तकबाल के लिए बस मुझे ही कदम बढ़ाना था 



सिटी बस के धक्के खाते हुए थका हारा मैं मास्टरनी के घर पंहूँचा और बिस्तर पर पड़ गया 


रति- कैसा दिन बीता तुम्हारा , थके हाल लगते हो 


मैं- दिन तो मस्त बीता एकदम जिंदगी में पहली बार खुली हवा में साँस जो ली, पर थक भी बहुत गया हूँ, 


वो- नाहा लो तब तक मैं तुम्हारी लिए चाय बनाती हूँ 


मैं- ठीक है जी 


पसीने से भीगे शरीर पर जो ठंडा पानी पड़ा तो कसम से लगा की ज़िन्दगी के सबसे बड़े सुख को पा लिया हैं काफ़ी देर तक खूब मल मल कर नहाया रूह तक ताजगी का एहसास हो गया मुझे , फिर रति के हाथो से बनी मस्त अदरक वाली चाय मजा आ गया 



चाय पीने के बाद मैंने पूछा- डॉक्टर को फिर से दिखाया क्या 

वो- ना, 

मैं- तो ठीक है चलो फिर अभी चलते है 

वो- पर अभी कैसे चल सकते है 


मैं- काम तो होता रहेगा उसने वैसे भी तीन दिन का कहा था जल्दी से तैयार हो जाओ चलते है अभी के अभी 



तो करीब आधे घंटे बाद पब्लिक ऑटो में एक दुसरे से सटे हुए हम हिचकोले खाते हुए जा रहे थे रति ने एक ढीला सा सूट डाला हुआ था नार्मल सा बस चेकअप ही तो करवाना था शाम का समय लोगो के घर आने का टाइम थोड़ी सी भीड़ मैं सरका उसकी ओर हमारे पाँव एक दुसरे से सटे हुए रगड़ खाए मेरे मन में कुछ कुछ होने लगा अब मन पर किसका जोर वो तो कभी भी बहक जाये उसको क्या लाज शर्म मेरी कोहनी उसकी छातियो से हल्का हल्का सा छु रही थी इसका अहसास उसको भी था ऊपर से ऑटोवाले ने एक सवारी को और एडजस्ट करने को कहा थोडा बहुत सरकम सरकाई हुई मैं और सरका उसकी और उसकी मांसल जांघो से मेरी टाँगे उलझने लगी रति ने अपना हाथ मेरे घुटने पर रख दिया 


मैंने- पूछा कोई परेशानी 


वो- नहीं और मुस्कुराई 

मेरे शारीर में उन हरकतों से गर्मी बढ़ने लगी सफ़र अपनी जगह पर मेरे दिमाग में कुछ और ही चलने लगा मैं थोडा सा बहकने अलग और बार बार अपनी कोहनी से उसके बोबो को टच करने लगा थोड़ी देर बाद ऑटो ने ब्रेक लगाये तो मैंने अपने हाथ से उसकी कोमल जांघ को दबा दिया पर उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया मेरे दिल का चोर थोडा सा गुस्ताख होने लगा 



ऑटो फिर से चल पड़ा पर मैंने अपना हाथ उसकी जांघ से नहीं हटाया बल्कि थोडा थोडा सा उसको सहलाता रहा रति के चेहरे पर काफ़ी तरह के भाव आते जा रहे थे जिन्हें मैं समझने की कोशिश करने लगा ये छोटे मोटे सफ़र भी अक्सर कुछ ऐसे काम कर दिया करते है जो हमेशा हमे याद रहते है अब जो मैंने उसकी जांघ को थोडा सा दबाया तो उसने फ़ौरन अपना हाथ मेरे हाथ पर रखा और थोडा सा दबा दिया कठोरता से .
मेरी तो जैसे साँस ही रुक गयी उसने अपना हाथ वैसे ही रखा उसके बाद मैंने कुछ नहीं किया और ख़ामोशी से बैठा रहा कुछ देर बाद नर्सिंग होम आया , हम उतरे , डॉक्टर ने चेक वगैरा किया कुछ खास था नहीं ज़ख्म भरने में टाइम तो लगना ही था एक दो दवाई और जोड़ दी करीब घंटे भर बाद हम फारिग हुए बड़े शहरों की रात हम वहा से थोड़ी दूर पैदल ही आ गए एक जगह पर आइसक्रीम वाला खड़ा था रति बोली- आओ कुल्फी चखते है और हम वहा पर पहुँच गए 


वो काफी रिलैक्स लग रही थी उसके चेहरे को छूती जुल्फे जिन्हें वो बार बार साइड में करती थी कुल्फी चखते हुए मेरा ध्यान उसके नरम होंठो पर था जो कुल्फी की मलाई से सने हुए थे ऐसे लग रहा था जैसे की उन से ही मलाई टपक रही हो मेरा चंचल मन मचलने लगा वैसे ही काफ़ी दिनों से अपना काम हुआ नहीं था ऊपर से चढ़ती जवानी हाल मेरा बुरा करू तो क्या करू गाँव में होता तो पिस्ता थी बिमला थी पानी निकाली का जुगाड़ था अपने ख्यालो में कुछ ज्यादा ही खो गया था मैं कुल्फी कब पिघल कर नीचे गिर गयी पता ही नहीं चला तन्द्रा तब टूटी जब रति ने मुझे हिलाया कहा खो गए तुम देखो कुल्फी भी ख़राब हो गयी रुको मैं एक और लेती हूँ तुम्हारे लिए 
मैं- नहीं कोई जरुरत नहीं पर वो कहा सुनने वाली थी मेरी 

एक बार फिर से हम चलने लगे की उसने पूछा- गर्लफ्रेंड की याद आ गयी थी क्या 
मैं- मेरी गर्लफ्रेंड है ही नहीं 
वो- तो फिर किसके ख्यालो में खो गए थे 
मैं- कहा खोया था मैं कही भी तो नहीं 

वो-झूट क्यों बोलते हो , कही तुम्हारी उसी दोस्त की याद तो नहीं आ गयी जिसके साथ आये हो 
मैं- ना 
वो- पर किसी का तो ख्याल था ही 
मैं- वो तो बस ऐसे ही 
वो- ओह कम ओन्न बता भी दो न देखो चेहरे का रंग कैसे उड़ गया हैं तुम्हारा 

मैं- बस ऐसे ही कुछ याद आ गया था 
वो- वो ही तो मैं पूछ रही हूँ की क्या याद आ गया , अगर मुझे अपनी दोस्त मानते हो तो फिर बता भी दो वर्ना मैं ये समझूंगी की तुम मुझे दोस्त नहीं समझते हो 
मैं उलझा उसकी बातो में 
मैं- कही सुनकर तुम नाराज ना हो जाओ 
वो- नहीं होउंगी 
मैं- पक्का 
वो- हां बाबा पक्का 
मैं- वो दरअसल जब तुम कुल्फी चख रही थी तो मेरा ध्यान तुम्हारे होंठो पर चला गया था 
रति एक पल के लिए शॉक हो गयी पर फिर बोली- तो क्या ओब्सेर्व किया तुमने 
मैं- तुम बहुत खूबसूरत हो 
वो- हम्म , क्या सच में 
मैं- तुम्हे नहीं पता क्या 
वो- अगर ऐसा हैं तो मेरे पति मेरी तरफ क्यों नहीं देखते 
मैं- मैं कुछ नहीं कह सकता तुम लोगो के आपस का मामला है तुम्ह ही बात करनी होगी 
वो- तुम मेरे पति होते तो तुम्हारा क्या नजरिया होता 
मैं- मैं कैसे कह सकता हूँ 
वो- क्यों नहीं कह सकते जब तुम मेरी खूबसूरती को निहार सकते हो उसके बारे में बात कर सकते हो फिर ये इमेजिन करने में क्या दिक्कत हैं 
मैं- दिक्कत हैं क्योंकि मैं नहीं जानता की उनकी सोच किस तरह से हैं मेरा मतलब हर व्यक्ति के विचार अलग अलग होते है जैसे की देखो मुझे तुम्हारे लम्बे बाल पसंद है जबकि किसी को तुम छोटे बालो में पसंद आओगे 
वो मेरे हाथ को थामते हुए, एक बार इमेजिन तो करो ना अच्छा चलो तुम्हारे तरीके से तो बताओ 
मैं- किस तरीके से बताऊ, मैं तुम्हे जानता ही कितना हूँ 
वो- अच्छा जी तो किसी अजनबी को उस तरह की नजर से देख सकते हो लड़की को ताड़ लो एक्सरा कर लो उसका अपनी निगाहों से वो ठीक है पर जब कोई डायरेक्ट पूछ ले तो बोलती बंद हो गयी 

मैं- देखो तुम मेरी बात समझ नहीं रही हो 
वो- तुम मेरी बात समझो , देखो ऐसा मान लो की मैं ही वो लड़की हूँ जिसकी तलाश हैं तुम्हे इस से तुम्हारे लिए थोडा आसन होगा 
मैं- उलझाओ न मुझे इन बातो के तार में 
वो- सच में 
मैं- देखो मुझे नहीं पता की वो कौन होगी कैसी होगी जो मेरे दिल को धड़का पाएगी और फिर कहा आसन होता है अगर कोई पसंद भी आ जाये तो उसको अपना बना लेना अपने चाहने ना चाहने से क्या हो 
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:31 PM

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