non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्रेम कहानी )
12-27-2018, 01:42 AM,
#15
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
अब वहाँ का महॉल ये था, एक लड़का चोट खाया नीचे पड़ा, अंकित बाइक के साथ गिरा था और सैली बगल मे खड़ी, अपनी हताश मे बढ़ी साँसों को काबू मे करती दिख रही थी, कि हो क्या गया.


गौरव मन मार कर रह गया, गिरना सैली को भी था पर गिरी नही बच गयी. नेनू और गौरव दोनो दूर से बस देख रहे थे, प्लान का 25% पार्ट फैल हो गया था, खैर अब बारी थी नेक्स्ट स्टेप की.


जैसे ही लड़के को टक्कर लगी, 20/25 इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स ने दोनो को घेर लिया. नेनू और गौरव इस समय बिल्कुल पिक्चर से बाहर थे और पूरी प्लॅनिंग एक्सेक्यूशन उनके एक दोस्त अमित के हाथ मे थी.


सब मारने को तैयार थे अंकित को, ऐसा दिखावा कर रहे थे हालाँकि, और सैली, अंकित का बचाव कर रही थी. मामले को सीरीयस बनाते हुए एक लड़के ने अंकित का गिरेवान पकड़ कर खींच कर एक थप्पड़ जड़ दिया.


सैली गुस्से मे पागल हो गयी, अंकित को भी बहुत गुस्सा आया, क्योंकि ग़लती अंकित की ज़रा भी नही थी, पर मामला आक्सिडेंट का था और अंकित असहाय लड़कों के बीच फँसा. तभी बीच-बचाव मे अमित आ गया. अमित ने पहले सबको साइड हटने का इशारा किया.


अमित की बात मानकर सारे लड़के गुस्से भरी नज़र से अंकित को देखते हुए साइड हो गये. बेचारा अंकित, एक तो बाइक से गिरने की चोट उपसर से एक थप्पड़. खैर, अब अमित कमान संभालता पहले अंकित से माँफी माँगा. और कहा...


"सॉरी बॉस, आक्सिडेंट देख कर ये लोग कंट्रोल मे ना रह सके. आप की कोई ग़लती नही है आप जाइए यहाँ से. और प्लीज़ जल्दी जाइए, क्योंकि आक्सिडेंट का मामला है कुछ भी हो सकता है"


अंकित ने अहसान भरे शब्दों मे थॅंक्स कहा और वहाँ से सैली को लेकर जल्दी से निकला. चोट खाए लड़के के हाल का जायज़ा लिया गया, थोड़ा बहुत छिला था बस, बाकी लड़का तंदुरुस्त और रेस मे दौड़ने के लायक था.


उनके जाने के बाद नेनू और गौरव बाहर आए, एक विजयी मुस्कान के साथ, अपनी छाती चौड़ी किए. एक को गिरेवान पकड़ने का सबक मिल चुका था, अब बारी दूसरे की थी.

विजयनगर चौराहे से सभा टूटी, आज गौरव काफ़ी खुश था. उसकी खुशी का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता था, कि आज उसने अपने महीने के खर्च के पैसों मे से 5000 निकाल कर दोस्तों को पार्टी देने मे लगा दिए.


इधर अंकित और सैली जैसे ही वहाँ से निकले, सीधे अपने घर गये. दोनो मे से कोई कॉलेज जाने की स्थिति मे नही था. आज बाल-बाल बचे थे दोनो, नही तो आक्सिडेंट के केस मे, एक्सीडेंट करने वाले का क्या हाल होता है ये भली-भाँति समझते थे दोनो. 


अंकित के घर मे सैली ने सुबह की घटना बता दी. अंकित को तेज बाइक चलाने के लिए डाँट पड़ी और तय ये हुआ कि अंकित, सैली के साथ उसकी स्कूटी से कॉलेज जाएगा. अंकित के पेरेंट को अब गवारा नही उसका बाइक चलाना. 


अंकित पर तो ज़ुल्म पर ज़ुल्म आज हो रहा था. सैली, अंकित पर लगा ये अनोखा प्रतिबंध सुनकर काफ़ी हंस रही थी, और अंकित अंदर ही अंदर काफ़ी चिढ़ रहा था. शाम तक सारे दोस्त भी अंकित के घर पहुँचे. मामलात के बारे मे जानकार सब ने भगवान का सुक्रिया अदा किया कि बच गये.


विवेक ने तो अमित की तारीफों के पुल बाँध दिए, क्योंकि उसका मान'ना था, किसी राहगीर को भी धक्का लगे तो लोगों की भीड़ मे फँसे उस आक्सिडेंट करने वाले को बक्श्ते नही, फिर तो ये इंजीनियरिंग के स्टूडेंट थे. अमित इन लोगों की नज़रों मे किसी हीरो की तरह उभरा.


अगले दिन से ही जिंदगी सामान्य थी. सैली के साथ अब अंकित था उसकी स्कूटी पर, और सैली, अंकित का मज़ाक उड़ाती रास्ते भर हँसते हुए जा रही थी कि "देखा तेरी बाइक छुड़वा दी ना, अंकल आंटी को बोलकर, क्या बोला था, मैं लड़का हूँ लड़की के पिछे बैठना मेरी तौहीन है, अब रोज ये तौहीन तू सह"


अंकित बेचारा चुप-चाप अपना मुँह लटकाए सफाई मे इतना ही कहा.... "तेरी आग लगाई है घर मे, वरना जानती तू भी है मेरी कोई ग़लती नही थी. अब कोई एकदम से बाइक के आगे कूद आए मरने के लिए, तो चलाने वाले का क्या कसूर".


सैली.... कुछ भी हो, पर ग़लती तो लोग चलाने वाले को ही देते हैं. और मोटू तुमने ग़लती की अब सज़ा भुग्तो.


दोनो चल दिए कॉलेज, अपनी खींचा-तानी वाली बातों को आगे बढ़ाते हुए. दो तीन दिन मे सब भूल भी गये कि कोई ऐसी घटना भी हुई थी.


आक्सिडेंट के तकरीबन चार पाँच दिन बाद, अंकित को कॉलेज मे वही अमित दिख गया जिसने उस दिन इसे वहाँ से निकाला था. अंकित अमित के पास पहुँच कर, एक बार फिर थॅंक्स कहा और उसके कॉलेज आने का कारण पुच्छने लगा.


अमित..... कुछ नही भाई, बस यहाँ कुछ पेपर सब्मिट करने थे, इसलिए चला आया. तुम सूनाओ, उस दिन चोट तो ज़्यादा नही लगी थी.


अंकित ने "ना" मे जबाव देता हुआ उसे अपने सारे दोस्तों से मिलाने चला आया. सबने अमित का अभिवादन किया, और उस दिन की घटना मे अंकित को निकालने के लिए सुक्रिया अदा भी किए.


कुछ समय उनके पास बिताने के बाद, अमित वहाँ से वापस हॉस्टिल लौट आया, जिसका इंतज़ार हॉस्टिल के लड़के पहले से कर रहे थे.


अमित, नेनू के कमरे मे आकर, महफ़िल को जाय्न किया और अपनी रिपोर्ट देने लगा...


"भाई तीर निशाने पर है, उनलोगों ने अपने फ्रेंड सर्कल से मुझे मिलवाया, पर मैने ऐसा ज़ाहिर होने दिया जैसे पहली मुलाकात है, और बस दो-चार लाइन बात कर के चला आया.


नेनू... वो सब तो ठीक है, पर ये बताओ अपना काम कबतक होगा.


अमित... भाई दो तीन रॅंडम मुलाकात के बाद, जब हम थोड़े और क्लोज़ होंगे फिर अपना काम भी हो जाएगा


नेनू..... पहले सब सुनो हरामखोरो, एक तो ये कि अभी कोई हूटिंग किया तो मैं उसका यहाँ जीना हराम कर दूँगा, और दूसरी ये कि यदि ये बात लीक हुई तो उल्टा टाँग दूँगा सबको. और अमित, जितनी बातें अभी जिस कॉन्फिडेन्स से किए हो, काम वैसा ही होना चाहिए. इन्हे भी तो पता चले कि बेज़्जती क्या होती है.


नेनू के इस बदले सुर ने सबको चौंका दिया, क्योंकि नेनू बहुत कम ऐसे सीरीयस होता है पर जब कभी होता है, मतलब सब चुप-चाप काम करदो वरना क्लास तो सबकी पक्की है. शायद उसके मज़किया अंदाज से किसी ने ये तय नही किया था कि नेनू उस दिन की बात को लेकर कितना सीरीयस है. पर आज जिस तरह से उसने अमित को कड़े शब्दों मे हिदायत दिया, मॅटर की सीरीयसनेस को सब ने भापा.


गौरव.... नेनू आराम से, अमित कर रहा है अपना काम. और ये कैसे बोल दिया जो कहा है वो कर, भाई जाने दे, वो तो कोशिस ही करेगा ना.


नेनू... नही, इसने जिम्मा लिया है ये करेगा. क्रेज़ीबॉय हँसी मज़ाक अपनी जगह, पर कोई तुम्हारा गिरेवान पकड़ कर भरी सभा मे, ना सिर्फ़ तुम्हे बल्कि पूरे परिवार को घसीटे, और उसे ऐसे ही सिर्फ़ इसलिए जाने दूं, कि अपना ही एक साथी ठीक से काम को अंजाम नही दे सका. नोप, अमित ने ज़िम्मेदारी लिया है तो उसे करना ही होगा.


बदले महॉल को भाँपते हुए, अमित ने एक बार फिर नेनू को अस्वासन दिया "कैसे भी कर के काम हो ही जाएगा".


अगले दिन सम को जान-पहचान बढ़ाने के हिसाब से अमित, सैली की कॉलोनी के पार्क पहुँच गया. सैली हर शाम अपने पेट के साथ आधे घंटे आती थी. सैली अपने टाइम के हिसाब से पहुँची और पार्क मे अमित को देख उसके पास पहुँच गयी.


अमित... व्हाट अन को-इन्सिडेंट, आप यहाँ कैसे सैली जी


सैली.... उन्न्ञणन्, मिस्टर. आप यहाँ मेहमान है, और ये हमारी कॉलोनी की पार्क है. सच सच बताओ यहाँ क्यों आए हो.


अमित को एक पल लगा कि जैसे सैली को सब खबर लग चुकी हो, थोड़ा घबराया वो जबाव देने लगा.... नही, मैं वो थोड़ा सा रेस्ट कर रहा था. यहीं से गुजर रहा था तो पार्क मे आकर बैठ गया. आप को अच्छा ना लगा हो तो जा रहा हूँ.


सैली... हहे, सुनिए मज़ाक कर रही थी, मैने सोचा क्यों ना आप को थोड़ा डराया जाए. किसी से मिलने आए थे क्या ?


अमित.... हां, इधर आरबी कॉलोनी मे अपना एक दोस्त रहता है, उसी के पास आया था. 


सैली.... अच्छा है इसी बहाने आप से मुलाकात भी हो गयी. हम भी यही रहते हैं, वो मेरा मकान है, और वो जो ग्रीन कलर का घर देख रहे हैं, वो अंकित का है. आप रुकिये मैं अंकित को कॉल करती हूँ.


सॅली कॉल लगाती हुई..... उधर से अंकित कम रेस्पॉंड ... हेलो सैली


सैली.... मोटू पार्क आ जा अमित जी हमारी कॉलोनी मे आए हैं. 


इतना बोल कॉल ड्सिकनेक्ट कर दी....


अमित... ये मोटू कौन है


सैली... हहे, हम अंकित को मोटू बुलेट हैं


अमित... लेकिन वो तो फिट है, कहीं से भी मोटा नही लगता


सैली.... अभी ना फिट है, वो तो अंकल-आंटी ने उसे जबर्जस्ती एक्सर्साइज़ करवा-करवा के बना दिया है, वरना कुछ साल पहले तक तो छोटा हाथी था.


अमित... हा हा हा, छोटा हाथी


अंकित... क्या हुआ, किस बात पर इतनी हँसी आ रही है अमित भाई


सैली... छोटा हाथी पर, और किस पर


अंकित... सैली मैं तेरा सर फोड़ दूँगा, अमित भाई एक नंबर की झूठी है, विस्वास नही कीजिएगा इसकी बातों पर. मैं जैसा हूँ सुरू ही वैसा ही हूँ.


तीनो के बीच बातें होती रही, फिर अंकित ने अपना नंबर भी दिया अमित को और सब अपने अपने घर वापस हो गये.

दो-तीन दिन तक अक्सर ही अमित टकराता इन लोगों से कहीं ना कहीं, अब तो बातें भी होने लगी थी. अमित अब घुल-मिल गया था इन लोगों के बीच.


एक शाम नेनू ने अमित को अकेले हॉस्टिल की छत पर बुलाया...


अमित... हां भाई बोल


नेनू.... कल का डटे फिक्स करूँ या परसो का.


अमित.... जाने दे यार ग़लतफहमी हो गयी दोनो से पर दिल के सॉफ हैं. माफ़ भी कर दे.


नेनू.... लड़की देख कर फिसल गया क्या अमित, सुन भाई तुझे पूरा मौका मिलेगा फिर हम बीच मे नही आएँगे, बस 2 घंटे हमे दे दे, भाई की बात मान ले नही तो वो दर्द मुझे जलाता रहेगा.


अजीब दुविधा मे फसे अमित ने नेनू के काम के लिए हामी भर दिया और परसो का दिन मुक्करर हो गया अमित की तरफ से. अमित, नेनू को सुनिस्चित करने के बाद वहाँ से चला गया और नेनू वहीं छत पर बैठा एक कॉल लगा दिया....


दूसरी तरफ से.... हां भाईजान बोलिए.


नेनू... आदिल भाई सब रेडी है ना.


आदिल... हां भाई सब रेडी है, किसी बात की चिंता मत करो, बस काम कब होगा ये बताओ.


नेनू.... काम परसो होगा, पर आप श्योर हो ना अंधेरा रहेगा और किसी को कुछ पता भी नही चलेगा.


आदिल... यदि किसी को पता चल गया तो, आप का जूता मेरा सिर. और पूरा सेट-अप मेरा है तो आप बेसक मुझे ही सारे मामलो का दोषी बना देना.


नेनू.... ठीक है आदिल भाई आप की बात पर भरोसा कर के मैं ये काम करने जा रहा हूँ. बाकी पूरा मॅनेज आप को ही करना है.


आदिल.... फिकर नही कीजिए भाई जान, और कोई भी मसला हो, तो मैं हूँ ना. इंसाह अल्लाह जीत हमारी ही होगी.


नेनू, आदिल से बात करने के बाद कॉल डिसकनेक्ट किया, और खुद मे नाचते हुए.... तुम ने मेरे दोस्त के चरित्र पर हाथ डाला ना, अब मैं तेरा मुँह काला करूँगा, बस देखती जाओ.
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