Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
12-25-2018, 01:11 AM,
#41
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
सूरज अपना लोअर और कच्छा उतार कर नंगा हो जाता है । संध्या जैसे ही सूरज का लंड देखती है तो हैरान रह जाती है ।
संध्या-"सूर्या तेरा तो बड़ा मोटा और लंबा है,कितना विकराल है" संध्या आँखे फाड़ते हुए बोली ।
सूरज-"माँ इसे हाथ में लेकर प्यार करो,इसे मुह में लेकर चूसो" संध्या को दिखाते हुए बोला 
संध्या पहली बार लंड को पकड़ती है,22साल बाद आज उसने लंड देखा था,संध्या मुठ मारने लगती है। फिर अचनाक मुह में लेकर चूसने लगती है,सूरज लेट जाता है और खुद संध्या की चूत में जीव्ह डालकर चाटने लगता है,जहां तक उसकी जीव्ह खुसती है बहां तक जीव्ह घुसेड़ देता है और चूत का पानी चाटने लगता है । संध्या तड़पने लगती है इधर सूरज पर भी रहा नहीं जाता है और संध्या की दोनों टाँगे फेला कर अपना लंड चूत पर रगड़ने लगता है ।
संध्या-"सूर्या अब और बर्दास्त नहीं होता है,डाल दे अपना लंड मेरी चूत में,22 साल से तड़प रही है ये" सूरज हल्का सा लण्ड डालता है संध्या दर्द से सिटपिटा जाती है।
संध्या-"उफ्फ्फ्फ्फ़ सूरज आराम से,दर्द हो रहा है ।
सूरज-"माँ थोड़ी देर परेसानी होगी बस, फिर तो आराम से लंड घुस जाएगा ।
सूरज फिर से लंड निकाल कर चूत में डालता है इस बार आधा लंड चूत में घुसता है ।
संध्या-"आह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ सूर्या डाल दे अपना लंड एक ही बार में अब" सूरज एक तेज झटका मारता है और पूरा लंड चूत में घुसेड़ देता है । संध्या दर्द से तड़पने लगती है। सूरज लंड को निकाल कर फिर से डालता है,चार पांच बार डालता और घुसेड़ता इससे संध्या की चूत में जगह बन जाती है और अब संध्या को मजा आने लगता है ।सूरज संध्या की चूत में तेज तेज धक्के मारता है और उसके बूब्स को मसलता है कभी दांत से निप्पल को काटता है। संध्या बहुत उत्तेजित हो जाती है। सूरज संध्या को घोड़ी बनाता है उसकी बड़ी चौड़ी गांड को मसलता है और अपना लंड चूत में डालकर पीछे से चोदने लगता है ।संध्या भी अपनी तरफ से धक्के मारती है ।
संध्या-"ओह्ह्ह सूर्या फक मी, तेरा लंड बहुत बड़ा है मेरी बच्चेदानी पर टकरा रहा है,सूर्या तू लेट अब में तेरे ऊपर बैठ कर चुदुंगी" सूर्या लेट जाता है संध्या अपनी मोटी गांड सूरज के लंड पर रखती है,लंड पूरा चूत में घुसते ही संध्या उछालने लगती है। पुरे कमरे में थप थप की आवाजे गूंजने लगती है । संध्या का पानी फिर से छूटने वाला होता है ।
संध्या-"सूर्या अब मुझे नीचे लेटा कर चौद दे में झड़ने बाली हूँ" सूरज संध्या को लेटा कर टाँगे फेला कर चौदने लगता है पूरी स्पीड से संध्या संध्या झड़ने लगती है सूरज भी झड़ने बाला होता है ।
सूरज-"माँ में भी झड़ने बाला हूँ में अपना पानी कहाँ निकालू?" 
संध्या-"मेरे अंदर ही निकाल दे सूर्या अपना पानी,भर दे मेरी प्यासी चूत अपने पानी से" सूरज तेज तेज धक्के मारने के उपरान्त चूत में झड़ जाता है और संध्या के ऊपर ही लेट जाता है संध्या सूर्या को चूम लेती है और सीने से लगा लेती है ।10 मिनट बाद सूरज उठकर बैठता है और संध्या भी,दोनों के कामरस से बेडशीट गीली हो चुकी थी।
संध्या-'बाप रे पूरी बेडशीट गीली हो गई है,इसे हटा दे सूर्या" सूरज बेडशीट हटा कर दूसरी बेड शीट बिछा देता है ।संध्या चूत को गन्दी बेडशीट से साफ़ करती है ।
संध्या-"सूर्या मुझे पिसाव लगी है अभी आती हूँ " 
सूरज-"रुको माँ में भी मुझे भी पिसाव लगी है में भी चल रहा हूँ" सूरज संध्या को गोद में उठा कर बॉथरूम में ले जाता है ।
संध्या-'ओह्ह सूर्या मुझे गोदी से उतार" सूर्या मानता नहीं है और दोनों लोग बाथरूम में आ जाते हैं ।
सूरज-"माँ में आपकी पिसाव को चखना चाहता हूँ मेरे ऊपर बैठ जाओ और मेरे चेहरे पर मूतो" सूरज फर्स पर लेट जाता है संध्या को अपने चेहरे पर उकडू बैठा देता है ।
संध्या-"सूर्या तू मेरी पेसाब को पियेगा क्या, बाद में तू भी मेरे मुह में मुतेगा, में भी तेरी पिसाब को पीना चाहती हूँ" संध्या इतना कह कर सूरज के मुह में मूतने लगती है,सूरज पूरी पिसाव को पी लेता है । संध्या की चूत से टपकती एक एक बून्द को पी लेता है,मूतने के बाद संध्या जमीन पर बैठ जाती है और सूरज खड़े होकर मूतने लगता है। संध्या भी पिसाव को पीने लगती है और उसी पिसाब से नहाने लगती है।सूरज बाथरूम का फब्बारा चला देता है दोनों लोग एक साथ नहाते हैं और नंगे ही बिस्तर पर सो जाते हैं ।
सुबह 6 बजे संध्या की आँख खुलती है।

संध्या की नींद सुबह 6 बजे खुलती है, सूर्या अभी गहरी नींद में सो रहा था, दोनों माँ बेटे नंगे ही सो गए थे,संध्या की नज़र सूर्या पर पड़ती है जो अभी भी सो रहा था लेकिन उसका लंड पुरे जोर शोर से तना हुआ था,संध्या को रात की चुदाई याद आती है,वर्षो से प्यासी चूत और उसके बदन को चुदाई का आनंद मिलने से उसका रोम रोम खिल सा गया था, संध्या सूरज का गठीला जिस्म और उसके मोटे लंड से ताबड़ तोड़ चुदाई से उसकी दीवानी हो गई थी,ऐसा लग रहा था जैसे जीवन में पहली बार चुदी हो और जीवन में वास्तविक चुदाई क्या होती है उससे परिचित हुई हो, संध्या की चूत फिर से फड़कने लगती है,सूर्या के तने हुए लंड को हाँथ में लेकर उसकी लंबाई और चौड़ाई का मापन करने लगती है, उसका लंड विकराल रूप धारण कर चूका था,लंड झटके मार रहा था।संध्या देख कर मुस्कराती है और मन ही मन बोलती है ।
संध्या-" थोडा सब्र तो रख, चूत को देखते ही झटके मारने लगता है, आज से तू मेरे बस में रहेगा,मेरी चूत तेरे लिए ही बनी है लंडेश्वर महाराज, आज तुझे चूस चूस कर ठंडा कर दूंगी, मेरी प्यासी चूत तेरा सारा पानी निचोड़ लेगी, बहुत अकड़ रहा है न,आज तेरी अकड़ ढीली कर दूंगी" इतना कहते ही संध्या मुस्कराती है और लंड को मुह में लेकर चुसने लगती है, संध्या लंड को दोनों हांथो से मुठ्याते हुए मुह में लंड ऐसे चूस रही थी जैसे छोटा बच्चा लोलीपोप चुस्त है। लंड को बड़ी तेजी से चूसने के कारण सूरज की नींद खुल जाती है, माँ लंड चूसते देख जिस्म में उत्तेजना भड़क जाती है, 
सूरज -" ओह्ह्ह्ह माँ चूसो इसे, आपने तो आज मेरा मन खुश कर दिया, माँ बड़ी कामुक औरत हो आप, आज में आपकी चूत की धज्जियाँ उड़ा दूंगा, ओह्ह्ह मेरी जान चूसो मेरा लंड"
संध्या-" सूर्या तू भी मेरी चूत चाट,बहुत देर से बह रही है,तेरे चाटने से बड़ा मजा आता है मुझे, तेरे लंड ने मेरी चूत की प्यास बढ़ा दी है सूर्या, अब हर रौज मेरी प्यास बुझाना बेटा,अपनी माँ को खूब प्यार करना बेटा,वर्षो से प्यासी रही है मेरी चूत" संध्या अपनी चूत सूरज के मुह पर रख देती है,सूर्या अपनी जीव्ह चूत में डाल कर बड़ी तेजी से चूत चौदने लगता है,संध्या लंड चाटने लगती है, काफी देर दोनों लोग मुह से एकदूसरे के अंगो को काटते हैं चूसते हैं,संध्या पर रहा नहीं जाता, और उठ कर सूरज के लंड पर बैठ कर उछालने लगती है, सूरज भी नीचे से धक्के मारता है, दोनों लोग हवस के इस खेल में अंधे होकर एक दूसरे के जिस्म से खेलते हैं,सूरज संध्या के बूब्स को मसलता है तो कभी उसकी मोटी गांड को भींचता है ।
सूर्या-'माँ तुम्हारी गांड बड़ी मस्त है,मन करता है लंड घुसेड़ दू" 
संध्या-"गांड भी मार लेना बेटा, अब सब कुछ तेरा है,ये जिस्म भी तेरा है,आह्ह्ह्ह अभी तू सिर्फ मुझे चौद उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़"
सूरज-" माँ तुम्हारी चूत बड़ी टाइट है, लंड को कस कर जगड लिया है तुम्हारी चूत ने, आह्ह्ह्ह माँ तुम्हारी चूत में जन्नत है"
संध्या तेज तेज उछलती है लंड पर और झड़ जाती है, झड़ते ही सूरज संध्या को नीचे लेटा कर चौदने लगता है, उसकी टांगो को फैला कर तेज तेज धक्के मारता है, 
उसके बूब्स को मसलने लगता है,थोड़ी देर बाद सूर्या भी चूत में झड़ जाता है, दोनों लोग एक दूसरे के ऊपर लेटे रहते हैं । तभी तान्या की कॉल सूरज के मोबाइल पर आता है । सूरज और संध्या जल्दी से उठकर फ्रेस होते हैं ।सूरज तान्या के पास जाता है ।
तान्या-" आ गए जनाब, कब से तेरा इंतज़ार कर रही थी, मुझे टॉयलेट आ रही है जल्दी से मुझे बाथरूम में छोड़ कर आ" तान्या बेड पर बैठी गुस्से में बोली, 
सूरज-"ओह्ह्ह दीदी सॉरी में तो भूल ही गया,चलो जल्दी से बरना कहीं बेड गिला न हो जाए" सूरज मजाक उड़ाते हुए गुस्से में बोला, तान्या को जैसे ही गोद में उठाया,तान्या ने बड़ी तेजी से सूरज के कान मरोड़ दिए।
तान्या-"क्या कहा बच्चू बेड गिला हो जाएगा,एक तो लेट आता है ऊपर से मजाक उडाता है,मेरा पैर ठीक हो जाने दे फिर तुझे सबक सिखाउंगी" सूरज तान्या को कस कर दबा लेता है । बाथरूम में छोड़ कर बहार जाने लगता है तभी तान्या बोलती है ।
तान्या-"सूर्या 20 मिनट बाद मुझे लेने आ जाना, तब तक तू तैयार हो जा" सूर्या अपने रूम में तैयार हो जाता है,20 मिनट बाद सूरज तान्या को लेने बाथरूम में जाता है,
सूरज-"दीदी फ्रेस हो गई क्या? सूरज जैसे ही बाथरूम में प्रवेश करता है सूरज की साँसे अटक जाती हैं।तान्या बिलकुल नंगी खड़ी होकर फब्बारे के पानी से नहा रही थी, तान्या का एक पैर जिसमे चोट की बजह से पट्टी बंधी हुई थी उस पैर को कुर्सी पर रखा हुआ था और एक पैर फर्स पर था जिसके कारण उसकी हलके बालो बाली चूत खुली हुई साफ़ दिखाई और उसके बूब्स एक दम शिखर की तरह तने हुए थे,लाल निप्पल चार चाँद लगा रहे थे, सूरज एक पल में पूरा मुयायना कर चूका था तान्या के जिस्म का" 
तान्या जैसे ही सूरज को देखती है शर्म के कारण अपना एक हाँथ से चूत को छुपा लेती है और एक हाँथ से दोनों चूचियों को छुपाने का असफल प्रयास करती है।
तान्या-"सूर्या अभी में नहा रहीं हूँ, अभी जा यहाँ से" सूरज तुरंत बाथरूम से निकल जाता है, कुछ पल में ही सूरज तान्या के जिस्म अंगो को देख चूका था,सूरज की धड़कन तेज हो गई थी, सूरज अपनी साँसे कंट्रोल करते हुए बोलता है ।
सूरज-"सॉरी दीदी मुझे लगा आप फ्रेस हो चुकी हो, आपने 20 मिनट बाद आने के लिए कहा था,इसलिए में बाथरूम में घुस गया" सूरज अपनी सफाई देता है ।
तान्या-"कोई बात नहीं सूर्या, आखिर तू मेरा छोटा भाई ही तो है, अब आगे से आवाज़ देकर ही आया करना" 
तान्या जल्दी से नहा कर कपडे पहनती है और सूर्या को फिर से आवाज़ देकर बुलाती है, सूरज को बड़ी शर्म आ रही थी नज़रे मिलाने में,यही हाल तान्या का भी था, सूरज इस बार तान्या को कंधे के सहारे से बेड पर लेकर आता है । थोड़ी देर बाद नास्ता करने के बाद कंपनी चला जाता है।कुछ दिन तक समय ऐसे ही कटता गया।
सूरज प्रतिदिन समय निकाल कर संध्या को चौदता, कंपनी जाता और तान्या के साथ समय भी बिताता, अब तान्या भी ठीक से चलने फिरने लगती है और सूरज के साथ रोज कंपनी जाने लगी थी, सूरज और तान्या की नज़दीकियां काफी बढ़ चुकी थी और दोनों में नोक झोक भी बहुत होती थी । इधर सूरज तनु और पूनम से भी कभी कभार मिल आता था ।
एक दिन तान्या को "कंपनी एसोसिएसन बोर्ड" से ईमेल आता है की आपकी कंपनी के के द्वारा कम समय में टेंडर पूरा होने से पूरी असोसिएस की तरफ से अमेरिका में सम्मान समोरोह में आपको सम्मान किया जाएगा, आपका आना अनिवार्य है मिस तान्या" यह पढ़ कर तान्या बहुत खुश होती है और सूरज की केबिन में जाकर सूरज को गले लगा लेती है और पूरी बात बताती है ।
सूरज इस बात से खुश था की इस सम्मान समारोह में हमारी कंपनी को सम्मलित किया गया है सूरज पूछता है ।
सूरज-"दीदी अमेरिका कब जाना है?' 
तान्या-" हमें आज रात में ही अमेरिका निकलना है सूर्या" 
सूरज-"हमें क्यों दीदी आपको निकलना है" 
तान्या-"हमें ही निकलना है सूर्या,तू मेरे साथ चलेगा समझे, कंपनी की तरफ से दो लोगों के पास आएं हैं" सूरज ने कभी नहीं सोचा था की एक गाँव का लकड़हारा छोरा एक दिन अमेरिका जाएगा।सूरज भी बहुत खुश होता है । शाम को घर जाकर तान्या यह बात संध्या को बताती है ।संध्या बहुत खुश होती है लेकिन सूर्या के अमेरिका जाने से दुखी भी होती है, तान्या अपना सामान पैक करती है,इधर सूरज भी अपनी पेकिंग कर लेता है । रात के 9 बजे सूरज संध्या से मिलने जाता है उसे गले लगा कर लिप्स किस करता है,संध्या सूरज को चूमने लगती है और गर्म हो जाती है।
संध्या-" सूर्या अब रहा नहीं जा रहा है जल्दी से मुझे चोद दे" सूरज संध्या की मेक्सी को उठा कर चौदने लगता है, 10 मिनट में संध्या दो बार झड़ चुकी थी,थोड़ी देर बाद सूरज भी झड़ जाता है। 10 बज चुके थे तान्या अपना बेग लेकर नीचे आती है और सूर्या को लेकर निकल जाती है एयर पोर्ट ।
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