Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
12-25-2018, 01:11 AM,
#40
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
संध्या-"अरे वाहह सूर्या तू तो इन कपड़ो में मस्त लग रहा है,एक दम बिंदास"सूरज खुश हो जाता है,लेकिन तभी सूरज को नज़र संध्या पर पड़ती है तो निराश हो जाता है क्योंकि सूरज के लाई गई नायटी न पहन कर संध्या पुरानी नायटी पहनी थी ।
सूरज-" माँ क्या हुआ आपको मेरा गिफ्ट अच्छा नहीं लगा,आपने पहना क्यूँ नहीं ?" 
संध्या-" सूर्या तुझे शर्म नहीं आती अपनी माँ को फेसनेवल ब्रा और जालीदार पेंटी भेंट करते हुए,ऐसी ब्रा पेंटी तो मैंने आज तक नहीं पहनी, में तो सदा ब्रा और पेंटी पहनती हूँ" 
सूरज-" माँ आपका जिस्म एक दम मॉडल की तरह है,आप अगर वो फेसनेवल ब्रा और पेंटी पहनोगी तो आपका बदन और भी खूबसूरत लगेगा, एक बार पहन कर तो देखो" सूरज निवेदन करता हुआ बोला।
संध्या-" सूर्या भूल मत में तेरी माँ भी हूँ,इस तरह की ब्रा और पेंटी पहन कर क्या करुँगी, एक सुहागन के लिए इस तरह फैसन करना जायज है, में किसके लिए फैसन करू और किसके लिए ऐसे कपडे पहनू" 
सूरज-" माँ जीवन में हर वो काम करना चाहिए जो हमें अच्छा लगे, कोई देखने वाला हो या न हो, खुद को ख़ुशी मिलनी चाहिए बस, कल का दिन बीत चूका है एक अतीत की तरह और आने बाले कल का कोई भरोसा नहीं होता, हमारे पास सिर्फ आज का दिन है और वर्तमान में हमेसा खुश रहना चाहिए माँ, आप आज से खुश रहना सुरु करो,अपने हर सपने को पूरा करो जो आपने देखें हैं, में चाहता हूँ की आप आज के बाद खुश रहें,मुझे आप अपना दोस्त मानती है तो मेरे लिए जरूर एक बार उन कपड़ो को पहनो माँ" 
संध्या-" सूर्या तेरी बड़ी बडी बातें सुनकर ही मेरा अंदर इतना बदलाब आया है की एक माँ को दोस्त बनने पर मजबूर कर दिया तेरी इन बातों ने,तू जादूगर है सूर्या" 
सूरज-"माँ जादू तो आपके अंदर है मुझे दोस्त बनाकर अपना बना लिया आपने" 
सूरज संध्या के जिस्म को घूरता हुआ बोला।
संध्या-" जादू मुझमे है या मेरे जिस्म में,तू बार बार मेरे जिस्म को देख कर बोलता है तो मुझे बड़ा अजीब सा लगता है,मुझमे तुझे क्या अच्छा लगता है" 
सुरज-'माँ आपका सब कुछ अच्छा लगता है, आपके बदन की बनावट किसी कामदेवी से भी लाख गुना अच्छी है" सूरज पुनः जिस्म को देखता हुआ बोला ।
संध्या-"ओह्ह्ह सूर्या तू तो पागल है, कुछ भी बोलता रहता है, में रेजर लेने आई थी,अपना रेजर दे देना मुझे" सूरज को झटका लगता है । वो समझ जाता है माँ अपनी चूत के बाल साफ़ करेंगी, 
सूरज-"माँ रेजर का आप क्या करोगी?"अब संध्या कैसे बताती की मुझे अपनी झांटे साफ़ करनी है ताकि तेरी लाइ हुई पेंटी पहन सकूँ।
संध्या-" ओह्ह सूर्या कोई सवाल मत पूछ,मुझे रेजर दे जल्दी से" सूरज अपना इलेक्ट्रॉनिक्स रेजर दे देता है ।
सूरज-"माँ ये इलेट्रॉनिक्स रेजर है, आप इस का इस्तेमाल नहीं कर पाओगी,मुझे बता दो क्या करना है,में कर दूंगा" सूरज फिर से मजे लेते हुए बोला ।
संध्या-" तू भी पागल है सूर्या,में इसे इस्तेमाल कर लुंगी'संध्या हँसते हर रेजर लेकर कमरे में भाग जाती है, बाथरूम में जाकर अपनी चूत के बाल साफ़ करने लगती है, रेजर के बायब्रेट होने के कारण संध्या की चूत पानी छोड़ने लगती है, संध्या की चूत पर दो-दो इंच के बाल थे,संध्या अपनी चूत को बिलकुल साफ़ कर देती है, खुद की चिकनी चूत को देख कर संध्या का मन ललचाता है की "काश चूत को चूम लू"
संध्या की चूत का लाल दाना और क्लिट चमकने लगती हैं । संध्या कई बार चूत पर हाँथ से सहलाती है,चूत का लाल दाना फड़कने लगता है, संध्या दो तीन चपत चूत पर मारती है और कहती है" बड़ी उतावली है तू निगोड़ी,जरा सा सहला दो तो तुरंत बहने लगती है, बडी आग है तुझमे" इतना कह कर कामुकता के साथ हँसने लगती है ।
संध्या चूत को पानी से धोकर साफ़ करती है ऐसा लग रहा था जैसे चूत पर कभी थे ही नहीं इतनी चिकनी चूत हो गई थी। संध्या सफाई करने के बाद घर के काम निपटाती है,सूरज तान्या के पास लेटकर बिजनेस की बातें करता है । इधर संध्या जल्दी से खाना तैयार करती है । क्यूंकी आज फिर से संध्या सूरज के पास जाना चाहती थी,उसकी मधुर वाणी सुनने, संध्या जल्दी से खाना लेकर ऊपर जाती है तान्या और सूरज एक साथ खाना खाते हैं,संध्या भी खाना खा कर फ्री हो चुकी थी, अब संध्या को इंतज़ार था की वो सूर्या के पास जाए, रात के 10 बज चुके थे,इधर सूरज भी उतावला था की माँ शायद उसके दिए हुए वस्त्र पहन कर आएगी, सूरज के मन में विचार आता है क्यूँ न आज में ही माँ के कमरे में जाऊँ, मेरे कमरे के वगल में तान्या दीदी का भी कमरा है बात चीत करते समय दीदी का डर लगा रहता है की कहीं वो सुन न ले । सूरज संध्या के रूम में जाने का मन बनास लेता है । सूरज तुरंत देर न करते हुए संध्या के रूम में जाता है दरवाजा खुला था,संध्या कमरे में पड़े सोफे पर बैठी सोच रही थी की सूर्या के दिए कपडे पहनू या न,उसे बहुत शर्म आ रही थी। सूरज के दिए वस्त्र बेड पर रखे हुए थे ।

सूरज जैसे ही कमरे में पहुँचता है संध्या तुरंत उठ कर खड़ी हो जाती है।
सूरज-'अरे माँ क्या बात है आप क्या सोच रही हो, में आपका इंतज़ार कर रहा था आप नहीं आई तो सोचा में ही आपके पास आ जाता हूँ" संध्या की साँसे तेजी से धड़कती हैं । सूरज के आने से उसकी चूत में कुलबुलाहट पैदा हो गई थी ।
संध्या-"आजा सूर्या बैठ जा"संध्या सूरज को बेड पर बैठने का इशारा करती है,तभी सूरज बेड पर रखे ब्रा और पेंटी को उठाता है।
सूरज-" माँ क्या हुआ आपको यह कपडे पसंद नहीं आए, आपने अभी तक पहने नहीं है" सूरज ब्रा और पेंटी दिखाते हुए बोलता है,संध्या यह देख कर बहुत शर्माती है।
संध्या-' सूर्या यह क्या कर रहा है तू, तुझे शर्म नहीं आती अपनी माँ को ब्रा पेंटी दिखा रहा है,कैसा बेटा है तू अपनी माँ को ब्रा और पेंटी गिफ्ट में देता है और उसे पहनने के लिए बोलता है, मुझे तो इन कपड़ो को देख कर ही शर्म आ रही है मैंने आज तक ऐसे कपडे नहीं पहने हैं, इन कपड़ो को पहनना और न पहनना दोनों बराबर है क्यूंकि इनको पहनने के बाद भी पूरा बदन और हर अंग दिखाई देगा" संध्या जालीदार पेंटी दिखा कर बोलती है जिसका मुख्य भाग में जाली थी ।
सूरज-"मैंने यह ब्रा और पेंटी माँ को नहीं दिए हैं,ये गिफ्ट मैंने अपनी दोस्त संध्या को दिए हैं,दोस्त मानती हो तो अभी पहन लो और दोस्त नहीं मानती हो तो रहने दो,इन्हें फेंक सकती हो" संध्या अब बड़ी दुविधा में थी। तुरंत ब्रा और पेंटी को बाथरूम में ले जाकर पहनती है । संध्या अपनी मेक्सी के अंदर नंगी थी,मेक्सी को उतार कर ब्रा और पेंटी पहन लेती है, ब्रा और पेंटी पहनने के बाद उसका बदन कामदेवी से भी ज्यादा कामुक लग रहा था । संध्या अपनी पुरानी मेक्सी पहन कर वापिस सूरज के पास आती है ।
संध्या-" तेरी दोस्ती को मैंने कबूल कर लिया और तेरी दी हुई ब्रा पेंटी भी पहन ली,अब तो खुश है न" सूरज खुश हो जाता है,संध्या भी कामुकता से बोली।सूरज का लंड तो इस बात से ही झटके मारने लगता है की संध्या ने उसकी दी हुई ब्रा और पेंटी पहनी है ।
सूरज-"माँ मुझे कैसे यकीन होगा की आपने ब्रा और पेंटी पहनी है, और हाँ आपने नायटी तो पहनी नहीं है जो मैंने दी है" संध्या यह सुनकर हैरान रह जाती है की सूर्या तो बहुत फास्ट है आज मुझे नंगी करके ही मानेगा।
संध्या-" सूर्या अब क्या तू मुझे ब्रा और पेंटी में देखेगा, मेरा विस्वास कर तेरी ही दी हुई ब्रा पेंटी पहनी है, अच्छा रुक तेरी दी हुई नायटी पहनती हूँ उसमे तुझे झलक दिख जाएगी ब्रा और पेंटी की" संध्या नायटी को लेकर फिर से बाथरूम जाती है,मेक्सी को उतार कर नायटी पहनती है । नायटी उसके जिस्म के हिसाब से बहुत छोटी थी जिसकी लबाई सिर्फ जांघो तक थी, और ऊपर से भी बिलकुल खुली हुई थी जिसमे उसकी आधे से ज्यादा चूचियाँ दिखाई दे रही थी । बाथरूम में लगे शीशे में जब अपने आपको देखती है तो दंग रह जाती है,बहुत ही सेक्सी लग रही थी जवान लडकिया भी फेल थी,नायटी भी पारदर्शी थी जिसमे उसकी ब्रा और पेंटी साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी,संध्या अपने गांड की तरफ देखती है तो उसकी गांड भी नंगी थी क्यूंकि पेंटी की लास्टिक गांड के अंदर समां जाने से ऐसा लग रहा था की बिलकुल नग्न है, संध्या की गांड भी बहुत चौड़ी थी और चूचियाँ भी बहुत बड़ी थी और निप्पल हमेसा खड़े ही रहते थे, 22 साल से न चुदने के कारण उसका बदन लड़कियों की तरह कसा हुअस था एक दम गठीला । संध्या की झाँघे एक दम गोरी चिकनी थी, बड़ी क़यामत लग रही थी, साधारण इंसान देख ले तो बिना चोदे मानेगा नहीं इस प्रकार का बदन था ।संध्या सोचती है की सूर्या के सामने कैसे जाएगी, संध्या बाथरूम का हल्का सा दरबाजा खोल कर सूरज को देखती है,सूरज की नज़रे भी दरवाजे पर संध्या का इंतज़ार कर रही थी, 
दोनों की नज़रे आपस में टकराती है।
संध्या-"सूर्या ये तेरी नायटी तो बहुत छोटी है सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा है,मुझे बहुत शर्म आ रही है तेरे सामने कैसे आऊँ" संध्या शर्माती हुई बोली,सूरज की धड़कन बहुत तेज चल रही थी ऐसा लग रहा था जैसे ब्लड प्रेसर हाई हो गया हो।
सूरज-" माँ आप मेरी दोस्त हो तो शर्माना कैसा, आ जाओ न माँ" संध्या शर्माती हुई दरवाजे से निकलती है,सूरज जैसे ही देखता है उसकी साँसे अटक जाती है,लंड पेंट में बगावत कर देता है ऐसा लग रहा था जैसे लंड की नसे आज फट जाएगी ।
संध्या का कामुक बदन सूरज की जान निकाल देगा ऐसा उसे लग रहा था ।
सूरज-"वोव्व्व्व्व् क्या लग रही हो,गज़ब,झक्कास, कितनी सेक्सी हो माँ आप, ऐसा मन कर रहा की आपको देखता रहूँ,इतना कामुक बदन मैंने आज तक नहीं देखा है" सूरज के ऐसे भड़किले शब्द सुनकर संध्या शर्मा जाती है ।
संध्या-"कितने अश्लील शब्द बोलने लगा है तू,अपनी ही माँ तुझे सेक्सी दिखाई दे रही है, तूने आज अपने मन की कर ही ली,ये कपडे पहन कर भी मुझे ऐसा लग रहा है की में नंगी हूँ तेरे सामने, मुझे शर्म आ रही है सूर्या अब में ये कपडे उतार आऊँ" संध्या नजरे झुका कर बोलती है, सूरज उसे आँखे फाडे देख रहा था,कभी उसकी झांघों को तो कभी उसकी अधनंगी चुचियो को।
सूरज-" माँ आपकी सुंदरता में बोले शब्द अस्लील नहीं है आप वास्तविक रूप से सुन्दर हो,सेक्सी हो, मेरा तो मन कर रहा है की आप हमेसा मेरे सामने ऐसे ही रहो,और में आपको निहारता रहूँ, आज रात आप इन्ही कपड़ो को पहने रहो माँ" सुरज पुरे बदन को देखता है तभी उसकी नज़र संध्या की गांड पर जाती है एक दम गदराई हुई,चौड़ी गाण्ड मन कर रहा था की हाँथ से खूब मसले, उसकी चिकनी पीठ, और उसकी चूचियाँ सूरज को घायल कर रही थी।
संध्या-" रात भर इन कपड़ो को पहन कर क्या करुँगी सूर्या,अब तो तूने देख लिया न, अब उतार आती हूँ" 
सूरज-"नहीं माँ आज मुझे ऐसे ही देखने दो, पूरी रात में आपके कोमल बदन को देखना चाहता हूँ,आपका हर अंग बड़ा ही खूबसूरत है" सूरज चूचियाँ और गांड को देख कर बोलता है,सूरज का लंड पेंट में तम्बू बना हुआ था जिसे संध्या देख चुकी थी, संध्या की चूत भी अब रिसने लगी थी ।
संध्या-" क्या पूरी रात तू मेरे कमरे में ही रहेगा सूर्या, सोएगा नहीं आज" 
सूरज-"नहीं माँ! में आज आपके पास ही सोना चाहता हूँ और आपसे बातें करना चाहता हूँ" 
संध्या-"ऐसा क्या अच्छा लगा मुझमे,की तू मुझे ही देखेगा,इतनी भी सुन्दर नहीं हूँ में" 
सूरज-"माँ आपके बदन की खूबसूरती की जितनी तारीफ़ की जाए कम है, आपका हर एक अंग खुबसूरत है,काश में आपका बेटा न होता तो....." सुरज अधूरी बात छोड़ देता है।
संध्या-" बेटा न होता तो? क्या कहना चाहता है साफ़ साफ़ बोल" 
सूरज-" माँ पहले आप एक वादा करो, की आज आप सिर्फ मेरी दोस्त हो, सिर्फ आज रात के लिए मेरी गर्ल फ्रेंड हो तो में अपनी बात ठीक से कह पाउँगा, दोस्त तो और माँ तो हमेसा से रहोगी ही" संध्या को भी मजा आ रहा था क्यूंकि पूरी पहल सूर्या ही कर रहा था ।
संध्या-"ओह्ह्ह सूर्या अब तो तू दोस्त से गर्ल फ्रेंड बना रहा है, चल तू भी क्या याद करेगा आज में तेरी गर्ल फ्रेंड बन जाती हूँ,अब बोल क्या बोलना चाहता था" 
सूरज-"एक वादा और करो माँ आज में जिन शब्दों का प्रयोग करूँगा उनका तुम बुरा नहीं मानोगी" 
संध्या-" ठीक है सूर्या आज तेरे लिए छूट है कर ले अपने मन की, सिर्फ आज रात के लिए बस, कुछ भी बोल बुरा नहीं मानूँगी, 
अब तो बोल क्या कह रहा था तू अगर में तेरी माँ न होती तो....?" 
सूरज-" अगर आप मेरी माँ न होती तो में आपको बिना वस्त्रो के देखना पसंद करता और आपके हर अंगो को चूमता उन्हें किस्स करता, आपका बदन चूमने लायक है माँ" 
संध्या-"ओह्ह्हो सूर्या कैसी बात करता है तू, मुझे नंगी कर देता तू अब तक अगर में तेरी माँ न होती तो, खैर अभी भी में अपने आपको नंगी महसूस कर रही हूँ,इन कपड़ो में ढका ही क्या है,सब कुछ तो दिखाई दे रहा है" सूरज संध्या की पेंटी देखने लगता है बैठ कर,सूरज समझ जाता है की माँ ने आज चूत के बाल साफ़ कर लिए हैं ।
सूरज-'माँ क्या में आपकी पेंटी देख लू, में देखना चाहता हूँ मेरी पसंद की हुई पेंटी आप पर कैसी लग रही है" 
संध्या-" नहीं सूर्या मुझे शर्म आ रही है" 
सूरज-'प्लीज़ माँ आज मुझे छूट दे दो,आप भी भूल जाओ की में आपका बेटा हूँ, अपना बॉय फ्रेंड समझो मुझे" इतना बोल कर सूरज संध्या के निचे बैठ कर उसकी नायटी को ऊपर कर देता है । सूरज को पेंटी में संध्या की चूत फूली हुई नज़र आई,चूत की किनारी साफ़ झलक रही थी,जाली दार होने के कारण उसकी चूत हलकी हलकी नज़र आ रही थी । सूरज को चूत की क्लिट दिखाई देती हैं और चूत से रस बह रहा था, सूरज का लंड झटके मार रहा था,उसके लंड से भी बुँदे टपकने लगी थी ।
सूरज-"माँ आपकी पेंटी तो गीली हो चुकी है आपका पानी बह रहा है" संध्या कसमसा गई,उसकी सिसकी बिना निकल गई,सूरज के देखने मात्र से ही ।
संध्या-"आह्ह्ह सूर्या मुझे कुछ हो रहा है" संध्या बस इतना ही बोल पाई ।
सूरज-" माँ आज आपको ऊँगली नहीं करनी पड़ेगी,आपका पानी तो ऐसे ही निकल जाएगा" 
संध्या-" इतनी कामुक बातें करेगा तो उसका असर तो होगा ही,लेकिन अब सूर्या मुझ पर रुक नहीं जाएगा, में 5 मिनट के लिए बॉथरूम जाना चाहती हूँ" संध्या सिसकते हुए बोली, तभी सूर्या को डिडलो याद आता है सूरज बेड की तकिया से डिडलो निकालता है। संध्या देख कर चोंक जाती है। 
संध्या-"ओह्ह्ह सूर्या ये क्या कर रहा है उसे मुझे दे दे,तू मत पकड़ वो गन्दा है" संध्या सूरज को रोकती है लेकिन सूरज मानता नहीं है और डिडलो नुमा रबड़ के लंड को देखने लगता है । उस पर संध्या के चूत का कामरस लगा हुआ था जो सुख चुका था। 
सूरज-"माँ देखने दो इसे, माँ ये तो मेरे से भी बहुत छोटा और पतला है,इससे आपको ज्यादा मजा नहीं आता होगा, और ये कितना गन्दा भी है इस पर आपकी चूत का पानी लगा हुआ है,इसे अंदर डालोगी तो इन्फेक्सन हो जाएगा" संध्या की चूत बहने लगती है सूरज की इन बातों को सुनकर, पहली बार उसने चूत शब्द बोला था, इससे संध्या और भी कामुक हो गई थी, संध्या चूत शब्द पर कोई प्रतिक्रिया नहीं करती है क्योंकि आज उसने वादा किया था सूरज से की वो किसी बात का बुरा नहीं मानेगी, संध्या को भी इन बातों का मजा आ रहा था,
संध्या-" में डिडलो को धोकर ही इस्तेमाल करती हूँ, आज सुबह धोना भूल गई उसे, तू इसे छोटा बोल रहा है जबकि मुझे ये बहुत बड़ा लग रहा था" संध्या की साँसे थमने का नाम नहीं ले रही थी, उसकी चूत लगातार बहने से उसकी पेंटी भीग चुकी थी,जालीदार पेंटी से भी चूतरस टपकने लगा था ।
सूरज-" माँ ये डिडलो कितना भाग्यशाली है जो आपके अंदर भ्रमण करके आता है" सूरज डिडलो दिखाता हुआ बोला,और पुनः कामरस टपकती पेंटी को देखने लगा ।
संध्या-" सूर्या तू तो बहुत बेशर्म है, कैसी कैसी बात करता है, कैसे कैसे शब्द का प्रयोग भी करने लगा है, 
सूरज-" ये शब्द में माँ के लिए नहीं बोल रहा हूँ,ये शब्द तो मेरी प्यारी गर्ल फ्रेंड के लिए हैं, 
संध्या-" तेरी गर्ल फ्रेंड बनना मुझे बहुत भारी पड़ रहा है सूर्या, मेरे अंदर आग भड़क रही है अब और अब सहन नहीं हो रहा है,अब तू कुछ देर के लिए मुझे अकेला छोड़ दे" संध्या डिडलो से अपनी आग बुझाना चाहती थी।
सूरज-" नहीं माँ आज में आपको ऊँगली नहीं करने दूंगा, और न ही इस डिडलो को तुम्हारे अंदर घुसने दूंगा,मुठ में भी मारना चाहता हूँ लेकिन में आज आपको देख कर झड़ना चाहता हूँ, देखो न माँ मेरा असली डिडलो लोअर में कैसा तम्बू बना हुआ है" सूरज अपना तम्बू दिखाते हुए बोला, संध्या की चूत में चींटियाँ रेंगने लगी यह सुनकर और देखकर ।
संध्या-' ओह्ह्ह सूर्या मुझे लगता है तुझे भी हिलाने की जरुरत है, तू बाथरूम में जाकर हिला ले अपना,वरना तुझे परेसानी होगी" संध्या का तो मन कर रहा था की सूरज का लंड मुह में लेकर चूस डाले ।सूरज संध्या की पेंटी को देखने लगता है ।
सूरज-" माँ में आज हिलाउंग नहीं ये आपके जिस्म को देखकर अपने आप झड़ जाएगा, माँ देखो न आपकी पेंटी में आपका पानी कितना टपक रहा है, अरे हाँ माँ मुझे ऐसा लग रहा है आपने अपनी झांटे साफ कर ली हैं, आपकी चूत बहुत चमक रही है" संध्या को इस बार फिर से झटका लगता है और उसकी चूत झड़ने लगती है ।क्यूंकि सूरज संध्या की चूत को बड़े नजदीक से देख रहा था, जब सूर्या सांस छोड़ता तो हवा संध्या की चूत तक जाती ।
संध्या-'अह्ह्ह्ह्हफ़्फ़्फ़्फ़्फ़् सूर्या में गई आआऊओ ओह्ह्ह्ह्हो" संध्या बुरी तरह झडने लगती है,सूरज संध्या की चूत का पानी हाँथ में भर लेता है । 5 मिनट तक संध्या झड़ती रही ।
सूर्या-" माँ आपका पानी तो बहुत निकला है, मैंने कहा था न आज आप बिना ऊँगली और डिडलो के ही झड़ोगी" झड़ने के कारण संध्या की आँखे बंद थी जैसे आँखे खोलती है तो देखती है सूर्या उसकी चूत रस को हाँथ में भर चूका कुछ पानी जमींन पर पड़ा था ।
संध्या-' सूर्या अपने हाँथ बाथरूम में जाकर धो आ ये गन्दा पानी है" 
सूरज-" नहीं माँ ये आपके अंदर से निकला है ये गन्दा कैसे हो सकता है इसे तो में चखना चाहता हूँ"सूरज इतना बोलकर उंगलियो पर लगा चूतरस चाटने लगता है,संध्या की चूत में फिर से कुलबुलाहट होने लगती है ।
संध्या-"ओह्ह्ह सूर्या तू कितना गन्दा है" 
सूरज-"माँ आप इसे गन्दा कह रही हो जबकि मुझे यह बहुत स्वादिष्ट लगा, काश थोडा और होता" संध्या बहुत हैरान थी ।
संध्या-"सूर्या अब मुझपर खड़ा नहीं हुआ जा रहा है अब में थोड़ी देर लेटना चाहती हूँ,और ये पेंटी भी बहुत गन्दी हो गई है,अब तू जा में कपडे उतार कर सोऊँगी" संध्या बेड पर लेटते हुए बोली ।
सूरज-"माँ आप तो झड़ गई लेकिन में अभी झडा नहीं हूँ और आज में आपके साथ ही रहूँगा पूरी रात आपने भी वादा किया था मुझसे" 
संध्या-"ओह्ह सूर्या तू अपना हिला ले बाथरूम में जाकर, मेरी पेंटी गीली हो चुकी है आज रात नंगी होकर सोना चाहती हूँ,तेरे सामने कैसे नंगी होकर सो सकती हूँ" संध्या कामुकता के साथ बोली ।
सूरज-" माँ अपने बॉय फ्रेंड से कैसा शर्माना और में तो आपकी चूत और चूचियाँ देख चूका हूँ, उतार दो माँ इन कपड़ो को, आज आपका ये बॉय फ्रेंड आपके जिस्म को देख कर झड़ना चाहता है" सूरज नायटी को ऊपर करते हुए बोला ।
संध्या-"मुझसे नहीं होगा सूर्या ये तू चाहे तो ऐसे ही मेरे शारीर को देख सकता है" 
सूरज-" माँ क्या में आपके जिस्म को छु तो सकता हूँ" 
संध्या-"छू ले सूर्या तू भी आज अपने मन की कर ले" संध्या का इशारा पाते ही सूर्या संध्या के ऊपर लेट कर उसके होंठ को चूसने लगता है, संध्या के होठ को कभी काटता तो कभी चूसता,संध्या भी सूरज का साथ देने लगती है,सूरज अपनी जीव्ह संध्या के मुह में डालता है,संध्या लंड की तरह चुस्ती है । इधर सूर्या का लण्ड संध्या की चूत पर रगड़ता है । संध्या फिर से गर्म हो जाती है ।
सूरज एक हाँथ संध्या की चुचिओ पर ले जाकर मसलता है । निप्पल को मरोड़ता है,संध्या आह्ह्ह भरने लगती है ।सूरज नायटी को उतार कर ब्रा का हुक खोल देता है,संध्या की 38 की चूचियाँ मस्त कठोर थी,सूर्या चूसने लगता है, ऐसा लग रहा था की सूर्या जंगली हो गया हो, सूर्या चुचियो को छोड़ कर संध्या की पेंटी पर जीव्ह से चाटने लगता है, संध्या सिहर जाती है ।सूरज काफी देर पेंटी चाटने के बाद पेंटी उतार देता है और चूत को देखने लगता है,चूत की किनारी बड़ी लंबी थी और फूली हुई चूत में लाल दाना चमक रहा था ।
संध्या-"ओह्ह्ह सूर्या तूने तो आज अपनी माँ को नंगी कर ही दिया, देख ले सूर्या इस चूत को,इसी से तू बहार निकला है, ये तेरा जन्म स्थान है" 
सूरज-"माँ आपकी चूत का छेद तो बहुत छोटा है कैसे बहार निकाला होगा मुझे,इसमें तो दो ऊँगली नहीं घुस रही है" सूरज ऊँगली डालते हुए बोला, संध्या सिसक्या जाती है । 
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