Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
12-25-2018, 01:10 AM,
#34
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
संध्या सूरज और गीता ICU के बाहर बैठकर तान्या के लिए दुआं मांग रहे थे ऊपर बाले से, संध्या का रो रो कर बुरा हाल था, गीता संध्या को सात्वना देने का भरपूर प्रयास कर रही थी, इधर सूरज भले बहार से मजबूत होने का दिखाबा कर रहा हो लेकिन वास्तव में अंदर से उतना ही दुखी था। जीवन में और कितने संघर्ष झेलने पड़ेंगे, एक समस्या ख़त्म होते ही दूसरी समस्या पैर फेलाए इंतज़ार कर रही होती है सूरज का,ऐसा लग रहां था की संघर्षो ने अमृत पी लिया हो,कभी ख़त्म ही नहीं होते। 
सूरज-" माँ शांत हो जाओ, दीदी को कुछ नहीं होगा, ऊपर बाले पर भरोसा रखो" 
संध्या-" बेटा में एक माँ हूँ, तान्या को मैंने एक सशक्त और निडर लड़की बनाया, संघर्षो से लड़ते हुए मैंने देखा है लेकिन आज मैंने पहली बार उसे रोते हुए देखा" 
सूरज-"माँ ! जो लोग मजबूत दीखते है या दिखाने का प्रयास करते हैं वह लोग अंदर से उतने हो कमजोर होते हैं" सूरज संध्या को समझाने का प्रयास कर ही रहा था तभी डाक्टर बहार निकलते हैं ।
संध्या-"डॉक्टर साहब मेरी बेटी अब कैसी है"
डाक्टर-" तान्या जी अब ठीक हैं,उनके सामने कोई ऐसी बात मत कहिए जिससे उनके दिल और दिमाग पर जोर पड़े,हँसते रहिए उनके सामने" 
संध्या-" ठीक है डाक्टर साहब, घर कब ले जा सकते हैं? 
डॉक्टर-" आप कल छुट्टी करा कर घर ले जा सकते हैं, लेकिन इनकी मरहम पट्टी का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा,पैर में तो प्लास्टर कर दिया है" इतना कह कर डॉक्टर चले जाते हैं ।
रात के 9 बज गए थे, समय का पता ही नहीं चला ।
सूरज-"माँ आप घर जाओ,हॉस्पिटल में एक व्यक्ति ही रुक सकता है" 
संध्या-"बेटा में रुक जाती हूँ,तू घर जाकर आराम कर ले,तूने ब्लड भी दिया है" 
सूरज-" नहीं माँ में यहीं रुक जाता हूँ, आप जाओ और हाँ गीता जी आप भी चली जाओ" 
गीता-" मैंने घर पर फोन करके बोल दिया सुबह आने के लिए,में आंटी के साथ घर चली जाती हूँ" 
थोड़ी देर बाद गीता और माँ घर चले जाते हैं, मुझे बहुत तेज कमजोरी महसूस हो रही थी,इसलिए केन्टीन जाकर मैं जूस पी कर वापिस आया । हॉस्पिटल बहुत आलिशान बना हुआ था, में ICU के बहार बैठकर घटनाक्रम के बारे में सोच कर ही पूरी रात काट ली । इस दौरान पूरी रात में 
तान्या को हर दस मिनट में जाकर देखकर आता। कभी कभी थोड़ी बहुत झपकी भी मार लेता, सुबह 6 बजे एक नर्स मेरे पास आई ।
नर्स-" तान्या जी अब ठीक है आप उनकी छुट्टी करवा सकते हैं" 
सूरज-" क्या अब वो बिलकुल ठीक है? 
नर्स-" हाँ जी उन्हें तो रात में ही होश आ गया था, आप मेरे पास आइए, में आपको तान्या जी के ट्रीटमेंट के बारे में समझा देती हूँ" में ICU में गया,मेरी नज़र तान्या पर गई, तान्या दीदी जग रही थी, उनकी नज़र मेरी तरफ थी, मेरी और तान्या की नज़र आपस में टकराई, मुझे डर लग रहा था की कहीं फिर से डांट न मार दे, में डरता हुआ नर्स के साथ तान्या के बेड के पास गया ।
तान्या के चेहरे से ऐसा लग रहा था की वो झिझक महसूस कर रही हो मेरे आने से, तान्या दीदी के पास आकर में उनके सर को देख रहा था जिस पर पट्टी बंधी हुई थी, चोट उनके माथे से ऊपर लगी हुई थी,मेरी नज़र माथे से होती हुई उनके कपड़ो पर पड़ी जिस पर ब्लड के निसान थे, एक पैर के पंजे में प्लास्टर चढ़ा हुआ था।
नर्स-" सूर्या जी इनके सर पर जख्म है, रोजाना आपको इनके जख्म को साफ़ करके पट्टिया बदलनी होंगी, और 6 दिन तक ये बिस्तर पर ही रहे ताकि इनके पैर की हड्डी जुड़ जाए,बाकी में आपको दवाई दे देती हूँ,आप समय से दवाई देते रहिए"
सूरज-"ठीक है सिस्टर" सूर्या ने अच्छी तरह दवाई के बारे में सिस्टर से समझ लिया, नर्स ने घर लेजाने की इजाजत दे दी, अब समस्या ये थी की तान्या दीदी को लेकर कैसे जाऊं, गाडी तो सूरज के पास थी लेकिन तान्या को गोद में लेकर ही गाड़ी में बैठाया जा सकता है । इधर तान्या भी यही सोच रही थी की घर कैसे जा पाउंगी,चल सकती नहीं हूँ, गाडी बहार है।कैसे जा पाउंगी।
नर्स-" क्या हुआ सूर्या जी, लेकर जाइए इन्हें"नर्स तान्या की ओर इशारा करते हुए बोलती है,तान्या और सूरज के दिल की धड़कन तेज हो जाती है, दोनो लोग बड़ा ही असहज महसूस कर रहे थे । तभी सूर्या नर्स से बोलता है ।
सूरज-" सिस्टर आप थोडा सहारा देकर इन्हें गाडी तक लेजाने में मदद कर दीजिए" 
नर्स-" ये आपकी बहन है, आप इनको गोद में उठा लीजिए,में साथ में चलती हूँ"
तान्या खामोशी से सुनती रही,बेचारी कर भी क्या सकती थी, लेकिन कहीं न कहीं तान्या सूर्या के लिए असमंजस में थी, सूर्या से नज़रे नहीं मिला पा रही थी, ये कहना मुश्किल था की ये भाव आत्मग्लानि के थे या सूर्या के लिए नफरत के थे,हाँ इतना जरूर था की तान्या का गुस्सा और अकड़ पहले से कम थी ।
सूर्या देर न करते हुए डरते हुए तान्या के पास जाता है, तान्या की ह्रदय की गति तीब्रता से चलने लगती है, सूरज तान्या से बिना बोले ही तान्या को गोद में उठाने के लिए, नीचे झुकता है,एक हाँथ पीठ के नीचे और दूसरा हाथ नितम्ब के नीचे ले जाकर गोद में उठा लेता है, सूरज ने पहली बार तान्या को स्पर्श किया था, सूरज तो सोच रहा था की हिटलर तान्या दीदी विरोध करेंगी मेरा क्योंकि वो मुझे सबसे बड़ा दुश्मन मानती है, इधर तान्या जैसे ही सूरज की गोद में आई उसे बड़ा अचम्भा सा लगा, इतनी गालियां और अपशब्द सुनने के बाद भी सूर्या मेरी कितना ख्याल रख रहा है,आज से पहले सूर्या का स्पर्श सिर्फ तमाचों में ही महसूस किया था, जब भी लड़ाई झगड़ा होता तो दोनों में खूब तमाचे बाजी होती। सूरज तान्या को गोद में लेकर बहार की ओर चल देता है, सूरज की नज़र सामने की ओर थी लेकिन तान्या की नज़र सूर्या के चेहरे पर ही थी, ऐसा लग रहा था जैसे एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को गोद में उठाकर इस दुनिया की नज़रो से कहीं दूर लेजा रहा हो ।
सूर्या गाडी के पास लेकर जैसे ही पहुंच रहा था तभी सड़क पर बने एक ब्रेकर से उसका पैर फिसलने लगता है, फिसलने के कारण सूर्या थोडा झुक ने लगता है, सूरज का जिस्म कठोर और बलशाली होता है, वो तुरंत अपने आपको संभाल लेता है । इधर तान्या सूरज के झुकने की बजह से सूरज की गर्दन में हाँथ डालकर जकड लेती है, सूरज भी आपनी पकड़ को मजबूत कर लेता है ।नर्स गाडी का दरबाजा खोलती है, सूरज सीट पर तान्या को लेटा देता है और खुद गाडी लेकर घर की ओर निकल जाता है ।
सूरज संध्या माँ को फोन करता है, 
सूरज-" माँ में दीदी को लेकर आ रहा हूँ,रास्ते में हूँ" 
संध्या-"ठीक है बेटा आजा" तान्या को इस बार फिर से झटका सा लगता है,सूर्या के मुह से दीदी शब्द सुनकर, आज से पहले सूर्या हमेसा ही तान्या को तान्या कह कर ही बुलाता था, आज काफी दिन बाद तान्या ने सूर्या के अंदर भाई होने का अहसास महसूस किया था । 10 मिनट बाद गाडी घर के बाहर रुकी, संध्या भागती हुई गाडी के पास आई,गीता भी साथ में थी ।
सूरज ने गाडी का दरबाजा खोला, और तान्या को फिर से गोद में उठाया, संध्या तो देखकर हैरान थी की तान्या तो सूर्या से नफरत करती है,लेकिन आज बिना गुस्सा और विरोध के सूर्या की गोद में है।संध्या के लिए ये किसी चमत्कार से कम नहीं था,पास में खड़ी गीता भी यह देखकर बहुत हैरान थी। संध्या मन ही मन ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करती है और दुआ करती है की मेरे दोनों बच्चे ऐसे ही हमेसा खुश रहें।
सूरज तान्या को लेकर उसके कमरे की ओर लेकर जाता है ।
तान्या का कमरा और सूरज का कमरा ऊपर था, 
संध्या-" बेटा ऊपर सीढ़ियों से कैसे जा पाएगा" 
सूरज-"माँ आप फ़िक्र मत करो, में लेजा सकता हूँ" तान्या मन ही मन सूरज की दाद दे रही थी, हालांकि ज्यादा बजन नहीं था तान्या मे लेकिन कम भी नहीं था, सूरज तान्या को बड़ी मजबूती से पकड़ कर ऊपर सीढ़ियों पर चढ़ने लगता है,इस दौरान तान्या भी ऊपर चढ़ते समय सूरज को जकड़ लेती थी, 
सूरज ऊपर तान्या के कमरे में लेजा कर बेड पर तान्या को लेटा देता है, तान्या को लिटाने के उपरान्त सूरज तान्या की ओर देखता जैसे कुछ बोलने बाला हो,तान्या भी सूर्या की ओर देखती है, दोनो एक दूसरे को ऐसे देख रहे थे जैसे वर्षो बाद एक दूसरे को देख रहे हो ।
सूर्या तान्या के पास जाकर अपने दोनों हांथो से तान्या के सर को उठाकर नीचे तकिया लगा देता है,इस दौरान तान्या की दिल की धड़कन बड़ी तेजी से दौड़ने लगी,जैसे ही सूरज ने तान्या के सर को उठाया तान्या बड़े आराम से सूरज का साथ देते हुए ऊपर की ओर उठती है । कमरे में संध्या और गीता के आते ही सूरज दवाई निकालते हुए माँ से बोलता है ।
सूरज-"माँ दीदी के लिए एक ग्लास दूध और नास्ता दे दो और ये दवाई खिला दो, में अभी फ्रेस होकर आता हूँ ।इतना बोलकर सूरज अपने कमरे में आकर फ्रेस होकर नीचे नास्ता करने चला जाता है ।
मेरे नीचे पहुँचते ही गीता आती है और मेरे लिए नास्ता चाय नास्ता लगाती है । गीता बाकई में बहुत ही अच्छी थी, एक अपनापन सा दिखाई दिया मुझे ।
सूरज-"गीता मेम में आपका बहुत आभारी हूँ, थॅंक्स ।
गीता-" सूर्या सर जी प्लीज़ आप मुझे सिर्फ गीता ही कह कर पुकारिए, और हाँ ये तो मेरा फर्ज था, 
सूर्या-"ठीक है गीता जी आज के बाद मेम नहीं बोलूंगा लेकिन आप भी मुझे सर मत बोलिए" 
गीता-"okk सूर्या"गीता हँसने लगती है और में भी ।
तान्या के कमरे 
तान्या-" माँ मेरे कपडे बहुत गंदे हो गए है,मुझे एक मेक्सी दे दो अपनी" संध्या मेक्सी लेकर आती है और तान्या के कपडे उतारने लगती है, तान्या पंजाबी सलवार कुर्ती पहनी हुई थी जो आराम से उतर जाती है, तान्या सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी,संध्या जल्दी से मेक्सी पहना देती है ।
तान्या-" माँ एक महीने तक में कैसे रहूंगी घर पर" 
संध्या-" बेटा मज़बूरी है रहना तो पड़ेगा" 
तान्या-" माँ टेंडर भी तो पूरा करना है, मेरे बिना तो टेंडर पूरा कौन करेगा,टेंडर अगर नहीं हुआ था,कंपनी कर्ज में डूब जाएगी" 
संध्या-" कितना सोचती है तू कंपनी के बारे में, सूरज है न वो सब संभाल लेगा,और जरुरत पड़ी तो में चली जाउंगी कंपनी, 25 साल तक कंपनी मैंने ही चलाई है अकेले" 
तान्या-" ओह्ह्ह माँ लेकिन में तो अकेली घर में बोर हो जाउंगी, इस पैर के प्लास्टर की बजह से कहीं घूम भी नहीं सकती हूँ" 
संध्या-" में तुझे बोर नहीं होने दूंगी फ़िक्र मत कर" 
तान्या-" माँ में टॉयलेट कैसे जाउंगी"
संध्या-"सूरज है न"
तान्या-"ओह्ह्ह्ह माँ में टॉयलेट की बात कर रहीं हूँ, क्या उसे अपने साथ लेकर जाउंगी" 
संध्या-"ओह्ह्ह में तो भूल गई, बेटा ये तो मैंने सोचा ही नहीं तू टॉयलेट कैसे जाएगी, अब में तुझे बेड से उठाकर टॉयलेट तो लेजा नहीं सकती, तू ही कोई उपाय बता" 
तान्या-" उपाय तो यही है माँ में खाना पीना छोड़ देती हूँ,न बजेगी बांसुरी न राधा नाचेगी" यह कह कर तान्या हँसने लगती है, संध्या ने बड़े दिनों बाद तान्या को हँसते हुए देखा था,संध्या तान्या के पास जाकर तान्या को एक किस्स कर लेती है ।
संध्या-" मेरी बच्ची तू हमेसा ऐसे ही खुश रहा कर" तभी गीता और सूरज कमरे में आ जाते हैं ।
सूर्या-"माँ में और गीता कंपनी जा रहें हैं" 
संध्या-"हाँ बेटा जाओ, जरुरत पड़े तो तान्या से फोन करके पूछते रहना" 
तान्या को थोडा सुकून मिलता है की चलो, कुछ तो आराम है सूर्या से, 
सूरज और गीता कंपनी चले जाते हैं ।
कंपनी में आकर सूरज टेंडर से सम्बंधित सभी कार्य निपटाता है,गीता सूरज की भरपूर मदद कर रही थी ।
शाम को 8 बजे सूर्या अकेला ही घर आता है, फ्रेस होकर खाना खा कर तान्या के कमरे में जाता है और देख कर चला आता है,तान्या सो रही थी, तान्या को रात में दवाई खिलानी थी,इसलिए थोड़ी देर के लिए अपने कमरे में आकर लेट जाता है,लेटते ही सूरज को नींद आ गई, दो घंटे बाद सूरज का मोबाइल बजा, देखा तो कोई अनजान नम्बर था, सूरज फोन उठाता है ।।
सूरज-"हेलो कौन? 
दूसरी तरफ से-" हेलो सूर्या में तान्या,थोड़ी देर के लिए मेरे कमरे में आना"
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RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है - by sexstories - 12-25-2018, 01:10 AM

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