RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
कविता वहीं खड़ी होके मुझे देख रही थी,,,उसने एक बार हंस कर मुझे देखा और मैं भी वहाँ से चल
पड़ा कविता को बाइ बोलके,,,,,अब मुझे कविता की बात का जवाब भी मिल गया था जो बात उसने बोली थी,,,कि
अगर भाभी के रूम मे जाना है तो मेरे रूम का रास्ता भूल जाना,,,,,,,
मैं बाइक पर घर आ रहा था ,,खुश भी था और परेशान भी,,,एक चूत मिल गई थी और एक चूत हमेशा
के लिए दूर हो गई थी,,,लेकिन जो भी हुआ था अच्छा हुआ था,,,सबकी मर्ज़ी से हुआ था,,,,और सबसे बड़ी बात थी
कि कविता मिल गई थी मुझे जिसके लिए मैं इतना तरस रहा था,,,कब्से उसके साथ सेक्स करना चाहता था लेकिन हम,
दोनो मे सेक्स का नही एक प्यार का रिश्ता भी बन गया था जो सेक्स से कहीं ज़्यादा एहमियत रखता था मेरे
लिए,,,,,,,
कविता के घर से खुशी खुशी मैं अपने घर की तरफ चल पड़ा,,,,जहाँ एक तरफ कविता जैसी लड़की के मिलने'
की खुशी थी वहीं दूसरी तरफ कामिनी जैसी भाभी से दूर होने का गम भी था,,लेकिन कविता के करीब रहने
के लिए कामिनी भाभी से दूर होना ज़रूरी भी था,,यही सोच और ख्याल से परेशान होता हुआ मैं घर पहुँच
गया,,,,,मैं घर के गेट के पास पहुचा तो देखा कि 2 लोग खड़े हुए थे मेरे घर के पास जो मेरे घर
की तरफ घूर रहे थे और जैसे ही मैने उनकी तरफ देखा तो वो लोग वहाँ से चले गये,,,
मुझे ये लोग ठीक नही लग रहे थे,,,,और जिस अंदाज़ से वो वहाँ से गये थे सॉफ पता चल रहा था वो
मुझे देखकर भाग गये थे,,,,ये लोग कहीं अमित और उसके बाप के लोग तो नही थे,,,,मुझे थोड़ा डर
लगने लगा था,,अपने लिए नही ,,अपनी फॅमिली के लिए,,,,
मैने गेट खोला और घर के अंदर चला गया,,,,अंदर घुसा ही था कि माँ हाथ मे कुछ समान लिए खड़ी
हुई थी,,,,
अरे आ गया तू ,,सही टाइम पर आया,,,तुझे पता होगा कि बुटीक की चाबी कहाँ है,,,माँ ने मेरे पास
आते हुए बोला,,,,
हाँ पता है लेकिन आपको क्या ज़रूरत पड़ गई बुटीक की चाबी की,,,मैने माँ से सवाल किया,,,,
कुछ नही सन्नी बेटा थोड़ा काम था मुझे बुटीक पर,,,,चल जल्दी बता चाबी कहाँ है और मेरे साथ
चल तू भी,,,,
लेकिन कहाँ माँ ,,,,कहाँ जाना है अपने,,,,
मुझे अलका के घर जाना है,,,और फिर शिखा को कुछ काम है बुटीक पर,,,,चल जल्दी चाबी बता कहाँ
है और मेरे साथ चल,,,,
मैने माँ को चाबी दी और माँ के साथ चल पड़ा करण के घर की तरफ,,,,जाने से पहले मैने सोनिया को अच्छी
तरह से गेट बंद करने को बोला,,,,
हम लोग जा रहे है,,,,गेट अच्छी तारह बंद कर लेना,,कोई भी आए तो मत खोलना,,,मैने सोनिया को ऐसा इसलिए
बोला था क्यूकी मुझे डर था कहीं वो लोग फिर से नही आ जाए जो मेरे घर के बाहर खड़े हुए थे,,,
मैं कोई छोटी बच्ची नही हूँ जो ऐसे बात कर रहा है मेरे साथ,,सोनिया ने थोड़ा नखरे से बोला और गेट
बंद करके वहाँ से अंदर चली गई,,,,मैं भी माँ को लेके करण के घर की तरफ चल पड़ा,,,,
माँ ये बुटीक की चाबी का क्या करना है और क्या काम है बुटीक पर शिखा दीदी को,,,
अरे बेटा जबसे करण की शादी हुई है अलका और शिखा तरस गई है मस्ती के लिए,,,आज हम लोगो का प्लान है
बुटीक पर रहके मस्ती करने का,,,,तेरा दिल करे तो तू भी चलना हम लोगो के साथ,,,,
नही माँ मेरा दिल नही है आप लोग ही जाना ,मेरी तबीयत ठीक नही है,,,,
मैं जानती थी तू ऐसा ही बोलेगा इसलिए घर से नकली लंड लेके आई हूँ वो भी बड़े वाला,,,माँ ने इतनी बात
हँसते हुए बोली,,,,,
ऐसे ही मज़ाक करते हुए बातें करते हुए हम लोग करण के घर पहुँच गये,,,,करण के घर जाके कुछ ही
देर बाद माँ अलका आंटी और शिखा घर से शॉपिंग के लिए बोलकर वहाँ से चली गई जबकि मैं वहीं रुक गया
,,मेरा दिल तो नही था रुकने का लेकिन करण ने मुझे रोका तो मुझे रुकना पड़ा,,,,
और सूनाओ सन्नी भाई क्या हाल चाल है आपका,,कहाँ थे ,,,कल भी हम लोगो ने इंतेज़ार किया था आपका,आंटी
तो आई थी लेकिन तुम नही आए थे,,,,
मैं ठीक हूँ करण भाई,,,,कल किसी काम से बिज़ी था इसलिए नही आया,,,,तुम लोग सूनाओ क्या हाल है,,,शादी
करके खुश तो हो ना,,,,और तुम लोगो की शादी से शिखा दीदी और अलका आंटी भी खुश है ना,,,
हाँ सन्नी भहँ लोग बहुत खुश है,,,,ये बात करण ने बोली,
तभी मैने कविता की तरफ देखा,,,,तो वो भी बोली,,,हाँ सन्नी मैं भी बहुत खुश हूँ,,माँ और शिखा दीदी
भी बहुत खुश है और वो दोनो बहुत अच्छी है,,,,
चलो अच्छी बात है,,,,आंटी जी और शिखा दीदी भी खुश है तुम दोनो की शादी से,,अब मेरी दुआ है किसी क़ी
नज़र नही लगे तुम दोनो को,,,हमेशा ऐसे ही हंसते खेलते रहो तुम दोनो,,,,
अब किसकी नज़र लगनी है सन्नी भाई,,,,करण ने थोड़ी उत्सुकता से पूछा,,,
भाभी के पिता जी की,,,,लेकिन मुझे नही लगता अब वो कुछ कर सकते है लेकिन अमित और उसका बाप कोई पंगा
कर सकते है,,,,उन लोगो से थोड़ी परेशानी हो सकती है शायद,,,
सही कहाँ तुमने सन्नी,,,,मेरे डॅड कुछ न्ही कर सकते अब,,,,कल वो शगुन लेके आए थे यहाँ पर,,,
ये बात रितिका ने बोली थी बड़े प्यार से खुश होके,,,
क्या,,,,तुम्हारे डॅड आए थे कल यहाँ,,,और वो भी शगुन लेके,,,,
हाँ सन्नी भाई,,,,इसके पिता जी आए थे,,,लेकिन सुरेश नही था उनके साथ वो अकेले आए थे,,,माँ से शिखा
से मेरे से और रितिका से माफी भी माँग कर गये थे जो भी सुरेश ने किया उसके लिए,,,वो अब बहुत शर्मिंदा
थे,,कल हम लोगो के साथ लंच भी किया था उन्होने ,,,आंटी जी भी यहीं थी तब,,,,
ये तो बहुत अच्छी बात है,,चलो कुछ तो अच्छा हुआ इन दिनो मे तुम दोनो की शादी के बाद,,,,अब बस अमित और
उसके बाप का कुछ करना पड़ेगा वर्ना वो लोग पंगा कर सकते है,,,,
उन लोगो का जो करना है वो बाद मे करते है पहले नाश्ता तो करले सन्नी भाई,,,,,
नाश्ता अभी,,,अभी तो लंच टाइम हो गया है करण भाई,,,,
हम लोगो का तो नाश्ता टाइम है सन्नी भाई,,,,अभी तो सोके उठे है कुछ देर पहले हम लोग,,,,करण ने इतना
सब हंस कर बोला लेकिन रितिका मुझे देखकर शरमा गई,,,,और उठकर बाहर चली गई,,,
उसके जाते ही करण हँसने लगा,,,,साथ मे मैं भी,,,,
अच्छा लगा मुझे करण भाई तुम दोनो को इतना खुश देखकर,,,हमेशा ऐसे ही हंसते खेलते रहना तुम दोनो,,
ये सब तुम्हारी मेहरबानी है सन्नी भाई,,,,जो कुछ भी किया तुमने ही किया है,,,चलो अब बाहर चलते है
हम लोग नाश्ता करते है और तुम लंच कर लेना,,,,इतना बोलकर करण और मैं हंसते हुए रूम से बाहर आ गये
और बाहर आके देखा कि रितिका किचन मे चली गई थी,,,,
मैं और करण भी वहाँ चले गये,,,,,
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