RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैं उसके पास गया और उसको अपने गले से लगा लिया,,,,,,इतना सब हो गया तेरे साथ तो तूने मुझे बताया क्यूँ नही
एक बार बता सकती थी ना,,,,अगर तुझे मेरे भाभी के और सूरज भाई के बारे मे सब पता था तो तू अपने बारे
मे भी मुझे बता ही सकती थी,,,,और भाभी भी तो बता सकती थी,,,,लेकिन नही,,,,आज भी भाभी ने झूठ ही
बोला मेरे साथ,,,,,और मैं जानता हूँ उन्होने ऐसा क्यूँ किया था,,,,ताकि मैं तुझे ग़लत नही समझु और ना
ही तेरे और तेरे बाप के बारे मे मुझे कुछ पता चले,,,,लेकिन इतना सब कुछ हो गया और तू इतना सब सहती
गई,,,
मैं उस से बात करता हुआ दिल मे ये भी सोच रहा था कि मेरा बाप भी तो मेरी बेहन को चोदता है लेकिन
वो सब रज़ामंदी से हुआ था ना कि कोई ज़ोर ज़बरदस्ती से,,,अगर कविता भी अपने बाप से रज़ामंदी मे सेक्स करती
तो कुछ बुरा नही था लेकिन उसके बाप ने तो शराब के नशे मे उसके साथ ज़बरदस्ती की थी जो बहुत बुरी बात
थी,,,,वो बेचारी को कितना कुछ सहना पड़ा था,,,,वो भी अपने ही घर मे वो भी अपनो के साथ,,,,अब मुझे ये
भी पता चल गया था कि ये जब अपनी माँ को मिलने गई थी सूरज भाई के साथ तो सोनिया को क्यूँ लेके गई थी अपने
साथ,,,ताकि वहाँ पर उसका बाप उसके साथ फिर कोई घटिया हरकत नही कर सके,,,लेकिन साथ ही मुझे डर भी
लगने लगा था कि इसने अपने और अपने बाप के बारे मे सोनिया को बता दिया था तो क्या मेरे ,,कामिनी भाभी और
सूरज भाई के बारे मे भी सोनिया को कुछ बता तो नही दिया था,,,,
मैं यही सोचता हुआ उसको बाहों मे भरके बेड पर बैठा हुआ था,,,मैं अभी भी नंगा ही था लेकिन अब
कोई ग़लत इरादा नही था दिल मे ना ही मस्ती का मूड था,,,,तभी मैं आराम से उसको बाहों मे भरके बेड
पर लेट गया और साथ मे उसको भी लेटा लिया और हम दोनो पर कंबल ओढ़ लिया ,,,उसने अपने सर को मेरे शोल्डर
के पास मेरी चेस्ट पर रखा हुआ था और रो रही थी जबकि मैं उसके आँसू पोछता हुआ उसको चुप करवाने की
कोशिश कर रहा था,,,ऐसे ही दुख सुख बाँट-ते हुए हम दोनो एक दूसरे को बाहों मे भरके सो गये,,कब
आँख लगी पता ही नही चला,,,,,,,,,
सुबह जब उठा तो देखा कि मैं अकेला ही था बेड पर,,,,मैने रूम मे नज़र घुमाई तो कविता वहाँ नही
थी ,,,तभी मैने टेबल पर देखा तो मेरे कपड़े पड़े हुए थे जो शायद प्रेस भी किए हुए थे,,मेरे जूते
भी वहीं पास मे थे,,,,ये सब तो रात को कामिनी भाभी के रूम मे थे,,,,खैर मैं उठा और फ्रेश होके
कपड़े पहन कर बाहर आ गया,,,,देखा तो कविता और कामिनी भाभी नाश्ता तैयार कर रही थी,,,दोनो किचन मे
खड़ी होके बातें भी कर रही थी,,,,
तभी मैं भी किचन मे चला गया,,,अरे ननद भाभी मे क्या बात हो रही है हमे भी तो पता चले,,,
मेरी बात सुनके भाभी और कविता मेरी तरफ पलट गई,,,,
कुछ खास नही सन्नी बस ,,,,,,और वैसे हम ननद और भाभी नही दोस्त है,,,,क्यूकी एक ननद और भाभी से
कहीं ज़्यादा प्यार है हम दोनो मे,,लेकिन अब लगता है कविता को प्यार करने वाला कोई और मिल गया है,,,भाभी
ने ये बात मज़ाक मे बोली थी,,,,,
कविता शरमा गई भाभी की बात सुनके,,,तभी भाभी किचन से बाहर आ गई ,,नाश्ता बन गया था और भाभी
ने कविता के साथ मिलकर नाश्ता टेबल पर लगा दिया,,,मैने भी थोड़ी हेल्प करदी थी,,,,
फिर हम लोग बैठकर नाश्ता करने लगे,,,नाश्ता करते टाइम मैं और कविता पास पास बैठे हुए थे जबकि
भाभी सामने की तरफ थी,,,मैं भाभी की तरफ ध्यान दे रहा था लेकिन भाभी मेरी तरफ बिल्कुल भी ध्यान
नही दे रही थी,,,,नाश्ता ख़तम हो गया और भाभी उठकर अपने रूम मे चली गई,,मैं भाभी को जाते हुए
पीछे से देख रहा था,,,,मेरा ध्यान भाभी की तरफ था तभी कविता ने मुझे भाभी की तरफ देखते हुए
पकड़ लिया ,,,,,
उस रूम की तरफ ध्यान देना छोड़ दो सन्नी,,,,क्यूकी अगर तुम दोबारा उस रूम मे जाओगे तो मेरे पास
कभी वापिस नही आओगे,,,,याद रखना,,,,,कविता ने ये बात ऐसे बोली थी जैसे मुझे ओरडर दिया हो,,अपना फैंसला
सुनाया हो,,,,
मैं कुछ नही बोला बस अपने बर्तन लेके किचन मे चला गया,,,,किचन से बर्तन रखके बाहर आया और
कविता को बाइ बोलके वहाँ से जाने लगा,,,,,
अभी मैं बाहर दरवाजे की तरफ जाने ही लगा था कि भाभी बाहर आ गई,,,,,भाभी ने बाहर आके मुझे
कविता के सामने बाहों मे भर लिया ,,,,,,मैं कविता की तरफ देख रहा था क्यूकी उसके सामने भाभी ने
मुझे बाहों मे भरा था मुझे डर लग रहा था,,,,
ये आख़िरी बार है सन्नी जब तुम और मैं इतने करीब है,,,,आज के बाद तुम मेरे करीब नही आ सकते क्यूकी
अब तुमको कविता के करीब रहना है,,,मुझे तुमसे जो चाहिए था मिल गया है,,भाभी ने अपने पेट पर
हाथ लगाते हुए ये बात बोली,,,,तुम्हारा बीज़ मेरे पेट मे पलने लगा है सन्नी,,,अब मुझे तेरे से और कुछ
नही चाहिए,,अब तू पूरी तरह से कविता का है,,,कविता मेरी ननद कम और दोस्त ज़्यादा है,,इस घर मे वहीं
एक है जिसने हर कदम मेरा साथ दिया है हर मुश्किल मे मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हुई
थी ये,,,अब तुझे अपने पास रखके मैं इस से दूर नही हो सकती और ना ही तुझे इस से दूर कर सकती हूँ,अब
तक जो हम लोगो मे हुआ वो आज के बाद नही होगा,,,
कल रात जितना मज़ा लेना था तेरे साथ मैने ले लिया है,,,जितनी मस्ती करनी थी करली,,कल की रात हम लोगो की
आख़िरी रात थी और तेरे साथ कविता की एक शुरूवात थी,,आख़िरी रात को भूल जाओ और कविता के साथ एक नई शुरुआत
करो,,,कल की रात मैने तुझे इसी लिए बुलाया था ताकि तेरे साथ आख़िरी रात की मस्ती कर सकूँ और ये कविता
तुझे मेरे साथ मस्ती करते हुए देखना चाहती थी,,जितना टाइम हम लोग रूम मे थे ये रूम के बाहर
से हम लोगो को देख रही थी,,,,,इसका इरादा ये नही था कि ये तेरे साथ वो सब करेगी ये तो बहुत डरती थी इसलिए
तो मैने इसको वो नकली लंड भी दिया था ताकि तेरी और मेरी मस्ती देखकर इसके जिस्म मे जो आग लगी उसको ये नकली लंड
से ठंडा कर सके लेकिन इसको नकली लंड से मस्ती नही करनी थी इसको तो तेरे साथ मस्ती करनी थी,,,जब मैने इसको
बताया कि तू किचिन मे है और वो भी नंगा तो इस से रहा नही गया और ये वहाँ आ गई,,,और फिर जो हुआ तुझे
पता है,,,,मेरा तो मूड था सारी रात तेरे साथ एक लास्ट बारी मस्ती करने का लेकिन कविता की वजह से मुझे पीछे
हटना पड़ा,,,,,और अब मैं कभी आगे बढ़ भी नही सकती ,,,,अब जितना आगे बढ़ना है तुझे कविता के साथ बढ़ना
होगा,,,,,भाभी ने इतना सब बोला और मेरे गले लग के मेरे फोरहेड पर किस की बरसात करदी और नम आखों मे
आँसू लेके वहाँ से अपने रूम मे चली गई,,,,
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