RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
फिर उस दिन कभी मैने माँ को कभी अलका आंटी को कभी शिखा को चोदा ऑर कभी मैने ऑर करण के
मिलकर माँ शिखा ऑर अलका आंटी को चोदा,,,,हमने अलका आंटी को भी 2 लंड का मज़ा दे दिया,,,कभी चूत
मे मेरा ऑर गान्ड मे करण का लंड तो कभी गान्ड मे मेरा ऑर चूत मे करण का लंड,,,इतनी मस्ती की
हम सब ने मिलकर की अलका आंटी ने तो कभी सपने मे भी नही सोचा था,,,,,,,,वो तो अपने बेटा ऑर बेटी से
मस्ती करके पागल ही हो गई थी,,,,,,
जब चुदाई ख़तम हुई तो करीब नून टाइम हो गया था ऑर 12 बजे का टाइम हो गया था,,,
क्यू अलका कैसा लगा अपने ही बेटे से चुदाई करके,,,,,माँ ने हँसते हुए बोला,,,,,,
दीदी आपने अच्छा नही किया,,,मेरे साथ इतना बड़ा गेम खेला,,,सीधी तरह नही बता सकती थी सब कुछ,,,,,
सीधी तरह बता देती तो शायद तू मेरी बात नही मानती अलका,,,,ये सब करना ज्रूरी था,,,मेरा बेटा सन्नी
मुझे कब्से चोद रहा है,,,फिर उसने करन को भी मेरे साथ मस्ती करने के लिए तैयार किया था,,,फिर बाद
मे पता चला कि करण भी तेरे को बहुत पसंद करता है तुझे चोदना चाहता है,,,,,,
अलका ने करण की तरफ देखा तो करण ने हां मे सर हिला दिया,,,,,
बस फिर करण की खातिर मैने ये सब किया,,,,ऑर ये सन्नी भी तो तेरी मस्त गान्ड पर लट्तू हो गया था,,,
लेकिन ये शिखा कब शामिल हुई आप लोगो के साथ,,,,,,,
ये भी बहुत पहले से शामिल है हम लोगो के साथ ऑर ये ही नही ,,मेरी बेटी शोबा भी शामिल है,,,,
क्या बोल रही हो दीदी,,,,,,
सही बोल रही हूँ अलका,,,,,,मैं अपने पति से खुश हूँ लेकिन कुछ ज़्यादा ही चुड़क्कड़ हूँ मैं इसलिए तो
अपने ही घर मे अपने पति के अलावा आपने भाई से ऑर दोनो लड़को से चुदती हूँ,,,,विशाल भी मुझे चोदता
है ऑर अब सन्नी भी,,,,अब तो ऐसी आदत हो गई है कि एक साथ 2-3 लंड से ही संतुष्टि होती है,,,,एक लंड से
कुछ नही होता,,,,,,मैं चाहती तो घर से बाहर जाके भी खुद को संतुष्ट कर सकती थी लेकिन इसमे बहुत
टेन्षन होती है ,,बदनामी का डर रहता है लेकिन अब मैं अपने घर मे मस्ती करती हूँ ऑर जब दिल करे
तब मस्ती करती हूँ,,,ना कोई डर ना कोई टेन्षन,,,,,,,ऑर आज के बाद तू भी अपने बेटे ऑर बेटी के साथ जब दिल
करे तब मस्ती कर सकती है,,,बिना किसी डर के,,आख़िर परिवार मे चुदाई के सुख से बड़ा कोई ऑर सुख कहाँ
है ,,,एक चुदाई का सच ही बड़ा होता है सब सुखों से,,,,,,,
अब ना तुझे अपनी पति की याद आएगी ना उसके लंड की याद सताएगी,,,ऑर देख ज़रा करण के लंड को तेरे
पति के लंड से भी कहीं ज़्यादा बड़ा है,,,,,
अलका ने शरमाते हुए करन के लंड को देखा तो सिकुड कर भी कम से कम 4 इंच का था,,,,,
अब शरमाना छोड़ दे,,ऑर दिल खोल कर मस्ती कर अपने परिवार के साथ,,,जब तक करण का बाप वापिस नही
आ जाता,,फिर उसको भी शामिल कर लेना अपने खेल मे,,,,पूरा परिवार मिलकर मस्ती करना फिर,,,,,जैसे मैं ऑर
मेरा परिवार करते है,,,,,,,,,,
इतना बोलकर माँ ने मुझे कपड़े पहनने को बोला ऑर खुद भी कपड़े पहनने लगी,,,,,,,अरे कहाँ चली आप दीदी
रूको ना थोड़ी ओर मस्ती करते है,,,,अलका बोली,,,
नही अलका अब मुझे जाना है,,,मैं तो बस तेरी प्रोबलम दूर करना चाहती थी वो हो गई अब तू अपने परिवार
के साथ सुखी रह,,,
रूको ना आंटी अभी इतनी भी क्या जल्दी है,,,,,
तुझे तो पता है ना मेरी जल्दी की वजह करण बेटा,,,,,,
ओह्ह हां भूल गया मैं आंटी जी,,,,,
माँ ऑर करण की क्या बात हुई मैं कुछ समझा नही ,,,लेकिन मुझे ऐसा लगा कि शिखा भी उनकी बात को जानती
थी इसलिए माँ करण के साथ शिखा भी हँसने लगी,,,,,
अब तुम लोग करो मस्ती मैं चली,,,,,,माँ तैयार होने लगी ऑर मैं भी करण के रूम मे जाके अपना समान
पॅक करने लगा,,,,तभी शिखा ऑर करण मेरे पास आ गये,,,,
थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी भाई तेरी वजह से ऑर सरिता आंटी की वजह से अब मैं ऑर दीदी जब दिल करे तब मस्ती कर सकते
है ऑर अब तो माँ भी शामिल हो गई है हम लोगो के खेल मे,,,,
अच्छा वैसे तुझे मज़ा आया करण अपनी माँ को चोद कर,,,,,
हाँ भाई बहुत मज़ा आया,,,,करण बोला,,,,,,,
मुझे भी बहुत मज़ा आया ,,,,शिखा भी बोली,,,,,
अच्छा तो तुम दोनो को सर्प्राइज़ अच्छा लगा,,,,
हाँ बहुत अच्छा लगा,,ऑर जैसे तूने हमे सर्प्राइज़ दिया है वैसे एक सूप्राइज़ तेरा घर पर वेट कर रहा है,,
कॉन्सा सरप्राइज,,,,इस से पहले मैं या कोई कुछ बोलता माँ वहाँ आ गई साथ मे अलका आंटी भी थी,,,उनके जिस्म
पर बेडशीट थी जबकि करण ऑर शिखा नंगे थे,,,,,मैं ऑर माँ वहाँ से चलने लगे तो आंटी ने एक बार
मुझे बाहों मे भर लिया ऑर एक डीप किस करदी ,,,,,,फिर मैं ऑर माँ वहाँ से चल पड़े घर की तरफ,,
करण शिखा ऑर अलका आंटी को मस्ती करने के लिए छोड़ कर,,,,,,,
करण को उसकी माँ मिल गई थी ऑर अलका को उसका बेटा ,,,अब करण बिना किसी डर के अपनी बेहन शिखा के साथ
जब दिल करे तब चुदाई कर सकता था ऑर अलका को भी अब बाज़ार से बैगन लेके आने को कोई ज़रूरत नही थी
उसको इतना बड़ा मूसल जो मिल गया था,,,जो उसके पति के छोटे से लंड से कहीं ज़्यादा बड़ा था,,शिखा भी अब
अपनी माँ ऑर भाई के साथ दिल खोल कर मस्ती कर सकती थी,,,,बोलो तो पूरा परिवार अब एक ही छत के नीचे एक
ही बेड पर हर रात नंगा सोया करेगा बिना किसी डर के बिना किसी टेन्षन के,,ऑर एक दूसरे के जिस्म का सुख
लिया करेंगे,,,,आख़िर इसी को कहते है,,,,परिवार मे चुदाई के सुख से बड़ा कोई सुख नही,,,,,,,
माँ को साथ लेके मैं करण के घर से निकला तो माँ बहुत खुश थी,,,,अलका से तो मस्ती करली बेटा अब ज़रा
घर चल ऑर मुझे भी खुश कर,,ऑर साथ ही तेरे लिए एक सर्प्राइज़ आया हुआ है वो भी देख लेना,,,,
माँ सर्प्राइज़ तो कितने दिन से आया हुआ है आपने मुझे बताया क्यूँ नही,,,
माँ हैरान होते हुए हुए,,,,,तुझे किसने बताया सर्प्राइज़ के बारे मे,,,,,
कविता ने बताया था कॉलेज मे ,,,,लेकिन अपने क्यू नही बताया,,,,,,
अगर तुझे बता देती तो बेटा सर्प्राइज़ कैसे रहता वो,,,,
वैसे सर्प्राइज़ है क्या माँ,,,,,
अब घर जा रहा है ना घर जाके देख लेना,,,,वैसे तेरा दिल खुश हो जाएगा सर्प्राइज़ देख कर,,,,
अभी हम बात कर ही रहे थे तभी मेरा फोन बजने लगा,,,,पॉकेट से मोबाइल निकालने ही लगा था कि बेल
बंद हो गई,,,,,,मैं फिर आगे बढ़ चला ,,,बातें करते हुए मैं ऑर माँ घर पहुँच गये ,,,,माँ ने गेट
खोला ऑर मैं बाइक अंदर करने लगा तभी फोन फिर से बजने लगा,,,,
मैने फोन पॉकेट से निकाला तो देखा ये कामिनी भाभी की कॉल थी,,,,,ओह्ह शिट्ट मैं तो भूल ही गया था
क़ि कामिनी भाभी ने मुझे सुबह घर पर बुलाया था,,,,,अलका आंटी की मस्त गान्ड के चक्कर मे मैं
कामिनी की सॉफ्ट चूत को भूल ही गया था,,,,
हेलो भाभी,,,,,
शुक्र है सन्नी तुझे मेरी आवाज़ तो याद है,,मुझे तो लगा भाभी के साथ-साथ भाभी की आवाज़ भी भूल
गया है तू,,,,,
नही ऐसी बात नही है भाभी बस थोड़ा काम आन पड़ा था इसलिए सुबह नही आ पाया मैं,,,,
अच्छी बात है सुबह नही आया,,,सुबह आता तो काम नही बनता हम लोगो का,,,,अभी कहाँ है तू,,,
मैं बस घर से निकलने ही लगा था भाभी,,,,
अरे वाह,,,,तो ठीक टाइम पर फोन किया है मैने,,,,,मैने भी फोन इसलिए किया था ताकि तुझे याद दिला
दूं,,,कब तक आ रहा है तू सन्नी,,,,
बोला ना भाभी घर से निकलने लगा हूँ,,,,15-20 मिनट मे पहुँच जाउन्गा,,,,
ठीक है ,,,जल्दी आजा फिर,,,इतना बोलकर भाभी ने फोन कट कर दिया ,,,,
किसका फोन था बेटा,,,,,,माँ ने गेट के अंदर से पूछा,,,,
कुछ नही माँ किसी दोस्त का फोन था ,,कुछ काम है मुझे जाना होगा,,,,जब मैं माँ से बात कर रहा
था तो मेरी नज़र पड़ी घर के अंदर खड़ी हुई एक चमचमाती न्यू कार पर,,,जिसका अभी नंबर भी नही
आया था,,,,,मैं न्यू कार देख कर खुश हो गया,,,,मेरा सर्प्राइज़ तो बहुत अच्छा है,,,,,दिल तो कर रहा था न्यू
कार को ड्राइव करने का लेकिन ये कार कहाँ जाने लगी है अब,,अपनी ही है घर पर रहेगी लेकिन भाभी रोज रोज
नही मिलने वाली,,,,,ऑर वैसे भी न्यू कार से कहीं ज़्यादा मज़ा था भाभी की सवारी करने का,,,,,इसलिए माँ को
बाइ बोला ऑर मैं वहाँ से चलने लगा,,,,
पहले अंदर तो आजा बेटा,,फिर चला जाना,,,सर्प्राइज़ तो देख ले ,,,,शायद तेरा जाने को दिल ही नही करे,,,,
वो मैने देख लिया माँ ,,अब मैं चला ,,शाम को आता हूँ,,,,,
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