RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
मैने आंटी की टाँग को अपने हाथ मे पकड़ा ऑर फिर लंड को पीछे किया ऑर तेज़ी से झटका मारा तो एक बार
मेरा आधे से ज्याद लंड आंटी की चूत मे घुस गया ऑर आंटी की फिर से आहह निकल गई लेकिन आंटी का
हाथ उनके मूह पर था इसलिए अहह कुछ दब कर रह गई,,,,,मैने अपनी कमर को पीछे किया ऑर तीसरा झटका
मारा तो पूरा का पूरा लंड आंटी की चूत मे घुस गया ऑर इस बार मूह पर हाथ रखा होने के बावजूद
आंटी के मूह से निकलने वाली आहह को आंटी दबा नही सकी ऑर वो आवाज़ पूरे कमरे मे गूँज गई ,,,
इसी मोके की तलाश मे था मैं जब आंटी के मूह से एक तेज आहह निकली जिसने मुझे ये बता दिया कि बाजी अब
पूरी तरह से मेरे हाथ मे आ गई है तो पूरी हिम्मत के साथ मैं आंटी के उपर चढ़ गया ऑर बिना कोई देर
किए आंटी की चूत मे लंड पेलने लगा,,,,,मेरा एक हाथ आंटी के बूब पर था जबकि एक हाथ से मैने
आंटी के शोल्डर पर अपनी पकड़ बनाई हुई थी जिस से धक्का मारने मे मुझे आसानी हो रही थी,,,,मेरा
पूरा लंड आंटी की चूत मे अंदर बाहर हो रहा था ऑर आंटी के मूह से हल्की हल्की सिसकियाँ निकल रही थी
,,,आंटी का हाथ अभी तक उनके मूह पर था मैने आंटी एक हाथ को पकड़ा ऑर उठा कर बेड पर रख दिया
ऑर अपने लिप्स को आंटी एक लिप्स की तरफ मोड़ दिया एक ही पल बाद मेरे लिप्स आंटी के लिप्स पर थे ऑर मैने
आंटी के लिप्स को अपने मूह मे भर लिया लेकिन आंटी ने अपने सर को हिला कर अपने फेस को टर्न कर लिया ,,
मैने जल्दी से अपने हाथ से आंटी के सर को पकड़ा ऑर आंटी के लिप्स को दोबारा से अपने मूह मे भरके
चूसने लगा तभी आंटी ने भी एका एक ही मेरा साथ देना शुरू कर दिया,,,मैं ऐसे ही लेटा रहा ऑर आंटी
की चूत मे लंड डालके तेज़ी से झटके मारता हुआ आंटी को किस करने लगा ,,,,अब तक मेरा दूसरा हाथ भी
आंटी के बूब्स पर चला गया था,,,,मेरे दोनो हाथों मे आंटी एक बूब्स थे ऑर मैं उनके बूब्स
को मसलता हुआ आंटी को किस करता हुआ उनकी चुदाई कर रहा था,,,,
आंटी भी मेरा साथ देती हुई मुझे किस का पूरा रेस्पॉन्स दे रही थी ऑर उनके दोनो हाथ मेरी पीठ को
अच्छी तरह से सहला रहे थे,,,,मैं करीब 15 मिनट ऐसे ही चुदाई करता रहा फिर मेरा दिल किया पोज़
चेंज करने को इसलिए मैने आंटी के उपर से उतरना चाहा लेकिन आंटी ने मुझे उतरने नही दिया,,,,
इसीलिए मैं ऐसे ही लेटा लेटा आंटी की चूत मारता रहा,,,,मैं करीब 30-35 मिनट तक आंटी की चुदाई
'करता रहा ऑर लास्ट मे आंटी की चूत मे भी झड गया,,,,इतना टाइम मेरे हाथ आंटी के बूब्स पर रहे ऑर
हम दोनो के लिप्स भी आपस मे जकड़े रहे ,,,,आंटी के हाथ भी मेरी पीठ पर ही थे,,,30-35 मिनट
तक हम दोनो एक ही हालत मे रहे ,,,,,जब तक मेरा पानी निकाला तब तक आंटी की चूत ने 3 बार पानी
बहा दिया था,,,,इतना पानी निकला था उनकी चूत से कि मेरी टाँगे ऑर बेड भी पूरा गीला हो गया था ,,,हो ना
हो आंटी का पेशाब निकल गया था मस्ती मे पागल होके,,,,जब मेरे लंड से पानी निकल गया तो मैने अपने
लंड को आंटी की चूत से निकाल लिया ऑर बेड पर गिर गया,,,,आंटी कुछ देर अपनी सांसो पर क़ाबू करती
रही फिर उठ कर अपने रूम मे चली गई,,,,,,,
मैं उनके रूम मे नही गया,,,,मैं जानता था उन्होने आज मस्ती तो करली मेरे साथ लेकिन फिर भी वो कुछ
डरी हुई थी,,,,कुछ सहमी हुई थी,,,,,मैं भी उनके रूम मे नही गया ऑर पेशाब से गीले हो चुके बेड
पर ऐसे ही सो गया,,,,,दिल तो कर रहा था आंटी के रूम मे जाने को लेकिन मैं उनको ज़्यादा परेशान नही
करना चाहता था,,,,
सुबह उठा तो पूरे बदन से ऑर रूम से पेशाब की हल्की स्मेल आ रही थी जो मुझे नींद से जागते ही
फिर से उतेजित्त करने लगी थी,,,,,मुझे भी बहुत तेज पेशाब आया हुआ था इसलिए लंड पूरे आकड़ा हुआ था लेकिन
'आंटी के पेशाब की स्मेल से लंड की अकड़न कुछ ज़्यादा हो गई इसलिए जल्दी से भाग कर बाथरूम मे
जाके पेशाब किया ऑर फिर शवर लेके फ्रेश हो गया,,,,,,,रूम से बाहर जाने से पहले मैने मॅट्रेस ऑर
उसपे बिछी हुई बेडशीट उठा ली ऑर रूम से बाहर निकल गया,,,मैने देखा कि आंटी किचन मे अपना काम
कर रही थी,,,,जैसे ही आंटी की नज़र मेरे पर पड़ी वो एक दम से डर गई ऑर हल्के से शरमा भी गई,,,ऑर
जब उनका ध्यान मेरे हाथों मे पकड़े हुए मॅट्रेस ऑर बेडशीट पर गया तो उनका फेस शरम से लाल
हो गया ,,वो मेरे से नज़रे नही मिला सकी ऑर फेस को ज़मीन की तरफ कर लिया,,,,,मैं भी सीडियों की
तरफ गया ऑर जाते टाइम बेडशीट को वॉशिंग मशीन मे डाल गया ऑर मॅट्रेस को उपर छत पे जाके
धूप मे सूखने के लिए डाल दिया,,,,,अभी धूप नही निकली थी क्यूकी अभी सुबह के 6 बजे थे,,,मैं बहुत
जल्दी उठा गया था आज,,,,,आंटी भी जल्दी उठकर किचन के काम मे लग गई थी,,,,,,
मैं छत से उतर कर सीधा किचन मे चला गया,,,,,मुझे किचिन मे देख कर आंटी बुरी तरह से डर
गई शर्मा गई,,,,आंटी ने अभी सूट पहना हुआ था,,,,जो बहुत टाइट फिटिंग वाला था,,,आंटी ने एक बार मेरी
तरफ देखा ऑर फिर से अपने काम मे लग गई,,,,वो बर्तन धो रही थी,,,,,मैने फ्रिड्ज मे से पानी निकाला
ऑर पीने लगा फिर पानी पीने के बाद बॉटल को फ्रिड्ज मे रखा ओर फ्रिड्ज के डोर को थोड़ी तेज़ी से बंद
किया जिस से एक हल्का सा शोर हुआ ऑर आंटी का ध्यान मेरी तरफ आया लेकिन एक ही पल मे आंटी ने अपने फेस को
वापिस टर्न कर लिया ऑर अपना काम करने लगी,,,,,,,आंटी की इसी हरकत से मैं बहुत खुश हो गया ऑर आंटी के
करीब जाके उनके पीछे खड़ा हो गया,,,,,मैं अपने हाथ आंटी के शोल्डर पर रख दिए जिस से आंटी
एक दम से सिहर गई,,,आंटी के हाथ मे जो बर्तन था वो नीचे गिर गया,,,,आंटी के इसी डर का फ़ायदा उठा कर
मैं आगे हुआ ऑर पीछे से आंटी के साथ चिपक गया,,,,ऑर आंटी को अपनी बाहों मे जाकड़ लिया,,,,फिर आंटी
को अपनी तरफ घुमा लिया,,आंटी का फेस ज़मीन की तरफ था मैने अपने हाथ से आंटी की चिन को पकड़ा ऑर
आंटी के फेस को उपर उठा दिया लेकिन आंटी की नज़रे अभी भी झुकी हुई थी,,,मैने हल्के से आगे बढ़ कर
आंटी को किस करनी चाही तो आंटी ने अपने फेस को टर्न कर दिया मैने आंटी के फेस को पकड़ा ऑर अपनी
तरफ घुमा लिया ऑर फिर से किस करने की कोशिश करने लगा,,,,,,,
नही सन्नी बेटा ऐसा मत करो ,,ये ग़लत है,,,,,,
अगर ये ग़लत है तो रात को क्या हुआ था ,,,,,क्या तब वो ग़लत नही था,,,
रात को जो हुआ वो भी ग़लती थी,,,,,
चलो अगर वो ग़लती थी तो हम उस ग़लती को दोबारा से दोहरा लेते है,,,,,,
नही बेटा ,,,हमे उस ग़लती को दोबारा से दोहराना नही चाहिए,,,,क्यूकी फिर वो ग़लती नही होगी ,,,
हम लोग इंसान है आंटी जी ऑर इंसान तो ग़लतियों का पुतला है,,,,एक ग़लती एक बार करे या 100 बार कोई
फ़र्क नही पड़ता,,,,,इतने बोलकर मैने आंटी के लिप्स को अपने लिप्स मे जाकड़ लिये,,,,,वैसे तो आंटी बड़ा बोल
रही थी लेकिन लिप्स से लिप्स टच होते ही किस का रेस्पॉन्स देने मे उनको एक पल का भी टाइम नही लगा,,,,
वो उसी अंदाज़ ऑर मस्ती से मुझे किस करने लगी जिस अंदाज़ से मैं उनको किस कर रहा था,,,,,तभी किस
करते हुए मैं अपने हाथ नीचे ले गया ऑर आंटी की कमीज़ को उपर उठाने लगा ऑर जब आंटी की कमीज़
उपर उठने लगी तो आंटी ने भी मेरा साथ देते हुए अपने हाथ उपर उठा दिए जिस से मुझे उनकी कमीज़
निकालने मे कोई परेशानी नही हुई ऑर कमीज़ निकलते ही हम दोनो के लिप्स फिर से एक दूसरे के लिप्स मे
जकड गये,,,,,,ऑर फिर से शुरू हो गई एक मस्त किस ,,,,आंटी भी किस करने मे भी तेज थी वो मेरी ज़ुबान
को अपने मूह मे खींच खींच कर चूस रही थी ऑर अपनी ज़ुबान को मेरे मूह मे हर तरफ घुमा
रही थी,,,,,कमीज़ निकलते ही मैने आंटी के बॉल खोल दिए ऑर उनके सर से बलों को सहलाता हुआ उनकी
पीठ की तरफ बढ़ने लगा ऑर पीठ से नीचे की तरफ हाथ करके उनकी ब्रा के हुक्स पर ले गया ऑर बिना देर किए
उनकी ब्रा को खोल दिया ऑर आगे से उनकी ब्रा को हटा कर किचन के फ्लोर पर फैंक दिया,,,आंटी का उपर का
जिस्म अब नंगा हो गया था,,,,
आंटी ने एक बार मेरी तरफ देखा ऑर फिर अपने हाथों से अपने बूब्स को छुपाने लगी,,,सन्नी अभी भी टाइम
है रुक जाओ ये ग़लती मत करो,,,,,फिर से वही रात वाली ग़लती को मत दोहराओ,,,,
मैं रात वाली ग़लती नही दोहराने वाला आंटी जी,,,,,अबकी बार ये ग़लती एक नई ग़लती होगी,,,,,
आंटी सवालिया नज़रो से मुझे देखने लगी,,,,,,
जी आंटी जी ,,मैं सही कह रहा हूँ ,,,,रात वाली ग़लती अंधेरे मे हुई थी ,,बेड पर हुई थी,,,,ऑर सिर्फ़ आगे
से हुई थी,,,,,,,,जबकि ये ग़लती दिन की रोशनी मे,,,,किचन मे ,,ऑर पीछे से होगी,,,,,
मेरा बात सुनके आंटी शर्मा गई ऑर मैने आगे बढ़ कर आंटी के हाथों को उनके बूब्स से हटा दिया ऑर
उनके बूब्स को एक एक करके मूह मे भरके चूसने लगा,,,,आंटी के दोनो हाथ मेरे हाथों मे थे जिनको
मैने अपने सर पर रख दिया ऑर आंटी ने मेरे सर को सहलाना शुरू कर दिया ,,फिर मेरे हाथ फ्री होते
ही मैं अपने हाथों की नीचे की तरफ ले गया ऑर आंटी की सलवार के नाडे को खोल दिया ऑर एक पल बाद आंटी
की सलवार भी नीचे फ्लोर पर थी ऑर आंटी मेरे सामने नंगी हो गई थी,,,,आंटी ने सलवार के नीचे पेंटी
नही पहनी हुई थी,,,मेरा हाथ एक पल मे ही आंटी की चूत पर चला गया था,,,मैने महसूस किया कि
अब चूत पर एक भी बाल नही था जबकि रात को छोटे छोटे बाल थे चूत पर,,,,मतलब आंटी ने सुबह
सुबह ही चूत के बाल शेव किए थे,,,,,,उनको पता था मैं दिन मे भी चुदाई ज़रूर करूँगा,,,,
मैं अपने हाथ को उनकी चूत पर रखा ऑर हल्के से चूत की लाइन पर अपने हाथ की बीच वाली सबसे लंबी
उंगली को चूत की लाइन पर सहलाने लगा,,,,,मस्ती की वजह से आंटी की चूत ने पानी बहाना शुरू कर दिया
था जिस से चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी ऑर उंगली फिसल कर उनकी चूत मे घुस गई ऑर आंटी के मूह से आह
निकल गई साथ ही उनके हाथ मेरे सर पर ऑर भी ज़्यादा मस्ती से फिरने लगे,,,,मैं बारी बारी से आंटी के बूब्स
को चूस रहा था ऑर साथ मे अब उनकी चूत मे उंगली भी करने लगा था,जो उंगली उनकी चूत के पानी की
वजह से फिसल कर उनकी चूत मे घुस गई थी,,,मैने पहले एक उंगली से फिर 2 उंगली से आंटी की चूत
को सहलाना शुरू कर दिया,,,आंटी मस्ती मे सिसकियाँ लेते हुए मेरे सर को सहला रही थी,,,मेरा उपर का
बदन नंगा था इसलिए आंटी के हाथ मेरी पीठ तक भी आ गये थे ऑर पीठ को सहलाना शुरू भी कर
दिया था,,,,
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