RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
तभी दीदी भी ज़रा सोचकर बोली,,,,,,,,,,,,,,,,बुआ थी लेकिन बुआ की तबीयत ठीक नही थी उनका
मूड नही था इसलिए मैं अकेली थी जो तेरे साथ मस्ती करती ऑर तू नीचे क्यू सोया था सोनिया से
फिर तेरा झगड़ा हुआ क्या,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं कुछ नही बोला चुप रहा,,,,,,,,,
अच्छा तो भाई बेहन की फाइट अभी तक चल रही है दीदी हँसने लगी ऑर हँसते हुई वहाँ से वापिस उपर की तरफ चली
गई,,,,,,,,,,,
आज सुबह नाश्ता भी बुआ ने अपने किचन मे बनाया था ,,,,,,मैने नाश्ता किया ऑर कॉलेज
जाने के लिए बाहर निकला ऑर बिके स्टार्ट करने लगा तभी कविता भी बाहर आ गई थी अपनी अक्तिवा
लेके,,,,,,,,,,,,,
सन्नी--हाई कविता ,,,,,,,,,
कविता--हाई सन्नी,,,,,,एक उदास सी आवाज़ के साथ कविता ने मेरे को हाई बोला,,,,,,,
क्या हुआ तुम ठीक तो हो ना कविता,,,,,,,,,,मैने पूछा.....
कविता--हां सन्नी मैं ठीक हूँ,,,,,लेकिन अभी भी उसकी आवाज़ बहुत उदास लग रही थी,,,,,,,
सन्नी--फिर इतना उदासी के साथ क्यू जवाब दे रही हो मेरी बातों का,,,,,,
इस से पहले वो मेरे को कोई जवाब देती सोनिया बाहर आ गई ऑर आके कविता के पास खड़ी हो गई
कविता ने सोनिया को आते ही गले से लगा लिया ऑर हल्का सा रोने लगी तभी सोनिया ने उसके चेहरे
पर लगा हुआ चाशा निकाला ऑर मैं देखता ही रह गया उसकी आँखें ऐसी लाल हो चुकी थी
जैसे पता नही कितने टाइम से वो रोती जा रही हो ,,मेरा ध्यान उसकी तरफ था तभी उसने अपनी
नज़रे तिर्छि करके मेरी तरफ देखा ऑर सोनिया ने भी कविता की नज़रो का पीछा करते हुए मेरी
तरफ देखा ऑर जल्दी से कविता का चश्मा ठीक कर दिया ऑर कोई बात ना करते हुए कविता को सीट
पर पीछे होने के लिए बोला ऑर कविता पीछे होके बैठ गई ऑर सोनिया खुद आगे बैठ कर उसकी
अक्तिवा ड्राइव करने लगी ऑर वो दोनो वहाँ से चली गई तब तक मैं भी बाइक स्टार्ट कर चुका
था ऑर मैं भी उनके पीछे पीछे चलने लगा ,,,,,,मैं अभी कुछ आगे ही गया था तभी मेरा
फोन बजने लगा फोन से ज़्यादा ज़रूरी था मेरे लिए वो वजह जानना जिस वजह से कविता रो
रही थी लेकिन फोन दोबारा से फिर बजने लगा तो मैने बाइक साइड पर रोक दी ऑर मेरे फोन
उठाते उठाते ही सोनिया ऑर कविता मेरे से कहीं आगे निकल गई थी,,,,,,,,,,,,,
मैने फोन पर बात की ओर बाइक चलाना शुरू कर दिया,,,लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ अब तक तो
सोनिया ऑर कविता काफ़ी दूर निकल गई थी,,,,,,मैं बाइक चलाते हुए कॉलेज के बाहर पहुँचा
गया तभी फिर से फोन बजने लगा था,,
ये फोन था शिखा दीदी का,,,,,,,,,,,
शिखा--हेलो सन्नी,,,,,,,,,,
सन्नी--हेलो शिखा दीदी,,,,,,हाउ आर यू,,,,,,
शिखा--आइम फाइन सन्नी ,,यू टेल,,,,,,,,
सन्नी-मैं भी ठीक हूँ दीदी,,,,,आज कैसे याद किया दीदी ,,,,,,,,,,
शिखा-कुछ नही सन्नी बस दिल नही लग रहा था तेरे बिना तो सोचा एक फोन कर लेती हूँ ऑर अगर
फ्री हो तो मिल भी लेती हूँ,,,,,,,,,
वो बोल इतने मस्ती भरे अंदाज़ से रही थी कि मैं कविता के उदास चेहरे को भूल ही गया
था ऑर शिखा की मस्ती भरी आवाज़ मे कहीं खो गया था ऑर लंड ने भी कुछ पलों मे ही
अपनी ओकात दिखानी शुरू करदी थी,,,,,
सन्नी-दीदी मैं तो फ्री ही हूँ कोई ख़ास काम नही है मेरे को,,,बस कॉलेज ही जा रहा था,,,,
तभी दीदी हँसने लगी,,,,,,,,,,,,
सन्नी--तो बोलो दीदी आ जाउ क्या मिलने के लिए घर पे,,,,,,,,,
शिखा--नही नही सन्नी घर पे नही,,,,,,,आज माँ है घर पे ,कहीं ऑर मिलते है,,,,,,,,,,
सन्नी-कहीं ऑर कहाँ दीदी,,,,,,,,,,,
शिखा--वो तुमको पता होगा सन्नी तुम कुछ करो प्लीज़ मेरा बहुत दिल कर रहा है आज तेरे से
मिलने को,,,,,,
सन्नी-साला दिल तो मेरा भी करने लगा था अब लेकिन कहाँ मिल सकता हूँ,,,,,,,,ऐसी कोई जगह भी
तो नही है,,,,,,सुमित के घर लेके जाता लेकिन ये नही मानेगी वहाँ जाने को ऑर वैसे भी मेरा
भी इतना दिल नही करता इसको वहाँ लेके जाने को,,,,,,,,,,बुटीक पर ले जाता लेकिन वहाँ भी
पंगा था,,,घर पे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तभी मेरे दिमाग़ मे एक प्लान आया ,,,,,दीदी आप थोड़ी
देर इंतजार करो मैं कोई जगह का जुगाड़ करके वापिस कॉल करता हूँ आपको,,,,,,,
शिखा--ठीक है सन्नी लेकिन जल्दी करना मेरे से इंतजार नही होगा ज़्यादा ,समझ रहे हो ना,,,,,,,,
सन्नी--हाँ दीदी समझ रहा हूँ इंतजार तो मेरे से भी नही होना अब ज़्यादा,,,,,,,,,
मैने फोन काट दिया ऑर बाइक को वापिस घर की तरफ मोड़ दिया,,,,,,,,घर पहुँचा तो
देखा कि शोबा दीदी की अक्तिवा नही थी वहाँ मतलब वो जा चुकी थी लेकिन डॅड ऑर बुआ की
कार अभी घर पे ही थी वो अभी तक नही गये थे ऑर शायद आज उन लोगो को कहीं जाना भी
नही था घर पे रहके मस्ती करने का इरादा था दोनो का,,लेकिन मैं उनके इरादे पर पानी
फेरने आ गया था,,,,,,,,,,,,,मैने बेल बजाई लेकिन कोई जवाब नही आया,,,मैने फिर बेल
बजाई लेकिन फिर भी कोई जवाब नही आया,,,फिर कोई 5-7 मिनिट बाद बुआ ने दरवाजा
उनके बाल बिखरे हुए थे ऑर गीले थे शायद वो नहा रही थी,,,,,
बुआ--अरे तुम आज इतनी जल्दी वापिस आ गये ,,,अभी तो गये थे कॉलेज,,,,,,,बुआ ज़रा हँस कर बोल रही
थी लेकिन उनकी हँसी के पीछे छुपे हुए गुस्से के तेवर मुझे सॉफ नज़र आ रहे थे वो मेरे
घर आने से बिल्कुल खुश नही थी क्यूकी मेरे आने से उनका ऑर दाद का काम जो खराब हो गया
था,,,,,,,,,,,,,,,,
सन्नी--बुआ मेरे सर मे हल्का सा दर्द होने लगा था सोचा कि इस से पहले दर्द ज़्यादा हो जाए क्यूँ
ना घर जाके आराम किया जाए,,,,,,,,,,,,लेकिन आप अभी तक बुटीक क्यू नही गई बुआ,,,,,,,,,,,,,
बुआ कुछ सोचते हुए बोली,,,,,,,,,,,,,,,,,कुछ नही बेटा ज़रा घर का काम ख़तम कर रही थी
तेरी माँ तो यहाँ नही है सोचा आज मैं घर का काम कर लेती हूँ थोड़ा सा,,,अभी काम
ख़तम हुआ था ऑर बाथ लेके तैयार होने लगी थी तभी तुम आ गये,,,,,,,,,,
बुआ दरवाजे से साइड हो गई ऑर मैं अंदर आने लगा ऑर अंदर आके मैं सोफे की तरफ बढ़ने
लगा ऑर रास्ते मे मैने डॅड के रूम की तरफ नज़र मारी तो उनके रूम का दरवाजा पूरा ही
खुला हुआ था लेकिन रूम मे कोई नही था,,,,,मैं आके सोफे पर बैठ गया,,,,,,,,,,
बुआ--तुझे कुछ चाहिए तो नही बेटा,,,,,,,,,,,
सन्नी--नही बुआ मैं ठीक हूँ मुझे कुछ नही चाहिए,,,,,,,
बुआ--मेडिसिन दूं क्या बेटा,,,ख़ाके आराम कर लेना,,,,,,,,,,
सन्नी--नही बुआ मैं अभी आते टाइम मेडिसिन लेके आया हूँ शॉप से,,,,,,
बुआ--ठीक है बेटा तुम मेडिसिन खा लेना ऑर आराम कर लेना मैं अब तैयार होके बुटीक जा रही
हूँ,,,,,,,,,अभी बुआ उपर जाने क लिए पलटी ही थी कि डॅड भी अपने रूम से बाहर आ गये,,,,,
किसको चाहिए मेडिसिन,,डॅड ने रूम से निकलते ही पूछा,,,,,,,,,,
मेरे बोलने से पहले ही बुआ बोल पड़ी,,,,,,,,,,,,,,,सन्नी को चाहिए भाई इसके सर मे दर्द है
तभी तो कॉलेज से जल्दी आ गया है ,,,मैने इसको बोल दिया अब मेडिसिन लेके आराम करे,,,,
मैने डॅड की तरफ देखा तो ऐसा लगा कि डॅड भी अभी अभी नहा कर ही निकले है बाथरूम
से ,,,,,,,,,मेरा शक ग़लत नही तो दोनो भाई बेहन साथ मे बाथ ले रहे थे तभी तो बुआ
को टाइम लगा दरवाजा खोलने मे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
डॅड आज आप भी लेट जाने वाले है क्या ऑफीस,,,,,,,,,,मैने डॅड से पूछा,,,,,,,
डॅड बुआ की तरफ़ देखते हुए,,,,,,,,,,,,,,,,,हाँ बेटा आज मुझे भी थोड़ा लेट जाना था ऑफीस
लेकिन अब तुम आ गये हो तो मैं चलता हूँ तुम आराम करो ऑर मेडिसिन लेना मत भूलना
,,,,,
हाँ हाँ अब मेरे आते ही सबको जाने की जल्दी पड़ी है,,,,,,,,,,ऑर यही तो मैं चाहता हूँ कि
मैं घर पर आउ ऑर मेरे आते ही आप लोग यहाँ से चले जाओ,,,,,,क्यूकी पहले भी ऐसा कई
बार हो चुका है जब भी माँ ऑर मामा जी गाओं जाते थे या भाई के पास जाते थे तब बुआ
ऑर डॅड घर पर रहते थे लेकिन मेरे आते ही सब अपने काम पर चले जाते थे क्यूकी अब
उनको मोका जो नही मिलना था घर पे मस्ती करने का,,,,ऑर आज भी वैसा ही हुआ मेरे आते ही
बुआ ऑर डॅड तैयार होके घर से चले गये ऑर मेरा प्लान कामयाब हो गया,,क्यूकी मैं भी
यही चाहता था कि घर फ्री हो जाए ऑर मैं शिखा को यहाँ बुला सकूँ ऑर उसके साथ मस्ती
कर सकूँ,,,,,,,,,,
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