RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
बुआ का बात करने का अंदाज़ कुछ ठीक नही लग रहा था वो गुस्से मे मुझे ऑर्डर दे रही थी,,,कुछ घबराई
हुई भी लग रही थी,,,मैने ज़्यादा बात नही की ऑर वहाँ से चलने लगा जैसे ही मैने डोर ओपन की तभी मुझे
सीडियों से किसी के उतरने की आवाज़ आई मैने पीछे मूड कर देखा तो मनीषा नीचे आ रही थी ,,,,,,,इस से पहले
वो कुछ बोलती या कोई भी कुछ कहता मैने जल्दी से पीछे जाके उसको पूछ लिया,,,
मैं-तुम्हारी तबीयत कैसी है अब मनीषा,,,,,,,,
मनीषा ने कोई जवाब नही दिया बस मुझे देखने लगी ऑर तभी उसका ध्यान बुआ की तरफ गया,,वो बुआ की तरफ़
देख कर घबरा सी गई ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मनीषा-;मैं ठीक हूँ अब सन्नी,,,,
लेकिन उसकी आवाज़ से ऐसा लग रहा था कि वो ये सब खुद नही बोल रही थी,,,क्यूकी बोलते टाइम वो कुछ ऐसे बोल रही थी जैसे कोई ज़बरदस्ती उस से बुलवा रहा था,
मैने भी जल्दी से पीछे मूड कर देखा तो बुआ उसको इशारा कर रही थी,,,मेरे देखते ही बुआ ने अपना फेस दूसरी
तरफ टर्न कर लिया ,,मैं समझ गया कि बुआ ने ही मनीषा को इशारा किया था,,,,,,तभी मुझे उपर वाले डोर
के खुलने ऑर बंद होने की आवाज़ आई,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं समझ गया कि उपर कोई था मनीषा के साथ लेकिन मेरे
कुछ बोलने से पहले ही बुआ बोल पड़ी थी क्यूकी उस आवाज़ को बुआ ने भी सुना था ऑर बुआ को ये भी पता चल गया
था कि मैने भी वो आवाज़ सुनी है क्यूकी आवाज़ सुनते ही मैने बुआ की तरफ सवालिया नज़रो से जो देखा था,,,,,,,,
बुआ-;लगता है उपर कोई बिल्ली है,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-;हाँ बुआ जी मुझे भी ऐसा ही लगता है,,,,,,,,,,
मैने फिर सबको बाइ बोला ऑर वहाँ से डोर खोलके बाहर चला गया,,,,,,,,,मैने जल्दी से बाइक स्टार्ट किया ऑर बुआ के सामने वहाँ से चल पड़ा लेकिन मैने बुआ के बुटीक से थोड़ा आगे जाके बाइक को साथ वाली गली मे टर्न कर लिया जो बुआ के बुटीक के पिछले गेट की तरफ जाती थी,,,,,,वो गली बिल्कुल सुनसान थी बस 2-3 ही घर थे वहाँ बाकी कुछ नही
था,,,सामने की तरफ मार्केट थी तो सभी लोग पीछे की गली मे ही अपने बाइक ऑर कार पार्क करते थे,,तभी मैने
देखा कि एक खाली प्लॉट मे से एक कार निकली ऑर तेज़ी से वहाँ से जाने लगी,,,,,,,,,,,ये कार डॅड की थी,,,,,मैं समझ
गया कि मनीषा के साथ उपर डॅड ही थे तभी बुआ डरी हुई थी ऑर मुझे उपर नही जाने दे रही थी,,,साला मेरा
बाप मेरे माल पर नज़र रखता था,,,या कहीं ऐसा तो नही मैं ही अपने बाप के माल को चोदने की फिराक
मे था,,,,,,,,,,जो भी था एक बात तो परेशान करने वाली थी,,,,,,,,,,,डॅड बुआ मनीषा ऑर पूजा को चोद रहे है
कहीं वो शोबा दीदी को भी ,,,,,,,,,,,,,नही नही ऐसा नही हो सकता,,,,,लेकिन शोबा दीदी भी तो ज़्यादा टाइम बुआ के
साथ ही होती थी तो ऐसा होना मुनासिब था,,,,वैसे भी घर मे माँ मामा ऑर भाई से चुद रही थी तो यहाँ
डॅड भी बुआ ऑर शोबा को चोदते होंगे,,,,,क्यूकी अक्सर देखा था कि जब भी माँ मामा के साथ भाई के पास
जाती थी गाओं जाने का बहाना करके तो बुआ ऑर दीदी भी बुटीक नही जाती थी ऑर उनके साथ-साथ डॅड भी कई बार
बॅंक से छुट्टी लेके घर पर रहते थे,,,,,लेकिन मैने आज तक डॅड ऑर शोबा दीदी को एक साथ नही देखा था,,,,
तो क्या अभी तक डॅड ने शोबा दीदी की चुदाई की थी या नही,,,,,,,ये बात मुझे परेशान कर रही थी ऑर थोड़ा बहुत
रोमांचित भी,,क्यूकी अगर डॅड दीदी की चुदाई करते थे तो मुझे उनको देखना था चुदाई करते,,,एक बाप
को बेटी से चुद्ते देखने की तमन्ना से ही मैं खुश होने लगा था,,,अगर डॅड सच मे दीदी की चुदाई करते
है तो काश एक बार मुझे उनकी चुदाई देखने का मोका मिल जाए,,,,वैसे भी मैने डॅड को किसी की भी चुदाई
करते नही देखा था,,क्यूकी वो अक्सर सभी खिड़की दरवाजे बंद कर लेते थे,,,,,,,,,,मुझे अब किसी भी तरह
ये पता लगाना था कि डॅड दीदी की चुदाई करते है या नही,,,,,मुझे शक तो था उनपे लेकिन पक्का यकीन नही
था,,ऑर मैं उनको एक साथ देखकर शक को यकीन मे तब्दील करना चाहता था,,,,,,,,,खैर मैं वहाँ से
निकल कर वापिस घर की तरफ आने लगा,,,,,,अभी मैने घर से कुछ ही दूर था कि मुझे सामने से आता हुआ बाइक
नज़र आया जो मेरे पास आके रुक गया,,
अबे कहाँ गुम रहता है तू सन्नी भाई,,,,,,,,वो करण था,,,,,
मैं-कुछ नही यार बोर हो रहा था तो थोड़ा घूमने चला गया था,,,,,,,,मैने जवाब दिया,,,
करण-अकेले अकेले गया था या किसी के साथ,,,,,,अहाहाहहहाः
मैं-;क्या यार तू भी हर टाइम एक ही बात सोचता रहता है,,,,,,,,अरे मेरे बाप अकेला ही गया था बोर हो रहा था
घर पे तो सोचा कहीं घूम फिर के आता हूँ ,,,,,
करण-;सनी भाई तू हमेशा मेरे घर का बहाना करके कहीं ओर रात रंगीन करता है तो मैने सोचा कि कहीं अभी
भी तुम कहीं घूम फिर कर किसी के साथ शाम रंगीन तो नही कर रहे ,,,,,,,,
मैं-;छोड़ ना करण भाई,,,जब देखो एक ही बात,,,,,,,,कोई ऑर बात भी कर लिया करो,,,,,,,,,
करण-;सॉरी सन्नी भाई,,,अब क्या करू यार तेरा नसीब ही इतना अच्छा है कि रात भर किसी ना किसी के बेड पे लेटा
रहता है लेकिन एक हम है जिसको अकेले ही बेड पर इधर उधर अपना सर पटकना पड़ता है ,,,,कभी हमारे बारे
मे भी सोच लिया करो,,,कभी तो हमारी रात भी रंगीन करदो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ऑर हां मैं तो तेरे को मिलकर
थॅंक्स बोलने आया था कि तूने दीदी को अमित से दूर कर दिया ,दीदी बोल रही थी कि तूने बड़े प्यार से उनको सब कुछ
समझा दिया अब वो कभी अमित की शकल भी नही देखना चाहती,,मुझे बड़ी खुशी है कि तूने मेरी दीदी को उस
हरामी अमित से बचा लिया,,,,तेरा जितना थॅंक्स करू कम है मेरे भाई.........
मैं-;अबे साले भाई भी बोलता है ऑर थॅंक्स भी,,,तेरी दीदी मेरी दीदी,,ऑर वैसे भी अमित जैसे घटिया बंदे से हर एक
लड़की को बचना चाहिए,,,वो साला ज़िंदगी खराब कर देता है लड़की की,,,,,,,,,,ऑर रही बात दीदी को समझाने
की वो तो मेरी आदत है मैं कभी गुस्सा ऑर ज़बरदस्ती नही करता,,,जो बात प्यार से समझाने मे मज़ा आता है
वो गुस्से ऑर ज़बरदस्ती से नही आता,,,,ऑर तेरी दीदी को प्यार से समझा कर मुझे भी बड़ा अच्छा लगा,,,,,,मैने
सोचा अब इसको क्या बताऊ कि मैने कितने प्यार से समझाया है इसकी दीदी को,,,,,,,,,,,,,,,,
अच्छा भाई अब इतनी हेल्प की तूने मेरी अब एक ऑर हेल्प कर्दे ना,,,,,,,,
कैसी हेल्प,,,,,???
करण-;यार तेरे पास तो कोई ना कोई लड़की है,,ऑर तू रात भर मस्ती करता है,,अपने इस दोस्त के बारे मे कुछ सोच ना
मेरी भी सेट्टिंग करवा ना किसी से,,,,,,,,,,,
मैं-;अबे मैं कोई दलाल हूँ क्या जो सेटिंग करवाता हूँ,,,,,,,,
करण-;अरे भाई तू तो गुस्सा ही कर गया,,,,,मेरा वो मतलब नही था सन्नी भाई,,,मैं तो बोल रहा था कि तू रात भर
अपनी किसी गर्लफ्रेंड के घर रहता है,,ऑर खूब मस्ती करता है,,,एक आधी गर्लफ्रेंड मेरी भी बनवा दे यार कब्से तरस
रहा हूँ,तू तो मस्ती करता रहता है मैने तो आज तक हाथ से ही काम चलाया है,,,कुछ कर ना यार कब
तक अपना हाथ जगन्नाथ करता रहूँगा,,,,,,,,,,प्ल्ज़्ज़ सन्नी भाई कुछ सेट्टिंग करवा दे प्लज़्ज़्ज़,,,,,,
मैं-;ठीक है सेट्टिंग तो करवा देता हूँ लेकिन,,,,,,,,लड़की,,,,,
करण-;मैं बोलने ही लगा था कि करण बीच मे बोल पड़ा,,,,,,,,,,लड़की कैसी भी हो भाई चलेगी,,,,अंधी हो कानी हो
लुली हो या लंगड़ी हो,,,,,,,,या फिर चाहे कोई बूढ़ी हो अपुन को बस चूत चाहिए एक बार बस,,,,,,कुछ भी
करके एक बार चूत दिलवा दो भाई,,,,,,,,
मैं-;देख ले फिर बाद मे मत बोलना ,,,,,,,अगर लड़की की जगह किसी औरत की चूत दिलवा दूं तो कैसा रहेगा,,
करण-;औरत की,,,,इसका मतलब आप किसी लड़की के साथ नही किसी औरत के साथ रात रंगीन करते हो,,,,,,वैसे मुझे
कोई मसला नही है भाई,चूत 20 साल की हो या 50 की,,,,चूत तो चूत है,,,,,,,
मैं-;फिर भी सोच ले एक बार,बाद मे मत बोलना मेरे को,,,,,,
करण-;कुछ नही बोलता भाई एक बार बस कुछ भी करके सेटिंग करवा दो,,,,,,,,
मैं-;ठीक है,,,,,कुछ टाइम दे मेरे को मैं कुछ करता हूँ,,,,,,,,,
करण-;थॅंक्स भाई,,,,,,प्ल्ज़्ज़ जल्दी करना ,,,,,,,,,,ओके अब मैं चलता हूँ भाई,,,,,,,बयी
करण वहाँ से चला गया,,,,मैने सोचने लगा इसको किसकी चूत दिलवा सकता हूँ मैं,,,,,,साल वादा तो कर
दिया है लेकिन किसके साथ सेट्टिंग करू इसकी,,,,पहला ख्याल मेरे दिल मे बुआ का आया,,अगर वो मनीषा ऑर पूजा
को डॅड से चुदवा सकती है तो मैं भी बुआ को करण से चुदवा सकता हूँ,,,,,,लेकिन घर की किसी औरत को
अपने दोस्त से चुदवाना ठीक है क्या,,,,,,जानता हूँ करण मेरा सबसे ख़ास दोस्त है लेकिन फिर भी मुझे एक
'अजीब सा डर लग रहा था,,,,,,,,फिर मेरे दिमाग़ मे एक प्लान आया,,,,,,हां यही ठीक रहेगा,,,,मैने दिल ही
दिल मे अपने प्लान को सोच कर खुश होने लगा,,,,,,,,,,
रात को डिन्नर करके रूम मे लेटा हुआ था सोनिया भी अपने बेड पर लेटी हुई थी,,,,लेकिन मेरी तरफ पीठ करके
,,,मेरा दिल तो किया उसके पास जाने को लेकिन डर लगा,,फिर सोचा जब तक इसको किसी भाई बेहन का सेक्स नही दिखा
देता तब तक इसके पास जाने मे ख़तरा है,,,,,,,,,यही सोच कर मैं सो गया,,,,,,,,,,,,
नेक्स्ट डे कॉलेज जाते टाइम सोनिया मेरे साथ नही गई,,,उसने कविता को फोन करके बुला लिया था,,,,वो मेरे से
नाराज़ थी,,,,मैं भी कॉलेज चला गया,,,,लेकिन मेरा दिल नही लग रहा था क्लास मे ,,करण भी बोल रहा था
कि उसका दिल नही लग रहा,,,वो मुझे कुछ दोस्तो के साथ कहीं बाहर लेके जाने की बात करने लगा लेकिन मैने
मना कर दिया,,पर करण कुछ टाइम बाद अपने दोस्तो के साथ वहाँ से चला गया,,ऑर मैं अकेला बैठा बोर
होता रहा,,,,,,,,,,,,,
तभी कुछ देर बाद मुझे करण के मोबाइल से मेसेज आया,,,,,,,,,,,,सन्नी मुझे तेरे से कुछ काम है तुम मेरे
घर पर आ जाओ अभी,,,,,,,,,साला अभी तो कुछ देर पहले गया है यहाँ से अब मुझे घर क्यूँ बुला रहा है,,,,,
खैर मैं करण के घर की तरफ चल पड़ा,,,,,,,,,,,,,,करण के घर पर करण की कार थी लेकिन उसका बाइक नही
था ऑर आज वो कॉलेज बाइक पर गया था,,,इसका मतलब करण घर पर नही था लेकिन मुझे मेसेज तो उसी के सेल से
आया था,,,मैं अभी गेट पर खड़ा हुआ ये सोच ही रहा था कि तभी गेट खुला ऑर एक सेक्सी टाइट फिटिंग पंजाबी
सूट मे शिखा दीदी मेरे सामने खड़ी हुई थी,,,,,,,,मैं तो उनको देख कर दंग रह गया था,,,क्या लग रही
थी वो,,,गेट खोलते ही मैने उनको हेलो बोला लेकिन उन्होने मेरे हेलो के जवाब मे मेरा हाथ पकड़ा ऑर गेट
बंद करके मुझे अंदर ले गई ओर अंदर जाते ही मुझे गले से लगा लिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
शिखा-ऊह सन्नी कहाँ थे तुम,,,,,तुमको नही पता मैं कितना मिस कर रही थी तुमको,,,,,कितना तड़प रही थी
तुमको मिलने के लिए,,,,,,,,,,,,,,,
,मैं डर गया कहीं कोई देख ने ले,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-;दीदी हटो ना कोई देख लेगा,,,,,,,,
शिखा-;कॉन देख लेगा सन्नी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं-;आंटी ऑर कारण,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दीदी हँसने लगी,,हाहहहहहा बुद्धू
घर पर कोई नही है मेरे अलावा माँ बाहर गई है 4 बजे वापिस आएगी ऑर करण तो कॉलेज मे है,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं--;लेकिन दीदी मेरे को मेसेज तो करण के फोन से आया था,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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