RE: vasna kahani चाहत हवस की
मिनी दी यहाँ हमारे घर आ रही हैं,'' मैंने कुटिल मुस्कान के साथ गिफ़्टी दीदी को बताया।
उफ़्ह,'' गिफ़्टी दीदी ने मेरी बाँह पर एक चपत लगाते हुए कहा। ''मुझे लगता है उसको भी तुम्हारे लम्बे मोटे लण्ड का चस्का लग गया है। और वैसे भी उसकी बेचारी की क्या गलती है, लेकिन पता नहीं मुझे समझ नहीं आ रहा कि तुमको शेयर कर के मैं खुश हूँ या नहीं…'' गिफ़्टी दीदी ने कहा। लेकिन दीदी को ज्यादा परेशान ना देखकर मैं खुश था। गिफ़्टी दीदी ने आगे बढकर अण्डर वियर के ऊपर से ही मेरे लण्ड को हिलाना शुरु कर दिया। ''उसके आने से पहले ही मैं तुम्हारा पानी निकाल देती हूँ, इससे उसका सारा मजा खराब हो जायेगा,'' दीदी ने मेरे लण्ड को छोड़कर अपनी एक उँगली मुँह मे लेकर चूसते हुए, और दूसरे हाथ से अपनी एक चूँची दबाते हुए कहा।
''हुह, दीदी, आप ये क्यों कर रही हो,'' मैंने कहा।
''तुम चुप रहो, तुमसे किसी ने पूछा क्या, बहुत मजा आयेगा,'' दीदी हँसते हुए बोलीं। लेकिन वो फ़िर पलट कर अपने रूम की तरफ़ जाने लगीं, और जात हुए उन्होने मेरी तरफ़ एक आँख मार दी, जिससे लगा कि सब कुछ ठीक है।
मैं अपने कमरे में आकर बैड पर लेटे हुए लैपटॉप पर पॉर्न साइट्स सर्फ़ करने लगा, और लण्ड हिलाते हुए सोचने लगा कि हो सकता है जिंदगी में आज पहली बार किसी चूत में लण्ड घुसाने का मौका मिल जाये, जिससे मैं अपना कौमार्य खो सकूँ।
जैसे ही डोरबैल बजी, मैंने तुरंत लैपटॉप बंद किया और अन्डर्वियर और शॉर्टस को ऊपर कर लिया, और अपने खड़े लण्ड को शॉर्ट्स में एड्जस्ट करते हुए मेन डोर खोल कर अपनी कजिन मिनी दी का स्वागत करने को बढ चला।
जैसे ही मैंने मेन डोर खोला तो सामने मिनी दी को मुस्कुराते हुए खड़ा पाया, एक हाथ में उनके हैल्मेट था। मैंने उनको ऊपर से नीचे तक देखा, मिनी दी ने टाँगों से चिपकी हुई ब्लैक लैगिंग पहनी हुई थी और ऊपर केसरिया रंग का टाईट कुर्ता। कुर्ते में से उनके टाईट खड़े हुए निप्पल साफ़ नजर आ रहे थे, शायर कुर्ते के नीचे मिनी दी ने ब्रा नहीं पहनी थी। जब मैंने उनकी आँखों की तरफ़ देखा तो पाया कि उनकी नजर भी मेरे शॉर्ट में खड़े लण्ड के उभार पर थी। जैसे ही हमारी आँखें मिलीं हम दोनों एक दूसरे को देख कर हँस पड़े ये सोच कर कि हम दोनों एक दूसरे के बदन के किस हिस्से को निहार रहे थे।
''हे विशाल लो इस हैल्मेट को पकड़ो,'' मिनी दी ने चुप्पी तोड़कर अंदर आते हुए कहा।
''हाँ दी लाओ इसे मुझको दो, मैं रख देता हूँ,'' मैंने जवाब दिया। मिनी दी ने अपने जूते उतार कर शू-रैक पर रख दिये और फ़िर नंगे पैर ही अंदर आ गयीं। ड्रॉईंग रूम में उनके पीछे चलते हुए मैं अपनी कजिन मिनी दी की मोटी सुडौल गाँड़, पतली कमर और जिस्म के हर उभार को निहार रहा था।
''गिफ़्टी कहाँ है?'' मिनी ने घूम कर मुझसे पूछा।
''शायद अपने रूम में ही होंगीं,'' मैंने कहा।
''ओह, अच्छा,'' मिनी दी ने कहा और आगे बढकर मुझे मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच भरकर, एक गर्मागर्म भीगी हुई किस दे दी। ''आज तो मैं जब एक्टिवा चला कर आ रहीं थी ना, तो तुम विश्वास नहीं करोगे मैं कितनी ज्यादा चुदासी हो रही थी, मेरी चूत जब एक्टिवा की सीट पर घिस रही थी ना तो बस जान ही निकल रही थी। आज तो बस मेरी चूत की प्यास अपने मोटे लण्ड से बुझा ही दो विशाल, बुझाओगे ना?''
मिनी दी कि बातें सुनकर मेरा लण्ड फ़नफ़ना कर खड़ा हो गया। मुझे इसका अंदेशा तो था लेकिन इस बात की आशा नहीं थी कि मिनी दी आने के बाद सबसे पहले ये ही बात करेंगी! ''हाँ दी, कुछ अरेंजमेंट तो करना ही पड़ेगा,'' मैं किसी तरह अपनी खुशी को छिपाते हुए बोला, लेकिन फ़िर भी एक कुटिल मुस्कान तो मेरे चेहरे पर आ ही गयी। मैं मिनी दी का एक हाथ पकड़कर अपने रूम में खींच कर ले गया, और एक दूसरे की जीभ को चूमते चाटते हुए हम दोनों मेरे बैड पर भहराते हुए ढह गये।
''आपके इस कुर्ते का तो बहुत पतला कपड़ा है,'' मैंने मिनी दी की चुँचियों को कुर्ते के ऊपर से दबाते हुए कहा।
''मुझे कॉटन के हल्के कपड़े ही पसंद हैं, पता ही नहीं चलता कि कुछ पहन भी रखा है,'' मिनी दीदी ने मुझे बताया, ''और जब मैं एक्टिवा चलाती हूँ तो मुझे ओवर टेक करने के बाद जब लड़के पलट पलट कर मुझे देखते हैं, तो मुझे बहुत मजा आता है।''
''उन बेचारे लड़कों की क्या गलती, आपकी इन कुर्ते में से साफ़ उभरती चूँचियों के निप्पल और मस्त मोटी गाँड़ देखकर कोई भी पागल हो जायेगा!" जब हम बातें कर रहे थे तभी मैंने मिनी दी के कुर्ते के नीचे से हाथ घुसाकर उनकी चूँचियों को दबा कर मसलने लगा, और उनके कड़क निप्पल को मींजने लगा। मैं मन ही मन सोच रहा था कि ये काम तो लास्ट टाईम जब हम मिले थे तो गिफ़्टी दीदी ने किया था, ये सोचते हुए मेरा मूसल जैसा लण्ड एक दम टाईट होकर लक्कड़ हो गया।
जब मैं मिनी दी की कड़क मस्त चूँचियों को दबाते हुए मसल रहा था, तब मिनी दी ने अपना एक हाथ मेरे शॉर्ट की तरफ़ बढाते हुए मेरे लण्ड को आजाद करने लगीं जिसको वो अपनी चूत में पिलवाने के लिये आज मेरे पास आयीं थीं। मिनी दी उस दिन अर्चना दीदी की बर्थ-डे पार्टी में जब मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसते हुए मेरे वीर्य को पिया था, उस दिन से बस वो मेरे लण्ड को अपनी चूत में लेने के बार में ही सोच रही थीं, और आज जब मेरे मम्मी पापा दोनों ही घर पर नहीं थे, तो इस से अच्छा कोई और मौका मिलना नामुमकिन था। मिनी दी ने मेरे लण्ड को बाहर निकालकर उसको अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया, और उसको ऊपर नीचे कर मुठियाते हुए हिलाने लगी, और मुझे कामवासना का आनंद देने लगीं।
|