Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
12-14-2018, 02:25 AM,
#38
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
निशा के आज के बर्ताव से मैं खुद हैरान था, आज तक सुना था कि रात-ओ-रात ज़िंदगी बदल जाती है, लेकिन आज मैने एक इंसान को रात-ओ-रात बदलते हुए देखा था, दो दिन पहले ही हम दोनो ने एक साथ बिस्तर गरम किया था, तब की निशा मे और आज मुझसे लिपटी हुई निशा मे ज़ीरो टू इन्फिनिट का डिफरेन्स है , ज़ीरो से इन्फिनिट तक के इस डिस्टेन्स का मैं राज़ जानना चाहता था, आख़िर ऐसा क्या हो गया निशा को जो वो एक पल भी बगैर मेरे साए की नही रह सकती, मुझे अब भी वो वक़्त याद है जब निशा ने कहा था कि...ये हमारी आख़िरी रात है,इसके बाद हम कभी नही मिलेंगे....एक वो वक़्त था और एक अभी का वक़्त है...
.
इस वक़्त मैं निशा के साथ शवर के नीचे भीग रहा था, हम दोनो ने एक दूसरे के गरम होते जिस्म को कसकर पकड़ रक्खा था और आँखो के इशारो से बात कर रहे थे...उस वक़्त ,उस पल हमारे बीच एक अजीब सी कश मकश थी, एक अजीब सा जंग हम दोनो लड़ रहे थे...इस जंग को आगे बढ़ाते हुए मैने निशा के सीने के उभारों को अपने सीने से दबाते हुए उसकी गर्दन पर एक किस किया, उसने अपनी आँखे बंद कर ली, वो आज ऐसे शरमा रही थी , जैसे वो पहली बार किसी के साथ ये सब करने जा रही हो, इतना तो वो तब भी नही शरमाई थी जब पहली बार मैं उसके साथ सोया था....

"अरमान...नो..."अपनी आँखे बंद कर के वो बोली,

एक तरफ वो मुझे मना कर रही थी कि मैं उसके साथ वैसा कुछ भी नही करूँ लेकिन दूसरी तरफ वो खुद को मुझे सौंप भी रही थी, सच मे एक अजीब सी कश मकश थी हमारे बीच.........
.
और इसी कश मकश मे मैने उसकी साड़ी नीचे गिरा दी, शवर का पानी अब भी हमारे उपर बराबर गिर रहा था, साड़ी का पल्लू नीचे गिरते ही मेरी आँखो के सामने लाल ब्लाउस मे क़ैद उसकी आधी बाहर निकली हुई चुचियाँ दिखी और मैने बिना एक भी पल गँवाए अपने हाथो को उनकी तरफ बढ़ा दिया....

"आज नही..."अपने सीने पर निशा को जैसे ही मेरे हाथ महसूस हुए उसने उन्हे दूर कर दिया...मैने सोचा कि वो ऐसे ही मना कर रही है...इसलिए मैने मुस्कुराते हुए वापस अपने हाथ उसकी छाती से सटा दिए,लेकिन उसके बाद निशा की नज़रें नीचे झुक गयी...और उस पल मुझे बहुत बुरा लगा, खुद पर गुस्सा भी आया....

"चल चलती क्या..."उसको पकड़ कर मैने फिर खुद से चिपका लिया और उसके होंठो को अपने होंठो मे क़ैद कर लिया....मेरा मन तो बहुत था कि निशा इस लाल जोड़े से निकल कर पहले की तरह फिर से मेरे साथ वक़्त गुज़ारे ,लेकिन आज वो इसके लिए तैयार नही थी...यदि मैं जबर्जस्ति करता तो बेशक वो मुझे मना नही करती लेकिन ,लेकिन मुझे खुद अच्छा नही लगता....
.
"आज तुम्हे हो क्या गया है, पहले तो इस तरह कभी बर्ताव नही किया ..."उसके बालो को सहलाते हुए मैने कहा...

इस वक़्त निशा मेरे उपर बिना कपड़े के लेटी हुई थी , मैं खुद भी बिना कपड़ो के था...लेकिन आज हमने वैसा कुछ भी नही किया, जो अक्सर करते थे...

"तुम पागल कहोगे..."

"और यदि नही बोला तो..."

"सच..."
"मुच..."

"एक सपना देखा था कल रात..."उसने मेरे सीने पर से अपना सर उठाया और मेरी आँखो मे देखते हुए बोली "बहुत बुरा था..."

"ज़रूर मेरे बारे मे कुछ देखा होगा,वो भी बहुत बुरा..."

"मैने देखा कि..."वो याद करते हुए बोली"मैने सपने मे देखा कि मेरी शादी हो रही है, लेकिन हर पल बस तुम्हारा ही ख़याल आ रहा है, और जब मैं शादी का लाल जोड़ा पहन कर शीशे मे खुद को निहार रही थी तो मुझे तुम्हारा अक्श दिखाई दिया...मैं उस वक़्त बेचैन हो उठी कि आख़िर ये मुझे हो क्या रहा है...फिर शादी के मंडप पर अचानक तुम पहुच गये और मेरा हाथ पकड़ कर ....."बोलते-बोलते निशा चुप हो गयी...

"आगे बोलो, मस्त कहानी है..."

"उसके बाद तुम पर किसी ने गोली चलाई और फिर..."बोलते हुए वो फिर से चुप हो गयी ,और मेरे सीने को देखकर जैसे खुद को यकीन दिला रही हो कि ,वो सब एक सपना था....

"गोली मेरे सीने मे लगी थी ना..."

"हां, लेकिन तुम्हे कैसे पता..क्या कल रात तुम्हे भी वो सपना आया था.."

"अभी तुम जो आँखे बड़ी बड़ी करके ,मेरे सीने को नाख़ून से दबा के चेक कर रही हो, उसी से मैने अंदाज़ा लगाया..."

"ओह ! सॉरी..."उसने नाख़ून गाढ़ना बंद कर दिया, और हंस पड़ी...

"एक सपने से इतना डर गयी..."

"ना..उसके बाद ,जब मैने आज ऐसे ही वो लाल साड़ी पहनी तो सपने के जैसे ही तुम मेरे पीछे खड़े थे और फिर मेरे कानो मे वो गोली चलने की आवाज़ सुनाई दी..."

"तू सच मे पागल है, तुझे तो आगरा मे शिकेन्दर सरकार के साथ होना चाहिए "

उसके बाद वो मुझे जगाकर सो गयी, जब उसकी पलके नींद के कारण बंद हो रही थी,तो उसने मुझसे सॉफ कहा था कि मैं उसे छोड़कर ना जाउ, और अपने सुकून के लिए उसने मेरा हाथ एक रस्सी से अपने हाथ मे बाँध लिया था....नींद मेरी आँखो से कोसो दूर थी,इसलिए फिलहाल मैने टाइम पास करने के लिए निशा के बारे मे सोचना शुरू कर दिया था
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RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू - by sexstories - 12-14-2018, 02:25 AM

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