Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 02:15 PM,
#85
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
raj sharma stories

रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -44 

गतान्क से आगे... 

तभी रत्ना जी ने हाथ बढ़ा कर एक स्विच ऑन किया तो छत से लटकता हुआ एक कॉनिकल शेड के अंदर का बल्ब जल उठा. उसकी तेज रोशनी हमारे चारों ओर एक गोल सर्कल बना रही थी. रोशनी इतनी तेज थी की हमारी आँखें चोंधिया गयी थी. वो बल्ब सिर से कोई 4-5 फीट उपर लगा हुआ था. उस रोशनी के गोल दायरे के बाहर घुप अंधेरा था. रत्ना ने मुझे खींच कर उस रोशनी के दायरे के बीच मे खड़ा कर दिया. कमरे मे चारों ओर घुप अंधेरा था उस दायरे से बाहर कुच्छ भी नही दिखाई पड़ रहा था. पूरा वातावरण ही रहश्मयी सा लग रहा था. 



“ ये…. तुम मुझे कहाँ ले आए हो?” मैने उनसे सतते हुए पूछा, “ मुझे यहा पता नही कैसा अजीब सा महसूस हो रहा है. मानो कई जोड़ी आँखें मुझे घूर रही हो.” 



“ ये तुम्हारे मन का वेहम है दिशा. ये आश्रम का सबसे पवित्र स्थान है. यहीं सबको दीक्षा दी जाती है. यहीं पर तन और मन का सुद्धि करण किया जाता है. इसी कमरे मे अमृत की धारा बहती है.” वो पता नही क्या क्या बोले जा रही थी. मेरी समझ मे कुच्छ भी नही आ रहा था. मैं बस आँखें फाड़ फाड़ कर उस कमरे का जयजा लेने की कोशिश कर रही थी. 



“ रश्मि तुम्हे यहाँ आश्रम मे घूमने फिरने के लिए मेरी तरह के वस्त्र पहनने पड़ेंगे. बाहर के डूसिट वस्त्र यहाँ अलोड नही हैं.” 



“लेकिन….” मैं कुच्छ विरोध करना चाहती थी. मगर उसने मेरे विरोध को दबा दिया. 

“ इस आश्रम के कुच्छ कठोर उसूल है. और ये उनमे से एक है कि कोई भी व्यक्ति बाहर के कपड़े पहन कर सभा स्थल के अलावा कहीं नही जा सकता. लो इन्हे पहन लो. देखो मैने भी तो पहन रखा है. इसमे झिझकने जैसी तो कोई बात ही नही है.” उसने कहा. 



मैं अब भी कुच्छ कुच्छ हिचकिचा रही थी. मेरी हिचकिचाहट को देखते हुए रत्ना जी ने कहा. “ घबराओ नही तुमने देखा नही यहा मौजूद सारे आदमी और औरत इसी तरह का वस्त्र पहनते है. चलो अपने सारे वस्त्र उतार कर मुझे दे दो. मैं उन्हे सम्हाल कर रख देती हूँ. वापस जाते समय हम इसी कमरे मे आकर अपने वस्त्र पहन लेंगे.” 



मैने हिचकिचाते हुए अपनी सारी के प्लीट्स पर लगे पिन को खोल कर अपने आँचल को नीचे गिर जाने दिया. मेरे गुलाबी ब्लाउस मे कसे बड़े बड़े स्तन दो मिज़ाइल्स की तरह तने हुए खड़े थे. मैने एक बार चारों ओर नज़र दौड़ाई ये देखने के लिए की कहीं कोई दूसरा तो नही है. 



“ चलो सारी उतार कर मुझे दो.” रत्ना ने अपने हाथ मेरी ओर बढ़ा दिए. 



मैने अपनी सारी के प्लीट्स को अपने पेटिकोट से खींच कर निकाला और सारी को अपने बदन से अलग कर दिया. रत्ना जी ने जल्दी से मेरी सारी को समेट लिया. मैने अपना हाथ उसकी तरफ गाउन लेने के लिए बढ़ाया. उसने अपने जिस हाथ मे गाउन थाम रखा था उसे मेरी पहुँच से दूर कर दिया 



“ उन्ह अभी नही. तुझे ये भी उतारना पड़ेगा. ये शुद्ध वस्त्र किसी दूषित वस्त्र के उपर नही पहन सकती.” उसने ब्लाउस और पेटिकोट की ओर इशारा किया. मैने चौंक कर उसकी तरफ देखा. आख़िर कुच्छ भी हो औरतें किसी और की मौजूदगी मे अपने इन वस्त्रों को अपने बदन से अलग करने मे हिचकति हैं. 



“ यहाँ?” मैने चारों ओर देखते हुए आगे पूछा,” यहा बाथरूम किधर है..” 



“ तेरा दिमाग़ खराब हुया है. इस वस्त्र को तू बाथरूम मे ले जाएगी?” रत्ना ने मुझे घूरते हुए पूछा,” इसे यहा पहनने मे क्या दिक्कत है?” 



“ यहाँ? कमरे मे कोई आ गया तो?” मैने झिझकते हुए पूछा. 



“यहाँ कोई नही आ सकता. किसी को भी बिना सूचना इस कमरे मे आने पर पाबंदी है. चलो जल्दी करो. मैं हूँ ना.” रत्ना ने मुझसे कहा 



“ कम से कम अंधेरा तो कर दो.” 



“अरे आज हो क्या गया है तुझे क्यों बेकार की बहस कर रही है.” रत्ना ने मुझे झिड़कते हुए कहा. 



मैं अभी भी आश्वस्त नही हो पाई थी और अपने बदन को निवस्त्र करने से झिझक रही थी. 



“ अरे बाबा घबरा क्यों रही है. यहाँ पर मेरे और तुम्हारे अलावा है कौन. और अगर मैने तुम्हारा नग्न बदन देख भी लिया तो क्या फ़र्क पड़ जाएगा. पहली बार तो तुम नग्न हो नही रही हो मेरे सामने. वैसे तुम हो बहुत ही खूबसूरत. कोई अगर ग़लती से तुम्हे देख भी ले तो मुझे विश्बवास है कि वो अपने उपर कंट्रोल नही रख पाएगा.” उसने मेरे बदन को निहारते हुए मेरे नितंब पर पेटिकोट के उपर से ही चिकोटी काटी. मैने भी उसकी बातों पर दोबारा विचार किया और अपने ब्लाउस के बटन्स एक एक करके खोलने लगी. 



कुच्छ ही देर मे अपने ब्लाउस के सारे बटन्स खोल कर मैने अपना ब्लाउस उतार कर पास खड़ी रत्ना को दे दिया. मैं अब नेट की बनी एक पारदर्शी ब्रा पहने हुई थी. मेरे सामने रत्ना खड़ी थी इसलिए मैने अपने नग्न होते बदन को च्चिपाने की कोई कोशिश नही की. वो मुझे बड़ी गहरी नज़रों से निहार रही थी. मानो वो पहली बार मुझे इस हालत मे देख रही हो. 



अब मैने अपने पेटिकोट की डोर खींच दी. एक ही झटके मे गाँठ खुल गयी. डोर को हाथ से छ्चोड़ते ही मेरा पेटिकोट पैरों से सरकता हुआ ज़मीन पर ढेर हो गया. जिसे मैने अपने पैरोंसे निकाल कर रत्ना को दे दिया. रत्ना ने उसे भी झपट कर मेरी हाथों से ले लिया. 



मेरे बदन पर अब एक जालीदार ब्रा और वैसी ही एक छ्होटी सी पॅंटी ही बची थी. मेरा लगभग नग्न बदन रोशनी मे शीशे सा चमक रहा था. रत्ना ने एक हाथ से ब्रा मे कसे मेरे स्तनो को सहलाया और फिर हाथ को नीचे ले जाकर मेरी योनि को पॅंटी के उपर से मसला. मैने वापस कपड़े के लिए उसकी तरफ हाथ बढ़ाया तो उसने मना कर दिया. 



“ नही अभी सारे वस्त्र कहाँ उतरे. इन्हे भी उतार. अंदर किसी भी तरह का दूषित वस्त्र पहन कर घूमना बिल्कुल निषेध है.” रत्ना जी ने कहा. मैं कुच्छ विरोध करना चाहती थी लेकिन ना जाने क्यों मैं चुप रह गयी. मैने अपने हाथ अपनी पीठ की ओर बढ़ाए अपने ब्रा के हुक को खोलने के लिए. लेकिन तभी रत्ना ने मुझे रोक दिया. 



“ ठहरो “ कहकर रत्ना जी मेरे पीछे की ओर चली गयी और कहा“ इधर मेरी तरफ घूमो.” 



मुझे समझ मे नही आया कि वो मुझे ऐसा क्यों कह रही है. लेकिन मैने उससे कुच्छ पूछा नही. मैं उनके कहे अनुसार पीछे मूड गयी. मैने वापस अपने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा के हुक को खोल दिया. रत्ना जी की नज़र मेरी छातियो पर गढ़ी हुई थी. मैने ब्रा को अपनी छातियो से उतार कर उसको दे दिया. मैं अपने हाथों से अपनी नग्न छातियो ढँकने की कोशिश कर रही थी. उसने मेरी हथेलियों को पकड़ कर सीन एके उपर से हटा दिया. 

उसकी नज़रों मे मेरी छातियो के लिए प्रशन्षा के भाव थे. मेरे निपल्स कुच्छ तो ए/सी की ठंडक से और कुच्छ सामने खड़ी रत्ना जी की आँखों की तपिश से तन कर खड़े हो गये. हो सकता है इसमे उस नशीली और कामोत्तेजक शरबत का भी कुच्छ कमाल रहा हो. मेरे स्तनो का शेप तो पहले से ही लुभावना था उस पर मेरे खड़े निपल्स और सेक्सी बना रहे थे. 



“ एम्म्म….क्या रसीले स्तन हैं तेरे. कोई मर्द इन नारंगियों को देखे तो मसल मसल कर इनका रंग भी नारंगी जैसा कर दे. “रत्ना ने अपनी उंगलियों से पहले उन्हे च्छुआ फिर हल्के से दोनो बूब्स को प्रेस किया. वो अपनी दोनो हाथों की उंगलियों से मेरे निपल्स थाम कर उनसे खेलने लगी. 



“ रत्ना जी आज आपको क्या हो गया है. आप आज इस तरह का बर्ताव क्यों कर रही हो. अब?” 



“ बहुत शानदार फिगर है. तभी आस पड़ोस के सारे मर्द दीवाने रहते हैं तुम्हारी एक झलक के लिए.” रत्ना ने कहा. 



मैं हल्के से मुस्कुरा दी. पता नही आज रत्ना इस तरह का बर्ताव क्यों कर रही थी मानो वो मुझे इस हालत मे पहली बार देख रही हों. 



“ अब उसके भी तो दर्शन करवा दो.” उसने मेरी योनि की तरफ इशारा किया. 



“आप गाउन तो देदो. गाउन पहन कर मैं अपनी पॅंटी खोल कर आपको दे दूँगी. मुझे इस तरह शर्म आ रही है.” 



“ नही पहले पॅंटी को अपने बदन से दूर करो तभी तुम इन कपड़ों को छ्छू सकती हो.” 

क्रमशः............ 
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