RE: Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
मौलवी इकबाल और उसका भाई इरशाद खुश थे, एक दूसरे के साथ रिश्ते करके और मजबूती हो गई थी घर में। हर तरफ चहल-पहल चल रही थी। आज मौलवी भी बहुत थक गया था। उसने सोचा आज सारी बात अपनी बीवी को बता दूँगा जो कि निदा और मेरे बीच में हुई थी। रात को सब खाना खाकर अपने-अपने रूम में चले गये और मौलवी का आज दिल नहीं कर रहा था, अपनी बीवी की चुदाई करने का। लेकिन फिर भी उसने सोचा अगर रुखसाना की चुदाई करके बात करूँ तो शायद वो इतना गलत न समझे और फिर मौलवी ने अपनी बीवी की 30 मिनट तक जमकर चुदाई की, जिससे रुखसाना ने भी बहुत मजा लिया। इस उमर में भी रुखसाना में इतनी तलब है सेक्स की, इसका आज तक मौलवी को भी पता न चल सका। आखिर बात क्या है।
उसके बाद मौलवी ने बात शुरू की, रुखसाना से कि कैसै निदा का अमल किया गया। जैसे-जैसे रुखसाना सुनती जा रही थी, वैसे-वैसे उसकी आाँखों में आसू आना शुरू हो गये।
और फिर रुखसाना बोल ही पड़ी-“मौलवी साहब, ये आपने क्या कर दिया अपनी ही बेटी के साथ? उफफफफफ्फ़…”
मौलवी-“ये जरूरी था, इसलिए सब किया…” मौलवी ने सारी बातें बता दी, शुरू से आखिर तक। यहाँ तक कि ये भी बता दिया कि जब तुम लोग शॉपिंग पे गये थे, तब भी उसकी चुदाई का मजा लिया।
ये सब सुनकर रुखसाना को पहले तो गुस्सा आया, बाद में उसने भी फ़रदीन और अपने बारे में बता दिया कि फ़रदीन ने कहा कि अगर दो माह में बहनों में से किसी की शादी हो गई तो मैं अपने शौहर से ज्यादा तुमसे प्यार करूँगी, अगर ना हो सकी शादी तो जितना प्यार अभी करती हूँ उससे ज्यादा नफ़रत करूँगी।
मौलवी भी ये सब सुन रहा था। उसने कहा-“रुखसाना, ये क्या कर बैठी? अब तो एक तरह से तुम हार चुकी हो, अगर तारीख आगे कर दें शादी की तो तुम जीत सकती हो। अब तारीख भी आगे नहीं कर सकते क्योंकी सबको बता दिया है। मौलवी सोच में चला जाता है और कहता है-“ठीक है, कोई बात नहीं तुम फ़रदीन को कभी शो न होने देना कि मुझे सब पता है इस बात के बारे में और निदा का कभी किसी को मत बताना…” उसके बाद रुखसाना और मौलवी अपनी-अपनी सोचो में चले गये और सो गये।
एक दिन मौलवी साहब किसी का निकाह पढ़ाकर वापिस आ रहे थे अपने बाइक पे, तो उनकी नजर एक गाड़ी पे पड़ी जिसमें उनकी एक बेटी जिसका नाम इशरत था वो उसमें बैठी थी, साथ में एक और आदमी भी था। मौलवी साहब को देखकर बहुत ही गुस्सा आ गया और उन्होंने उस गाड़ी का पीछा करना शुरू कर दिया। वो गाड़ी एक होटल पे रुकी, वो दोनों एक प्राइवेट केबिन में चले गये, जहाँ परदा भी लगा हुआ था।
मौलवी साहब भी काउन्टर पे गये और कहा कि मैं इस मस्जिद का मौलवी हूँ, अभी कुछ देर में लोग आ रहे हैं। मैंने किसी को निकाह के सिलसिले में मिलना था और फिर मौलवी साहब प्राइवेट केबिन में आकर बैठ गये और उसके अगले केबिन में उनकी बेटी और वो आदमी बैठे थे। मौलवी साहब उनकी बातें सुन रहे थे जैसे-जैसे बातें सुन रहे थे वैसे-वैसे उनको गुस्सा आ रहा था। वो वहाँ से उठकर घर के लिए चले गये और मौलवी साहब के आने के ठीक 45 मिनट के बाद उनकी बेटी इशरत भी घर आ गई।
उसके आने के बाद मौलवी साहब ने इशरत को कहा-बेटी कैसी जा रही है तुम्हारी जाब?
तो जवाब में इशरत ने कहा-“अब्बू, प्रिसीपल नया आया है बहुत सख़्त आदमी है इसलिए छुट्टी नहीं दे रहा है…”
मौलवी को सब पता ही था कि आज उसकी बेटी कहाँ थी। दोपहर से शाम हो गई सब अपने-अपने कामों में लगे हुये थे। इशरत रात का खाना बना रही थी। बाकी शादी की तैयारी में थे। क्योंकी 6 दिन के बाद मौलवी की बेटी आयशा की शादी थी नदीम के साथ। रात को सबने खाना खाया। खाने के बाद मौलवी साहब ने निदा को कहा कि जरा इशरत को भेजना मेरे पास।
कुछ देर के बाद इशरत भी आ गई-“जी अब्बू आपने बुलाया?”
तो मौलवी ने कहा-“कल मैं तुम्हारे स्कूल आउन्गा वहाँ से तुम्हें मेरे साथ एक जगह जाना है। लेकिन ये बात अभी घर में तुमने किसी को नहीं बतानी है…” इसी तरह रात गुजरी पर इशरत परेशान रही आखिर अब्बू ने मुझे ऐसी जगह कहाँ लाकर जाना है?
दूसरे दिन मौलवी ने 11:00 बजे अपनी बेटी इशरत को फ़ोन किया कि अपने स्कूल से हाफ छुट्टी ले लो मैं आ रहा हूँ कुछ देर में। इशरत डर के मारे ख़ौफजदा हो गयी कि आखिर अब्बू मुझे कहाँ ला के जा रहे हैं? कहीं मेरा रिश्ता तो किसी से नहीं करवा रहे? पर मैं तो शफ़ीक़ को प्यार करती हूँ। वो इन्हीं सोचो में थी।
तभी मौलवी स्कूल के बाहर आ जाता है और इशरत को फ़ोन कर देता है कि बेटी मैं स्कूल के गेट पे हूँ। इशरत नकाब करके बाहर आ जाती है। मौलवी उसे बाइक पे बिठा के अपने साथ लेकर निकल जाता है। अभी कुछ दूर ही गये होगे कि इशरत ने पूछ लिया-“अब्बूजी, हम कहाँ जा रहे हैं?”
तो मौलवी ने कोई जवाब ना दिया।
इशरत ने फिर दोबारा पूछा तो मौलवी ने कहा-“अभी थोड़ी देर में पता चल जाएगा। हम ऐसी जगह जा रहे हैं कि वहाँ तुम कभी भी नहीं गई होगी…”
इशरत-“पर अब्बू, आप बातें बता तो सकते हैं कि ऐसी कौन सी जगह है जहाँ मैं पहले नहीं गई?”
और 10-15 मिनट के बाद मौलवी आखिर अपनी मंज़िल पर पहुँच जाता है।
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