RE: Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
अगले दिन शाम को मौलवी इकबाल अपनी बेटी निदा के साथ सहवान शरीफ पहुँच गया। वहाँ जाकर उन्होंने दरबार पे हाज़िरी दी, वहाँ वो घूमते रहे और जो-जो बाबा ने बताया था वैसे-वैसे उन्होंने किया। आज की रात वो वहीं दरबार पे रहे।
फिर उसके अगले दिन निदा ने कहा-“अब्बू, यहाँ अच्छा नहीं लग रहा है। यहाँ कोई रूम नहीं मिलेगा, किसी होटल में ताकी थोड़ी नींद भी पूरी कर ली जाए…”
मौलवी इकबाल ने बाबा से पूछा और उसने बताया कि आज तुमने एक होटल में कमरा लेना है क्योंकी अब जो अमल होना है वो किसी रूम में होगा। फिर मौलवी निदा को लेकर एक होटल के रूम में आ गया। रूम नॉर्मल था ना सस्ता ना महाँगा। वहाँ जाकर निदा नहाई और उसके बाद मौलवी ने भी नहा लिया। फिर दोनों बाप बेटी सो गये। क्योंकी दोनों ने रात के 10:00 बजे अमल शुरू करना था, इसलिए उन्होंने सोचा कि सो जायें, रात को अमल की वजह से जागना पड़ेगा।
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फ़रदीन ने नदीम से मुलाकात की, उसके दिल का हाल पता कर चुका था, वो आयशा बाजी को चाहता था लेकिन नदीम जानता था कि कोई नहीं मानेगा, क्योंकी आयशा नदीम से बहुत बड़ी थी उमर में। नदीम फ़रदीन के ताया और सगी खाला का बेटा था। फ़रदीन डेली उसका दिमाग़ पकाया करता और फ़रदीन ने उसके दिल का हाल भी पता कर लिया। नदीम भी अपनी माँ शुगुफ़्ता से बहुत प्यार करता था। नदीम से छोटा एक और भाई था उसका उसका नाम आसिफ़ था।
रुखसाना ने बहुत सोचा कि पता नहीं उम्र क्या होगी? उसके लिए एक और टेंशन उसने अपने दिमाग़ में डाली हुई थी।
उधर दूसरी तरफ रात के 10:00 बज चुके थे। मौलवी साहब उठकर बाहर चले गये, अपने और निदा के लिए खाना लेकर आ गये। दोनों बाप बेटी ने खाना खाया। खाने के बाद मौलवी साहब को चाय की तलब होती है तो मौलवी साहब ने कहा-“मैं होटल से चाय पीकर आता हूँ अगर बाबाजी ने फ़ोन किया तो सब समझ लेना…”
मौलवी को गये हुये 15 मिनट हुये थे कि बाबाजी की काल आ गई। निदा ने बाबा से बात की तो बाबा ने कहा-“आज जिस रूम में तुम्हारा अमल होना है अपने बाप को ही तुमने सब समझना है। ये अमल पूरा करो बाकी सब बेहतर हो जाएगा…”
निदा ने कहा-“अगर ये किसी को पता चल गया तो फिर?”
बाबा ने कहा-“किसी को कुछ नहीं पता चलेगा। जो होना है, इस बंद कमरे में होना है। वैसे भी मेरे हिसाब से तुम्हारा खुद दिल करता है कि तुमको कोई मर्द प्यार दे पर मजबूर हो कि कोई गलत काम नहीं करना है। आज मस्त हो जाओ अपने बाप में। जब आज सब अमल हो जाए तो फिर मुझे तुमने फ़ोन करना है…”
मौलवी साहब चाय पीकर आ गये। बाबाजी ने मौलवी को सब समझा दिया। फिर मौलवी ने लाइफ बिल्कुल ऑफ कर दी। दोनों बाप बेटी एक बेड पे आकर टेक लगाकर लेट गये। दोनों ने शलवार कमीज पहनी हुई थी। मौलवी ने निदा का हाथ पकड़ कर पूछा-“बेटी। क्या तुम राजी हो, इस सब से?”
निदा पहले कुछ नहीं बोली फिर कहा-“जी मैं राजी हूँ…”
मौलवी-तो पहले क्यों इनकार करती रही?
निदा-“बस मुझे मेरी एक फ्रेंड ने बताया कि मैं सब कर जाऊं क्योंकी कुछ ऐसा ही उसका साथ भी हुआ था लेकिन उसे एक अमल करने वाले के साथ सोना पड़ा?
मौलवी ने अपनी बेटी के हाथ पे अपनी जुबान फेरनी शुरू कर दी। जुबान फिरने से निदा को अजीब फीलिंग आना शुरू हो गई। जुबान फिरने के बाद मौलवी ने हाथ को इतना चूमा कि निदा बोल पड़ी-“अब्बूजी बस करें हाथ को कौन चूमता है?”
फिर मौलवी ने कहा-“किसको चूमा जाता है?”
निदा-मुझे कुछ नहीं पता, किसको चूमा जाता है।
उसका बाद मौलवी ने लेटे-लेटे शलवार के ऊपर से अपनी सगी बेटी निदा की फुद्दी पे हाथ रखा और ऊपर नीचे करता रहा।
निदा ने कहा-अब्बू, ये क्या कर रहे हैं?
तो मौलवी ने कहा-“बेटी, बाबाजी ने कहा था कि ऐसा करना है। वहीं से मौलवी को जोश आया और उसने अपनी बेटी के होंठों को चूसना शुरू कर दिया और साथ-साथ निदा की चुचियों को पकड़ के दबाना शुरू कर दिया।
निदा-“हाईईई… अब्बूजी धीरे-धीरे दबायें, दर्द हो रहा है।
“अभी सब दर्द दूर कर दूँगा…” मौलवी कभी माथे पे कभी ठुड्ढी पे किस करता।
अब निदा भी साथ दे रही थी। मौलवी ने समझ लिया कि उसकी बेटी अब गरम हो चुकी है। इसलिए उसने बेटी की कमीज उतरना सही समझा और निदा को बिठाकर उसके जिस्म से कमीज निकालकर रख दी। मौलवी अपनी बेटी के 34” साइज की चुचियों पे टूट पड़ा, जैसे छोटा बच्चा अपनी माँ के दूध पीता है वैसे दूध पीना शुरू कर दिया। मौलवी अपनी बेटी के दूध की निप्पल मुँह में डाले चूस रहा था। उधर मौलवी ने निदा के हाथ पकड़कर अपने लण्ड पे रखवा दिया।
जब निदा के हाथ में उसका बाप का लण्ड आया तो उसने सोचा कि इस उमर में भी अब्बू का लण्ड सही में मोटा भी है और लंबा भी। निदा लण्ड को ऊपर नीचे करती रही जैसे मूठ मारी जाती है। मौलवी निदा के पेट, कमर पे प्यार कर चुका था। निदा अब इस हद तक गरम थी कि मौलवी ने अपनी बेटी की शलवार का नाड़ा खोलकर शलवार साइड पे कर दी और मौलवी ने निदा की फुद्दी पे हाथ फेरा, जो कि गीली थी। मौलवी साहब ने अपना लण्ड पकड़कर निदा की फुद्दी के मुँह पे रखकर अपने लण्ड का टोपा जैसे ही ऊपर रखा तो निदा बोल पड़ी-“अब्बूजी धीरे-धीरे करना…”
तो मौलवी ने लण्ड का टोपा अंदर किया तो निदा हिल के रह गई-“उईईईईई… अम्मी दर्द होता है…”
मौलवी ने थोड़ा और अंदर किया तो निदा की चीख निकल गई। मौलवी 5 मिनट वैसे ही लेटा रहा और फिर एक और झटका मारा तो लण्ड निदा की सील तोड़ता हुआ अंदर चला गया और निदा चीखती रही। मौलवी अपनी बेटी की चुचियों को चूसता रहा, जिससे निदा को मजा आना शुरू हो गया। अब मौलवी ने अपना लण्ड अंदर हिलाना शुरू कर दिया, कभी पूरा अंदर करता, कभी आधा। मौलवी ने निदा की टांगे अपने कंधे पे रखकर फुद्दी में लण्ड देना शुरू कर दिया।
“हाईईई… अब्बूजी, धीरे-धीरे, आपका लण्ड कितना अच्छा है…”
उधर से मौलवी को भी मजा आ रहा था। अब्बूजी ने कहा-“उफफफफफ्फ़… मेरी जान, ‘आई लव यू। मेरी बेटी, बहुत अरसे बाद आज फुद्दी मारने के मजा आया…” और साथ ही जोर-जोर से झटके मारने शुरू कर दिए।
निदा को दर्द कम हो चुका था लेकिन मजा बहुत आ रहा था। निदा अपने बाप के आगे अपनी टांगे खोले चुदवाये जा रही थी और मजा लेती जा रही थी।
काफ़ी देर तक मौलवी चोदता रहा और निदा मजा लेती रही फिर एकदम मौलवी ने अपनी स्पीड तेज कर दी, जिससे निदा के मुँह से “आईईईईईई… हाइईईई… की आवाजें आती रहीं और फिर मौलवी निदा की फुद्दी में
फारिग हो गया। फारिग होने के बाद निदा ने अपनी फुद्दी साफ की जिसपे थोड़ा से खून का धब्बा लगा हुआ था। मौलवी आज खुश था कि उसको बेटी की चुदाई में अलग ही मजा आया है। चोदने के बाद दोनों बाप बेटी नंगे गले लग के लेटे रहे और बातें करते रहे।
मौलवी ने कहा-“बेटी, मुझे तुमसे प्यार हो गया है…”
तो निदा शर्मा जाती है और फिर जो बाबाजी ने कहा था चुदवाने के बाद फ़ोन करना तो उसने बाबाजी को फ़ोन लगाया। बाबाजी ने फ़ोन उठाया तो कहा-“बेटी, अभी टाइम ज्यादा हो गया है इसलिए फ़ोन जो है सुबह करना…” और दोनों बाप बेटी नंगे ही सो गये।
अगले दिन निदा जब उठी तो उसे महसूस हुआ कि अब वो लड़की से औरत बन चुकी है। निदा एक 34 साल की लड़की थी। उसके कुछ देर बाद मौलवी साहब भी उठ गये। निदा ने नहाकर बाबाजी को फ़ोन किया तो बाबाजी ने कहा-“बेटी, रात जो हुआ उसका बारे में अगर तुम शर्मिंदा हो तब भी बताओ, अगर नहीं हो तब भी बताओ कि ये सब तुम्हारी किस्मत में लिखा था और जल्दी ही तुम्हारे रिश्ते आना शुरू हो जायेंगे।
निदा-“बाबाजी, अब मैंने शादी नहीं करनी किसी से…”
रूम में बैठा मौलवी भी परेशान हो जाता है कि निदा ने ऐसा क्यों कहा?
बाबा-“क्यों बेटी, ये सब रिश्ते आने के लिए किया गया है, अब तुम इस बात से पीछे हट रही हो…”
निदा-बस बाबाजी, पता नहीं मुझे शादी से रातों रात नफ़रत हो गई है लेकिन अब मेरे अब्बूजी ही सब कुछ हैं। मैं सारी जिंदगी इनके प्यार में गुज़ारुँगी…”
ये सब सुनकर मौलवी खुश हो जाता है।
बाबा-“चलो जैसा तुम्हारी खुशी, लेकिन जब भी प्यार मोहब्बत करो सबके सामने नहीं करना। वरना गलत हो जाएगा। किसी को भी तुम्हारे रिश्तों का पता ना चले…”
बाबाजी के फ़ोन के बाद मौलवी साहब ने अपनी बेटी निदा को उसी रूम में अलग-अलग पोजों में चोदा और मौलवी ने फिर सीट बुक करवाई और सरगोधा के लिए निकल गये।
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