RE: Desi Sex Kahani पहली नज़र की प्यास
पर कुणाल की नज़रें तो कामिनी पर ही जमी हुई थी...
जो सबके बीच जाकर बैठ गयी अपनी 'गेम' खेलने.
गेम, यानी ताश के पत्तो का खेल चल रहा था वहां.
4 लड़कियो के बीच चल रहा था वो खेल.
और उनकी गेम भी बड़ी सिंपल सी थी...
चारो के सामने 1-1 पत्ता फेंक दिया गया और सभी ने अपनी पॉकेट से 500 का एक नोट निकाल कर बीच में रख दिया..
और जिसका पत्ता बड़ा हुआ, वो गेम जीत जाएगा...
कुणाल को ये सब देखने में भी बड़ा इंटेरेस्ट आ रहा था..
सभी ने एक-2 करके अपना पत्ता सीधा किया...
पहली लड़की के पास 2 नंबर था...
दूसरी के पास 5 और तीसरी के पास बादशाह...
सभी की नज़रें कामिनी की तरफ थी, जो अपने पत्ते को सीधा करते हुए ऐसे इतरा रही थी जैसे बहुत बड़ी खिलाड़ी हो..
या फिर उसे पता हो की उसके पास सबसे बड़ा पत्ता ही आया है...
और हुआ भी ऐसा ही..
उसके पास इक्का था...
वो देखते ही कामिनी के साथ-2 उसकी फ्रेंड्स भी चिल्ला पड़ी...
पूरे पब में सिर्फ़ उन्ही की आवाज़ें गूँज रही थी...
कामिनी ने ठहाका लगाते हुए 500 के चारो नोट उठा कर अपनी जेब में रख लिए..
सभी तालियां बजा रहे थे...
और उनके बीच कुणाल भी था, जो उसकी जीत पर किसी छोटे बच्चे की तरह दूर बैठा हुआ ताली बजा रहा था...
और उसे देखकर मुस्कुराए जा रहा था..
और ठीक उसी वक़्त कामिनी की नज़रें सीधा उसके उपर आई...
दोनो की नज़रें मिली और उस पल सब कुछ थम सा गया...
इतनी दूर बैठी होने के बावजूद एक नशा सा था उसकी आँखो में...
पर एक सवाल भी था उनमे की 'जीती तो मैं हूँ , तुम क्यो ताली बजा रहे हो मिस्टर ?'
कुणाल ने अपनी नज़रें घुमा ली पर कुछ ही देर में फिर से वही देखने लगा..
कामिनी अपनी सहेली के कान में कुछ बोली और उसकी सहेली भी कुणाल की तरफ देखकर हँसने लगी...
फिर दूसरी लड़कियो के कहने पर फिर से गेम स्टार्ट हो गया..
वहां इस बार एक अलग ही लेवल का गेम स्टार्ट हो चुका था..
उनमे से एक लड़की ने कामिनी से कहा : "यार कामिनी, ये पैसे-वैसे का खेल बहुत हो गया...चल ना, वो डेयरिंग वाली गेम खेलते है...''
कामिनी : "ओहो....उस दिन जैसी, जो तेरे घर पर खेली थी...सोच ले, यहाँ वो काम करेगी तो तेरा एमएमएस बन कर पूरी दिल्ली में घूम जाएगा...हा हा..''
उसकी सहेली, जिसका नाम रजनी था, वो बोली : "ओहो...लगता है किसी को अपने उपर कुछ ज़्यादा ही ओवर कॉनफिडेंस है...लेट्स प्ले...मै भी देखती हूँ की तेरी किस्मत तेरा कब तक साथ देती है...''
इतना कहकर उसने फिर से चार पत्ते निकालकर सभी के सामने फेंक दिए..
कुणाल को समझ नही आ रहा था की ये कैसी गेम होगी अब..
क्योंकि इस बार किसी ने भी पैसे बीच में नही रखे थे...
और इस बार बाजी पलट ही गयी..
क्योंकि पहली ही लड़की रजनी ने जब अपना पत्ता उठाया तो वो खुशी से चिल्ला पड़ी...
उसके पास हुकुम का इक्का आया था...
जाहिर था, उससे बड़ा पत्ता तो किसी के पास हो ही नही सकता था..
फिर भी बाकी सबने अपने पत्ते देखे...
और बुरा सा मुँह बनाते हुए नीचे फेंक दिए..
कामिनी के पास 7 नंबर आया था.
उसका चेहरा देखने लायक था..
शायद उसे हार पसंद नही थी..
और फिर उसकी दोस्त रजनी ने मेरी तरफ इशारा करके पता नही उसके कान में क्या कहा की वो आँखे तरेर कर उसे घूरने लगी...
पर उसकी सहेली ने सिर्फ़ यही बात कही "रूल इस रूल....तूने भी मेरे साथ लास्ट टाइम ऐसा ही किया था''
कामिनी मुँह में कुछ बड़बड़ाती हुई सी उठ खड़ी हुई और सीधा कुणाल की तरफ आने लगी...
कुणाल के तो दिल की धड़कन ही बढ़ गयी जब वो एकदम उसके सामने आकर खड़ी हुई...
उसका भोला सा चेहरा देखकर ...
काली और गहरी आँखे देखकर ...
और सबसे ख़ास बात उसके होंठ देखकर ...
जो इतने फूले हुए थे जैसे उनमे जेल्ली भरी हुई हो...
और अचानक वो हुआ, जिसकी कुणाल ने सपनो में भी कल्पना नही की थी..
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