Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
11-18-2018, 12:33 PM,
#2
RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
मैंने अपने आपको कभी भी ‘गे’ नहीं माना.. लेकिन सच ये था कि आज जो कुछ भी हुआ.. उसने मुझे बहुत मज़ा दिया था। मैं सोचता रहा कि क्या मैं सचमुच ‘गे’ हूँ? 
फिर मैंने सोचा कि क्या होगा अगर मेरे पास एक लड़का और एक लड़की हो.. तो मैं चोदने के लिए किसे तरजीह दूँगा। फ़ौरन ही मेरे जेहन ने मुझे बता दिया कि मैं ‘गे’ नहीं हूँ। मैं हमेशा लड़की को चुदाई के लिए तरजीह दूँगा.. किसी भी लड़की के साथ किसी भी वक़्त मैं चुदाई के लिए तैयार रहूँगा।
जो मैंने अपने सगे भाई के साथ किया उसकी वजह सिर्फ़ ये थी कि हम दोनों एक ही वक़्त में एक ही जगह पर बगैर कपड़ों के नंगी हालत में थे और बहुत गरम थे.. तो ये सब होना फितरती अमल था। 
उस रात हम दोनों चुपचाप सोने के लिए लेट गए और आपस में कोई बात नहीं की।
अगली रात हमने अपना वो ही हिडन फोल्डर ओपन किया.. जहाँ हमने अपनी सेक्स मूवीज छुपा रखी थीं और एक पुरानी देखी हुई मूवी दोबारा देखना शुरू कर दी क्योंकि हमारे पास कोई नई मूवी नहीं थी।
यह भी एक बाईसेक्सुअल मूवी ही थी। दस मिनट बाद ही हम दोनों अपने जिस्मों से कपड़ों को अलहदा कर चुके थे और अपने-अपने लण्ड को हाथ में लिए हाथों को आगे-पीछे हरकत दे रहे थे।
कल जो कुछ हुआ उसकी वजह से हम दोनों ही की हरकत में कुछ झिझक सी थी.. जिसको दूर करना बहुत जरूरी था। 
मैं अपने छोटे भाई के सीधे हाथ की तरफ बैठा था और मैंने अपने राईट हैण्ड में अपने लण्ड को थाम रखा था। मैंने अपना लेफ्ट हैण्ड उठाया और आहिस्तगी से ज़ुबैर की रान पर रख दिया और ज़ुबैर की रान को अपने हाथ से सहलाने लगा। ज़ुबैर ने मेरी तरफ एक नज़र डाली। 
मैं मूवी देखने में मग्न था। ज़ुबैर ने भी अपना रुख़ कंप्यूटर स्क्रीन की तरफ मोड़ दिया और मुझे कुछ नहीं कहा। मैंने कुछ और हिम्मत की और ज़ुबैर की रान को सहलाते हुए अपने हाथ को उसके लण्ड की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया और आहिस्तगी से ज़ुबैर की बॉल्स को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगा।
ज़ुबैर के मुँह से धीमी-धीमी सिसकारियाँ निकलने लगीं और उसके लण्ड पर उसके हाथ की हरकत तेज हो गई। 
मैंने ज़ुबैर का हाथ उसके लण्ड से हटाया और उसके लण्ड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगा। ज़ुबैर का मज़ा बढ़ा तो मैंने ज़ुबैर का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया और हम दोनों एक-दूसरे के लण्ड पर अपने हाथ आगे-पीछे करने लगे।
इससे हम दोनों को ही इतना मज़ा आया कि जल्द ही हम दोनों के लण्ड ने एक-दूसरे के हाथ पर पानी छोड़ना शुरू कर दिया। 
डिसचार्ज होने के बाद भी हमने एक-दूसरे के लण्ड को थामे रखा और बेदिली से मूवी देखते रहे। बेदिली इसलिए कि अब मूवी से ज्यादा हम दोनों का ध्यान हमारे हाथों में थामे एक-दूसरे के लण्ड पर था। कुछ लम्हों के बाद ही हम दोनों के लण्ड दोबारा सख्ती से अकड़ गए। 
ज़ुबैर ने मुझसे कहा- भाई मैं भी आपके साथ वो करना चाहता हूँ.. जो कल आपने मेरे साथ किया था।
मैंने मुस्कुरा कर अपने छोटे भाई को देखा और कहा- ओके चल.. 
मैं अपनी कुर्सी से उठा और उसी कुर्सी पर उल्टा होकर घुटनों के बल बैठ कर अपनी कमर को आगे की तरफ झुका लिया।
ज़ुबैर उठ कर मेरी तरफ आया और उसने अपने लण्ड को थाम कर मेरे दोनों कूल्हों के बीच दरार में फँसाया और मेरे ऊपर झुकते हुए नीचे से मेरे लण्ड को अपने हाथ में थाम कर आहिस्ता-आहिस्ता मेरी गाण्ड पर अपने लण्ड को रगड़ने लगा और अपने हाथ से मेरे लण्ड को सहलाने लगा। 
सच यह है कि ज़ुबैर का लण्ड जब मेरी गाण्ड के सुराख पर टच होता.. तो गाण्ड में अजीब लज्जत सी लहर पैदा होती थी और पूरे जिस्म में सनसनी सी फैल जाती। मेरी गाण्ड के अन्दर अजीब मीठी-मीठी सी गुदगुदी हो रही थी। 
मैंने भी अपने आपको पीछे की तरफ ज़ुबैर के जिस्म के साथ दबाना शुरू कर दिया।
मेरी नज़र अपने राईट साइड पर दीवार पर लगे आदमक़द आईने पर पड़ी तो भरपूर मज़े ने मुझे अपनी गिरफ्त में ले लिया और मैंने ज़ुबैर की तवज्जो भी आईने की तरफ दिलवाई.. तो ज़ुबैर की आँखें भी चमक उठीं। आईने में हम दोनों की हालत मूवी के किसी बेहतरीन सीन से ज्यादा हॉट लग रही थी। हम दोनों फ़ौरन ही मज़े की इंतेहा तक पहुँच गए और तकरीबन साथ-साथ ही डिसचार्ज हो गए। 
हमारे पूरे जिस्म पसीने में सराबोर थे और नहाने की हाजत हो रही थी। हम दोनों साथ-साथ ही बाथरूम में दाखिल हुए और नहाना शुरू कर दिया। 
ज़ुबैर ने मेरे पूरे जिस्म पर साबुन लगाया और मुझे अपने जिस्म पर साबुन लगाने का कहा। मैंने ज़ुबैर के जिस्म पर साबुन लगाया और अपने एक हाथ से ज़ुबैर के लण्ड पर साबुन लगाते हुए दूसरे हाथ से उसकी गाण्ड के सुराख को मसलता रहा।
इस हरकत ने ज़ुबैर को इतना मज़ा दिया कि 5 मिनट के अन्दर अन्दर ही ज़ुबैर के लण्ड ने फिर पानी छोड़ दिया।
आज रात में ज़ुबैर तीसरी बार डिसचार्ज हुआ था.. जिससे उसे कमज़ोरी भी महसूस होने लगी थी।
नहाने के बाद हम दोनों कमरे में वापस आए और बिस्तर पर लेटते ही नींद की शह ने हमें अपनी आगोश में भर लिया।
अगले दिन सारे वक्त मैं अपने और ज़ुबैर के बीच हुए सेक्स के बारे में ही सोचता रहा। अब मैं कुछ और करना चाहता था.. कुछ नया करना चाहता था। 
मैंने अपने एक क्लोज़ दोस्त रफ़ीक से ये डिस्कस किया। रफ़ीक का इस बारे में काफ़ी अनुभव था शायद उसको मर्दाना सेक्स में भी अनुभव था।
मैंने उसे यह नहीं बताया कि मेरा पार्ट्नर मेरा सगा छोटा भाई है, बल्कि मैंने उससे कहा- मेरे पड़ोस में एक लड़का है.. जिससे थोड़ा बहुत फन हो जाता है।
उसने एक शैतानी मुस्कुराहट से मेरी तरफ देखा तो मैंने झेंपकर अपनी नजरें नीचे कर लीं। 
रफ़ीक ने हँसते हुए मेरे कंधे पर हाथ मारा और मुझे छेड़ता हुआ बोला- बच्चा जवान हो गया है, हाँ..
मैंने अपनी झेंप मिटाते हुए उससे कहा- कुत्ते बताना है तो बता.. नहीं बताता.. तो मैं जाता हूँ।
उसने कहा- अच्छा अच्छा.. रुक बताता हूँ..
बहुत कुछ तो मैंने मूवीज से ही सीख लिया था.. लेकिन काफ़ी चीजें सीखने के लिए बाक़ी थीं। जैसे मुझे यह पता नहीं था कि फर्स्ट टाइम चुदाई कैसे करनी चाहिए.. जिससे पार्ट्नर को तक़लीफ़ भी कम से कम हो और दोनों को मज़ा भी मिले।
फिर उसने मुझे कुछ टिप्स दिए ‘फ्रेंच किस’ के बारे में मुझे डिटेल से समझाया। उसने मुझे बताया कि उस लड़के के होंठों को किस करो.. उसके निचले होंठ और ऊपरी होंठ को बारी-बाबरी चूसो.. उसके लण्ड को चाटो और मुँह में भर के चूसो और उससे कहो कि वो तुम्हारे लण्ड को चूसे। 
लण्ड चूसने के बारे में सोच के मुझे अजीब सा लगा और मैंने फ़ौरन कहा- ये अजीब है यार.. लेकिन ‘फ्रेंच किस’ के बारे में मैंने उससे बताया कि मैंने कभी किसी लड़के या लड़की को किस नहीं किया है और ना कभी सोचा है कि लड़के को किस करने में भी मज़ा मिल सकता है।
तो रफ़ीक बोला- मैं तुम्हें दिखाता हूँ कि फ्रेंच किस कैसे होती है.. और इसमें कितना मज़ा आता है।
ये सुनते ही मैं फ़ौरन बोला- नहीं.. मैं नहीं चाहता कि हमारी इतनी मज़बूत दोस्ती किसी और रिश्ते में बदले.. इसे दोस्ती ही रहने देना चाहिए।
मेरी बात सुन कर वो बोला- अबे चूतिया मैं तुझे किस नहीं करने लगा हूँ.. मेरा एक मेट है.. उसकी उम्र अभी कम है.. हम दोनों आपस में खूब चुदाई करते हैं मैं उससे कहूँगा कि वो तुम्हें सिखा दे। 
मैं थोड़ी देर तो झिझका.. लेकिन फिर इस ऑफर को तसलीम कर लिया। रफ़ीक ने मुझे शाम 5 बजे उसके घर आने के लिए बोला।
शाम 5-6 बजे के क़रीब मैं उसके घर पहुँचा वो और उसका दोस्त वहीं थे। वो लड़का बहुत क्यूट था बिल्कुल लड़कियों जैसी जिल्द थी उसकी.. चेहरे पर कोई बाल नहीं और जिस्म ज़रा भरा-भरा था उसका। 
रफ़ीक ने मुझे उसका नाम कामरान बताया और हम दोनों का एक-दूसरे से तवारूफ करवाया। 
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RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी - by sexstories - 11-18-2018, 12:33 PM

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