RE: Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी
मेरा बदन फिर से अकड़ने लगा. पूरा जिस्म एन्थ गया. और मे बाबू जी के ऊपेर झुक कर बाबू जी के होंटो को बेशरम होकर चूसने लगी. बाबू जी ने मेरी चुचियो से हाथों को हटा कर मेरे बालों को पकड़ लिया. और मेरे होंटो को दाँतों से काटने लगें. मुझे बहुत ही मीठा -2 दर्द हो रहा था. पर फिर भी मे अपनी चूत को गांद उछाल-2 कर बाबू जी के लंड पटकती रही.
फिर बाबू जी ने मेरे होंटो को अपने दाँतों से ज़ोर से चबा दिया. और मेरे होंटो पर दर्द होने लगा. पर चूत की आग इस कदर भड़की हुई थी. कि मे दर्द सहते हुए भी अपनी चूत को बाबू जी के लंड पर ज़ोर-2 से मारती रही. और मेरी चूत ने गरम लावा उगल दिया. जैसे ही मेरी चूत ने पानी छोड़ना चालू किया. बाबू जी के लंड से वीर्ये की बोछर निकल कर मेरी चूत की दीवारों को भिगोने लगी. और मेरे मुँह से मस्ती और सन्तुस्ति भरी आह्ह्ह्ह्ह्ह निकल गयी. जैसे ही बाबू जी ने मेरे होंटो को छोड़ा. मेरे होन्ट थोड़े से काट गये थी. मे बाबू जी के ऊपेर निढाल हो कर गिर पड़ी.
अभी: (मेरे चुतड़ों को सहलाते हुए) क्यों रानी मज्जा आया चुदाई मे.
मे: (शरमाते हुए) उंह
और बाबू जी ने मुझे अपने से नीचे उतार दिया. और मुझे अपनी बाहों मे भर कर प्यार करने लगे. मेने रज़ाई को अपने दोनो के ऊपेर खींच लिया. और हम दोनो बिल्कुल नंगे एक दूसरे से चिपके हुए एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे. बाबू जी मेरी चूत को धीरे-2 सहला रहे थे. मे उनके बाहों मे सिमटी जा रही थी.
मेने भी बाबू जी को खुस करने के लिए. बाबू जी का लंड जो अभी-2 झाड़ कर मुरझा गया था. उसे अपने हाथों मे लेकर सहलाने लगी. हम दोनो ऐसे ही एक दूसरे को सहलाते हुए सो गये.
रात के करीब 2 बजे मुझे बहुत ज़ोर से पेशाब लगा. मेने अपने ऊपेर से बाबू जी के हाथ को हटाया और वैसे ही नंगी बाथरूम मे उठ कर चली गयी. और बाथरूम मे जाकर अपने आप को आयने मे एक दम नंगा देख कर शर्मा गयी. फिर मेने अपनी चूत को देखा. जो एक दम लाल हो रखी थी. और फिर नीचे बैठ कर मूतने लगी. मूतने के बाद मेने हाथ धोए और बाहर आ गयी. रज़ाई बाबू जी की कमर तक उतरी हुई थी.
बाबू जी का लंड सोया हुआ था. पर खड़ा ना होने के बावजूद भी बहुत लंबा और मोटा लग रा था. बाबू जी के लंड को देख कर मेरे मुई चूत मे फिर से खुजली होने लगी.
और बाबू जी लंड को देखते हुए बेड पर आकर लेट गये. और रज़ाई को ऊपेर खींच लिया.
मे सोने के कॉसिश करने लगी. पर बाबू जी के लंड को देख कर मेरे नींद उड़ गये थे. बाबू जी पीठ के बल लेटे हुए थे. मेने उनकी तरफ करावट ली. और रज़ाई के अंदर से उनके लंड को हाथ मे पकड़ कर मुथि मे ले लिया. मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. पर मेरी कमीनी चूत फिर से आँसू बहा -2 कर लंड को लेने के लिए बिलबिला रही थी.
मे धीरे-2 बाबू जी के लंड को सहलाते हुए. उनके लंड की मूठ मारने लगी. बाबू जी का लंड कुछ ही पलों मे कड़ा होने लगा. लंड के नसें फूलने लगी. और 3-4 मिनट मे ही बाबू जी का लंड फिर से खड़ा हो गया.
तभी बाबू जी ने मेरे हाथ को पकड़ लिया. और मेरी तरफ करवट बदलते हुए बोले.
अभी: क्या हुआ मेरी रानी. तेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ना चालू कर दिया क्या.
मे बाबू जी की बात को सुन कर एक दम से शर्मा गयी. और बिना कुछ बोले ही लेटी रही. तभी बाबू जी ने उठते हुए. मुझे पीठ के बल लेटा दिया. और मेरी जाँघो को खोल कर मेरी टाँगों के बीच मे अध लेटे से हो गये. रज़ाई ऊपेर होने के कारण मे बाबू जी को देख नही पा रही थी. पर मुझे पता नही था. कि वो नीचे क्या करने जा रहे हैं.
बाबू जी ने रज़ाई के अंदर से मेरी चूत की फांकों को अपने हाथों से फैला दिया. मेरा दिल ये सोच -2 कर तेज़ी से धड़कने लगा. कि बाबू जी फिर से मेरी चूत को चाटने जा रहें है. मेरी चूत मे कुलबुलाहट होने लगी. फिर अचानक मेरी साँसें रुक गयी. और दिल की धड़ेक़न बंद हो गयी. बाबू जी ने अपने होंटो को मेरी चूत पर रख दिया था. मे एक दम से छटपटाने लगी. और रज़ाई के अंदर से बाबू जी के सर को कस के पकड़ लिया.
मे: ओह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह नहिी ब्बोउ जीए वाहन्ंननणणन् मत चॅटो ह अहह उंह बाबू जीए उंह मेरी बाबू जीई उंह हान्न्न्न्न बहुत मज्जा आ रहा हाीइ ह सीईईई उंघह उंघह उंह
मे तेज़ी से अपने हाथों की उंगलयों बाबू जी के बालों मे घुमाने लगी. मेरे चूतड़ अपने आप ऊपेर की ओर उछलने लगे. और कमर तेज़ी से झटके खाने लगी. बाबू जी अपनी जीभ को निकल कर मेरी चूत के छेद को अंदर तक चाट रहे थे. मे एक दम मस्त हो कर सिसकियाँ भरने लगी. और अपनी चूत को बाबू जी के मुँह पर रगड़ने लगी. बाबू जी मेरी चूत की फाको को बीच-2 मे अपने होंटो मे दबा कर खींच देते.
मेरे बदन मे मस्ती और वासना से भरी लहर दौड़ जाती. और कमर झटके खाने लग जाती. मे बाबू जी को अपनी जाँघो मे कसने लगी. मेरी चूत मे खुजली और बढ़ चुकी थी. और चूत से पानी निकल कर मेरी गांद के छेद तक आ रहा था. फिर बाबू जी ने मेरी चूत पर से मुँह को हटा लिया. और रज़ाई को नीचे कर दिया.
अब बाबू जी मेरी जाँघो के बीच घुटनो के बल बैठे हुए थे. और अपने लंड को एक हाथ से तेज़ी से आगे पीछे कर रहे थे. बाबू जी ने मेरी टाँगों को पकड़ कर अपने कंधों पर रख लिया. और मेरे ऊपेर झुक गये. जिससे मेरी टाँगें घुटनो से मूड कर मेरे सर के पीछे तक चली गयी. और बाबू जी ने अपने लंड को पकड़ कर मेरी चूत के छेद पर टिका दिया.
क्रमशः.................
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