RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैने कहा, “विवेक चलो यहा से, मुझे घर जाना है, मुझे किशी रेस्टोरेंट में नही जाना और ना ही तुम्हारे साथ कोई बात करनी है, यहा से जल्दी चलो”
“भाभी क्या ऐसा है कि आपका एक आदमी से मन नही भरता और आपको अपने चारो ओर भीड़ चाहिए, ताकि आप हवश का नंगा नाच खेल सकें” ---- वो अपने चेहरे पर वही बेकार सी हँसी ले कर बोला.
मैने अपने कानो पर हाथ रख लिए और ज़ोर से उशे कहा, “ विवेक बंद करो ये बकवास और चुप हो जाओ, तुम्हे शरम आनी चाहिए मुझ से ऐसी बाते करते हुवे”
वो मुश्कूराते हुवे बोला, “भाभी मैं तो संजय के लिए पूछ रहा था, जाकर उसे बताउन्गा की उसकी बर्बादी का कारण क्या है, आप डीटेल में बताओ ना कि कैसे आप उन लोगो के साथ गयी, कैसे उनके साथ सब कुछ किया, बताओ ना भाभी”
अब मुझे यकीन हो गया था कि वो जान बुझ कर ये बाते कर रहा था. बहुत कमीना नज़र आ रहा था उस वक्त वो
“देखो संजय से मेरा डाइवोर्स हो चुका है, इसलिए ना मैं अब उनकी पत्नी हूँ और ना तुम्हारी भाभी, मैं ये सोच कर तुम्हारे साथ आई थी कि तुम मुझे संजय के बारे में कुछ बताओगे. मैं बस जान-ना चाहती थी कि वो कैसे है. तुम बेकार की बाते कर रहे हो. मैं अब चलती हूँ” ----- मैने विवेक से कहा
“अरे नही रूको भाभी आप तो बुरा मान गयी मैं तो बस यू ही बात कर रहा था, वैसे आप को मेरी बात सुन-नि ही पड़ेगी, मैं यू ही फरीदाबाद से मुंबई नही आया हूँ” ---- वो गंभीर हो कर बोला.
“क्यो सुन-नि पड़ेगी विवेक, मेरी ऐसी कोई मजबूरी नही है समझे, और ये भाभी भाभी कहना बंद करो” ---- मैने गुस्से में कहा
तभी उसने ना जाने कहा से एक पिस्टल निकाल ली और पिस्टल को मेरी और करके बोला, “मेरा दीमाग खराब हो रखा है भाभी, आप या तो मेरी बात शुनोगी या फिर इस पिस्टल की सारी की सारी गोलिया आपके भेजे में डाल दूँगा, आप ही बताओ कि आपको क्या चाहिए”
“ये क्या पागलपन है विवेक इसे दूर हटाओ, मुझे डर लग रहा है” --- मैने विवेक से गुस्से में कहा
आज तक मैने पिस्टल को इतने नज़दीक से नही देखा था. वो पिस्टल को मेरी ओर करके मुश्कुरा रहा था.
“भाभी अगर आप चुपचाप कॉपरेट करेंगी तो मैं कुछ नही करूँगा, ये लीज़िए पिस्टल एक तरफ रख दी” --- विवेक पिस्टल को अपने पाँव के पास नीचे रखते हुवे बोला
मैने कहा “विवेक लगता है तुम अभी होश में नही हो, तुम अभी जाओ, बाद में आराम से बात करेंगे”
“भाभी बात तो आपको अभी करनी पड़ेगी, आप ये बताओ कि अगर संजय आपको सन्तुस्त नही कर पा रहा था तो हूमें बोल दिया होता हम आ जाते आपकी प्यास भुजाने” ---- वो बेशर्मी से बोला.
“ये क्या बकवास है विवेक तमीज़ से बात करो” --- मैने गुस्से में चील्ला कर कहा
“आप शायद भूल रही है कि, मेरे पास पिस्टल है, मैने वो एक तरफ रख दी है तो इश्का मतलब ये नही है कि आप मुझ से चील्ला कर बात करेंगी, मेरा दीमाग घूम गया ना तो अभी के अभी भेजा उड़ा दूँगा” ---- वो भयानक आवाज़ में बोला.
मेरी आँखो में आंशु आ गये, मैने विवेक से पूछा, “तुम ये सब क्यो कर रहे हो विवेक प्लीज़ मुझे जाने दो”
“जाने दूँगा, ज़रूर जाने दूँगा, पहले आप इस बात का जवाब दो कि मैं क्या मर गया था जो आप अजनबी लोगो के आगे अपना नाडा खोल कर झुक गयी, आपको पहले मुझे मोका देना चाहिए था, कसम से मैं आपकी सारी हवश मीटा देता” ---- वो मेरी और देखते हुवे बोला.
मैने अपनी गर्दन दूसरी तरफ घुमा ली, मेरी आँखो से लगातार आंशु बह रहे थे. उसकी बाते और ज़्यादा गंदी होती जा रही थी.
उस वक्त मैं यही सोच रही थी कि हे भगवान ये कौन से पापो की सज़ा मिल रही है मुझे की मुझे इतना कुछ सुन-ना पड़ रहा है. मैं तो मुंबई एक नयी शुरूवात करने आई थी पर फिर से मुझे मेरे पास्ट ने घेर लिया था.
“भाभी बोलिए ना आपने मुझे मोका क्यो नही दिया. संजय कह रहा था कि, आप किसी लड़के से अपने घर के पीछे की झाड़ियों में पता नही क्या क्या करवा रही थी. और तो और बाकी के कोई दौ लोग अपनी बारी का इंतेज़ार कर रहे थे, इतनी भूक थी सेक्स की तो मुझे बोल दिया होता मैं आपकी उन लोगो से ज़्यादा आछे से लेता पर आपने तो मुझे कोई मोका ही नही दिया. अब आप ही बताओ, है ना ये ग़लत बात. जो आपके अपने है वो प्यासे रहें और अजनबी लोग मज़ा करें ये कहा का इंसाफ़ है” ---- विवेक ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर कहा.
“विवेक प्लीज़ चुप हो जाओ, मैं मार जाउन्गि, मैं खुद परेशान हूँ, मुझे और परेशान मत करो, मुझे मेरे किए की सज़ा मिल चुकी है, ये सब कहने की बजाए तुम मुझे गोली मार दो तो अछा है” --- मैने रोते हुवे कहा.
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