RE: non veg story एक औरत की दास्तान
थप्पड़ की आवाज़ सुनकर गार्डन मे बैठे सारे लोग उसी तरफ देखने लगे कि आख़िर माजरा क्या है..
रवि भी उन दोनो की ही तरफ देख रहा था.. जिस चेहरे पर अभी तक मुस्कान थी..उसकी जगह अब खुला हुआ मुह्न था.
"क्या समझते हो तुम खुदको..?"स्नेहा ज़ोर से चिल्लाई.. आवाज़ इतनी ज़्यादा थी कि वहाँ पर खड़ा हर कोई उन्हे सुन सकता था.. कितने लड़कों को दिल ही दिल मे सुकून मिल रहा था कि आख़िर इस स्नेहा ने राज से पीछा छुड़ा ही लिया अब..
राज अपना गाल पकड़े खड़ा था और बिल्कुल स्नेहा की तरफ आखें फाडे देखे जा रहा था..उसके मुह्न से कोई आवाज़ नही निकल रही थी.. कहाँ उसने सोचा था कि वो आज अपने प्यार का इज़हार करेगा.. कहाँ उसे थप्पड़ पड़ने लगे.
"मेरी बात का जवाब क्यूँ नही देते..? क्या समझते हो तुम खुदको...?"
"ज़ोरु का गुलाम.. ओह सॉरी.. तीस मार ख़ान.. ओह फिर से सॉरी.." राज उसकी बातों को अनदेखा करते हुए फिर से मज़ाक के मूड मे आ गया था और स्नेहा ने ये भाँप भी लिया था और मंन ही मंन वो भी अपना मूड बदलना चाह रही थी मगर फिर उसने अपना मंन बदल दिया और गुस्सा होने का नाटक करने लगी...
चलो मेरे साथ तुम.. उसने राज का हाथ पकड़ा और खीच कर अपनी कार की ओर ले जाने लगी..
"छ्चोड़ो मेरा हाथ.. लोग क्या सोचेंगे..? हर जगह लड़के लड़कियों को खिचते हैं..यहाँ तुम ही मुझे खींच रही हो..." राज ने हाथ छुड़ाने की झूठी कोशिश की.. सब लोग उन दोनो को ही देख रहे थे..
जो लड़के अब तक खुश हो रहे थे उनकी धड़कनें तेज़ हो गयी कि अब क्या होने वाला है...
स्नेहा उसे खींच कर कार के पास ले गयी और कार का दरवाज़ा खोलकर उसे अंदर धक्का दे दिया... फिर खुद जाकर ड्राइवर'स सीट पर बैठी और पूरी स्पीड से कार वहाँ से भगा दी..
"कहाँ ले जा रही हो तुम मुझे...?" राज ने पूछा पर स्नेहा ने कोई जवाब नही दिया..
"बोलो ना कहाँ ले जा रही हो...?"दूसरी बार पूछने पर भी स्नेहा ने कोई जवाब नही दिया.. ऐसे ही काई बार पूछते रहने पर भी स्नेहा चुप रही..
"मैं आख़िरी बार पूछ रहा हूँ.. कहीं तुम मुझे मारने तो नही ले जा रही..?" इतने सुनते ही स्नेहा ने ब्रेक लगा दिया..और गाड़ी रोक दी.. फिर अचानक राज की तरफ झपटी और उसका चेहरा अपनी हाथों मे ले लिया.. और पल भर मे ही उसके होंठ राज के होठों से जा मिले..
क्या अद्भुत द्रिश्य था वो.. जब दो प्रेमियों के होठों का मिलन हो रहा था जो ना जाने कब से एक दूसरे के लिए तड़प रहे थे.. राज ने भी उससे अलग हटने की कोशिश नही की और दोनो के होंठ आपस मे गुत्थम गुत्था हो गये जैसे कि आज एक दूसरे को अपने अंदर समा लेना चाहते हों..
ना जाने कितनी देर तक एक दूसरे के होठों का रास्पान करते रहे दोनो और जब अंत मे उनकी साँस फूलने लगी तब जाकर दोनो अलग हुए..
"क्यूँ बताओ अब मज़ा आया..?"स्नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा..
"ये काम हम वहाँ भी तो कर सकते थे तो तुम मुझे इतनी दूर क्यूँ लेकर आई..?" राज ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा..
"अरे बुद्धू तुम्हें इतना भी दिमाग़ नही है.. ये काम किसी सुनसान जगह पर करना चाहिए ताकि हमे कोई देख ना ले.." राज ने आस पास देखा तो पाया कि वो जगह बिल्कुल सुनसान है जैसे वहाँ कोई आता जाता ही ना हो..
"अच्छी जगह खोज रखी है इन सब कामों के लिए..?" राज ने शैतानी मुस्कान के साथ कहा..
"मैं क्यूँ खोजने लगी ये जगह..? वो जो सामने बांग्ला देख रहे हो ना वो हमारा फार्म हाउस है.. हम कभी कभी छुट्टियाँ मनाने यहाँ आते रहते हैं.." स्नेहा ने एक तरफ इशारा किया जहाँ पर एक सफेद रंग का बड़ा सा घर बना हुआ था..
"ओह अच्छा...!! तो चलो.. थोड़ी मस्ती कर लें.." राज ने फिर मज़े लेते हुए कहा.. इस पर स्नेहा का चेहरा देखने लायक हो गया.. जिसपर अब शर्म की लाली छा चुकी थी..
"ये क्या बोल रहे हो तुम..? चलो चलते हैं यहाँ से..." स्नेहा ने गाड़ी स्टार्ट करने के लिए चाबी की तरफ हाथ बढ़ाया ही था कि राज ने उसका हाथ पकड़ लिया..
"इतनी भी क्या जल्दी है..? एक बार आइ लव यू तो बोल दो..." राज ने उसका हाथ अपनी तरफ खिच लिया जिससे स्नेहा राज की बाहों मे समा गयी..
"क्यूँ तंग कर रहे हो छ्चोड़ो ना.."
"नही छोड़डूँगा.. जब तक तुम मुझे आइ लव यू नही बोलती..मैं नही छोड़डूँगा.." राज ने उसे कसकर अपनी बाहों मे जाकड़ लिया.. स्नेहा को छूटने का अब कोई रास्ता दिखाई नही दे रहा था...
"अच्छा अच्छा आइ लव यू.. बस हो गया अब छ्चोड़ दो.."
"नही ऐसे नही.. बोलो आइ लव यू राज.."
"आइ लव यू राज.." इतना बोलते ही राज ने एक बार फिर उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और एक दीर्घ चुंबन के बाद उसे छ्चोड़ दिया..
वो मुस्कुराती हुई उसकी बाहों से निकल गयी और गाड़ी स्टार्ट करके वापस कॉलेज की तरफ चल दी.. उसका मॅन तो था कि ज़िंदगी भर राज की बाहों मे बैठी रहे मगर वक़्त को ना कोई वापस ला सकता है और किस्मत को ना कोई बदल सकता है.. और पता नही अभी स्नेहा की ज़िंदगी मे और कितनी तूफान आने वाले थे.. और "धोखा" नाम का शब्द उसकी ज़िंदगी को नर्क बनाने वाला था.
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"मुझे एक बात कहनी है तुमसे." रिया ने अपने पास बैठे उस लड़के को कुछ बोलने के पहले उसकी इज़ाज़त लेते हुए कहा.
"हां बोलो. क्या बोलना है जान.?" वो लड़का जो अभी रिया की चुचियों के बीच हाथ घुमा रहा था अब रिया की तरफ देखने लगा.लेकिन थोड़ी देर बाद ही फिर से उसकी चुचियों को मसल्ने लगा.
"क्या तुम सुनने के लिए तैय्यार हो जो मैं तुम्हें बताने जा रही हूँ?" रिया ने फिर पूछा.
"हां जान,तुम बोलो और मैं ना सुनू.." उसने अब रिया की ब्रा उतारकर उसकी निपल को अपने मुह्न मे ले लिया था और रिया की मखमली चूत पर हाथ फिरा रहा था. जहाँ रिया ने अब भी पॅंटी डाल रखी थी..
"सोच लो." रिया ने फिर कहा..
"अब क्यूँ मेरा दिमाग़ खा रही हो. जो बोलना है जल्दी बोलो अब.." उस लड़के ने झल्लाते हुए कहा. और अपना मुह्न रिया की गोल गोल मदमस्त चुचियों पर से हटा लिया.
"मेरे पेट मे तुम्हारा प्यार पल रहा है." रिया ने उस लड़के पर बॉम्ब फोड़ा.
"क्या बकवास कर रही हो.?" वो लड़का जो अब रिया की चूत मे उंगली डाल चुका था उसने एक झटके से उंगली निकाल ली. रिया जिसने अब शीष्कारियाँ लेनी शुरू कर दी थी,अचानक ही शांत पड़ गयी.
"मैं बकवास नही कर रही हूँ..ये सच है. मैं तुम्हारे प्यार को अपने पेट मे पाल रही हूँ.. कल ही मुझे उल्टियाँ आई थी.." रिया ने अपनी बात पर ज़ोर देते हुए कहा..
"उल्टियाँ किसी और कारण से भी तो आ सकती हैं.." लड़के ने कहा.
"पर मैने डॉक्टर से चेकप करवाया..."
"तो गिरा दो इसे.. अबॉर्षन करवा लो.. डू इट आस सून आस पासिबल" लड़के ने रिया पर ज़ोर देते हुए कहा..पर हमेशा की तरह जैसा क़िस्से कहानियों मे होता है.. रिया ने भी अबॉर्षन करवाने से मना कर दिया..
"मैं नही गिराउन्गि इसे.. ये हमारे प्यार की निशानी है.." रिया की आँखों मे अब आँसू आ गये थे..मगर वो लड़का अपनी बात पर अड़ा हुआ था.. और साथ साथ ही वो रिया के जिस्म से भी खेल रहा था..और उसका लंड अब पेंट के बाहर आकर फुंफ़कार रहा था..
उसने आव देखा ना ताव सीधा अपना लंड रिया के गले मे उतार दिया और उसके बाल पकड़ कर लंड को अंदर बाहर करने लगा..
"साली रंडी.. मैने तुझे बोला था मुझसे चुदवाने को..? अब जब तेरे पेट मे किसी और का पाप आ गया तो मेरे ऊपर इल्ज़ाम लगा रही है.." अब उस लड़के ने रिया के मुह्न से लंड निकाल कर उसकी गुलाबी चूत मे डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा और फिर से रिया को गालियाँ देने लगा..
"साली कुतिया.. जाने कितने जगह चुदवा कर आई है तू.. और जब किसी का पाप तेरे पेट मे आ गया..तो मेरे पास आ कर बोल रही है.. ये ले.. आज तेरी चूत का वो हाल बनाउँगा कि कभी चल नही पाएगी.. और उसने धक्के और तेज़ कर दिए.. रिया की चूत मे बहुत ज़ोरों का दर्द होने लगा. वो लड़का इतने ज़ोरों से धकके लगा रहा था कि रिया की चूत की दीवारें छिल रही थी..
"मैं सच कह रही हूँ...ह...ते तुम्हारा ही खून है.. ओह्ह्ह्ह..माआअ.... आआहह.....धीरे करो... बहुत दर्द हो रहा है..." रिया ने विनती करते हुए कहा पर उस लड़के ने एक ना सुनी और अपना लंड तेज़ी से उसकी चूत मे ठोकता रहा. रिया को इतना दर्द हो रहा था कि अब उसके मुह्न से आवाज़ नही निकल रही थी..मगर वो लड़का जानवरों की तरह उसे चोद रहा था.
"आअहह..ऑश. उययययीीमाआअ...ऊऊआाआअ" रिया के सुंदर चेहरा लाल हो चुका था और उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे. मगर वो लड़का और ज़ोर से धक्के लगा रहा था और रिया के बालों को खींच रहा था.
क्रमशः.........................
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