RE: non veg story एक औरत की दास्तान
एक औरत की दास्तान--4
गतान्क से आगे...........................
फिर हॉल मे एक बड़ा सा केक आया और रिया उसके सामने खड़ी हो गयी.. उसके बगल मे ही स्नेहा खड़ी थी.. फिर रिया ने केक काटा और सबने उसे "हॅपी बर्तडे" विश किया और गिफ्ट्स दिए... फिर सबने खाना खाया और पार्टी ख़तम हो गयी...
"क्या मैं आपको घर छ्चोड़ दूं स्नेहा...?" पार्टी ख़तम होने के बाद राज ने स्नेहा के पास जाकर कहा...
"नही राज... वैसे ही मैने तुमसे बहुत मदद ले ली... अब और नही... मैं अभी अपने दोस्तों के साथ चली जाउन्गि... तुम रहने दो..."
"अच्छा ठीक है स्नेहा... कल मिलते हैं कॉलेज मे..." ये बोलते समय राज के चेहरे पर मायूसी की लकीरें सॉफ देखी जा सकती थी और ये बात स्नेहा से भी च्छूपी हुई नही थी..... खैर इसके बाद सब अपने अपने घर चले गये....
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"अब हमे शादी कर लेनी चाहिए जानू... तुमने मुझसे वादा किया था..." रिया ने उस लड़के को उसके वादे की याद दिलाते हुए कहा...
"रिया मेरी जान... अभी तुम्हारी उमर ही क्या है... अभी तो तुम सिर्फ़ 20 की हो... सही वक़्त आने पर हम कर लेंगे शादी..." लड़के ने उसकी चूचियों पर अपने होंठ लगाते हुए कहा...
"पर हम कब तक बिना शादी के इस तरह से शरीरीक संबंध बनाते रहेंगे..." रिया ने अपनी बात रखी...
"जान... अभी तो हमारे मज़े करने के दिन है... क्यूँ तुम अभी से शादी के बारे मे सोच सोच कर परेशान हो रही हो... जब वक़्त आएगा तो वो भी हो जाएगी... " उस लड़के की जीभ धीरे धीरे रिया के पेट से होती हुई उसकी नाभि पर आ गयी.. और फिर उसकी चूत पर... रिया की सिसकारी निकल गयी....
"अगर मुझे बच्चा हो गया तो...?" रिया ने फिर आशंका जताई...
"अरे नही होगा जान... देखो मैने कॉंडम लगा रखा है ना..." लड़के ने अपना लंड दिखाते हुए कहा... उस पर पिंक कलर का कॉंडम लगा हुआ था जो शायद स्ट्रॉबेरी फ्लेवर का था...
इस बात पर रिया शांत हो गयी.. उसके पास अब बोलने के लिए कुछ नही बचा था.. वो लड़का अब उसके ऊपर आ चुका था.... और अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था... पूरे कमरे मे उसकी सिसकारियाँ गूँज रही थी.... और फिर लड़के ने धक्के तेज़ किए और उसकी चूत मे ही झाड़ गया... पर कॉंडम ने बचा लिया...
रिया को कुछ समझ मे नही आ रहा था कि वो क्या करे... कब तक ऐसे अवैध संबंध बना कर रखे... उसने उस लड़के की तरफ नज़र डाली... जो अब आराम से खर्राटे मार रहा था और उसका लंड अब भी रिया की चूत मे था...
"कुछ समझ नही आ रहा यार... कि अब कैसे उससे बात करूँ... कोई आइडिया ही नही आ रहा दिमाग़ मे... और दिल है कि मानता नही... कुछ ना कुछ तो करना पड़ेगा यार..." राज और रवि एक गार्डन मे पेड़ के नीचे बातें कर रहे थे... कॉलेज तो वो जाते नही थे...इसलिए दिनभर घूमते रहते थे... कभी शॉपिंग माल तो कभी मल्टिपलेक्स.. और नही तो कहीं चूत बाजी(लड़कीबाज़ी) मे लगे रहते थे... उनका शेड्यूल भी अजीब था... रात मे वो रात भर पढ़ते रहते और बस 3 घंटे सोते थे... उनके अलावा ये बात किसी को नही पता थी कि वो कॉलेज नही जाते हैं... मा बाप को भी उन्होने उल्लू बनाने मे कोई कसर नही छ्चोड़ी थी...
पर एक बात और थी... राज के मा बाप नही थे.. उसके मा बाप की मृत्यु एक कार दुर्घटना मे उस समय हो गयी थी जब वो रात को एक पार्टी से वापस आ रहे थे.. राज उस समय बहुत छोटा था इसलिए उसे घर मे ही छ्चोड़ कर गये थे..उसका पालन पोषण एक नौकर ने किया था.. या यूँ कह लीजिए कि एक मॅनेजर ने किया था... क्यूंकी वो पढ़ा लिखा नही था फिर भी उसके राज के मा बाप के मरने के बाद उसका पूरा बिज़्नेस संभालता था... उसका काम बस इतना होता था कि वो ऑफीस जाकर वहाँ पर सभी को ज़रूरी आदेश दे देता था और बाकी का काम ऑफीस के लोग संभाल लेते थे..यूँ तो उनका नाम "जगलाल रामकुमार कृष्णकुमार चेद्दि लाल पासवान" था पर राज उन्हे "जग्गू काका" कहकर पुकारता था..
बचपन से उन्होने राज को अपने बेटे की तरह प्यार किया... जब उसके मा बाप मरे थे तो जग्गू काका सिर्फ़ 25 बरस के थे... अपने छ्होटे मालिक की सेवा करने के लिए उन्होने कभी शादी भी नही की... अपने मालिक के लिए वो जान भी देने को तैय्यार था.. और इसी प्यार मुहब्बत के कारण राज बिगड़ गया था...
हालाँकि उसे कोई बुरी आदत नही थी फिर भी जो लड़का कभी कॉलेज ना जाकर सिनिमा देखे और माल मे घूमे उसे बिगड़ा हुआ ना कहें तो क्या कहें...
खैर वापस अपनी कहानी पर आते हैं...
रवि भी सोच मे पड़ गया कि आख़िर वो राज की मदद कैसे करे...
"अबे सुन.. एक रापचिक आइडिया आया है वीरे..." रवि ने उछलते हुए कहा...
"जल्दी बता जल्दी बता..." राज ने भी उत्साहपूर्वक अपन कान उसके मुह्न के पास ले जाते हुए कहा...
"तू मुझसे प्यार का नाटक कर..." रवि की ये बात सुनकर राज चौंक उठा...
"अबे गे समझा है क्या...? साले मैं तुझे प्यार करूँ... मेरे पास लंड नही है क्या...?"
"अबे कौन सी बड़ी बात है मुझसे प्यार करना... न्यूज़ नही देखते क्या आजकल..? इंडिया मे गे मॅरेज लीगल हो गयी है... तू मुझसे प्यार का नाटक करेगा और स्नेहा को ये बात पता चलेगी तो फिर अगर वो तुझसे प्यार करती होगी तो उसे हम से जलन होगी... और वो आकर तुम्हें प्रपोज़ कर देगी... है ना मस्त आइडिया...?" रवि ने उत्तेजित होते हुए अपना गे बनने का आइडिया बताया...
"अबे घंटा आइडिया है.. पता नही तेरे इस चूतिया दिमाग़ में कैसी कैसी बातें आती रहती हैं... गे बनाएगा मुझे... चूतिया कहीं का..." राज ने मुह्न बनाते हुए कहा...
"अबे साले.. मुँह क्यूँ बना रहा है... वैसे भी हम दोनो हर जगह साथ ही जाते हैं.. और अब देखो जहाँ सारे प्रेमी बैठकर प्यार भरी बातें करते हैं.. हम भी वहीं बैठकर दो प्रेमियों की तरह बातें कर रहे हैं...पेड़ के नीचे.. प्यार भरी बातें.. तो हुए ना हम गे..हाहाहा..." रवि ने ठहाका लगाते हुए कहा...
पर राज को अभी कुछ भी अच्छा नही लग रहा था... उसके दिमाग़ मे तो बस स्नेहा..स्नेहा की धुन्न बज रही थी..
"बंद कर मज़ाक यार... आजकल मज़ाक नही अच्छे लगते.. प्लीज़ कुछ बढ़िया सा आइडिया दे.." राज ने विनती की...
"मैं तो कहता हूँ..कि जाकर पूरे कॉलेज के सामने उसे आइ लव यू बोल दो... और एक ज़ोर का चुंबन उसके होठों पर जड़ दो..." रवि ने फिर बिना सोचे समझे जवाब दिया...
"हां... आइ लव यू बोल दूं... और शहीद हो जाउ... साले तूने उसे किसी ऐरे गैरे की बेटी समझ रखा है क्या...? ठाकुर खानदान की एकलौती बेटी है... जान से मरवा देगा मुझे मेरा होने वाला ससुर..." इतनी डरावनी बात बोलते हुए भी राज उसे अपना ससुर बोलना नही भूला... उसे पूरी उम्मीद थी कि वो कैसे भी स्नेहा को ज़रूर पटा लेगा... चाहे इसके लिए उसे अपनी क्लासस ही क्यूँ ना अटेंड करनी पड़े... जो काम उसने कभी नही किया है वो भी क्यूँ ना करना पड़े... और अंत मे उसने एक फ़ैसला ले ही लिया... कि वो कल कॉलेज जाएगा...
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