Incest Kahani ससुराल यानि बीवी का मायका
11-05-2018, 02:27 PM,
#17
RE: Incest Kahani ससुराल यानि बीवी का मायका
मैंने दाद दी मीनल और लीना की कि कितने अच्छे से सिंगार किया था. बाकी सब तो ठीक है, आसानी से किया जा सकता है पर सिर में जो विग लगाया होगा वो बड़ा खूबसूरत था, बड़े खूबसूरत नरम सिलन शोल्डर लेंग्थ बाल थे. और ललित को भी मैं मान गया, साड़ी पहनकर सबके लिये चलना आसान नहीं है पर वह इस तरह से चल कर आया था जैसे जिंदगी भर साड़ी पहन रहा हो.

उधर लीना सिर पर हाथ मारकर हंस रही थी और ललित पर चिढ़ रही थी "सत्यानाश कर दिया उल्लू कहीं के. मैंने कहा था मत बोलना, अब बोल के सब भांडा फोड़ दिया. अभी तो अनिल को हम वो घुमाते कि ... "

ललित झेंप रहा था, लीना की डांट से और मेरा क्या रियेक्शन होगा इसके डर से.

मैंने तारीफ़ की "अरे उसको क्यों बोल रही हो, उसने ए-वन काम किया है ... मुझे जरा भी पता नहीं चला. यार ललित मान गये ... हैट्स ऑफ़. वैसे लता के बजाय ललिता नाम रख लो." फ़िर लीना की ओर मुड़ कर बोला "तुम्हारा और मीनल का भी जवाब नहीं, अब बॉलीवुड में ड्रेसिंग का काम देख लो. पर ये सब किसलिये? ललित कितना सुंदर है ये दिखाने को? मैंने तो पहले ही देख लिया है, बड़ा हैंडसम क्यूट लड़का है"

"लो, ललित आखिर जीजाजी तेरे फ़ैन हो ही गये, अब तो आराम से जा तू उनके साथ, तुझे जरूर बहुत इंटरेस्ट से ये बंबई घुमायेंगे" लीना बोली. फ़िर मेरे पास आकर मेरा हाथ पकड़कर बोली "वो क्या है कि ललित का बहुत मन है बंबई घूमने का. अपने साथ आने की जिद कर रहा था. अब इतनी जल्दी रिज़र्वेशन तो मिलेगा नहीं, ये कह रहा था कि दीदी, मैं नीचे फर्श पर सो लूंगा ट्रेन में पर वो एकाध खड़ूस टीसी फंस गया तो. अब कल से मीनल और मां ये भी कह रहे हैं कि लीना, रुक जा और हफ़्ते दो हफ़्ते के लिये तो मेरे दिमाग में एक खयाल आया कि मैं रुक जाती हूं और ललित मेरी जगह पर जा सकता है. हां उसे मेरे नाम पर सफ़र करना पड़ेगा, और वो भी स्त्री वेश में. ये तैयार हो गया, वैसे भी इसे बचपन से बड़ा शौक है लड़कियों के कपड़े पहनने का. मैंने कहा कि पहन कर दिखा और अनिल के सामने जा और वो भी पहचान ना पाये तो जरूर जा बंबई"

मीनल हंस कर बोली "मैदान मार लिया ललित ने आज, क्या खूबसूरत लड़की बना है"

लीना मुझे बोली "अनिल डार्लिंग, ललित शर्मायेगा बताने में पर अब तुमसे क्या छिपाना, ये ललित बचपन में ही नहीं, अभी भी लड़कियों के कपड़े पहनने का बहुत शौकीन है. सिर्फ़ हमारे ड्रेस, सलवार कमीज़ साड़ी ही नहीं, ब्रा और पैंटी भी पहनने का बड़ा शौक है इसको. मेरी ओर लीना की जब मौका मिलता है, पहन लेता है. ये तो मां की भी ब्रेसियर पहन ले पर वो उसको थोड़ी ढीली होती है."

इतने में सासूमां कमरे में आयीं. ललित को देखा और फ़िर लीना को बोलीं "तो तुम दोनों मानी नहीं, लड़की बना ही दिया बेचारे ललित को. अब ऐसे ट्रेन में भेजने के पहले अनिल को तो पूछ लिया होता, पर तुम दोनों कहां मेरा कहा मानती हो. और देखो कैसा शर्मा रहा है मेरा बच्चा. ललित बेटे, तेरे को ऐसे नहीं जाना हो तो साफ़ कह दे, इन दोनों छोरियों के कहने में ना आ, ये तो महा शैतान हैं दोनों"

लीना ने चिढ़ कर अपनी मां को कहा "अब तू चुप रह मां. इन बातों में अपना सिर मत खपा. देखो अनिल डार्लिंग, ललित तुम्हारे साथ जायेगा, बेचारे का बहुत मन है, घुमा देना उसको बंबई. और ये इसी स्त्री रूप में जायेगा मेरी जगह, टीसी को भी कोई शक नहीं होगा, और ट्रेन सुबह तड़के दादर पहुंचती है, ठीक से सुबह होने के पहले तुम लोग घर भी पहुंच जाओगे."

ललित मेरी ओर देख रहा था, बेचारा टेंशन में था कि मैं क्या कहता हूं.

मैंने सोचा कि बेचारे को और टंगाकर रखना ठीक नहीं है. उसकी पीठ थपथपा कर मैंने कहा "जाने दो ललित, जैसा ये कहती है वैसा ही करते हैं. इनको तो ऐसे टेढ़े आइडिया ही आते हैं और हम कर भी क्या सकते हैं! सुंदर कन्याओं की हर बात मानना ही पड़ती है. चल, तू लीना बनकर ही चल, आगे मैं संभाल लूंगा" उसकी पीठ पर हाथ फेरते वक्त उसके महीन ब्लाउज़ के नीचे से ललित ने पहनी हुई टाइट ब्रा के स्ट्रैप मेरी उंगलियों को महसूस हुए, न जाने क्यों एक मादक सी टीस मेरे सीने में दौड़ गयी.

ललित की बांछें खिल गयीं. मीनल बोली "देख, तू फालतू टेंशन कर रहा था कि जीजाजी क्या कहेंगे. अरे तू उनका लाड़ला साला है, जो मांगेगा वो मिलेगा"

सासूमां बोलीं "दामादजी, तुमको जमेगा ना? तुम्हारा ऑफ़िस होगा रोज, उसमें कहां इस घुमाओगे फिराओगे?"

"आप चिंता ना करें, मैं देख लूंगा, ऑफ़िस से जल्दी आ जाया करूंगा, दो दिन छुट्टी ले लूंगा पर ललित को खुश कर दूंगा, उसे जो चाहिये, वो उसको मिलेगा"

लीना ने ललित को हाथ पकड़कर मेरे साथ सोफ़े पर बिठाते हुए कहा "अब चुपचाप बैठो यहां, मैं फोटो निकालती हूं"

हम दोनों के काफ़ी फोटो लिये लीना ने, हर तरह के ऐंगल से. फ़िर लीना रानी जरा अपनी हमेशा की शैतानी पर उतर आयी. "अब कमर में हाथ डालो अनिल ... और पास खींचो ना उसको ... अब उसे उठाकर जरा गोद में बिठा लो ... अब कस के उसको भींच लो ... अब जरा किस करो ..." बेचारा ललित ये सब करते वक्त जरा परेशान था, एक बार बोला भी "अब दीदी ... ये सब क्या कर रही हो ..." पर लीना ने डांट कर उसे चुप कर दिया. "एकदम चुप ... एक भी लफ़्ज़ कहा तो तेरी ट्रिप कैंसल ... हां चलो अनिल ... अरे हाथ जरा उसके सीने पर रखो ना ... ऐसे"

अब ये सब हो रहा था तब अनजाने में मेरा लंड सिर उठाने लगा. याने भले ही वो ललित रहा हो पर उसका कमनीय रूप, उसने लगाया सेंट ... और अपनी बांहों में महसूस हो रहा उसका जवान छरहरा चिकना बदन जो काफ़ी कुछ हद तक एक कन्या के बदन से कम नहीं था ... अब इस सब का मेरे ऊपर असर होना ही था. किसी तरह मैंने कंट्रोल किया, पता नहीं ललित ने मेरी गोद में बैठे वक्त मेरे लंड का कड़ा होना महसूस किया कि नहीं पर बोला कुछ नहीं.

फोटो सेशन खतम होने पर लीना ललित से प्यार से बोली "अब मुंह ना लटकाओ, ये सब फोटो अपने प्राइवेट हैं, घर के बाहर किसी को नहीं दिखाऊंगी"

ललित पल्लू संभाल रहा था. मैंने लीना से कहा "डार्लिंग, ललित को जरा टॉप जीन्स वगैरह पहना दो, ऐसे साड़ी संभालने में बेचारे को ट्रेन में परेशानी होगी."

लीना को बात जच गयी. "हां ललित ऐसा ही करते हैं, मैंने तो ये सोचा ही नहीं. जा, वो मेरी जीन्स और टॉप पहन ले"

ललित टॉक टॉक टॉक करते हुए मीनल के कमरे में जाने लगा. उसके सैंडल एकदम मस्त आवाज कर रझे थे जैसे लड़कियों के हाइ हील करते हैं. मेरे मन में आया कि हाइ हील पहनकर चलते हुए उसे कंफ़र्टेबल लग रहा है, जरूर जनाब घर में बहुत बार पहन कर घूमते होंगे.

मीनल बोली "अरे यहीं बदल ले ना, शरमाता क्यों है? सब एक साथ नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए थे तब तो नहीं शरमाया तू, अब क्यों शरमा रहा है. और अंदर ब्रा और पैंटी तो है ना, एकदम नंगी भी नहीं होगा तू"

मैं समझ गया कि ललित इसी लिये शरमा रहा होगा कि उसके जीजाजी उसको ब्रा और पैंटी में देख कर क्या कहेंगे. तब तक मीनल जाकर लीना की जीन्स और टॉप ले आयी थी. ललित वहीं मीनल के कमरे के दरवाजे पर खड़ा होकर कपड़े बदलने लगा. साड़ी और ब्लाउज़, पेटीकोट निकालने के बाद ललित जीन्स पहनने लगा. उसने अभी भी विग पहना हुआ था इसलिये एकदम एक कमसिन अर्धनग्न सुंदरी जैसा लग रहा था. उसके गोरे बदन पर काली ब्रा और पैंटी निखर आयी थी. बस एक फरक था कि उसकी पैंटी में उभार था, जितना आम तौर पर मर्दों का उभार दिखता है उससे ज्यादा था. मैं मन ही मन मुस्कराया, सोचा - बेटा ललित ... मजा आ रहा है ... मस्ती चढ़ रही है औरतों के कपड़े पहनकर. फ़िर खुद की ओर ध्यान गया तो मेरा भी हाल कोई अलग नहीं था, ललित के उस चिकने बदन को ब्रा और पैंटी में देखकर आधा खड़ा हो गया था.

ललितने जीन्स और टॉप पहने. अब वह कॉलेज की छोरी जैसा कमनीय लग रहा था. मैंने भी निकलने की तैयारी करना शुरू कर दी. मीनलने जल्दी से ललित का एक बैग पैक किया. बीच में सासूमां उनसे कुछ बोल रही थीं. शायद बता रही हों कि वहां ज्यादा तकलीफ़ ना देना अनिल को. फ़िर उन्होंने ललित को सीने से लगाकर पटापट चूम डाला. आखिर लाड़ला छोटा बेटा था उनका.
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