RE: Desi Chudai Kahani मस्त घोड़ियाँ
मस्त घोड़ियाँ--4
गतान्क से आगे........................
मनोहर- आओ बेटी हमारी गोद मे आकर बैठो,
संगीता धीरे से अपने पापा की गोद मे बैठ जाती है अपनी बेटी के गदराए हुए भारी चुतडो का भार सीधे मनोहर के लंड पर पड़ता है और वह तुरंत अपने हाथो को अपनी बेटी के दूध पर धीरे से रख लेता है इतने मे संध्या दरवाजा खोल कर बाहर आ जाती है और मनोहर एक दम से संगीता को पास मे बैठा देता है,
इस बार संध्या का चेहरा थोड़ा लाल था और उसने अपने ससुर को कोई घुघाट भी नही किया था और फिर एक दम से घुघाट करने का नाटक करते हुए,
संध्या- संगीता ज़रा यहाँ आना और पलट कर संध्या वापस अपने रूम मे चली जाती है
संगीता उठ कर अपने भैया के कमरे मे जाती है और संध्या उसके पास आकर क्यो री वहाँ क्या कर रही थी
बैठी-बैठी मेरे पास नही आ सकती कि थोड़ा टाइम पास हो जाए,
संगीता- अरे नही भाभी वो तो पापा से बात करने लगी नही तो मैं आ आपके पास ही रही थी,
संगीता- भैया कहाँ है
संध्या- उन्होने जब से तुझे नंगी देखा है बस तुझे ही चोदने के सपने देखा करते है,
संगीता- तुम भी ना भाभी
संध्या संगीता का गाल चूमते हुए, मेरी रानी तेरे भैया का बड़ा मस्त है एक बार ले कर देख मस्त हो जाएगी
मैं तो जब भी मोका मिलता है तेरे भैया के लंड पर चढ़ कर अपनी चूत मरा लेती हू, सच रानी एक बार अपने
भैया का लोड्ा अपनी इस मस्त चूत मे लेकर देख मस्त हो जाएगी,
इसके बाद संध्या ने सीधे अपने हाथ को संगीता की चूत मे डाल दिया और उसकी चूत को कस कर अपने हाथो मे
दबोचते हुए उसके होंठो को चूम लिया,
संगीता- आह-आह यह क्या कर रही हो भाभी
संध्या- मेरी रानी मैं वही कर रही हू जो तेरे भैया तेरे साथ करना चाहते है, और फिर संध्या ने संगीता की
चूत को वही बैठ कर चूसना शुरू कर दिया और संगीता एक दम से पागल हो गई उसने अपनी टाँगे अच्छे से
फैला ली और संध्या उसकी चूत को चाटने लगी, तभी पीछे से रोहित आया और उसने संगीता के मोटे-मोटे दूध को
अपने हाथो मे भर कर उसके होंठो को अपने होंठो से चूसना शुरू कर दिया, रोहित जब संगीता के दूध
दबा रहा था तो उसे वह बड़े कठोर और बड़े नज़र आ रहे थे,
वही संध्या ने संगीता की चूत को इस कदर
चाटना शुरू किया कि वह मस्त हो गई और तड़पने लगी,
बाहर मनोहर अकेला बैठा सोच रहा था कि संगीता कब बाहर आएगी
संध्या और रोहित ने संगीता को उठा कर बेड पर पूरी नंगी करके लेटा दिया उसके बाद रोहित और संध्या भी पूरे
नंगे हो गये और दोनो बिस्तेर पर नंगी पड़ी संध्या से चिपक गये,
अपने बदन से इस तरह दो नंगे जिस्म के चिपक जाने से संगीता की चूत से पानी बाहर आने लगा उसके चूतड़
इधर उधर मटकने लगे, रोहित ने संगीता के चुचो को अपने मूह मे भर कर दबाना शुरू कर दिया और
संध्या संगीता के होंठ चूसने मे लगी हुई थी
तभी रोहित ने अपनी बहन की चूत को अपनी मुट्ठी मे भर कर
भींच दिया संध्या एक दम से तड़प उठी तभी रोहित उठा और उसने संगीता की दोनो मोटी जाँघो को अपने मूह से
चूमते हुए चोडा कर दिया और फिर रोहित ने अपने लंड को अपनी बहन की चूत मे लगा कर एक ज़ोर का धक्का दिया
और उसका लंड संगीता की चूत को खोलता हुआ पूरा अंदर तक समा जाता है, दूसरा झटका मारते ही वह और गहराई
मे उतर जाता है और संगीता के मूह से गु-गु की आवाज़ भर निकल पा रही थी क्यो कि उसके होंठो से अपने होंठ
लगाए हुए संध्या बराबर उसके ठोस उभारो को मसल्ति जा रही थी,
रोहित तब तक 10-12 धक्के जमा चुका था और उसका लंड अब उसकी बहन की चूत मे अच्छी तरह फिसल रहा था
संगीता भी धीरे-धीरे मस्ताने लगी थी और फिर कुछ धक्को के बाद संगीता ने अपने भैया की कमर मे अपनी
टाँगे लपेट कर ओह भैया चोदो, ओह भैया और चोदो, खूब चोदो, कस-कस कर चोदो आह आह आह ओह
रोहित यह सुनते ही अपनी प्यारी बहना की चूत मे अपने लंड को खूब कस-कस कर ठोकने लगा संगीता पूरी मस्ती
मे अपने भारी चूतादो को उपर की ओर उछाल रही थी, पूरे कमरे मे ठप-ठप की आवाज़े गूँज रही थी संध्या
ने संगीता की चुचियो को अपने मूह मे ले लिया और संगीता ने एक दम से संध्या की
चूत मे अपना हाथ डाल कर
उसकी चूत को दबोच लिया संध्या के मूह से एक सिसकारी सी निकल गई,
रोहित अपनी रफ़्तार मे धक्के मारे जा रहा था और संगीता अब च्छुटने की स्थिति मे लग रही थी, तभी रोहित ने एक
करारा धक्का उसकी चूत मे मार दिया और उसका पानी उसकी बहन की मस्त चूत मे गहराई तक उतर गया,
कुछ देर पड़े रहने के बाद रोहित उठा और उसने संध्या के होंठो को चूमते हुए उससे कहा, डार्लिंग तुम्हारा
जवाब नही तुम वाकई मे ग्रेट हो,
संध्या ने संगीता के सर पर हाथ फेरते हुए कहा रानी अभी तो यह प्रॅक्टिकल था बाकी का काम समय आने पर
करेगे , संगीता मुस्कुरा दी उसके बाद रोहित संगीता के पास जाकर उसके होंठो को चूमते हुए, वाह मेरी रानी
बहना बहुत मज़ा दिया तुमने,
सभी अपने कपड़े पहन कर रेडी हो जाते है उसके बाद संगीता बाहर आकर पापा के पास बैठ जाती है और
संध्या पापा के लिए चाइ बना कर ले आती है,
उधर मंजू और रुक्मणी फिर से तैयार होकर बाहर जाने के लिए बैठक रूम मे आती है और
मनोहर- अरे तुम दोनो फिर कहाँ चल दी और बड़ा मेकप भी किया हुआ है, रोहित बाहर से आती आवाज़ सुनकर
अपनी खिड़की को थोडा सा खोल कर बाहर झाँकता है तो देखता है कि उसकी मा मंजू और बुआ मस्त चोदने लायक
माल लग रही थी, दोनो ने अपनी गंद तक कुर्ता और बिल्कुल चुस्त सलवार फसा रखी थी और दोनो की मोटी गुदाज
जंघे और भारी-भारी गंद रोहित की तरफ थी, रोहित देख रहा था कि उसके पापा मनोहर भी उसकी बुआ रुक्मणी के
फैले हुए मोटे चूतादो को बड़ी ललचाई नज़ारो से देख रहे थे, और जब दोनो घर के बाहर जाने लगी तब
मनोहर अपना लंड सहलाते हुए अपनी बहन रुक्मणी की मोटी गंद को खा जाने वाली नज़रो से देख रहा था,
तभी रोहित रूम से बाहर आता है और
रोहित- संगीता मैं बाजार तक जा रहा हू कुछ काम तो नही है
संगीता- भैया मुझे तो कोई काम नही है किचन मे भाभी से पुंछ लो
रोहित- किचन मे जाता है और संध्या की मोटी गंद को उसकी साडी के उपर से सहलाते हुए मेरी रानी कुछ लाना तो
नही है मैं अभी थोड़ी देर मे घूम कर आता हू,
|