RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
2-4 दिन गुजर गये थे पर कातिलों का कुछ अता-पता नही चला था पर वो कहते है कि भगवान के घर देर है अंधेर नही उस रात करीब दस बज रहे थे मेरे खेत मे काम करने वाला मजदूर बिरजू भागते हुवे हवेली आया और उसने कुछ ऐसा बताया कि मेरी आँखो मे चमक आ गयी मैने उसी समय बिरजू और अपने दो चार आदमियो को साथ लिया और सुल्तान पुर जो कि करीब 3-4 कोस दूर का गाँव था उधर के दारू के ठेके की ओर चल दिए
वहाँ पहुचते ही मैने बिरजू से इशारा किया तो वो बोला हुकुम जब मैं दारू लेने इधर आया तो वो लोग इधर ही पी रहे थे और चंदा के बारे मे बात कर रहे थे पर अभी वो दिख नही रहे है मैने कहा ठेके वाले को बुलाओ ज़रा तो मैने उससे कहा भाई करीब दो घंटे पहले कुछ अजनबी लोग इधर दारू पी रहे थे वो किधर गये तो वो बोला रे बावले भाई इधर ना जाने कितने अजनबी आते है
मैं किस किस का ध्यान रखू रे, एक तो मेरा दिमाग़ पहले ही भन्नाया हुआ था और उपर से उसने मुझे सीधी तरह से जवाब नही दिया तो मेरी खोपड़ी घूम गयी तो मैने एक गोली सीधा उसके पाँव मे मार दी और बोला अब याद आया कुछ तो ज़मीन पर पड़ा हुवा दर्द से कराहते हुवे बोला माफी दे दो साहब बता ता हू , वो लोग पेशेवर गुंडे है
और आजकल पहाड़ी के काली मंदिर पर डेरा डाले हुए है मैने बिरजू से कहा कि डॉक्टर बुला कर इसकी दवा-दारू करवा देना और फिर मैने गाड़ी काली मंदिर की तरफ घुमा दी मंदिर के पीछे जो जंगली इलाक़ा था उधर ही उन्होने अपना टेंट जैसा कुछ लगा कर अड्डा बनाया हुआ था जाते ही हम लोगो ने उनको धर लिया वो दारू के नशे मे चूर और मैं अपने क्रोध के नशे मे चूर
3-4 तो वही पर मर गये और 2-3 को हम अपने साथ ले आए पर मैं उनको हवेली की बजाय सीधा अपने बाग मे लेकर गया और फिर लखन से कहा कि इन सालो की जब तक मरम्मत कर तब तक कि ये बात करने लायक ना हो जाए तो फिर मेरे आदमियो ने भी दबाकर अपनी भडास निकली , फिर मैने पूछताछ शुरू की , मैने कहा उन माँ बेटों को क्यो मारा
पर वो ठहरे ठीठ तो इतनी आसानी से जवाब नही देने वाले थे तो मैने कहा ज़रा प्लास ले कर आओ और फिर उसकी उंगली के नाख़ून उखाड़ने लगा तो वो दर्द से चीख ने लगा पर मैं नही रुका और उसकी दोनो हाथो की उंगलियो के सारे नाख़ून निकाल दिए लाल लाल खून चारो तरफ बिखरने लगा अब मैं दूसरे आदमी की ओर गया और उसकी उंगली को पकड़ लिया तो वो चीखते हुवे बोला माफ़ करदो मैं सब कुछ बता ता हूँ
आपको जो भी पूछना है मैं सब बता ता हू तो उसने कहा कि हमे सुपारी मिली थी चंदा और उसके बेटे को मारने की मैने कहा नाम बता उस का तो वो बोला वो तो मैं नही जानता क्योंकि सुपारी राका ने ली थी जिसे आपने मार डाला हाँ पर मैं इतना जानता हू कि राका को 1 लाख रुपये किसी औरत ने दिए थे, अब मेरा दिमाग़ घूमा मैं उसे मारते हुए पूछने लगा कि बता साले कॉन थी वो , बता पर वो बार बार चीखते हुए बस इतना ही कहता रहा कि कोई औरत थी कोई औरत थी
जब मुझे लगा कि वास्तव मे इस को कुछ पता नही है तो मैने कहा मार दो दोनो को और लाशों को जनवरो को खिला देना मैने लखन को समझाया कि चोकन्ने रहना और सब लोग साथ ही रहना अकेले ना रहना आकल अपना टाइम कुछ ठीक नही है तो होशियार रहना फिर मैं हवेली आ गया और सोचने लगा कि कॉन औरत हो सकती है वो मैने पुष्पा को बुलाया और कहा कि पुष्पा तू कितनी औरतो को जानती है जो लाख रुपये झटके मे खरच कर सकती है तो वो बोली मालिक लाख रुपये कितनी बड़ी रकम होती है ,हम ग़रीबो के पास कहाँ से आए मैने कहा गाँव मे बता तो वो बोली मालिक, मेरे हिसाब से तो गाँव मे 3-4 औरते ही होंगी जिनके पास इतना रुपया हो सकता है मैने कहा बता ज़रा तो वो बोली एक तो सरपंच की पत्नी, सुना है सरकारी पैसा खूब दबाया है सरपंच ने
मैने कहा और तो वो बोली फिर सुनार जी के पास भी खूब धन है आख़िर धंधा भी ऐसा ही है, हलवाई रामचरण के पास पैसा तो है पर इतना नही होगा कि लाख रुपये जोरू को दे दे पर मालिक … ………. ………… ….. मैने कहा बोल तो सही तो वो बोली मालिक आप को बुरा लग जाएगा मैने कहा अरे तू बोल ना तो पुष्पा बोली मालिक मुनिमाइन के पास भी बड़ी रकम है……
पर मुझे लक्ष्मी पर पूरा भरोसा था ये बात पुप्षपा भी अच्छी तरह से जानती थी पर एक बात जो मुझे भी थोड़ी सी खटक रही थी कि बार बार बुलाने पर भी लक्ष्मी आजकल कोई ना कोई बहाना मार के कट लिया करती थी आख़िर ये सब हो क्या हो रहा था मैं बड़ा ही परेशान हो चला था इस बीच एक महीना और गुजर गया था पर इस बीच कोई भी अप्रिय घटना नही हुई
मेरी सेहत भी काफ़ी हद तक सुधर गयी थी , एक शाम में ऐसे ही बाहर घूमने जाने की सोच रहा था तो मैं अचानक से ही उस छोटे से बगीचे की तरफ हो लिया इस उम्मीद मे कि वो सोख हसीना क्या पता फिर से मिल ही जाए पता नही कुछ तो कसिश थी उसकी उन नशीली आँखो मे , वैसे तो उसने मना किया था कि इधर ना आना पर हम ठहरे हम
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