RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
कुछ देर हम दोनो यू ही बेड पर पड़े रहे फिर उठ कर कपड़े पहने गोरी बोली देव क्या मैं सच मे तुम्हे अच्छी लगती हूँ मैने कहा हाँ तुम बहुत पसंद हो मुझे तो वो शर्मा गयी फिर उसने कहा देव, अब मैं चलती हूँ देर हो रही है मैने कहा फिर कब आओगी तो वो बोली जल्दी ही आउन्गि उसके जाने के बाद पता नही कब मेरी आँख लग गयी जब मैं उठा तो दिन ढल चुका था
मैं अपनी बैंत का सहारा लेते हुए बाहर आया पता नही क्यो आज मेरा मूड हो रहा था कि कहीं बाहर घूम आउ मैने कार का गेट खोला और उसे स्टॅट करने लगा तो हमारा दरबान आया और बोला मालिक आपकी तबीयत भी ठीक नही है इस हालत मे बाहर जाना उचित नही है और महॉल भी ठीक नही है कही कुछ हो गया तो, मैने कहा तुम चिंता ना करो मैं बस पास तक ही जा रहा हू
जल्दी ही आ जाउन्गा तो वो बोला ठीक है पर आपकी सुरक्षा के लिए दो चार आदमी साथ ले जाइए पर मैने मना कर दिया और कार लेकर चल पड़ा पर मुझे भी नही पता था कि जाना कहाँ है कच्चे रास्ते पर इधर उधर कार दौड़ी चली जा रही थी इस एरिया मे मैं पहली बार आया था आगे रास्ता भी थोड़ा सा संकरा था और झाड़िया भी बहुत ही ज़्यादा थी अजीब सी जगह थी ये
तो मैं उतरा और पैदल पैदल ही आगे को बढ़ने लगा थोड़ी दूर जाने पर मुझे पानी बहने की आवाज़ सुनाई देने लगी पर कोई नदी या नाला दिख नही रहा था और फिर जैसे ही उन कॅटिली झाड़ियो को पार करके मैं कुछ आगे बढ़ा तो बस मैं देखता ही रह गया ये तो एक बगीचा सा था छोटा सा था पर बेहद ही सुंदर था चारो तरफ तरहा तरहा के फूल खिले हुए थे कुछ पक्षी चहचाहा रहे थे
इतना सुंदर नज़ारा मैने तो अपने जीवन मे पहली बार देखा था मंत्रमुग्ध सा मैं थोड़ा सा और आगे बढ़ा तो देखा कि एक तरफ पेड़ो के नीचे दो चार बेंच भी लगी हुई थी तो मैं उधर ही चला गया अब पानी बहने की आवाज़ और भी प्रबल हो गयी थी तो मेरे पाँव अपने आप ही उस ओर बढ़ने लगे कुछ दूर आगे जाने पर मैने देखा कि नदी से कटकर एक पानी का सोता बनाया गया है इधर
गला सा भी सूखने लगा था तो मैं सोते से पानी पीने लगा, पानी पी ही रहा था कि पीछे से एक आवाज़ आई कॉन हो तुम? तो मैं उठा और पीछे देखा , और क्या देखा कि कोई मेरी ही हमउमर लड़की खड़ी है और उसका तेज इतना था कि उसके रूप की ज्योति से वो सारा क्षेत्र ही जगमग करने लगा , इतनी सुंदर कि लिखने लगूँ उसके रूप के बारे मे तो फिर ये शब्द ही कम पड़ जाए
रूप ऐसा जैसे किसी ने मलाई वाले दूध मे चुटकी भर केसर छिड़क दिया गया हो गोरे रंग पर गुलाबी रंगत लगा कि जैसे सख्शियत स्वर्ग से कोई देवी उतर आई हो और उसके गुलाबी अधरो पर जो वो छोटा सा तिल था बस अब मैं क्या कहूँ , कानो मे सोने के बूंदे गले मे रेशमी माला की डोरी और उस लाल घाघरा चोली मे क्या खूब लग रही थी मैं तो उसके उस रूप की आँधी में कहीं खोता ही चला गया
जब उसे लगा कि मैं एकटक उसे ही देखे जा रहा हू तो उसने चुटकी बजाते हुवे मेरा ध्यान भंग किया और बोली कॉन हो तुम और इधर कैसे आए मैने जवाब देते हुवे कहा कि जी मैं तो मुसाफिर हू रास्ता भटक कर इस ओर आ निकला तो ये बगीचा दिख गया बड़ा ही सुंदर है मेरा तो मन ही मोह लिया इसने कुछ प्यास भी लग गयी थी तो फिर इधर पानी पीने आ गया तो वो लड़की अपने खुले बालो पर हाथ फिराते हुवे बोली क्या तुम्हे पता नही कि ये किसकी मिल्कियत है मैने कहा जी अब मैं तो ठहरा मुसाफिर मैं क्या जानू तो वो बोली ये मेरा बाग है आज तो इधर आ गये हो आगे से मत आना उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ये अंदाज उस रूप दीवानी का मैने कहा जी ऐसा क्यो तो वो तुनक कर बोली कह दिया ना कि हमें अपनी मिल्कियत मे किसी अंजान का दखल पसंद नही
क्या तेवर है हुजूर के , मैने कहा जैसी आपकी मर्ज़ी मालकिन साहिबा पर थोड़ी से भूख भी लग आई है तो आप आग्या दें तो दो चार फल खा लूँ तो वो बोली हाँ ठीक है पर इधर वापिस ना आना तो मैं एक पेड़ के पास गया और कुछ फल तोड़ने की कोशिश करने लगा उसके रूप की कशिश मे मैं अपने शरीर की हालत को भी भूल ही गया था
भूल गया था कि पैर के जखम अभी ताज़ा ही है तो मैं जैसे ही उछला तो चोटिल पाँव पर पूरा ज़ोर आ गया और मैं धडाम से गिर पड़ा तो जखम का टांका खुल गया तो दर्द की एक लहर मेरे बदन मे रेंग गयी कोहनी पर भी लग गयी थी मैं जैसे तैसे करके उठा और अपने आप को संभाल ही रहा था कि तभी बदक़िस्मती से गीली ज़मीन पर मेरा पैर फिसल गया और एक बड़े पत्थर से जा टकराया और चाहकर भी मैं अपनी चीख को ना रोक पाया
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