RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
बाहर मोसम भी आज रोद्र रूप मे था घनघोर बरसात हो रही थी फिर बिजली भी चली गयी मैं उठा और रोशनी की फिर खिड़कियो के पर्दे लगा दिए ताकि कुछ बाहर का शोर कम हो जाए मैने लालटेन ली और बाहर का हाल देखने जा निकला गेट पे जाके देखा कि वो लोग जो वहाँ कमरा बनाया था उधर बैठे थे मैने कहा आप आराम से रहना बारिश मे ना भीगना तो वो बोले मालिक आप चिंता ना करो और आराम कीजिए तो मैं फिर से अपने कमरे मे आ गया
तो देखा कि पुष्पा सोफे पर बैठी है मैने गेट बंद किया और उसके पास जाकर बैठ गया और उसके हाथ को अपने हाथ मे ले लिया वो बोली मालिक , मैने कहा क्या हुआ वो कहने लगी कुछ होता है मुझे मैं बस हँस दिया उसकी टाँग से मेरी टाँग रगड़ खाने लगी थी मैं आज पूरी रात उसको भोगना चाहता था मैने उसकी ठोडी को अपने हाथ से उठा कर उसके चेहरे को उपर की ओर किया और बिना कुछ कहे अपने होंठो से उसके होंठो को मिला लिया
पुष्पा उसी समय मेरी बाहों ने पिघल गयी मलाईदर होंठो को चूसने मे मुझे बड़ा ही मज़ा आ रहा था ऐसा लगा कि जैसे ताज़ा ताज़ा मलाई हो वो दस पंद्रह मिनिट तक बस उसके अधरो का रास्पान ही करता रहा मैं फिर वो अलग हुई मैने उसे खड़ा किया और अपने से चिपका लिया और साड़ी के उपर से ही उसकी गदराई गान्ड को सहलाने लगा एक बार फिर से मैं उसको किस करने लगा था
फिर मैने उस से कहा कि पुष्पा बिल्कुल भी शरमाओ ना, वरना मैं तुम्हे प्यार कैसे कर पाउन्गा मैने उसकी साड़ी का पल्लू पकड़ा और साड़ी को खोलने लगा वो सिर्फ़ ब्लाउज पेटिकोट मे थी वो शरम के मारे अपना मूह मेरे सीने मे छुपाने लगी और मैने मोके का फ़ायदा उठाकर उसके पेटिकोट का नाडा भी खोल दिया जैसे ही पेटिकोट उसके पैरो मे गिरा मैं तो पगला ही गया नीचे से वो पूरी नंगी हो गयी थी
गाँवो की औरते वैसे भी ब्रा-पेंटी इतनी कहाँ पहना करती है मैं कुछ देर उसके चुतड़ों से खेलता रहा फिर उसके ब्लाउज को भी उतार दिया और उसको बेड पर पटक दिया उसने एक चादर अपने उपर ओढ़ ली मैने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और चादर मे घुस गया और उसके उपर आ गया फिर एक लंबा सा किस किया और उसके हाथ मे अपना लंड दे दिया
तो उसने अपना हाथ पीछे खीच लिया तो मैने कहा पकडो ना इसे तो फिर उसने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे भर लिया और तभी उसके मूह से निकल गया ये तो बहुत ही लंबा और मोटा है मैने कहा लखन का ऐसा नही है क्या तो वो बोली नही वो तो इस से काफ़ी छोटा है पर तभी उसे अपनी बात का अहसास हुआ तो वो शर्मा गयी मैने कहा पुष्पा तुम खुश तो हो ना तो वो शरमाते हुवे बोली हाँ मालिक
मैं उसके निचले होठ को अपने दाँतों से काटने लगा तो वो मेरे लंड को मसल्ने लगी पुष्पा लक्ष्मी से भी बहुत ज़्यादा हॉट और जबरदस्त पीस थी काफ़ी देर तक बस चूमना चाटना ही लगा रहा बाहर बारिश से जो ठंड हो गयी थी तो मज़ा और भी बढ़ गया था फिर मैं अपना हाथ उसकी योनि पर ले गया गहरे बालो से धकि हुवी गुलाबी चूत मैं तो देख कर खुश हो गया
उसकी झान्टो पर मैं अपनी उंगलिया फिराने लगा तो वो अपनी जाँघो को कसने लगी आख़िर फिर मैने अपनी बीच वाली उंगली उसकी चूत के अंदर डाल दी तो वो सिसकते हुवे बोली आहह मालिक आराम से दर्द होता है मैने कहा यार अब इस उमर मे कहाँ दर्द होगा अब तो मज़ा लेने की उमर है ज़रा अपनी टाँगे थोड़ी सी फैला तो उसने पाँवो को चौड़ा कर दिया मैं आहिस्ता आहिस्ता से चूत मे उंगली रगड़ने लगा
पुष्पा भी आहिस्ता आहिस्ता से इस आग मे जलने लगी थी अब तन की प्यास जब भड़के तो फिर बस भड़क ही जाती है चूत मे उंगली करते करते मैने पुष्पा को किस भी करना शुरू कर दिया उसने अपना मूह खोला तो मैं उसकी जीभ को चूसने लगा उसके तन बदन मे तरंग दौड़ गयी और उसने भी अब मेरे लंड पर अपना हाथ चलाना शुरू कर दिया तो मैं भी मस्त होने लगा
काफ़ी देर की चूमा चाटी के बाद अब मैं उठा और उसकी टाँगो को बेड के किनारे पर फैलाते हुवे अपने चेहरे को उसकी योनि पर झुका लिया तो वो बोली छी मालिक क्या कर रहे हो गंदी जगह पर कोई मूह रखता है क्या तो मैने कहा लखन तेरी चूत को चाट ता नही है क्या , वो बोली जी मैने तो आज तक अपनी चूत नही चटवाई है मैने कहा फिर आज तू देख और मैने अपने होठ उसकी गरमा गरम चूत पर रख दिए
जैसे ही मैने अपनी लॅप लपाती हुवी जीभ उसकी नमकीन योनि पर फेरी उसके जिस्म मे तो भूचाल ही आ गया पुष्पा एक अंजाने से अहसास मे डूबती चली गयी थी उसकी टाँगे अपने आप चौड़ी होती चली गयी मीठा सा टेस्ट था उसकी रस से भरी चूत रूपी कटोरी का पुष्पा की सिसकारिया बाहर बरसती बारिस की टिप टिप मे डूबती चली गयी थोड़ी देर चूत को चाटने के बाद
मैने उसके दाने को अपने होटो मे दबा लिया तो बस अब उसके मूह से आहे ही फुट रही थी अपनी मांसल जाँघो को बेड पर पटकते हुवे वो मुझे अपनी चूत का रस पिलाए जा रही थी मैं भी उसे अच्छे से उत्तेजित करना चाहता था ताकि वो लाज शरम सब भूल जाए तो मैं दाने को चूस्ते चूस्ते चूत मे उंगली करने लगा तो पुष्पा का फिर खुद पे किसी भी तरह का काबू ना रहा
10-12 मिनिट तक टूट के मैं उसकी योनि को पीता रहा और फिर आख़िर उसका बदन ऐंठ गया और उसने अपने रस की नदी मेरे मूह मे छोड़ दी मैं चतकारे लेते हुवे उसकी चूत से रिस्ति छोटी से छोटी बूँद को भी पी गया फिर मैं उठा पुष्पा अपनी आँखे बंद किए बेड पर पड़ी थी मैं उसकी बगल मे लेट गया और उसको पूछा मज़ा आया वो बोली ज़िंदगी मे आज पहली बार चूत चटवाई है बड़ा ही मज़ा आया सुकून सा मिला है मुझे
मैं उसके बदन को सहलाने लगा तो थोड़ी देर मे ही वो फिर से गरम हो गयी तो मैने उसकी योनि पर अपने बेकाबू लंड को रखा और रगड़ने लगा और फिर एक धक्का लगाते हुए सुपाडे को अंदर पहुचा दिया पुष्पा दर्द से चीख पड़ी और बोली रुकिये ज़रा बहुत दर्द हो गया है ज़रा आराम से मैने कहा दर्द, वो बोली दो-ढाई साल बाद आज चुद रही हू
तो दर्द तो होगा ही ना मैने कहा बस एक मिनिट की बात है और एक तेज धक्का और लगा दिया अब आधा लंड उसकी बेहद ही तंग चूत मे घुसने लगा उसकी चूत का छेद लंड के हिसाब से फैल गया था वो जैसे तड़पने ही लगी तो मैने उसके होटो को अपने होटो से चिपका लिया और थोड़ा थोड़ा करके लंड को चूत मे डालने लगा कुछ देर की कोशिश के बाद आख़िर पूरा लंड अंदर हो ही गया
मेरा पूरा वजन उस पर पड़ गया था मैं लेटे लेटे उसके रसीले होटो का मदिरा पान करता रहा फिर करीब 5 बाद मैने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी थी अब तक उसकी चूत भी फैलकर लंड के साइज़ की हो गयी थी मैने अब उसके होठ छोड़े और कहा करूँ तो वो बोली धीरे धीरे करो और दर्द भरी आवाज़ निकालने लगी मैं उसकी गुलाबी चूचिको सहलाते हुवे
हल्के हल्के धक्को के साथ पुष्पा को चोदना शुरू किया मैं बोला तेरी चूत बहुत ही टाइट है लगता है जैसे कुँवारी कन्या हो तो वो शर्मा गयी और बोली कई सालो से चुदि नही हू तो टाइट हो गया है कुछ देर मे उसको भी मज़ा आने लगा वो मेरी पीठ को सहलाने लगी और फिर खुद ही मेरी गर्दन पर अपने दाँतों से काटने लगी बेड के नरम गद्दो पर हमारी मस्त चुदाई चालू हो गयी थी
ऐसी करारी चूत की क्या बताऊ बस भोग ता ही रहूं मैं उसको बाहर घनघोर बरसात और अंदर बेड पर वासना का तूफान लक्ष्मी तो पुष्पा के आगे कुछ भी नही थी पुष्पा तो खरा सोना निकली थी कोई बता ही नही सकती थी कि उसका बेटा 9थ मे पढ़ता होगा मैने उसकी दोनो टाँगे उपर कर दी और फिर उसकी लेने लगा पुषपा की सिसकारियाँ छत से टकराने लगी थी मैं खुद उसके जिस्म की गर्मी मे पिघलता जा रहा था
लंड पूरा उसकी चूत से रिस्ते काम रस मे गीला हो गया था और पच पुच करते हुवे चूत के अंदर बाहर हो रहा था पर जल्दी ही उसके बोझ से मैं थकने लगा तो मैं उसे बेड से उठा कर सोफे पर ले आया और उसको घोड़ी बना दिया सोफे पर उसकी बड़ी गान्ड और भी फूल गई तो मैं उसके कुल्हो को चूमने लगा और वो अपनी गान्ड को हिलाने लगी
अब चुदती चूत से अचानक से लंड बाहर निकाल लो तो कोई भी औरत अधीर हो गी ही पुष्पा बोली मालिक अब आप रुक क्यो गये जल्दी से डालो ना अंदर तो मैने उसकी बलखाती हुवी कमर को थामा और अपने नटखट लंड को चूत मे डाल दिया पुष्पा इस प्रहार से आगे की ओर को झुक गयी और फिर अपनी गान्ड को पीछे करते हुए चुदाई का लुत्फ़ उठाने लगी मैं तो खुद मस्ती के सागर मे डूबा पड़ा था
8-10 मिनिट तक मज़े से घोड़ी बनाके चोदने के बाद मैने उसे वही सोफे पर लिटा दिया और उसके उपर आकर चोदने लगा पुष्पा ने अपनी टाँगे मेरी कमर पर लपेट दी और आँखे बंद करके चुदाई का मज़ा ले ने लगी मैं अब पूरी ताक़त से उसको चोद रहा था बस अब आहे ही सुनाई दे रही थी और फिर कुछ देर बाद पुष्पा मुझसे किसी बच्चे की तरह चिपक गयी
और उसकी चूत की पंखुड़िया मेरे लंड पर दबाव डालने लगी उसका बदन झटके खाते हुवे झड़ने लगा पुष्पा फिर से अपने चरम की ओर अग्रसर हो गयी थी पर मैं अभी भी लगा हुवा था जब उसे थोड़ा होश आया तो वो बोली मालिक आप अपना पानी अंदर मत गिराना वो कह ही रही थी की मैने अपना लंड फॉरन छूट से बाहर खीचा और उसके पेट पर अपना गरम पानी गिरा दिया और उसकी बगल मे पड़ गया
कुछ देर बाद मैं उठा और अपनी निक्कर से उसके पेट को सॉफ किया पास रखे जग से पानी पिया और उसको भी गिलास भर के दिया फिर उसके पास लेट गया पुष्पा मेरे सीने पर अपना हाथ फिराते हुए बोली मालिक आज तो आपने मुझे ऐसा सुख दिया है जो ब्याह के पंद्रह साल मे कभी ना मिला और मेरे होंठो पर एक किस कर दिया
मैं उसकी चूची को सहलाते हुवे बोला पर तुम ऐसा क्यो कह रही थी कि दो ढाई साल बाद चुद रही हू तो वो बोली मालिक ये एक ऐसी बात है जो मैने किसी से नही बताई पर आपको बता ती हू कि दरअसल ढिल्लू के बापू एक बार काम पर थे तो लेंटार गिर गया था तो उनकी टाँगो पर काफ़ी चोट लगी थी तब से ही उनकी पॉरश शक्ति चली गई है तो फिर मैने भी अपनी इच्छा को मार लिया था
फिर आप आ गये और आज तो बस आपने मुझे अपनी गुलाम ही बना लिया है कसम मे मैं तो आपकी हो गई हू आज से मैने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा तो वो मेरे सीने से लग गयी मैने कहा तूने लंड चूसा है तो बोली ना जी पर आज आपका ज़रूर चुसुन्गि तो फिर वो उठी और मेरे लंड को अपने मूह मे ले लिया और अपनी जीभ को गोल गोल करके लंड पर फिराने लगी तो वो भी फिर से अपने रंग मे आने लगा 8-10 मिनिट तक वो अच्छे से लंड को चुस्ती रही
पूरा लंड उसके थूक से सना हुआ था उसने अब अपनी टाँगे फैलाई और बोली मालिक आ जाइए अपनी दासी को फिर से मज़ा दीजिए और मैं फिर से उसको चोदने लगा हम दोनो एक दूसरे की जीभ को पूरी मस्ती से जीभ को चूसे जा रहे थे कसम से ऐसी चुदाई करके मैं तो बड़ा ही खुश हो गया था अब मेरे हर धक्के का जवाब वो अपनी गान्ड को उचका उचका के दे रही थी ये चुदाई तो और भी लंबी हो गई थी उसका मादक जिस्म पल पल मेरे हार्मोंस को और भी आक्टिव करते जा रहा था
मैं दीवानों की तरह उसके गालो होटो गर्दन को चूमे जा रहा था पुशा के नाख़ून मेरी पीठ गर्दन मे धन्से जा रहे थे बड़ा ही मस्त आलम था उस कमरे के अंदर पता नही कितनी देर तक हम एक जिस्म हुए रहे पर हर शुरआत की तरह अंत भी होना ही था इस चुदाई का तो आख़िर मैने उसकी चूत को अपने पानी से भर दिया और फिर पता नही कब नींद ने हम दोनो को अपने आगोश मे ले लिया
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