Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
11-02-2018, 11:32 AM,
#29
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
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काफ़ी तहकीकात की गई पर पता नही चला कि आख़िर वो लोग कॉन थे मुझे खुद की इतनी फिकर नही थी जितनी कि उन लोगो की थी जो हवेली मे काम करने आते थे इधर महादेव मंदिर की पूजा वाला दिन भी नज़दीक आ रहा था तो मैने तय किया कि मंदिर का काम निपट जाए फिर हवेली की टूटी दीवार की भी मरम्मत करवा लूँगा पर फिर भी कुछ आदमी तो चाहिए ही थे हवेली की चोकीदारी के लिए



आख़िर मैने लक्ष्मी को फोन लगाया और कहा कि वो कब तक आएगी तो पता चला कि उन्हे आने मे कुछ दिन और लग जाएँगे तो मैं और परेशान हो गया अब करूँ तो क्या करूँ कुछ समझ ना आया तो फिर दिल को ये कहकर समझा लिया कि कोई चोर होंगे अबकी बार कुछ होगा तो देखेंगे तो फिर बस मंदिर के प्रोग्राम की तैयारियो मे जुट गया ऐसे ही सोमवार आ ही गया



मंदिर को बहुत ही अच्छे तरीके से सजाया गया था मैने अपनी तरफ से गाँव वालो के लिए भोज का आयोजन किया था एक कोशिश की थी गाँव वालो को अपना बना ने की बस देखना बाकी था कि कामयाबी मिलती है या नही तय समय पर कार्यक्रम शुरू हुआ और अच्छे से पूजा संपन्न हो गयी और फिर भोज शुरू हो गया इन सब कामो मे शाम ही हो गयी थी मेरा पूरा दिन उधर ही लग गया था



उधर ही प्रसाद ले लिया था तो फिर इतनी भूख भी नही थी तो मैं वहाँ से निकला और गाँव से बाहर की ओर चल पड़ा जब मैं थोड़ा जंगल की ओर बढ़ा तो देखा कि एक पेड़ के नीचे कुछ लोग शराब पी रहे थे मैं भी उनके पास चला गया और राम राम करके पता पूछने के बहाने से उधर ही बैठ गया और बाते करने लगा तो पता चला कि वो लोग नाहरगढ़ के थे और अक्सर नशा करने को इधर जंगल मे आते रहते थे



अब वो लोग फुल नशे मे थे और अजीब अजीब बाते कर रहे थे तभी उनमे से एक बोला यार तूने सुना क्या अर्जुनगढ़ की हवेली मे कल गोली चल गयी एक आदमी मारा गया मैने चोन्क्ते हुए कहा नही भाई मैं तो परदेसी आदमी मुझे तो नही पता कुछ तुम ही बताओ कुछ तो वो बोला कि अरे कुछ नही यार सुना है ठाकूरो का वारिस लॉट आया है तो पक्का हमारे गाँव के मालिकों ने ही हमला करवाया होगा पर गाँव मे कोई चर्चा सुनी नही


मैने कहा भाई कुछ हमें भी बताओ इस बात के बारे मे तो एक आदमी जो खुद को स्पेशल सा समझ रहा था वो बोला भाई हम तो मजदूर आदमी है हम को कुछ नही पता पर कल जब मैं अफ़ीम के खेत मे थोड़ी अफ़ीम चुराने गया था तो वहाँ के चोकीदार आ गये तो मैं मार से बचने को छुप गया तो वो लोग कुछ बात तो कर रहे थे इसी बारे मे एक जना कह रहा था रामू तुझे क्या लगता है कि उधर हमला अपने ठाकुर सहाब ने करवाया होगा



तो दूसरा बोला नही रे ऐसा नही है ठाकुर साहब तो विलायत गये है और छोटे मालिक भी नही है तो कॉन ऐसा करेगा तो दूसरा बोला कि हाँ भाई बात तो सही है फिर भाई मैं उधर से खिसक लिया बस हमे तो इतना ही पता है फिर थोड़ी देर बाद मैं भी वहाँ से उठ कर चल दिया पर अब मेरा दिमाग़ खराब और भी हो गया था क्योंकि जो मैं सोच रहा था वैसा तो कुछ नही था फिर आख़िर कॉन थे वो लोग



मैं जब हवेली पहुचा तो बाबा और तीन-चार और लोग गेट के बाहर खड़े थे मैने कहा अरे आप सब लोग यहाँ सब ठीक तो है ना तो वो बोले ठाकुर साहब हम लोग रात को इधर ही रहेंगे और चोकीदारी करेंगे मैने कहा अरे आप सब लोग क्यो कष्ट करते है तो वो बोले जब आप गाँव वालो की मदद कर सकते है तो हमारा भी कुछ फ़र्ज़ तो बनता ही है ना



तो फिर मैं अंदर गया तो देखा कि गोरी भी थी मैने कहा माफ़ करना गोरी तुम्हारे बारे मे तो मुझे ध्यान ही नही रहा था आने मे थोड़ी देर हो गयी पर तुम यहाँ क्यो चली आई बोली मुझे तो आना ही था ना वो बोली खाना खा लो मैने कहा भूख नही है और सर भी बड़ा दुख रहा है तो बस सो ही जाता हू और अपने कमरे मे चला गया और सोने की कोशिश करने लगा फिर थोड़ी देर मे गोरी भी एक कटोरी मे थोड़ा सा तेल लेकर आ गयी और बोली लाओ मैं सर की मालिश कर देती हू तो थोड़ा आराम मिलेगा



सचमुच उसके हाथो मे जादू ही था पल भर मे ही मेरा दर्द गायब हो गया पता ही नही चला कि कब नींद आ गयी जब मैं उठा तो देखा कि गोरी मेरी बगल मे ही सोई पड़ी है तो मैने उसे नही जगाया और बाहर आ गया बाहर बाबा और बाकी सब लोगो से राम राम हुई मैं फ्रेश होने चला गया आया तबतक पुष्पा भी आ चुकी थी मैने कहा सबसे पहले बाहर जितने भी लोग है उनके लिए चाइ-नाश्ते का इंतज़ाम करो



गोरी अभी तक उठी नही थी मैने सोचा आज स्कूल नही जाएगी क्या ये पर फिर जगाया नही उसको पुष्पा ने मेरा नाश्ता टेबल पर लगा दिया था मैने चुप चाप नाश्ता किया सुबह सुबह ही मैने कुछ सोच लिया था तो मैने गाड़ी निकाली और उसको अपनी उस ज़मीन की तरफ मोड़ दिया जिस पर नाहरगढ़ वालो का कब्जा था मैं कुछ करने जा रहा था पर पता नही था कि ये सही है या ग़लत



रेतीले रास्ते पर धूल उड़ाती हुई मेरी गाड़ी सरपट दौड़ी चली जा रही थी आधे-पोने घंटे बाद मैं उस फार्महाउस के सामने था मैं गाड़ी से उतरा और अंदर चल दिया पर आज गेट पर ही उन्ही लोगो ने मुझे रोक दिया और बोले कि तुझे उसी दिन मना किया था ना की दुबारा इधर ना आना मालिक को पता चलेगा तो ठीक नही रहेगा मैने कहा पर इस ज़मीन का मालिक तो मैं ही हू



वो ठहाका लगाते हुवे बोला अबे जा जा , काहे दिमाग़ खराब करता है सुबह सुबह मैने कहा तो ठीक है जा तेरे मालिक को ही बुला ला वो खुद ही बता देगा कि मैं कॉन हू वो मुझे हड़काते हुवे बोला अगर दो मिनिट मे तू यहाँ से नही निकला तो तेरी हड्डिया सलामत नही बचेंगी मुझे भी तैश आने लगा था मैने जेब से पिस्टल निकाली और उसके माथे पर लगा दी



ऐसा होते ही उसके माथे से पसीना बह चला मैने कहा जब भी तेरा मालिक आए उस से बस इतना ही कहना कि अर्जुनगढ़ से ठाकुर देव आया था फिर मैं वापिस हो लिया मैने सोच लिया था की एक बार अपने रिश्तेदारो से मुलाकात कर ही लेनी चाहिए मैने अपनी तरफ से शुरुआत कर दी थी बस अब इंतज़ार था रेस्पॉन्स का वहाँ से मैं सीधा खेतो मे गया कई दिन हो गये थे इधर आया ही नही था तो दोपहर तक इधर का काम काज ही देखता रहा



फिर मैं वापिस हवेली आ गया लंच किया और बाहर बैठ कर बाबा से बात चीत करने लगा उन्होने कहा कि देव आप किसी भी तरह की टेन्षन ना लें अब आपको हवेली की फिकर करने की बिल्कुल भी ज़रूरत नही है इतने आदमियो की व्यवस्था हो गयी है जो ये काम संभाल सके आधे लोग दिन मे रहेंगे और आधे लोग रात को मैने कहा बाबा सब आपकी ही मेहरबानी है तो बस वो मुस्कुरा गये



फिर कुछ और मुद्दो पर बात हुई , फिर मैं उठ कर अंदर चला गया तो पुष्पा के दीदार हुए वो बोली मालिक आपके गंदे कपड़ो का ढेर लगा था मैने सारे धो दिए है मैने कहा पर इसकी क्या ज़रूरत थी चंदा कर लेती वो काम वो बोली मालिक मैने धो दिए कोई बात नही मैने कहा गोरी कहाँ है तो उसने बताया कि वो तो अपनी किसी सहेली के घर गयी है



पीले ब्लाउज और नीले घाघरे मे पुष्पा का मादक बदन और भी खिला खिला सा लग रहा था मैने कहा पुष्पा मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है वो बोली मुझे मालूम है मालिक आप क्या कहना चाहते है मैने कहा यार वो नही मैं तो बस इतना पूछ रहा था कि क्या मैं तुम पर भरोसा कर सकता हू , तो पुष्पा हाथ जोड़ते हुए बोली कि मालिक आपकी वजह से मेरे जीवन मे थोड़ा सुख आया है आप कहकर तो देखो जान भी दे दूँगी …
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