RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
मैने कहा ज़रा गोर से देखो आईना और फिर वो बताओ जो मैने कहा जब तुम बिना मेकप के इतनी सुंदर हो तो जब तुम शृंगार करोगी तो कितनी सुंदर दिखोगी पुष्पा अपनी तारीफ़ सुनकर बड़ी खुश हो गयी और मुझ से थोड़ा और खुल गयी मैने कहा तुम ऐसे ही हँसती रहा करो अच्छी लगती हो उसने कहा मैं खाना बना देती हू फिर मैं शाम को आ जाउन्गी
मैने कहा जाते टाइम गेट की दूसरी चाबी ले जाना ताकि अगर मैं बाहर होउँ तो तुम घर मे आ सको वो बोली मालिक आप अन्जान लोगों पर कुछ जल्दी ही भरोसा कर लेते है मैने कहा तुम कोई अजनबी थोड़ी ही हो तो वो बोली भरोसे के लिए शुक्रिया वो रसोई मे चली गयी मैने लक्ष्मी को फोन किया तो वो बोली कि आज तो बारिश हो रही है तो वो घर पे ही है मैने कहा हवेली आ जाओ तुम्हारी बड़ी याद आ रही है
तो वो बोली कि आज गोरी भी घर पर ही है और बारिश है तो कुछ बहाना भी नही बना सकती और ऐसे ही आउन्गि तो कही मुनीम जी शक़ ना कर लें मैने कहा तुम्हारी मर्ज़ी है जब तक तडपाओगी तड़पना पड़ेगा फिर थोड़ी बातें कर फोन काट दिया पुष्पा की वजह से लंड बार बार खड़ा हो रहा था पर मैं उस से डाइरेक्ट तो कह भी नही सकता था कि चूत दे दे
तो मैं टाइम पास करने को उपर चला गया इधर के पोर्षन की अभी सफाई नही करवाई थी सब कुछ पहले जैसा ही पड़ा था बाल्कनी मे बारिश की कुछ कुछ बूंदे आ रही थी तो अच्छा लगने लगा यहाँ से काफ़ी दूर तक का नज़ारा दिखाई देता था जहाँ तक नज़र जाती बस चारो तरफ हरियाली ही हरियाली प्रकृति के इतने करीब मैने पहले खुद को नही पाया था
पता नही कितनी देर तक मैं वही पर बैठा रहा फिर मुझे ढूँढते ढूँढते पुष्पा भी उपर आ गयी और बोली मालिक आप यहाँ क्यो बैठे है सब कही ढूँढकर यहाँ आई हू मैने कहा कुछ नही थोड़ा सा दिल उदास सा हो रहा था तो एकांत मे आकर बैठ गया मैने कहा पुष्पा अकेला रहता हूँ इस घर मे तो खाली घर काटने को दौड़ता है दिल भी नही लगता
पर घर है तो रहना ही पड़ता है ना कोई सन्गि-साथी है मेरा कोई भी नही है तो वो बोली मालिक आप खुद को अकेला ना समझे हम लोग है ना आपके साथ मैने कहा वो तो है पर फिर भी जीना तो मुझे इसी अकेलेपन के साथ ही है ना और और उठकर बाल्कनी मे खड़ा हो गया पुष्पा बोली आप खुद को कभी भी अकेला ना समझना और वो भी मेरे पास आकर खड़ी हो गयी
कुछ देर तक चुप्पी रही फिर मैने कहा अगर मैं तुमसे कुछ कहूँ तो बुरा तो नही मनोगी वो बोली मेरी क्या मज़ाल जो आपकी बात का बुरा मानू आप कहिए जो कहना है मैने कहा पुष्पा वो बात ऐसी है कि कि…………………. वो बोली अब कहिए भी तो मैने कहा कि क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी ये सुनते ही उसके चेहरे का रंग उड़ गया और वो बोली मालिक ये आप क्या कह रहे है
मैने कहा वही जो तुमने सुना , तो वो बोली पर मालिक मैं आपसे दोस्ती कैसे कर सकती हू मैं शादी शुदा हू और फिर आपमे और मुझमे ज़मीन आसमान का फरक है आप ऐसा कैसे सोच सकते है और वैसे भी गाँवो मे ये दोस्ती वोस्ती कहाँ चलती है ये तो शहरो के चोंचले है मैने कहा देखो अभी मेरे दिल मे ख़याल आया तो बोल दिया वैसे भी मैं तुम्हे अपना समझता हू तभी तुमसे कहा
वो बोली पर मालिक मैईईईईईईई मैईईईईईईई…………………… और अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया मैने कहा कि देखो दोस्ती मे कोई शर्त नही होती है और फिर दुनिया के आगे नही तो कम्से कम हवेली मे तो तुम मेरी दोस्त बन ही सकती हो ना वैसे कोई ज़बरदस्ती तो है नही तुम्हे अच्छा लगे तो हाँ कर देना मैं तुम्हारे जवाब का इंतज़ार करूँगा फिर हमारे दरमियाँ खामोशी छा गयी
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