Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
11-02-2018, 11:31 AM,
#20
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
चूत पर हल्के हल्के बाल थे शायद कुछ दिन पहले ही उसने बालो को काटा होगा उसने थोड़ा सा और अपनी टाँगो को खोला और मैं तो जैसे पिघल ही गया वो जान बुझ कर मुझे ये मस्त नज़ारा दिखा रही थी पर फिर मुझे आवाज़ लगाती हुवी लक्ष्मी आ गयी तो चंदा भी सही हो गयी और कटाई करने लगी लक्ष्मी बोली मुझे आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी है आना ज़रा

तो मैने चंदा को वही पर छोड़ा और लक्ष्मी के पीछे पीछे चल पड़ा कुवे पर बने कमरे मे अब हम दोनो ही थे उसने मुझे एक पॅकेट दिया और कहा कि ये लो वो सेठ जी ये पैसे दे गये थे मैने कहा आप ही रखो मैं जब बॅंक जाउन्गा तो ले लूँगा वो बोली मैं घर जेया रही हू तुम भी चलो मैने कहा नही मैं रुकता हू इधर थोड़ा टाइम पास भी हो जाएगा

वो चलने को हुई तो मैने कहा दो मिनिट रूको और जैसे ही वो पलटी मैने उसको अपनी बाहों मे भर लिया और उसके होठोको पीने लगा पर एक छोटा सा किस ही ले पाया उसने मुझे अपने से दूर कर दिया और बोली कि क्या करते हो इधर कोई भी आ सकता है खुद का नही तो मेरा तो ख़याल करो मैने कहा पर आपसे अकेले मिलने का टाइम ही नही मिल रहा है

वो बोली एक दो दिन मे मैं हवेली आउन्गि फिर देखते है और अपनी गान्ड को कुछ ज़्यादा ही हिलाते हुवे चली गयी उसके जाने के बाद मैं भी वापिस खेतों पर आ गया शाम होने लगी थी छुट्टी का समय हो गया था तो मैं सब से थोड़ी बहुत बाते करने लगा फिर सबको पेमेंट की तो एक एक करके वो लोग अपने घर जाने लगे चंदा भी जाने की तैयारी कर रही थी पर मैं उसके साथ थोड़ा और खुलना चाहता था

तो मैं वहीं पर उस से बाते करने लग गया मैं चाहता था कि सब लोग चले जाएँ मैने कहा ज़रा कमरे मे आओ कुछ काम है तो उसने अपनी तिरछी नज़रो से मुझे देखा और मेरे पीछे पीछे आ गयी अंदर आते ही मैने उसको पकड़ लिया और उसके बड़े बड़े बोबो को दबाने लगा वो बोली आहह मालिक क्या करते हो छोड़िए मुझे मैने कहा जब तो अपनी कॅटिली जवानी दिखा दिखा कर मुझे गरम कर दिया और अब छोड़ने को कह रही हो

मैं और ज़ोर ज़ोर से उसकी चूचिया दबाने लगा चंदा एक दर्द भरी आह भरते हुवे बोली मालिक अभी छोड़ दो मुझे जाने दो घर जाकर पानी भरना है और नंदू के लिए खाना भी बनाना है मैं वादा करती हू कि फिर कभी आपको पक्का दे दूँगी मैने कहा ठीक है पर जाने से पहले अपनी इस के दर्शन तो करवाती जाओ और उसकी चूत को मसल दिया उसने अपनी साड़ी कमर तक उठाई और मुझे उसकी मस्त चूत दिखने लगी चंदा के जाने के बाद यहाँ कुछ भी नही था करने को तो मैं भी हवेली आ गया

आया तो देखा कि पुष्पा खाना बनाने मे लगी हुवी थी उसने अपनी साड़ी का पल्लू कमर पे खोसा हुवा था और आटा लगा रही थी उसकी पीठ मेरी तरफ थी उसकी मोटी गान्ड बाहर की तरफ निकली हुवी थी उफफफफफफफफ्फ़ क्या कयामत लग रही थी दिल तो किया कि अभी इसकी गान्ड मार लूँ पर वो कहते है ना कि सबर का फल मीठा होता है मैने उसको कहा की एक कप चाइ मिलेगी

तो वो पीछे को मूडी और बोली आ गये आप , आप हाथ मूह धो लीजिए मैं अभी लाती हू मैने कहा नंदू के लिए भी बना लेना वो बोली नंदू तो है नही यहाँ पर वो आम के बाग पर गया है मैने कहा वहाँ क्यो गया है तो वो बोली कि मैने सोचा कि आपके लिए आमरस बना दूं तो बस उसी लिए भेजा है मैने कहा ठीक है पर उसको तुम्हे अकेला छोड़ कर नही जाना चाहिए था

हवेली अक्सर खाली ही पड़ी रहती है वो बोली मालिक किस की इतनी हिम्मत है जो आपके घर की ओर आँख उठा कर देख सके मैने कहा पर फिर भी उसे ऐसा नही करना चाहिए था मैने कहा 2-4 दिन मे इधर भी एक फोन लगवा देता हू ताकि यहाँ से कभी भी मुझसे बात हो सके फिर मैं बाहर आ गया और वो चाइ बनाने लगी

मैने हाथ-मूह धोया और कपड़े चेंज करके बाहर बगीचे मे डाली कुर्सी पर आकर बैठ गया और कल की प्लॅनिंग करने लगा तभी पुष्पा छाई लेकर आ गयी मैने कहा तुम्हारा कप कहाँ है वो बोली जी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, मैने कहा तुम भी तो चाइ पियो वो बोली पर मैं आपके आगे................ मैने कहा फिर वोही बात जाओ और अपना कप लेकर आओ कुछ देर बाद हम बाते करते हुवे चाइ पी रहे थे

मैने कहा तुम खाना बहुत अच्छा बनाती हो शहर के होटेल भी फैल है तुम्हारे आगे वो बोली क्या आप भी मुझे चिढ़ा रहे है मैने कहा अरे मैं सच बोल रहा हू अपनी तारीफ सुनकर वो खुश हो गयी और मुझसे थोड़ा खुलने लगी फिर वो मेरा खाना बना कर चली गयी क्योंकि उसे घर जाकर अपने परिवार के लिए भी खाना बनाना था थोड़ी देर बाद नंदू भी आ गया आम लेकर मैने कहा नंदू आगे से घर को ऐसे छोड़ कर नही जाना और अगर जाना पड़े तो मुझसे पहले बात कर लेना कुछ दिनो मे इधर फोन लगवा दूँगा

वो बोला जी हुकुम फिर उसने कहा कि हुकुम एक बात कहनी थी मैने कहा बता वो बोला अगर एक साइकल होती तो थोड़ी आसानी होती मैने कहा ले ले फिर पूछ क्यो रहा है तो वो बोला मालिक लेकर तो आप ही दोगे ना मैने कहा ठीक है अबकी बार शहर जाउन्गा तो लेता आउन्गा वो बोला हुकुम अपने गाँव मे ही एक आदमी साइकल सुधारने की दुकान चलाता है और साइकल बेचता भी है
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